Tuesday, August 31, 2010

जिन्दा कौमें पांच साल तक इंतज़ार नहीं करतीं ---दिव्या !

कल रचना जी के ब्लॉग पर निम्नलिखित पोस्ट पढ़ी।

कुछ प्रश्न अपनी साथी महिला ब्लॉग लेखिकाओ से


बहुत सी महिला बहनों ने वहाँ पूरे जोश में कमेंट्स लिखे , रचना जी के सभी प्रश्नों का सुंदर से सुन्दर जवाब दिया।

मैंने अपना एक कमेन्ट लिखा जो इस प्रकार था--

" रचना जी,

जब किसी नारी को कटही और खोरही कुतिया कहा जाता है तो नारियां अपने बिलों में दुपक जाती हैं। कोई भी नारी ऐसी नहीं थी जिसको बुरा लगा हो की एक महिला को कुतिया कहा गया । कोई नहीं था जिसने कहा हो की ये गलत है। फिर इस तरह के नारी समूह और नारियों से प्रश्न पूछने का ओचित्य क्या है जब नारी , नारी के ही काम न आये और उसे बाज़ार में लुटते-पिटते देखती रहे ? "

खैर १२ घंटे इंतज़ार किया , जब कमेन्ट को पब्लिश नहीं किया गया, जबकि नये कमेन्ट वहां आते रहे। तो सोचा अपना कमेन्ट यहाँ लिख दूँ । क्यूंकि ब्लॉग स्वामिनी तो यही कहेगी की वो नेट से दूर थी अतः कमेन्ट मोडरेशन में पड़ा रह गया।

खैर , जिन्दा कौमें पांच साल तक इंतज़ार नहीं करती।

मन में विचार आते जाते हैं यहाँ लिखती जाती हूँ। मन में आये कुछ विचारों को यहाँ लिख रही हूँ ।

१- क्या शुभ चिन्तक सिर्फ दिखावे के लिए होते हैं?
२- हाथी के दांत , खाने के और , दिखाने के और ?
३- क्या महिलाओं का खून नहीं खौलता जब उसकी किसी बहेन को कुतिया कहा जाता है तो ?
४- वो पोस्ट जो खासकर महिलाओं को सचेत करने के लिए निस्वार्थ भावना से लिखी गयी थी , क्या उस पर महिलाओं को आने से भय लगा ?
५- महिलाएं बकरियों की तरह डर-डर कर क्यों जीती हैं।
६-क्या वो डरती हैं की उनके ब्लोग्स पर टिपण्णी करने वो पूजनीय पुरुष नहीं आएगा।?
७-कब तक ढोती रहोगी , ऐसे गन्दी मानसिकता वाले पुरुषों को ?
८- कब पहचानोगी अपने अस्तित्व को ?
९- कब जीना सीखोगी निडर निर्भीक और स्वाभिमान के साथ।
१० क्या अपनी बीबी 'लक्ष्मी ' और भाई की बीबी 'कुतिया' होती है ?
११-क्या एक स्त्री जो आप के चंगुल में फंसने से इनकार कर दे वो गालियों की हकदार हो जाती है?
१२- क्या सिर्फ सरकार को गाली देते हुए ही हम मर जायेंगे ?
१३- भारत में corruption है चिल्लाते रहेंगे ?...क्या कभी अपनी इमानदारी के बारे में भी सोचेंगे?
१४ क्या ओह, आह, औच , उफ़ ही आपके विचार हैं ऐसे कृत्य के लिए ?
१५-क्या आप सभी अपने आप से इमानदार है ?




Sunday, August 29, 2010

ये नकाबपोश लड़कियाँ !---आखिर कब सुधरेंगी ?

मुस्कुराइए की आप लखनऊ में हैं ।

क्या ख़ाक मुस्कुराएं ? कभी आकर देखिये मेरे लखनऊ में , नियमों का उल्लंघन !

२० अगस्त, २०१०, आईटी चोराहे पर रेड लाइट होने पर खड़े थे, हमारी कार में भैया, मैं, दीदी और भतीजा बैठे थे। हरी बत्ती होने का इंतज़ार कर रहे थे। बायीं तरफ से लोग निकल कर फैजाबाद रोड पर मुड़ते जा रहे थे। मेरे मुंह से निकला , वाह! कम से कम यहाँ लोग हेलमेट तो पेहेनते हैं। भाई ने कहा, पहनेंगे नहीं तो उनका चालान हो जाएगा।

मैंने कहा ..." सभी तो हेलमेट लगाये हुए हैं , फिर दिक्कत क्या है ?" भाई ने कहा , ध्यान से देखो जो भी हेलमेट लगाए हैं उनमें से ज्यादातर पुरुष हैं। गलती से भी हेलमेट नहीं है तो पुलीस वाले चालान कर देंगे, लेकिन अगर कोई लड़की नहीं लगाए है तो उसे बिना कुछ कहे जाने देंगे। उनका चालान नहीं होगा।

मैं गौर से देखा, सचमुच ज्यादातर लड़कियाँ, अपने चेहरे और हाथ को सूती कपडे से ढके, नकाबपोश बनी, बिना हेलमेट के निकली जा रही थीं । उनको कोई कुछ नहीं कह रहा था।

Traffic rules में भी double standard ?

मेरे मुंह से निकला , अरे इस नकाब से तो बेहतर हेलमेट ही है, लड़कियाँ स्मार्ट भी लगेंगी और खुदा न खस्ता, accident हो जाने पर ,सर भी सुरक्षित रहेगा।

मेरा भतीजा जो हमारा वार्तालाप सुन रहा था, हँसते हुए बोला - " लड़कियों के पास बुद्धि भी होती है , जो अपने सर की सुरक्षा के बारे में सोच सकें ? जिस दिन इनके पास बुद्धि आएगी, खुद-बखुद हेलमेट पेहेनने लगेंगी । "

गुस्सा बहुत आयी उसपर लेकिन क्या कह सकती थी उसे ।

मेरे विचार से , Teenagers तो नासमझ हैं, लेकिन इनके माँ-बाप को समझाना चाहिए की हेलमेट पहनो। कानून का पालन भी होगा और सर भी सुरक्षित रहेगा।

वैसे आपका क्या विचार है?

Saturday, August 28, 2010

क्या आप भी चोर हैं ?

क्या आपने कभी दूकान से सामान तो उठा लिया हो लेकिन पमेंट किये बगैर सफाई से निकल गए हों ?॥

कभी बस या रेल में मुफ्त में यात्रा की है?

कोई परीक्षा फॉर्म मुफ्त में भरा है ?

क्या भगवान् को प्रसाद या माला बिना खरीदे चढ़ाई है ?

क्या डॉक्टर को मर्ज दिखाया हो और बिना फीस दिए चले गए हों ?

वकील साहब की फीस न देने की जुर्रत तो कभी नहीं की होगी ?

मुझे यकीन है आप सभी चोर नहीं हैं , लेकिन क्या आपने कभी ऐसा किया है की किसी की पोस्ट पढ़ी लेकिन चुप-चाप अपने विचार रखे बगैर चले गए हों ?

जो लोग ऐसा करते हैं वो ठीक नहीं करते। ये नातिक मूल्यों के खिलाफ है । यदि आप किसी की पोस्ट पढ़ते हैं , तो उस पोस्ट द्वारा हुए मनोरंजन अथवा ज्ञान-वर्धन की कीमत अपनी टिपण्णी के रूप में अवश्य चुकाइए ।

वैसे आपका क्या ख़याल है ?

Thursday, August 26, 2010

गृहणी , वैश्या , भिखारिन या फिर कैदी ?

भारत की जाति आधारित जनगणना [Census] में घरेलु काम करने वाली महिलाओं [ Housewives] को वैश्या , भिखारी तथा कैदी की श्रेणी में रखा है ।

इस category में रखने के पीछे कारण दिया गया की ये सभी [Economically non-productive ] हैं । अर्थात कुछ कमाते धमाते नहीं। इसलिये फालतू लोगों को इकठ्ठा कर दिया। अब अधिकारी महोदय को क्या कहें। अच्छा किया हम लोगों को हमारी औकात बता दी।

सुबह से रात मर-मर कर घर संभालो करो और बदले में तमगा क्या मिला है --" निकम्मे भिखारी "

बड़ा निडर अधिकारी है भाई, इतना साहसिक कार्य करते हुए ज़रा भी नहीं डरा?

एक और तो भाषण देते हैं, घर-बच्चे संभालो । दूसरी ओर कमासुत न होने के कारण भिखारी का दर्जा देते हैं?

एक घरेलु महिला की एक्सिडेंट में मौत होने पर मुआवजा भी कम ? वाह भाई वाह ! क्या जलवे हैं मर्दों के ?

एक घरेलु महिला [housewife] के कामों की कोई कीमत नहीं ?....अरे तो फिर गिनती भी मत करो हमारी । कीड़े - मकोड़ों को गिनता है भला कोई ?

भिखारियों की इज्ज़त भी मिटटी में मिला दी...बिचारे काटोरा लिए दिन भर में २०० रूपए तो कमाते ही होंगे।

ओर ये वेश्याएं ?...अच्छी कमाई करती होंगी ?....फिर घरेलु महिलाओं के साथ clubbing करके क्यूँ बिचारी वैश्या ओर भिखारी को नीचा दिखा रहे हैं।

वैसे आपका क्या ख्याल है ?...Housewives....वैश्याएँ....कैदी ओर भिखारी , क्या सभी को एक ही श्रेणी में रखना उचित है ?

Tuesday, August 24, 2010

अपने शुभचिंतकों की कर्ज़दार हूँ ---दिव्या !

क्या सिर्फ माँ-बाप , भाई-बहेन और दोस्त ही हमारे शुभ चिन्तक होते हैं? दुर्घटना के समय , अक्सर ये सभी हमारे साथ नहीं होते। जो बुरे वक्त में हमारे साथ होते हैं वो भी हमारे शुभ चिन्तक होते हैं और इश्वर के भेजे हुए फ़रिश्ते होते हैं। जिनके साथ एक अनजाना सा रिश्ता बन जाता है। कुछ शुभ चिंतकों के नाम नीचे लिख रही हूँ तथा ब्लॉग के माध्यम से उन सभी को आभार व्यक्त करना चाहती हूँ।



Lucknow: Passengers of a Delhi-bound Air India flight from here experienced some scary moments on Saturday as the pilot noticed smoke in one of the engines while taxiing for take-off and applied emergency brakes leading to a tyre burst.

One of the left tyres of the Airbus-320 aircraft, with 140 passengers and six crew on board, burst when the plane was taxiing for take-off around 9.45 am, official sources said.

Air India sources in New Delhi said the pilot noticed smoke in one of the engines, which possibly occurred due to overheating, and applied emergency brakes leading to a tyre burst। The take-off was aborted and the passengers were de-boarded from the Lucknow-Delhi IC-412 flight।

As the plane was in the process of take-off, we heard a loud noise after which the aircraft swayed both ways creating panic among passengers। Some women started crying,”

आभार इन सभी का --

१-विमान चालक जिनके विवेकपूर्ण निर्णय ने १४० लोगों की जान बचाई
!
२-सुनील शर्मा जी - जो इसी आभासी दुनिया के मित्र हैं तथा इंडियन
airlines , में aircraft इंजिनियर हैं, इन्होने हमारी काफी मदद की !
३- चौहान जी- Indian airlines के वरिष्ठ अधिकारी हैं !
४ अजय शर्मा जी...
Indian airlines के वरिष्ठ अधिकारी हैं
५ कपिल जी - वरिष्ठ अधिकारी

जिसको देखो वही इंडियन airlines को कोस रहा था ! लेकिन जिन लोगों ने सहायता की उनको शायद ही किसी ने याद किया हो । मुझे तो इन लोगों की भलाई हमेशा याद रहेगी ।

Flight मिस हो जाने के बाद शुरू हुई जद्दोजेहद connecting flight के लिए...बहुत मदद की कपिल जी, सुनील जी और चौहान जी ने, लेकिन सफलता नहीं मिली । २१ की रात होटल Centaur ,दिल्ली में हम IA के मेहमान रहे । अभी भी मुसीबत टली नहीं थी। २२august की flightमें जगह मिलना अभी बाकी था। सभी flights फुल जा रही थीं ।

दोपहर एक बजे चेक-इन की लाइनमें थे, जबकि २ बजे departure था। कस्टमर काउंटर पर बैठी महिला के कंप्यूटर पर flight suspended दिखने लगा, उसने मुझे अजय शर्मा जी के पास अगले काउंटर पर भेजा। वहां अगली मुसीबत मेरा इंतज़ार कर रही थी। काउंटर पर एक अमेरिकेन सबसे आगे खड़ा था। वो मुझे अजय जी से संबोधित देखकर जोर-जोर से गुस्से में चिल्लाने लगा। कहने लगा- "You should go and stand at the end of the queue , I am waiting for past half an hour , go from here, and this is cheating ". जब वोह काफी गुस्से में चिल्ला कर रुका तो मैंने धीरे से कहा...." I was not aware that civilized Americans shout like this at public places. You ought to be more polite and decent". ऐसा कहकर मैं काउंटर के कोने पर खड़ी रही ...अजय जी के फ्री होने का..विश्वास हो गया था की २२ तारिख की भी flight नहीं मिलेगी । निराशा अपनी चरम सीमा पर थी । तभी किसी ने मेरे हाथ से पपेर्स खींच लिए । मुड़कर देखा तो अजय जी ने मेरे हाथ से पपेर्स लेकर फटाफट हमारे बोर्डिंग- पास बना दिए। वो अमेरिकेन लज्जित और आवाक खड़ा था।
उस पर घड़ों पानी गिर गया था । अजय जी की मदद के लिए आजीवन हम उनके आभारी रहेंगे। अजय शर्मा जी ने न केवल मेरी मदद की बल्कि उस अमेरिकन को ये सबक भी दे दिया की भारत की धरती पे खड़े होकर भारतीयों को नीचा नहीं दिखा सकते।

अब केवल १० मिनट बचे थे । Immigration से लेकर विमान में चढ़ने हमारी कोई checking .... हुई । हर जगह छूटते हुए प्लेन तक बोर्डिंग में सभी ने मदद की ।

खैर ,आखिरकार विमान उड़ चला। कोल्ड ड्रिंक्स के साथ 'नाना-पाटेकर' की मूवी का आनंद ले ही रहे थे की दो घंटे के बाद जब हम काफी ऊँचाई पर थे , तो विमान हवा में लहराने लगा। घोषणा होने लगी अपनी जगह बैठे रहिये और पेटियां बांधे रखिये ! सभी लोग सकते की हालत में आ गए। बहुत से लोग रो रहे थे और एक दुसरे की तरफ असहाय होकर देख रहे थे, सभी के टीवी स्क्रीन्स बंद हो गए, लोग लाचारी में खिड़की के बाहर देख रहे थे।

मेरे साथ मेरी
सासु मा भी थीं , जो पीछे की सीट पर बैठी थीं। मेरे मन में ख़याल आया की अब मृत्यु तो निश्चित ही है, ऐसी स्थिति में मेरे पति को किसके साथ होना चाहिए ?...मेरे या फिर माँ के ?

मैंने पति से कहा , आप जाकर माँ के साथ बैठिये , वो घबरा रही होंगी । वो थोडा सा हिचके , फिर माँ के साथ जाकर बैठ गए।

अब मैंने अपनी आँख बंद कर ली और अपने घर के सभी सदस्यों को अंतिम बार याद किया। अन्य यात्रियों की तरह मैं भी रो रही थी । सोचने लगी , मैं रो क्यूँ रही हूँ जब मौत से डर नहीं लगता ? कारण ?---- बार-बार पिताजी, भाई और दीदी का चेहरा दिख रहा था , जो लखनऊ एअरपोर्ट पर हम लोगों को विदा करने आये थे । अगर उन लोगों को ये खबर मिले की प्लेन क्रेश हो गया और हम लोग अब जीवित नहीं हैं तो क्या होगा ? यही सोचकर....

थोड़ी देर बाद विमान में डिनर सर्वे हो गया । आधे से ज्यादा यात्रियों ने भोजन छुआ तक नहीं। मेरे बगल बैठे इजरायली यात्री को मुझसे सहानुभूति हो रही थी शायद। उसने मुझसे खाने को कहा, मैंने मना कर दिया। थोड़ी देर बाद उसने हिम्मत करके मुझसे बात करनी शुरू की , भारत के बारे में पूछने लगा। फिर उसने बताया की वो भारत घुमने गया था और जो किताब पढ़ रहा है वो भारत के बारे हैं और 'इबु' [
इजरायली ] भाषा में लिखी हुई है।

फिर उसने पूछा - " इस किताब में लिखा है की भारत में corruption बहुत है , क्या ये सच है ? "

मैंने कहा भारत में corruption नहीं population की प्रॉब्लम है। भारत की जनसँख्या विश्व की एक-छटवीं है. Population , frustation का कारण है ।

उसने भारत और थाईलैंड के बारे में जानकारी हासिल की और मुझे अपने देश इजरायल के बारे में काफी कुछ बताया। वो इंडियन culture के बारे में सुनकर बहुत impressed था।

उसके साथ बात-चीत करते हुए यात्रा के अंतिम एक घंटे आराम से गुज़र गए , उसने मेरा e-mail ID लिया और तब तक विमान सुरक्षित बंगकोक के स्वर्णभूमि एअरपोर्ट पर लैंड कर गया !

माँ गायत्री का जप किया और गणेश जी के द्वादश नामों के जप से हम सुरक्षित रहे , इसलिए सर्वप्रथम इश्वर को धन्वाद, फिर हमारे काबिल विमान चालकों और अन्य सभी शुभ चिंतकों का पुनः-पुनः आभार ।

इस हादसे के बाद , सब कुछ अनिश्चित सा लगता है !

यदि मैं आप लोगों को ज्यादा दिन तक ब्लॉग पर न दिखूं,, तो ये मत समझिएगा की दिव्या ब्लॉग जगत से पलायन कर गयी, बल्कि वो इस दुनिया से ही पलायन कर गयी है , यही समझिएगा ।










Monday, August 23, 2010

भारत से वापसी---मैं जीवित हूँ ! ---दिव्या

२१ अगस्त , लखनऊ से दिल्ली की flight [IC-412] में हुए हादसे से सकुशल बच गयी , शायद मेरे शुभचिंतक ज्यादा हैं ! कल दिल्ली से Bangkok की flight में मृत्यु निश्चित दिख रही थी ! लेकिन फिर इश्वर की कृपा और शुभचिंतकों की दुआओं ने बचा लिया !

सभी की मेल्स का जवाब लिख पाना संभव नहीं हो पा रहा , इसलिए common लिख रही हूँ ! सभी मित्रों का हार्दिक धन्वाद , पत्र लिखने के लिए और मुझे याद करने के लिए !

एक महीने तक इन्टरनेट का उपयोग नहीं हो सका और मैंने आप सभी को बहुत मिस किया !