tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post1257003820210554133..comments2024-03-18T11:14:46.125+05:30Comments on ZEAL: रिश्तों की मिठासZEALhttp://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comBlogger47125tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-7330446964722590492011-03-29T00:18:10.912+05:302011-03-29T00:18:10.912+05:30दिव्या जी ,आपने कुछ ही शब्दों में एक बड़े सच को उजा...दिव्या जी ,आपने कुछ ही शब्दों में एक बड़े सच को उजागर किया है |रिश्तों में एक झीना पर्दा होना ही चाहिये और उनकी मधुरता के लिये प्यार की निरन्तर बहती शुभ्र धारा|<br />सुधा भार्गवसुधाकल्पhttps://www.blogger.com/profile/14287746370522569463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-24375178665788674672011-03-27T17:10:18.160+05:302011-03-27T17:10:18.160+05:30एक संतुलित और प्रौढ़ समझ पर निर्मित रिश्ते सतत बने...एक संतुलित और प्रौढ़ समझ पर निर्मित रिश्ते सतत बने रहते हैं। वैसे अपेक्षाओं की पूर्ति और अनापूर्ति प्रायः रिश्ते में मिठास और खटास पैदा करते हैं। आभार।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-68879935568154855362011-03-27T07:44:18.727+05:302011-03-27T07:44:18.727+05:30रिश्तों एक एक मर्यादित दूरी की मैं भी पक्षकार हूँ...रिश्तों एक एक मर्यादित दूरी की मैं भी पक्षकार हूँ। बहुत नजदीकियां दूरियों में तब्दील हो जाती हैं।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-65180405055703613412011-03-27T07:27:43.093+05:302011-03-27T07:27:43.093+05:30behtarin,ishvar kare aapka account kabhi inoperati...behtarin,ishvar kare aapka account kabhi inoperative naa ho ,isi par maine bhi ek baar kuchh likhaa tha,thoda vakt nikaliyega...<br />http://amit-nivedit.blogspot.com/2010/10/eddy-currents.htmlamit kumar srivastavahttps://www.blogger.com/profile/10782338665454125720noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-55451597815547562572011-03-27T07:26:56.207+05:302011-03-27T07:26:56.207+05:30सुग्य जी से सहमतसुग्य जी से सहमतसहज समाधि आश्रमhttps://www.blogger.com/profile/12983359980587248264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-50565704912371104542011-03-27T06:10:50.018+05:302011-03-27T06:10:50.018+05:30दिव्या जी प्रेम पर आपका विवेचन बहुत सुंदर लगा |बधा...दिव्या जी प्रेम पर आपका विवेचन बहुत सुंदर लगा |बधाई |वसीम बरेलवी का एक शेर है -<br />जो तुममे मुझमे चला आ रहा है बरसों से <br />कहीं हयात उसी फासले का नाम न होजयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-32327707142364117732011-03-27T04:43:35.424+05:302011-03-27T04:43:35.424+05:30रिश्तो में रिश्तो में संतुलन बनाये रखने से ही रिश्...रिश्तो में रिश्तो में संतुलन बनाये रखने से ही रिश्तो में मिठास बनी रहती है| धन्यवाद|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-5397106117605978692011-03-27T01:22:36.342+05:302011-03-27T01:22:36.342+05:30सच कहा रिश्तों में मिठास कायम रखने प्रेम बनाए रख...सच कहा रिश्तों में मिठास कायम रखने प्रेम बनाए रखना चाहिए।<br />अच्छा लेख।Atul Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-5643963547630203812011-03-26T23:11:52.210+05:302011-03-26T23:11:52.210+05:30मुझे तो यही समझ आता कि रिश्तों कि पहचान में विवेक ...मुझे तो यही समझ आता कि रिश्तों कि पहचान में विवेक की अत्यंत आवश्यकता है.एक बार सज्जनता की पहचान हो जाये,फिर तो हठ कर के भी पहचान बढ़ानी चाहिये.क्योंकि नीति है 'साधू ते होई न कारज हानि'. वर्ना तो जीवन भर हम 'Games people play' ही अपनाते रहतें है ,जिसमे कभी हार की कड़वाहट तो कभी जीत की अफीम चखते रहते हैं ,आत्मीयता से कोसों दूर.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-9102596689636507212011-03-26T23:09:55.229+05:302011-03-26T23:09:55.229+05:30रिश्तो में रिश्तो में संतुलन बनाये रखने से ही रिश्...रिश्तो में रिश्तो में संतुलन बनाये रखने से ही रिश्तो में मिठास बनी रहती है |कौशलेन्द्र जी के ब्लॉग से मालूम हुआ आपके वहां भूकम्प आया है |<br />ईश्वर से प्रार्थना है सब कुशल मंगल हो |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-63845676900393602432011-03-26T23:05:29.601+05:302011-03-26T23:05:29.601+05:30निराशा वहीं होती है जहां रिश्तों से उम्मीद होती है...निराशा वहीं होती है जहां रिश्तों से उम्मीद होती है...<br />मन का हो तो अच्छा और न हो तो और भी अच्छा...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-27268619950600864312011-03-26T21:35:58.209+05:302011-03-26T21:35:58.209+05:30जहॉ तक मैं समझता हुॅ किसी भी रिश्ते में समझदारी और...जहॉ तक मैं समझता हुॅ किसी भी रिश्ते में समझदारी और समर्पण जरूरी है। पास या दुर रहने से शायद कोई फर्क नहीं पड़ता।Amit Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01787361968548267283noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-51279597689540877992011-03-26T18:59:37.004+05:302011-03-26T18:59:37.004+05:30संगीता स्वरुप जी की टिप्पणी से सहमत हूँ.संगीता स्वरुप जी की टिप्पणी से सहमत हूँ.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-3783777077563918102011-03-26T18:41:35.262+05:302011-03-26T18:41:35.262+05:30रिश्ते अबूझ पहेली की तरह होते हैं। दो लोगों के बीच...रिश्ते अबूझ पहेली की तरह होते हैं। दो लोगों के बीच, चाहे वे निकट संबंधी हों या मित्र, का घनिष्ठ अपनापन कभी-कभी कट्टर दुश्मनी में बदल जाता है। कभी कभी सर्वथा अपरिचित व्यक्ति भी अपना-सा लगने लगता है। सब कुछ दिल-दिमाग की tuning का खेल है।<br /><br />रिश्तों की आंच को बनाए रखने के लिए किंचित दूरी आवश्यक है। इतने निकट भी न जाएं कि भक् से जलकर राख हो जाए और इतना दूर भी नहीं कि ठंडी होकर बुझ जाए।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-19265153131163044192011-03-26T18:00:40.981+05:302011-03-26T18:00:40.981+05:30अच्छा लिखा है. बधाई
मेरे ब्लॉग पर आकर उत्साहवर्धन...अच्छा लिखा है. बधाई <br />मेरे ब्लॉग पर आकर उत्साहवर्धन करें. <br /><a href="%E2%80%9D" rel="nofollow">क्या यही है पत्रकारिता का स्टैंडर्ड</a><br /><a href="%E2%80%9D" rel="nofollow">चीयर लीडर्स की जगह आएंगी चीयर क्वीन्स</a>Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13342084356954166189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-43809821639773010532011-03-26T17:47:40.864+05:302011-03-26T17:47:40.864+05:30रिश्तों पर यह लघु लेकिन पूर्ण आलेख है. बैंक अकाउंट...रिश्तों पर यह लघु लेकिन पूर्ण आलेख है. बैंक अकाउंट का बिम्ब वर्तमान परम्परा को बेनकाब करता नज़र आता है. रिश्तों की इस नाजुकता का मजाक बनाते हुवे कॉलेज में हम अक्सर कहा करते थे ;<br /><br />मना की मेरी जिंदगी में <br />तुम्हारा आना नहीं है <br />पर <br />आना-जाना तो है.<br /><br />आज रिश्ते भी आना-जाना जैसे हो गए हैं. यह आधुनिकता, एकल परिवार, नौकरी-सेवा के लिए प्रवास आदि के कारण है जिससे रिश्तों में काफी तेज़ी से परिवर्तन हो रहा है. आजकल रिश्ते अनुभव नहीं किये जाते हैं बल्कि तौले जाते हैं. एक बार फिर कहूँगा की यह विषय पर लघु लेकिन पूर्ण प्रस्तुति है.धीरेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/12020246777509347843noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-88864042083611918652011-03-26T17:28:08.114+05:302011-03-26T17:28:08.114+05:30रिश्तों का वैज्ञानिक विश्लेषण किया है आपने लेकिन म...रिश्तों का वैज्ञानिक विश्लेषण किया है आपने लेकिन मेरा मानना है की कीप यौर हैण्ड सेपेरट बट हेअर्ट टुगेदर तभी मिठास कायम रहेगी अच्छा आलेख आभारSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-3194865055541195012011-03-26T16:53:39.688+05:302011-03-26T16:53:39.688+05:30बिना किसी का personal space छीने , प्रेम की अविरल ...बिना किसी का personal space छीने , प्रेम की अविरल धारा बहती ही रहनी चाहिए ......<br /><br />यही सच है....अच्छा विश्लेण किया है आपने...<br /> हार्दिक बधाई।<br />Wow, very beautiful flower.Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-9284080337925546112011-03-26T16:48:26.941+05:302011-03-26T16:48:26.941+05:30hmmm...true !
Relations n bank account..nice sim...hmmm...true !<br /><br /> Relations n bank account..nice simile Divya.बाबुषाhttps://www.blogger.com/profile/05226082344574670411noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-18168694845752865732011-03-26T15:56:59.488+05:302011-03-26T15:56:59.488+05:30rista to hamara bhi hai.....pathak aur lekhak ka
....rista to hamara bhi hai.....pathak aur lekhak ka<br />.........aur vichar jitne milte jayenge....madhur<br />hota jayega......banana asan hai...nibahna duskar.<br /><br />......aap to bas apne lekhan se apne evam pathkon<br />ke vichar-pravah ko sakriya rakhiye........yahi to<br />hasil/jama hai is jagat ka...........<br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-25619734460866649902011-03-26T15:44:41.370+05:302011-03-26T15:44:41.370+05:30बाबा तुलसीदास कहिन हैं..
आपतकाल परिखेऊ चारी
धीरज ध...<i><br />बाबा तुलसीदास कहिन हैं..<br />आपतकाल परिखेऊ चारी<br />धीरज धर्म मित्र अरु नारी<br />ज़ाहिर है, किसी विषम घड़ी में या कुछ गलत दिखने पर नारी ( पत्नी - सर्वश्रेष्ठ मित्र ) और बेचारे मित्र ( जनरल क्लास मित्र ) कुछ सुझाव देंगे, सलाहियत की बातें समझायेंगे.. न कि आपको ( या किसीको ) पीछे कर खुद ताल ठोंक कर खड़े हो जायेंगे ! अब इस सलाहियत को प्रवचन मानने का मुझे कोई कारण नहीं दिखता ।<br />प्रतिकर्षण को ठेठ भाषा में झिड़की कहते हैं शायद ? अधिकाँश ब्लॉगर Delusion of Grandeur से भले ही न ग्रसित हों, पर त्वरित प्रतिकर्षण की अपेक्षा भी नहीं रखते ।<br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-63035779812921683912011-03-26T15:23:25.694+05:302011-03-26T15:23:25.694+05:30पता नही जी, लगता हे हमारा चुंबक खराब हे, अगर दो दि...पता नही जी, लगता हे हमारा चुंबक खराब हे, अगर दो दिन के लिये भी परिवार से दुर जाता हुं तो मुझे यह दुनिया अच्छी नही लगती, बीबी ओर बच्चे भी आधे हो जाते हे...राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-74864691911734327672011-03-26T15:18:29.579+05:302011-03-26T15:18:29.579+05:30निःसन्देह हर रिश्ते में एक सम्मानजनक दूरी अवश्य रह...निःसन्देह हर रिश्ते में एक सम्मानजनक दूरी अवश्य रहना चाहिये ।Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-8347306395426527492011-03-26T15:11:47.631+05:302011-03-26T15:11:47.631+05:30हूं ...बहुत ही अच्छी ज्ञानवर्धक बातें कहीं है आपन...हूं ...बहुत ही अच्छी ज्ञानवर्धक बातें कहीं है आपने इस आलेख में ..<br /><br />बहुत-बहुत बधाई ...और लेखन के लिये शुभकामनाएं ।।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-75614806474653882842011-03-26T14:53:42.510+05:302011-03-26T14:53:42.510+05:30रिश्ते ध्यान देने से ध्यान देते हैं।रिश्ते ध्यान देने से ध्यान देते हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com