सच में नमन है इस मर्दानी को। मुंबई के आज़ाद मैदान में शहीदों के स्मृति चिन्हों का अपमान करने वाले मुल्लों पर कोई आर्य्वाही नहीं किन्तु सुजाता पाटिल की एक कविता इतनी खतरनाक? शर्म आती है सेक्युलरिज्म पर। कल सुदर्शन पर सुजाता पाटिल पर बहुत अच्छा प्रोग्राम दिखाया गया। सुजाता पाटिल को पूरा समर्थन है।
well said
ReplyDeleteसच में नमन है इस मर्दानी को।
ReplyDeleteमुंबई के आज़ाद मैदान में शहीदों के स्मृति चिन्हों का अपमान करने वाले मुल्लों पर कोई आर्य्वाही नहीं किन्तु सुजाता पाटिल की एक कविता इतनी खतरनाक? शर्म आती है सेक्युलरिज्म पर।
कल सुदर्शन पर सुजाता पाटिल पर बहुत अच्छा प्रोग्राम दिखाया गया। सुजाता पाटिल को पूरा समर्थन है।