tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post4655811121332560401..comments2024-03-18T11:14:46.125+05:30Comments on ZEAL: ऐसा क्यूँ होता है की लोग सुधरे हुए को ही सुधारना चाहते है ?ZEALhttp://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comBlogger73125tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-32549242752949198822011-05-19T11:31:48.282+05:302011-05-19T11:31:48.282+05:30औरन की फुल्ली लखैं , आपन ढेंढर नाय
ऐसे मानुष ...औरन की फुल्ली लखैं , आपन ढेंढर नाय<br />ऐसे मानुष ढेर हैं, चलिए सदा बराय <br />चलिए सदा बराय, काम न अइहैं भइया<br />करिहैं न सहयोग, जरुरत परिहै जेहिया<br />कह 'रविकर' समझाय, ठोकिये फ़ौरन गुल्ली <br />करिहैं न बकवाद, देख औरन की फुल्ली<br /><br />फुल्ली = बहुत ही छोटी गलती <br />ढेंढर = ढेर सारा दोषरविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-10682330622668033962011-05-16T19:48:10.971+05:302011-05-16T19:48:10.971+05:30दिव्या ! अपने लक्ष्य की और बेबाकी और साफगोई से बढ़...दिव्या ! अपने लक्ष्य की और बेबाकी और साफगोई से बढ़ती रहें !<br />आशीर्वाद!<br />शुभकामनाएँ !अशोक सलूजाhttps://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-19395008769688517272011-05-16T19:35:05.667+05:302011-05-16T19:35:05.667+05:30mam aapne abhi tak jo likha hai wo sahai likha hai...mam aapne abhi tak jo likha hai wo sahai likha hai..... aasha karta hun ki ese hi likhti rahengi.. subhkamnayeeeen.......... jai hind jai bharatSAJAN.AAWARAhttps://www.blogger.com/profile/10975214181930047006noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-26815768634887400582011-05-16T19:22:53.624+05:302011-05-16T19:22:53.624+05:30मैं 15 तारीख को शहर से बाहर थी इसलिए आपकी इस पोस्...मैं 15 तारीख को शहर से बाहर थी इसलिए आपकी इस पोस्ट का अभी पढ़ रही हूँ और इसके बाद एक पोस्ट और भी आ गयी है। एक विद्वान ने एक विचार लिखा था कि "ईर्ष्या कमानी पड़ती है और चापलूसी खरीदी जाती है"। शायद समझ आ गयी होगी मेरी बात। वैसे मैं ब्लाग जगत में कुछ अच्छा पाने के उद्देश्य से आयी हूँ और जहाँ भी कुछ सीखने को मिलता है, उसे अवश्य पढ़ती हूँ और यथा सम्भव अपने विवेक से टिप्पणी भी करती हूँ।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-27215891173871585032011-05-16T17:17:48.788+05:302011-05-16T17:17:48.788+05:30apne aparchit rah gaye-----
बंजर धरती से मैंने सो...apne aparchit rah gaye-----<br /><br />बंजर धरती से मैंने सोना उपजाया <br /><br />कूप और नलकूपों का इक जाल बिछाया <br /><br /><br />जीवन भर ढोया पानी, फिर भी प्यासा मै<br /><br />जीवन-संध्या की हूँ , घनघोर निराशा मै<br /><br /><br />देख-भाल कर मैंने हर कदम उठाया <br /><br />भटक रहे हर राही को, सदमार्ग दिखाया <br /><br /><br />कस्मे-वायदे-प्यार-वफ़ा की करी बंदगी <br /><br />पर-सेवा,पर-हितकारी यह रही जिंदगी <br /><br /><br />फिर भी कोई कमी काल सी कसक रही है<br /><br />अंतस में अन्जानी चाहत सिसक रही हैरविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-46516309691223975052011-05-16T17:08:41.679+05:302011-05-16T17:08:41.679+05:30apne hi mujhse aparchit rah gaye---
बंजर धरती से म...apne hi mujhse aparchit rah gaye---<br />बंजर धरती से मैंने सोना उपजाया <br />कूप और नलकूपों का इक जाल बिछाया <br /><br />जीवन भर ढोया पानी, फिर भी प्यासा मै<br />जीवन-संध्या की हूँ , घनघोर निराशा मै<br /><br />देख-भाल कर मैंने हर कदम उठाया <br />भटक रहे हर राही को, सदमार्ग दिखाया <br /><br />कस्मे-वायदे-प्यार-वफ़ा की करी बंदगी <br />पर-सेवा,पर-हितकारी यह रही जिंदगी <br /><br />फिर भी कोई कमी काल सी कसक रही है<br />अंतस में अन्जानी चाहत सिसक रही हैरविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-11241187368224405242011-05-16T17:08:41.151+05:302011-05-16T17:08:41.151+05:30hai ye vaani budh ki
kya dekhen pardosh ko
dekhen...hai ye vaani budh ki<br /><br />kya dekhen pardosh ko<br />dekhen apne dosh<br /><br />dosh dekhte dekhte<br />chitt bane nirdoshनीलांशhttps://www.blogger.com/profile/06348811803233978822noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-69331298431786674272011-05-16T16:51:10.918+05:302011-05-16T16:51:10.918+05:30दिव्या जी ,
आप किसी भी विषय पर निस्संदेह पू...दिव्या जी ,<br /> आप किसी भी विषय पर निस्संदेह पूरी निर्भीकता और बेबाकी से अपनी लेखनी चलाती हैं | अब यदि कोई बिना किसी कारण के - बेवजह कमी निकालता है ,हतोत्साहित करता है या धमकी देता है तो इसे आपको उसकी दुराग्रही सोच ही समझना चाहिए | इसे कत्तई गंभीरता से न लें और अपना लेखन अबाध जारी रखें |<br /> आपके अच्छे खासे समर्थक हैं , काफी संख्या में लोग पढ़ते भी हैं और बहुसंख्य की राय में आपका लेखन समाज को बहुत कुछ दे ही रहा है |<br /> अतः आप अपना लेखन और अधिक उत्साह से जारी रखें , मेरा तो यही विचार है और आग्रह भी |सुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-60297410662632625052011-05-16T16:33:02.451+05:302011-05-16T16:33:02.451+05:30.
इस कठिन घडी में , मन में उपजे इस प्रश्न का सार्....<br /><br />इस कठिन घडी में , मन में उपजे इस प्रश्न का सार्थक उत्तर देकर आप सभी टिप्पणीकारों ने मुझे उपकृत किया है। आप द्वारा किये गए मार्गदर्शन के लिए , ह्रदय में आप सभी के लिए कृतज्ञता के भाव हैं।<br /><br />पुनः आभार । <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-78669725881124819492011-05-16T16:14:12.886+05:302011-05-16T16:14:12.886+05:30इस युग में
सज्जनों को हो रहा है नुक्सान परिचय स...इस युग में <br /><br />सज्जनों को हो रहा है नुक्सान परिचय से, <br /><br />घनिष्ट परिचय से---<br /><br />दोस्तों कि दुश्मनी घातक रही खुब , <br /><br />लम्बे अरसे से----<br /><br />दुर्जनों ने आज भी सौदे किये, खुब लाभ पाया <br /><br />सज्जनों के हाथ बस नुक्सान आया <br /><br />सफलता से आज बस परचित जलें,पग-पग छलें<br /><br />जो अपरचित, वे बेचारे, क्यूँकर खलें ??रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-20410494630330169972011-05-16T14:56:24.129+05:302011-05-16T14:56:24.129+05:30किसी को कोई न सुधार सका है ... न ही कोई सुधरता है ...किसी को कोई न सुधार सका है ... न ही कोई सुधरता है किसी के कहने से ... अपना काम करे जाना चाहिए ... डरना माना है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-50426941680585543932011-05-16T13:37:34.142+05:302011-05-16T13:37:34.142+05:30कहीं-कहीं वैचारिक मतभेद हो सकते हैं पर लिखती आप अच...कहीं-कहीं वैचारिक मतभेद हो सकते हैं पर लिखती आप अच्छा हैं...<br />यूं ही लिखती रहिए...वीना श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09586067958061417939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-13736565745888412712011-05-16T13:37:14.679+05:302011-05-16T13:37:14.679+05:30नहीं !!
आप ऐसा नहीं कर सकती...
किसी भी परिस्थिति म...नहीं !!<br />आप ऐसा नहीं कर सकती...<br />किसी भी परिस्थिति में आपकी कलम चलना बेहद आवश्यक है...<br />आपकी कलम से हमें मार्गदर्शन मिलता है..poonamsinghhttps://www.blogger.com/profile/17923162833371868671noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-53152819749170301002011-05-16T13:17:52.669+05:302011-05-16T13:17:52.669+05:30मेरी शुभकामनाएं ... आप यूं ही हमेशा-हमेशा लिखती रह...मेरी शुभकामनाएं ... आप यूं ही हमेशा-हमेशा लिखती रहें ...।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-62634154481775107572011-05-16T13:11:10.121+05:302011-05-16T13:11:10.121+05:30दिव्या जी , लिखिए और बेबाक लिखिए. आप के पास वि...दिव्या जी , लिखिए और बेबाक लिखिए. आप के पास विचारों की बहुलता और परिपक्वता के साथ साथ सम्प्रेषण की भी अद्भुत क्षमता है . हाँ, एक सुझाव अवश्य देना चाहूँगा , मतभेद की स्थिति में प्रतिक्रिया पर अपनी प्रतिक्रिया संक्षिप्त ही रखें. आपको अपने विचार व्यक्त करने का पूर्ण अधिकार है , किसी justification की अधिक आवश्यकता न है !aarkayhttps://www.blogger.com/profile/04245016911166409040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-88454835752705765552011-05-16T13:00:08.448+05:302011-05-16T13:00:08.448+05:30आज ये मन रुपी पक्षी इतना परेशान क्यों है?
निंदक...आज ये मन रुपी पक्षी इतना परेशान क्यों है? <br /><br />निंदक नियरे राखिये आगन कुटी छ्वाय.<br /><br />आप अपना काम करिये उन्हें अपना करने दीजिए.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-11129217001795280612011-05-16T12:36:57.714+05:302011-05-16T12:36:57.714+05:30यह सच है कि करीबी से करीबी व्यक्ति भी आपकी सफलता ...यह सच है कि करीबी से करीबी व्यक्ति भी आपकी सफलता से ईर्ष्या करता है, भले ही वह उसे उजागर न करे। लेकिन यहां फिल्म 'गुरु' में अभिषेक बच्चन का बोला हुआ संवाद दोहराना चाहूँगा, ''जब दोस्त लोग तुम्हारे खिलाफ बोलने लगें न, तो समझ लो तरक्की कर रहे हो।''जीवन और जगत https://www.blogger.com/profile/05033157360221509496noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-58754847904948820032011-05-16T12:15:49.813+05:302011-05-16T12:15:49.813+05:30For Divya..
" Woods are lovely dark n deep, b...For Divya..<br />" Woods are lovely dark n deep, but I have some promises to keep,miles to go before I sleep,miles to go before I sleep.." -Frost.<br /><br />Don't stop Divya.. Carry on...... Enjoy criticism n keep writing..बाबुषाhttps://www.blogger.com/profile/05226082344574670411noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-54055048715835747692011-05-16T01:06:44.418+05:302011-05-16T01:06:44.418+05:30हूँ ......तो आखिर आज मौक़ा मिल ही गया दिव्या को डा...हूँ ......तो आखिर आज मौक़ा मिल ही गया दिव्या को डाँटने का. पहले तो यह बताओ कि "निंदक नियरे राखिये आँगन कुटी छवाय" किसके लिए लिखा गया है ? मार्गावारोध ही हमारे अन्दर साहस और नयी ऊर्जा संचार का कार्य करते हैं. फिर दिव्या क्यों इन चक्करों में पड़कर अपनी ऊर्जा नष्ट करती है. यह आत्म विश्वास की कमी क्यों आ रही है तुम्हारे अन्दर ? अच्छा चलो, मैं कहा रहा हूँ कि मुझे दिव्या के होने से बहुत परेशानी है ....बड़ा कष्ट है मुझे ...क्या मेरे कष्ट के निवारण के लिए दिव्या को कुएं में कूद पड़ना चाहिए ? करोगी ऐसा ? अभी तक बचपना गया नहीं तुम्हारा. अवरोधों को ..प्रतिरोधों को अपनी शक्ति बनाना कब सीखोगी ? क्या यह सब किसी चिकित्सक को बताने की आवश्यकता है ? आज के बाद कभी ऐसी बात की तो मैं वाकई नाराज हो जाऊंगा .हे आर्य पुत्री ! वीर्यवान बनो और असुर मानसिकता का पूरी रचनात्मक शक्ति के साथ सामना करो. स्मरण करो अपने ऋषियों-मुनियों का और उनके तेज का जिन्होंने अपने आत्म बल पर पूरे विश्व में कभी अपनी संस्कृति और ज्ञान की पताका फहराई थी. आर्य पुत्री के मुंह से निर्बलता के शब्द शोभा नहीं देते. अपनी दिव्यता को एक्सप्लोर करो. दिव्या दिव्य है बस ..."अहं ब्रह्मास्मि" का मन्त्र दिव्या के लिए ही है. कलम की तलवार उठाओ और निर्बलता का शिरोच्छेद कर दो.बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-70262556111716005152011-05-15T23:43:10.145+05:302011-05-15T23:43:10.145+05:30ब्लॉग का आशय ही है की उन लोगों को जुबान देना...जो ...ब्लॉग का आशय ही है की उन लोगों को जुबान देना...जो कुछ कहना चाहते हैं...बोलने का अधिकार...इसी तरह सबके पास ना पढ़ने का अधिकार भी है...आप उनके लिए लिखिए जो आपको पढना चाहते हैं...मुझसे पूर्व ५४ कॉमेंट्स ये ही दर्शाते हैं...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-380900747594444882011-05-15T23:24:03.899+05:302011-05-15T23:24:03.899+05:30आभार इस जानकारी के लिये।आभार इस जानकारी के लिये।Darshan Lal Bawejahttps://www.blogger.com/profile/10949400799195504029noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-59353336411431547852011-05-15T23:04:02.815+05:302011-05-15T23:04:02.815+05:30दिव्याजी,
कर्म केवल अपने लिए ही नहीं ,लोक हितार्थ ...दिव्याजी,<br />कर्म केवल अपने लिए ही नहीं ,लोक हितार्थ भी किया जाता है,स्तुति -निंदा से परे होकर.<br />लगता है आप इस पोस्ट के माध्यम से सभी की परीक्षा ले रहीं हैं.<br />वर्ना तो मेरी समझ में स्वयं में ही आप बहुत परिपक्व हों चुकीं हैं अब तक.आप तो उन लोगों को रास्ता दिखाने में समर्थ हैं जो जरा जरा सी बातों से विचलित हों जाते हैं.एक एक मिलकर कारवां बनाने की बात भी तो आपने ही बताई थी.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-3575892212918683292011-05-15T21:21:35.391+05:302011-05-15T21:21:35.391+05:30गुरू नानक देव जी की शिक्षा पर अमल कर रहे हैं जी!गुरू नानक देव जी की शिक्षा पर अमल कर रहे हैं जी!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-84574908889982965342011-05-15T21:12:54.228+05:302011-05-15T21:12:54.228+05:30आप जुते तो पहती ही होंगी ना:) गलती सुधार **आप जुते...आप जुते तो पहती ही होंगी ना:) गलती सुधार **आप जुते तो पहनती होंगी ना** इस लाईन को ऎसा पढेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-73272941088253925472011-05-15T21:11:13.461+05:302011-05-15T21:11:13.461+05:30आप जुते तो पहती ही होंगी ना:) तो सब से ऊंची ऎडी का...आप जुते तो पहती ही होंगी ना:) तो सब से ऊंची ऎडी का जुता जो पुराना हो ओर फ़ेकने वाला हो, उसे एक तरफ़ रख ले, ओर फ़िर जो लोग आप को गालिया देते हे, रोकते हे, धमकिया देते हे उन सब का नाम एक कागज पर लिख कर इस जुते से दे दनादन सेवा करे, ओर पति देवता से बोले इन इस की एक विडियो बनाये ओर उसे नेट पर डाल दे.... ताकि इन सुअरो को इन की आसलियत का अहसास हो जाये, अजी निडर हो कर लिखे, ऎसे लोगो की टिपण्णियां ओर मेल को सपेम मे डाल दे. भाड मे जाये.<br />अगर यह हिन्दी ब्लागिंग को बकवास कहते हे तो इन के मां बाप भी तो हिन्दी वाले हे, फ़िर तो वो भी.....राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.com