tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post3088789904367511381..comments2024-03-18T11:14:46.125+05:30Comments on ZEAL: क्या प्यार की भी मर्यादाएँ होती हैं ?ZEALhttp://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comBlogger123125tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-39427827668712780262015-12-09T14:46:06.056+05:302015-12-09T14:46:06.056+05:30cialis 20 mg 4 tablet knowledge base
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http://kupi...Как правило, большинство существующих <br />http://kupi.zone/ код бесплатной <br />доставки бонприкс магазинов разработали <br />свои веб-сайты в веб-сети. Скорее <br />всего, в формате веб представительств.<br />Для привлечения клиентов они используют весьма <br />разнообразные приемы. к примеру, рекламу и разнообразные акции.<br />Промоакция имеет возможность выглядеть в виде разных мероприятий.<br />Сейчас быстро набирает обороты формат мероприятий в виде <br />передачи клиетам различных купонов и промокодов на скидки и подарки.<br /><br />Что представляет собой промокод (купон)?<br />Все просто. Купон, это пароль или <br />ссылка кнопка на сайте, нажав на неё, вы получаете подарок <br />и увеличенную скидку. Что именно вам <br />подарят, как правило, написано <br />на самом купоне который вы получите на нашем сайте.<br /><br />Kupi.zone коды бонприкс 2015<br />Дополнительный плюс у мероприятий — <br />они не требуют всяких сложных действий с <br />вашей стороны. Нажал на кнопку — и сразу получил дополнительную приятность в виде скидки.<br /><br />Максимум, что от вас имеет возможность потребоваться — ввести <br />пароль акции, но мы стараемся, чтобы <br />такие вещи делались без участия <br />клиента.<br />Купоны и промокоды существуют как <br />правило в большинстве крупнейших интернет-магазинов Украины.<br />Самыми современными в данном вопросе, среди городов, являются Днепропетровск .<br /><br />Но обращая внимание на то, <br />что большинство современных онлайн-магазинов <br />Украины доставляет товар по всей Украине,<br />воспользоваться такими купонами может любой покупатель <br />из Украины ,не заисимо от того,<br />где он проживает.<br />Возникает логичный вопрос.<br />А как же найти для нужного магазина эти купоны на акции?<br />Много магазинов публикует эти скидки <br />и промокоды в социальных сетях таких как Фейсбук или в виде рекламы .<br /><br />Но обнаружение купонов на акции, опубликованных таким образом — создает проблему и требует большого количества вашего времени.<br />Эти способы публикации , в теории,<br />создаются с расчетом , что потенциальный <br />клиент мимоходом обратите внимание <br />на рекламу и запишите себе место, где найти купон.<br /><br />Мы решили подойти к данному вопросу <a href="http://kupi.zone/%D0%BF%D1%80%D0%BE%D0%BC%D0%BE%D0%BA%D0%BE%D0%B4%D1%8B/%D0%BC%D0%B0%D0%B3%D0%B0%D0%B7%D0%B8%D0%BD/bonprix/" rel="nofollow">kupi.zone бонприкс украина интернет магазин 2015</a> со <br />стороны клиента. Используя тот факт, что наша <br />компания имеет соглашения с целым <br />рядок онлайн- магазинов и их рекламными партнерами, наша группа собирает информацию о самых новых акциях, которые интернет- магазины проводят.<br />И публикуем купоны и промокоды у нас на сайте.<br /><br />Все купоны здесь аккуратно разбиты по <br />магазинам и категориям.Поэтому, <br />когда вы хотите получить скидку , а также, подарок в онлайн- магазине,<br />нужно всего лишь зайти на сайт и выбрать,<br />нет ли предложений от нужного магазина в списке.<br /><br />Плюс таких промокодв в том,<br />что вы имеет возможностье поделиться найденным купоном <br />с кругом друзей. К примеру,<br />используя электронку или соцсети.<br />Чтобы сделать это достаточно передать другу ссылку <br />на наш сайт с акциями. Любой <br />ваш друг, который перешел к нам с отправленной страницы в магазин с <br />акцией он обязательно получит скидку.<br /><br />http://kupi.zone/ бонприкс смотреть <br />онлайн<br />Купоны http://kupi.zone/ одежда бонприкс россия на <br />акции http://kupi.zone/ бонприкс украина весна лето 2015 становятся всё более и более доступны в интернет-магазинах нашей страны.<br /><br />Наличие этих промокодов позволяет <br />любому клиенту выбирать самое привлекательное из доступных в интернет-магазинах <br />нашей страны предложение.<br />KHsjhjh345wbAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-88487746679690185362010-10-21T10:05:01.729+05:302010-10-21T10:05:01.729+05:30.
nirja ji ke shabdon mein prem ki abhivyakti.
@ ....<br /><br />nirja ji ke shabdon mein prem ki abhivyakti.<br />@ kiske prem kii?<br /><br />स्पष्ट नहीं है कवि कौन? <br />संज्ञा भी वाक्य में दिखे मौन. <br /> <br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-37895720334245216052010-10-20T16:01:16.444+05:302010-10-20T16:01:16.444+05:30nirja ji ke shabdon mein prem ki abhivyakti.nirja ji ke shabdon mein prem ki abhivyakti.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-73854092071912997852010-10-20T16:00:43.101+05:302010-10-20T16:00:43.101+05:30.
सुन प्रियतम पदचाप सिहरकर
कर्णपटों में सन-सन होत....<br /><br />सुन प्रियतम पदचाप सिहरकर<br />कर्णपटों में सन-सन होती थी<br />स्वेद बिन्दु झलकते मुख पर<br />तीव्र हृदय की धडकन होती थी.<br /><br />करतल आवृत्त मुखमन्डल पर<br />व्रीडा की अनुपम सुषमा थी.<br />लज्जा से थे जो लाल लजा के<br />कपोलों की न कोई उपमा थी.<br /><br />विद्रुम से कोमल अधरों पर<br />मृदु-स्मिति छवि निखरी थी<br />प्रिय स्मृति में विहंस-विहंस<br />स्वयं सिमट कर सकुची थी.<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-47319273452760566112010-10-19T00:28:42.765+05:302010-10-19T00:28:42.765+05:30बहुत कठिन प्रश्न है ...और सभी की कमेंट्स पढकर ..कह...बहुत कठिन प्रश्न है ...और सभी की कमेंट्स पढकर ..कहीं पर सहज हुआ कहीं पर उलझ गया ..राज जी की रचना भी बहुत सच्ची और अच्छी लगी..मैं खुद को इस लायक नहीं समझती की इस मुश्किल प्रश्न क बारे में कुछ भी कह सकूं ..बस अपने छोटे तजुर्बे से इतना कहना चाहती हूँ. कई चीजे सिमित दायरो में ही जन्म लेती हैं बेहद कोमल बेहद साफ़ लेकिन धीरे धीरे जब बढती हैं तो दायरो से ज्यादा कठोर साबित भी हो जाती है जो मर्यादाओं में रहकर अपनी मर्यादाएं तय कर लेती हैं कठोर इसलिए कहा क्योकि प्यार का एहसास कोमल जरूर होता है मर्यादाएं उसे कठोर भी कर देतीं है.<br />लिखते लिखते ख्याल आया ...इंसान कितना कमजोर होता है जरा से दर्द म आंहे भी भरता है चोट लगे तो तकलीफ भी होती है जरा सी खरांच में चींख निकल जाती है लेकिन ये भी आखिर क्या कुछ नहीं सह सकता .एक से एक आपदा जीवन की झेल ही जाता है तब लगता है इससे ज्यादा सायद ही कुछ कठोर हो ...सयद इसी तरह प्यार भी है जो जितना कोमल एहसास है उतना ही मजबूत और दृढ भी /Vandana Singhhttps://www.blogger.com/profile/14920537433543551573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-21261665008739966752010-10-16T12:11:43.808+05:302010-10-16T12:11:43.808+05:30.
स्त्रियों को मर्यादा का बोध करने वाले पुरुषों ....<br /><br />स्त्रियों को मर्यादा का बोध करने वाले पुरुषों को अक्सर अपने मित्रों के साथ मिलकर मर्यादाओं का चीर हरण करते देखा है। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-34378898974842200672010-10-15T17:54:39.959+05:302010-10-15T17:54:39.959+05:30.
किसी के प्यार में हस्ती मिटा देना हंसी है क्या ....<br /><br />किसी के प्यार में हस्ती मिटा देना हंसी है क्या ?<br />वही जानेगा जिसने प्यार की गहराइयाँ जी हैं<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-41042953521137537542010-10-15T13:06:45.730+05:302010-10-15T13:06:45.730+05:30....प्यार एक सुंदर अनुभूति है!...लेकिन इसकी सीमा भ.......प्यार एक सुंदर अनुभूति है!...लेकिन इसकी सीमा भी असिम है!...सिर्फ मन की अंधेरी गुफा में इसे कैद करके नही रखना चाहिए!...इसकी अभिव्यक्ति बहुत जरुरी है!...बहुत सुंदर विचारधारा!Aruna Kapoorhttps://www.blogger.com/profile/02372110186827074269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-79594960922241351322010-10-15T08:27:32.504+05:302010-10-15T08:27:32.504+05:30वंदना जी की बता बहोत सही है "आत्मिक प्रेम मे ...वंदना जी की बता बहोत सही है "आत्मिक प्रेम मे किसी मर्यादा की जरूरत नही होती क्योंकि वो निस्वार्थ होता है मगर आज आत्मिक प्रेम देखने को मिलता ही नही"<br /><br />और वैसे दिव्या जी, आपकी बातों से मैं हमेशा सहमत रहता हूँ....अजय भैया ने ठीक कहा....आपका ब्लॉग लेखन का स्टाइल बहुत अच्छा है....<br /><br />अब ज्यादा मैं क्या कहूँ...वैसे भी बहोत से लोगों ने कह दिया बहोत कुछ :) <br /><br />अंत में बस यही, जो चचा जी ने कहा <br /><br />"हमने देखी है इन आँखों की महँकती ख़ुशबू,<br />हाथ से छूके इन्हें रिश्तों का इल्ज़ाम न दो,<br />सिर्फ एहसास है ये रूह से महसूस करो,<br />प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो!"abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-53642719863451351032010-10-15T07:04:24.337+05:302010-10-15T07:04:24.337+05:30अब क्या कहें । प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न...अब क्या कहें । प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-12401689025698216122010-10-15T05:38:37.580+05:302010-10-15T05:38:37.580+05:30.
काफ़िर जी ,
आपने प्रेम को बखूबी समझाया है अपनी ....<br /><br />काफ़िर जी ,<br /><br />आपने प्रेम को बखूबी समझाया है अपनी टिपण्णी में। अक्षरतः मेरे मन की बात लिख दी। <br /><br />मुझे आश्चर्य है कुछ लोग बिलकुल सही परिपेक्ष्य में समझ रहे हैं, तो फिर कुछ लोग समझ क्यूँ नहीं पारहे हैं विषय को ?<br /><br />मैंने अपनी यथाशक्ति, भरपूर कोशिश की है विषय को स्पष्ट करने की, फिर भी यदि स्पष्ट करने में असमर्थ रही हूँ तो शायद मेरा लेखन त्रुटिपूर्ण है।<br /><br />-------------<br /><br />डॉ अमर ,<br /><br />जिस प्रेम को बार बार मैंने आत्मिक और सात्विक कहा है, जो ह्रदय में ही पलता और पनपता है, वहाँ वासना का क्या कार्य ? शायद आपने प्रेम का कभी अनुभव नहीं किया है, इसलिए आप विषय को सही परिपेक्ष्य में ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं।<br /><br />आभार। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-25783206033974097652010-10-15T02:27:24.440+05:302010-10-15T02:27:24.440+05:30अपराध ?
आतम प्रवन्चना !!!अपराध ?<br />आतम प्रवन्चना !!!осмели да spaminghttps://www.blogger.com/profile/02850401999117261359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-11829494528187839542010-10-15T01:54:32.946+05:302010-10-15T01:54:32.946+05:30प्रेम.. एक अप्रतिम अनुभूति.. एक निज संवेदना..
प्रे...प्रेम.. एक अप्रतिम अनुभूति.. एक निज संवेदना..<br />प्रेम अपनी मर्यादाएं खुद ही तय करता है.. यह अपने संविधान का रचयिता स्वयं है..<br />प्रेम कभी किसी और की सीमओं का उल्लंघन नहीं करता.. और न ही कभी किसी पर कुछ थोपता है.<br />यह निस्वार्थ होकर बस देना जानता है.. कभी कोई मांग नहीं करता.. प्रेम में तो देना ही पाने के जैसा है !! और यही इसकी मर्यादा है <br />मेरे विचार से प्रेम आत्मिक अनुभूति का विषय है इस कारण इसे समय सीमा में बाधना ग़लत ही है (15 साल से 55 साल तक के लोगों को प्यार में पड़ते देखा है ! ज्योतिषी हूँ अनुभव से कह सकता हूँ प्रेम करने की कोई समय रेखा नहीं होती ) <br />यदि आप किसी से प्रेम करते है और बिना शर्तो वाला प्रेम ही करते है <br />तो ये प्रमाण है की आप में मानवीय संवेदनाएं जीवित है और आप पाषाण- ह्रिदय तो नहीं है<br />किसी के लिए भी प्रेम की अनुभूति करना सहज है यह कोई अपराध कैसे हो सकता है ??<br />मेरे विचार से आप किसी को प्रेम करते हैं और अभिव्यक्त नहीं करते तो एक प्रकार से आप <br />अपराध ही करते है<br />प्रेम में अभिव्यक्ति या कहे स्वीकारोक्ति कभी भी किसी मर्यादा का उलंघन नहीं करती...<br />यह बस एक सरल सुखद भावाव्यक्ति ही हो सकती है इससे अधिक इसका अर्थ नहीं निकला जाना चाहिए..!!Manishhttps://www.blogger.com/profile/09692477952965514957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-17314308998357117082010-10-15T00:34:47.306+05:302010-10-15T00:34:47.306+05:30मन्नैं दिक्खै, घडी इब ठीक चल रैई से !<i><br />मन्नैं दिक्खै, घडी इब ठीक चल रैई से !<br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-84175031835654968552010-10-15T00:30:17.765+05:302010-10-15T00:30:17.765+05:30.
Sorry Madam..
with reference to your clarificat....<br /><i><br />Sorry Madam..<br />with reference to your clarification<br />"घर परिवार के सदस्यों जैसे चाचा -भतीजी के बीच प्रेम एक मानसिक रोग है"<br />Let me make it clear that you appear to be still hanging between Love and Lust, They are the two different poles of such relations, which saddingly exploit each other in weaker human moments, abusing the piety of a candid term, i.e. Love !<br />Have I elaborated too much ?<br />I felt helpless for lack of words in such a delicate matter.<br />I feel sorry for being myself, that is another point in such a helplessness for proper word.<br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-21815355944925751592010-10-14T23:24:48.804+05:302010-10-14T23:24:48.804+05:30दिव्या ,
मैंने कभी व्यापार नहीं किया ..पर आज कल ...दिव्या , <br /><br />मैंने कभी व्यापार नहीं किया ..पर आज कल हर जगह टिप्पणियों की बातों को लोंग उछालते रहते हैं ...चर्चा मंच पर कुछ लिंक मिले थे ..वहीं से एक पोस्ट पढ़ी थी ...और उसके बाद तुम्हारी पोस्ट ...तो उसी पोस्ट का असर था ...वैसे तुम मेरे ब्लॉग पर आयीं ..ज़ाहिर है खुशी हुई ...पर मैंने आज तक कभी भी यह सोच कर किसी को टिप्पणी नहीं दी की यह भी मेरे ब्लॉग पर ज़रूर आये ...बस जो भी मैं पढ़ती हूँ , अच्छा लगता है तो टिप्पणी ज़रूर करती हूँ ...<br /><br />वो जो पहले लिखा शायद मेरे मन की व्यथा थी :):)<br /><br />वैसे प्यार को समझने वाले कितने हैं ? सब व्यापार ही करते हैं ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-56551049949698094482010-10-14T23:21:06.173+05:302010-10-14T23:21:06.173+05:30मैं विषय नही बदल रहा .मैंने सिर्फ आप से एक प्रश्न ...मैं विषय नही बदल रहा .मैंने सिर्फ आप से एक प्रश्न पूछा था .<br />और आप ने सही जवाब दिया .<br />आप का प्रश्न था की <br /> ''क्या प्यार की भी मर्यादाएँ होती हैं ?''<br /> <br />मेरे प्रश्न का जवाब ही आप के प्रश्न का जवाब है<br />जब प्रेम में मर्यादा नही होती तो वह कुछ और ही (मानसिक रोग ) कहलाता है .<br /> अर्थात <br />प्रेम मर्यादित होता है .<br />अगर आप ''मर्यादा'' की जगह ''बन्धन'' शब्द का प्रयोग करती तो यह चर्चा ही दूसरी होती .ABHISHEK MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/08988588441157737049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-14591608915423287662010-10-14T21:54:01.369+05:302010-10-14T21:54:01.369+05:30.
अभिषेक जी ,
घर परिवार के सदस्यों जैसे चाचा -भ....<br /><br />अभिषेक जी ,<br /><br />घर परिवार के सदस्यों जैसे चाचा -भतीजी के बीच प्रेम एक मानसिक रोग है जिसे - " Incest " कहते हैं।<br /><br />कृपया विषयांतर न करें।<br /><br />आभार। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-6729209627446165782010-10-14T21:42:39.700+05:302010-10-14T21:42:39.700+05:30क्या प्यार की भी मर्यादाएँ होती हैं ????????
जहाँ ...क्या प्यार की भी मर्यादाएँ होती हैं ????????<br />जहाँ पर विवेक है वहा पर हर वस्तु स्वयं ही मर्यादित हो जाती है .<br />हिटलर को अपनी भतीजी से प्रेम था .तो क्या उस का प्रेम पवित्र था ?????<br />अगर आप कहती है नही तो आप विचारो के प्रवाह पर स्वयं ही अंकुश लगा रही हैं या तो आप बताईये की वो कैसे पवित्र था .अगर वह पवित्र नही तो फिर वो प्रेम नही हो सकता .ABHISHEK MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/08988588441157737049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-45760313585026164692010-10-14T21:14:05.381+05:302010-10-14T21:14:05.381+05:30यहाँ पर उद्दहरण विवेकहीनता का था . मैं जो कहना चाह...यहाँ पर उद्दहरण विवेकहीनता का था . मैं जो कहना चाहता हू उसे सही अर्थो में लिया जाये .मेरी टिप्पड़ी का भाव जानिए .बिना ठीक से उसे समझे उस को प्यार से जोड़ देना तो इस बात का सूचक है की मेरी टिप्पड़ी की आत्मा तक आप पहुचे ही नही . <br /> विचार पूछ कर नही आते है पर सही का चयन और गलत को बहार निकलना ही तो विवेक है . और आज का समाज कितना विवेकहीन है ये मैंने स्पष्ट करने की कोशिस की थी .<br />पर मेरी बात अगर किसी को गलत लगी हो तो छमा चाहूँगाABHISHEK MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/08988588441157737049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-63561947797595316092010-10-14T20:50:35.596+05:302010-10-14T20:50:35.596+05:30दिव्या बहुत खुशी हुयी कि मुझे याद करती हो। असल मे ...दिव्या बहुत खुशी हुयी कि मुझे याद करती हो। असल मे मेरी बेटी अमेरिका से आयी है उसे मिलने चंडीगढ गयी थी। आज नेट नही था सुबह से। मुझे तुम से भी बटी की तरह ही लगाव सा हो गया है। आज कल तुम जैसी संस्कारी और लायक बेटियाँ बहुत मुश्किल से मिलती हैं। धन्यवाद । सदा सुखी रहो आशीर्वाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-11763073845281763182010-10-14T20:33:48.851+05:302010-10-14T20:33:48.851+05:30Yez, Love has no limitations.
Limitations are fo...Yez, Love has no limitations. <br /><br />Limitations are for social order. and that order is breached so frequently for the simple reason that it is against basic nature.<br /><br />Liked your thoughts and discussion on the subject. <br /><br />Thanks.Harshad Mehtahttps://www.blogger.com/profile/10747054432059631577noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-17837428371738313552010-10-14T20:33:43.439+05:302010-10-14T20:33:43.439+05:30pyaar ka ek naya swarup layein abhishek ji....
ach...pyaar ka ek naya swarup layein abhishek ji....<br />achha hai... :)Anonymousnoreply@blogger.com