tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post2202445052046929351..comments2024-03-18T11:14:46.125+05:30Comments on ZEAL: लेखन की बेला.ZEALhttp://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comBlogger60125tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-60566251957618935502011-07-01T16:58:07.987+05:302011-07-01T16:58:07.987+05:30शायद एक हद तक सही है पर कुछ समय तक अगर कोई नहीं आय...शायद एक हद तक सही है पर कुछ समय तक अगर कोई नहीं आये पढने और टिप्पणी करने तो मैं आगे नहीं लिखूंगा यह भी सत्य है..<br />लिखना, गाना, नृत्य करना यह सब एक ही तरह के कला है जिसके रसपान करने वाले होने चहिये अन्यथा वह सोच, वह गीत, वो थाप.. सब व्यर्थ हैं...Pratik Maheshwarihttps://www.blogger.com/profile/04115463364309124608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-5867587504070837752011-06-28T14:57:16.217+05:302011-06-28T14:57:16.217+05:30आदरणीय डॉ.दिव्या श्रीवास्तव जी, आपके प्रेरणादायक ल...आदरणीय डॉ.दिव्या श्रीवास्तव जी, आपके प्रेरणादायक लेख जिस पर हर लेखक की लेखनी टिप्पणी करने के लिए मजबूर हुई. आप सभी भी टिप्पणी लिखते रहिये जिसको रूचि होगी वो सब टिप्पणियाँ जरुर पढ़ ही लेगा. जिसको कुछ लिखना होगा वो जरुर लिखेगा ही किसी के रोके तो रुकने से रहा. हो सकता है धमकी या डर के कारण समाचार पत्र में नहीं तो ब्लॉग पर लिखेगा या फिर अपनी डायरी में लिखेगा. मगर लिखेगा जरुर. किसी का जीवन ही लिखने से चलता है और किसी का जीवन लिखने से खत्म हो जाता है. मगर कोशिश ऐसी होनी चाहिए कि झूठ न लिखकर समाजहित में सत्य लिखना चाहिए. माना सत्य लिखने की सजा मौत है मगर मौत के डर से असत्य भी नहीं लिखना चाहिए. <br />अब तक 58 व्यक्तियों द्वारा की टिप्पणियाँ पढकर बहुत अच्छा लगा और सभी ने एक से एक बढ़कर गूढता भरी टिप्पणियाँ की है.रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-22423452878502667252011-06-23T00:25:05.554+05:302011-06-23T00:25:05.554+05:30hi, aapke lekh ko pad kar laga jaise aapne mere di...hi, aapke lekh ko pad kar laga jaise aapne mere dil ki baat kah di. Akhbar me kaam karne ke bavjood blog par likhne me main abhi tak sahaj nahin ho paya tha. lekin jaise aapne likha apne dil ki suno aur likhna suru kar do. To main bhi ab pehle se jyada actively blogging kar raha hoon. thank you so much for this inspiring article. Pank DAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/15608172036002509563noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-16459439030898630722011-06-22T16:03:48.952+05:302011-06-22T16:03:48.952+05:30You have suggested a nice shortcut to heaven, Zeal...You have suggested a nice shortcut to heaven, Zeal ! and are magnanimous enough to expect same people in heaven !<br />Nice post.aarkayhttps://www.blogger.com/profile/04245016911166409040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-33833669869214164352011-06-22T14:50:30.496+05:302011-06-22T14:50:30.496+05:30चिन्तक कभी सोता नहीं,
उसकी चिति स्वयं संवेदी होती...चिन्तक कभी सोता नहीं, <br />उसकी चिति स्वयं संवेदी होती है,<br />चिंतन प्रक्रिया स्वप्न में भी विमर्श करती है.<br />पथ चलते चलते अपना उत्कर्ष करती है.<br />मौन में भी यह चिंतन धारा सतत प्रदीप्त है,<br /><br />यह मौन चिन्तक का हो,या संस्कृति का;<br />अथवा यह हो ब्लैक होल और प्रकृति का.<br />यही मौन सृजन का पूर्वार्द्ध है;बाकी उत्तरार्द्ध है.<br />पूर्वार्ध का चिन्तक उत्तरार्द्ध का कवि है;<br />कवि की वाणी मौन रह नहीं सकती;<br />मजबूर है वह; चेतना उसकी मर नहीं सकती.<br />लेखनी इस पीडा को देर तक सह नहीं सकती.<br /><br />संवेदना विचार श्रृंखला को; विचार शब्दविन्यास को,<br />और शब्द विन्यास - अर्थ, भावार्थ, निहितार्थ को <br />जन्म देते है.ये शब्दमय काव्य, रंगमय चित्र, <br />आकरमय घट, सतरंगी पट; सभी मौन का प्रस्फुटन है;Dr.J.P.Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10480781530189981473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-65514980456569433922011-06-22T12:49:42.162+05:302011-06-22T12:49:42.162+05:30अतः लिखिए, जो भी है ह्रदय में लिख डालिए। बिना इस अ...अतः लिखिए, जो भी है ह्रदय में लिख डालिए। बिना इस अपेक्षा के कोई मुझे पढ़ेगा , मुझसे प्रश्न करेगा , अथवा मुझे पढने के बाद मेरा भक्त बन जाएगा। आजकल लोग अपने काम की सामग्री लेकर आगे बढ़ जाते हैं , क्यूंकि जो एक लिए उपयोगी अथवा रुचिकर है वही दुसरे के लिए गैरज़रूरी एवं अरुचिकर भी हो सकता है।<br /><br />बहुत सही बात है मैं सहमत हूँ आपसे.......लेखन स्वयं संतुष्टि के लिए ही होना चाहिए......हाँ पर इसका ख्याल रखना चाहिए की वो कहीं किसी की भावनाओ को ठेस न लगाये |Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-35356597173263314762011-06-22T09:55:19.383+05:302011-06-22T09:55:19.383+05:30बड़ों की बातों में उनके अनुभव का निचोड़ होता है, य...बड़ों की बातों में उनके अनुभव का निचोड़ होता है, यह हो सकता है कि वह हम पर न लगे पर महत्व तो रखता ही है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-37263094652752122092011-06-22T09:27:23.276+05:302011-06-22T09:27:23.276+05:30.......अतः ज्ञान बांटने वालों को यह सोचकर बुरा नही..........अतः ज्ञान बांटने वालों को यह सोचकर बुरा नहीं मानना चाहिए की अमुक व्यक्ति मेरी बातों में रूचि नहीं ले रहा है।.....आप लिखते रहिये । हम पढ़ रहे हैं ।<br />abhaar....पी.एस .भाकुनीhttps://www.blogger.com/profile/10948751292722131939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-63354002481480484152011-06-22T06:46:55.618+05:302011-06-22T06:46:55.618+05:30बहुत खूब दिव्या जी, बिलकुल सही लिखा है,इत्तेफाक से...बहुत खूब दिव्या जी, बिलकुल सही लिखा है,इत्तेफाक से कल ही मैंने भी कुछ 'ज्ञान' बघार दिया है अपने ब्लॉग पर.<br />http://aatm-manthan.comMansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-51805272079170751902011-06-22T06:21:39.646+05:302011-06-22T06:21:39.646+05:30सार्थक लेख ,वाकई मन को शांति देता है लेखन बस स्वान...सार्थक लेख ,वाकई मन को शांति देता है लेखन बस स्वान्तःसुखाय का सिद्धांत ध्यान में रखना जरूरी है ..वाल्तेयर ने कहा है ...हो सकता है मैं आपके विचारों से सहमत न हो पाऊं पर आपके विचार प्रकट करने में आपकी सहायता जरूर करूँगा . प्रत्येक लेखक को पढते समय भी दूसरों के विचारों का आदर रखना चाहिए सहमति हो या न होVandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-67022927033796323492011-06-22T01:23:41.592+05:302011-06-22T01:23:41.592+05:30आपके विचारों से पूरी तरह सहमत हूँ,
विवेक जैन vivj...आपके विचारों से पूरी तरह सहमत हूँ,<br /><a href="http://vivj2000.blogspot.com/" rel="nofollow"><b> विवेक जैन </b><i>vivj2000.blogspot.com</i></a>Vivek Jainhttps://www.blogger.com/profile/06451362299284545765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-14631104798675728022011-06-21T23:43:47.469+05:302011-06-21T23:43:47.469+05:30अच्छा लिखने वालों को कम ही सही,अच्छे पाठक मिल ही ज...अच्छा लिखने वालों को कम ही सही,अच्छे पाठक मिल ही जाते हैं.सारगर्भित लेख सदा स्तुत्य ही होता है.आपके विचारों से पूर्ण सहमति.Sapna Nigam ( mitanigoth.blogspot.com )https://www.blogger.com/profile/00012875891407319363noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-81919457092117872082011-06-21T22:19:44.448+05:302011-06-21T22:19:44.448+05:30बहुत सार्थक कथन है .लेख,न ही चिन्तन-मनन करने को भी...बहुत सार्थक कथन है .लेख,न ही चिन्तन-मनन करने को भी प्रेरित करता है .प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-29284562291327708412011-06-21T22:05:55.753+05:302011-06-21T22:05:55.753+05:30जो मन में हो वह कह देना..व्यक्त करना ही अच्छा है.....जो मन में हो वह कह देना..व्यक्त करना ही अच्छा है...वीना श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09586067958061417939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-55711465472950778862011-06-21T21:50:29.549+05:302011-06-21T21:50:29.549+05:30मैं नेता न बन सका इसलिये यहां अपने मन की बातें रख ...मैं नेता न बन सका इसलिये यहां अपने मन की बातें रख देता हूं. नेता बना होता तो जनता को सुनाता. और काफी हद स्वान्त: सुखाय भी है. जो मन में जंचा लिख दिया.<br />इस पोस्ट के मन्तव्य से सहमत.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-82674513864799078742011-06-21T21:47:44.254+05:302011-06-21T21:47:44.254+05:30कुछ तो लोग लिखेंगे...लोगों का काम है लिखना...कुछ ल...कुछ तो लोग लिखेंगे...लोगों का काम है लिखना...कुछ लोग पढ़ भी लेंगे...उनका काम है पढना...सो लिखने में कोई हर्ज़ नहीं...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-37459996654815890582011-06-21T21:37:35.664+05:302011-06-21T21:37:35.664+05:30जो मन में आये वो लिखोजो मन में आये वो लिखोSANDEEP PANWARhttps://www.blogger.com/profile/06123246062111427832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-36374863753672684582011-06-21T21:17:26.705+05:302011-06-21T21:17:26.705+05:30’आप लिखते रहिये । हम पढ़ रहे हैं ”
प्रेरक और ऊर्जा...’आप लिखते रहिये । हम पढ़ रहे हैं ”<br /><br />प्रेरक और ऊर्जा देने वाली बात ।अजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-91272840271072044962011-06-21T21:15:33.842+05:302011-06-21T21:15:33.842+05:30सुन्दर लेख....आखिर हम सभी हैं तो एक ही, स्वंय के ल...सुन्दर लेख....आखिर हम सभी हैं तो एक ही, स्वंय के लिए लिखा गया भी उपयोगी होता है......बेशक दूसरों के लिए भी. आभारArvind Jangidhttps://www.blogger.com/profile/02090175008133230932noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-31030310799339851992011-06-21T20:37:59.999+05:302011-06-21T20:37:59.999+05:30लेखन का दर्शन प्रारंभ से द्वि स्तरीय रहा है १...लेखन का दर्शन प्रारंभ से द्वि स्तरीय रहा है १- विधा संरक्षण <br />२- विचार संवहन <br /> हम सभीप्रायः विचार संवहन को ही अनुगमित करते हैं ,लेखन केमाध्यम से अपने विचार को प्रतिस्पर्धनात्मक प्रेरणात्मक सकरात्मक, नकारात्मक ,स्वरूपों में निरुपित करते हैं /मूल कथ्य यह , लेखन का समय क्या है ? तो निश्चित रूप से जब मानस संचयी भाव से मुक्त हो जाता है ,प्रकटीकरण का कार्य आरम्भ होता है ,समय काल देसानुसार / गुणवत्ता निर्भर करती है विकास शीलता की गति पर ...हम सोच सकते है हरा लेखन कैसा व कहाँ है ? आभार जीudaya veer singhhttps://www.blogger.com/profile/14896909744042330558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-61820428357158259662011-06-21T20:02:05.985+05:302011-06-21T20:02:05.985+05:30आपके लेखन से यदि अपने अलावा दूसरों को भी सुख मिलता...आपके लेखन से यदि अपने अलावा दूसरों को भी सुख मिलता है या उपयोगी साबित होता है , तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है । लेकिन लेखन को दिलचस्प बनाकर लिखना सबके बस का नहीं होता ।<br /><br />बेशक आपके लेखों को दिलचस्पी से पढ़ा जाता है ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-61900567827673051412011-06-21T19:42:13.603+05:302011-06-21T19:42:13.603+05:30लिखना चाहते हैं तो लिखिए ...कुछ भी लिखिए...हर स्तर...लिखना चाहते हैं तो लिखिए ...कुछ भी लिखिए...हर स्तर के लोग हैं...पढ़ने वालों में हर स्तर के लोग मिल जाएंगें ...<br /><br />लिखने के लिए लिखिए...विधा की परवाह न कीजिए ...हो सकता है जो आप लिख रहें हैं,वही कल एक लेखन की विधा बन जाए ... बहुत सारी विधाओं का जन्म इस तरह से ही हुआ...<br /><br />यदि आप पहले विधा में निपुण होने के लिए तैयारी करेंगे और फिर लिखेंगे तब तक उस विधा में बहुत कुछ परिवर्तन आ चुका होगा ...इसलिए लिखिए ...बस जिस भाषा में आप लिख रहें हैं,उसके शब्द भंडार को बढ़ाते जाइए ताकि आप हर तरह के मनोभावों को अच्छे ढ़ग से लिख सकें ...<br /><br />लिखने वालों के लिए हमारी शुभकामनाएं ...मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-15369540654097648412011-06-21T19:40:34.860+05:302011-06-21T19:40:34.860+05:30बहुत सच कहा है. मन की भावनाओं को व्यक्त करने के लि...बहुत सच कहा है. मन की भावनाओं को व्यक्त करने के लिए लेखन से बढ़ कर और कोई !मदन शर्माhttps://www.blogger.com/profile/07083187476096407948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-18619180423580948652011-06-21T19:40:21.173+05:302011-06-21T19:40:21.173+05:30ये भी बहुत अच्छा उपाय है अपनी बात कहनेका।ये भी बहुत अच्छा उपाय है अपनी बात कहनेका।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-58306578048011600092011-06-21T19:16:29.694+05:302011-06-21T19:16:29.694+05:30अच्छा आलेख.लेखन कभी व्यर्थ नहीं जाता.अच्छा आलेख.लेखन कभी व्यर्थ नहीं जाता.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.com