tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post5790477909032007286..comments2024-03-18T11:14:46.125+05:30Comments on ZEAL: हरसिंगार के फूल - कहानीZEALhttp://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comBlogger51125tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-51861868640932752792011-10-01T02:18:39.827+05:302011-10-01T02:18:39.827+05:30हरसिंगार जैसे प्रेम हो...उसकी आभा से मन-मन्दिर जगम...हरसिंगार जैसे प्रेम हो...उसकी आभा से मन-मन्दिर जगमगाने लगा..मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-39531407194834163982011-09-30T16:24:56.489+05:302011-09-30T16:24:56.489+05:30मानवीय रिश्ते सनातन हैं और चलते रहते हैं. उनमें जब...मानवीय रिश्ते सनातन हैं और चलते रहते हैं. उनमें जब कुछ बेहतरी का आवश्यकता होती है तो मर्यादा गढ़ी जाती है. परंतु मानवीय संबंध चलते रहते हैं....बहुत सुंदर कहानी.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-12898124918595232992011-09-29T15:49:20.013+05:302011-09-29T15:49:20.013+05:30bahut badiya prastuti..
Apko NAVRATRI kee spariwar...bahut badiya prastuti..<br />Apko NAVRATRI kee spariwar haardik shubhkamnayenकविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-6013971883907217992011-09-29T13:57:23.681+05:302011-09-29T13:57:23.681+05:30मन के उहापोह और मानविकता की जीत को आपने बहुत सुन्द...मन के उहापोह और मानविकता की जीत को आपने बहुत सुन्दर तरीके से दिखलाया है इस छोटी कहानी में ...Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-87915221814215869022011-09-29T10:42:51.160+05:302011-09-29T10:42:51.160+05:30Beautifully composed :)
Lovely read !!Beautifully composed :) <br />Lovely read !!Jyoti Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01794675170127168298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-83560131888385988322011-09-29T10:18:27.232+05:302011-09-29T10:18:27.232+05:30भावों की मधुरतम,ह्रदय स्पर्शी प्रस्तुति...भावों की मधुरतम,ह्रदय स्पर्शी प्रस्तुति...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-52039396144474987712011-09-29T08:27:57.837+05:302011-09-29T08:27:57.837+05:30अच्छी कहानी है.अच्छी कहानी है.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-22023946150396821732011-09-29T02:26:21.816+05:302011-09-29T02:26:21.816+05:30दिव्या बेटा,
अति हर्षित हुए हैं हम आपकी यह सुंदर ...दिव्या बेटा, <br />अति हर्षित हुए हैं हम आपकी यह सुंदर "सुखान्तक" कथा पढ़ कर ! प्रभु से आज नवरात्रि के प्रथम दिन प्रार्थना हैं कि इसी प्रकार हमारी बिटिया ----<br />जीवन पथ पर चले सदा हरसिंगार लुटाते <br />हंसते गाते प्रीति लुटाते बीती सभी भुलाते<br />सदा आपके शुभचिंतक <br /> -Bhola-Krishnahttps://www.blogger.com/profile/02397604308408596994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-83486779432468984642011-09-29T00:13:29.268+05:302011-09-29T00:13:29.268+05:30लेखन शैली बेहतरीन.मन और मर्यादा का सम्वाद - कथानक ...लेखन शैली बेहतरीन.मन और मर्यादा का सम्वाद - कथानक को गति देने के लिये बड़ा ही उपयुक्त साधन.मैंने भी अपनी एक कहानी 'प्रतीक्षा' में इसका प्रयोग किया था.हर-सिंगार को कथांत में सम्मानित कर केंद्रीय-भाव को सुंदरता से हाई-लाइट कर दिया है.बधाई.अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-37210220351191224392011-09-28T22:40:59.890+05:302011-09-28T22:40:59.890+05:30bahut acchhi lagi aapki kahaani....divyaa ji...bahut acchhi lagi aapki kahaani....divyaa ji...राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-6204008548217050762011-09-28T21:54:57.455+05:302011-09-28T21:54:57.455+05:30आपकी कहानी हो या आलेख, सब कुछ मन को छू जाता है.......आपकी कहानी हो या आलेख, सब कुछ मन को छू जाता है.....<br />सच मानो तो कभी संदेह होता है कि आप MBBS doctor है या Ph.D..... और विदेशी धरती पर मात्र भाषा के प्रति इतना समर्पण. अवर्णनीय हैं. <br />धन्य हैं दिव्या जी आप. आपके लेखन को सादर नमन !शूरवीर रावतhttps://www.blogger.com/profile/14313931009988667413noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-32430787227841997822011-09-28T21:47:58.613+05:302011-09-28T21:47:58.613+05:30बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्तिबहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्तिVIJAY KUMAR VERMAhttps://www.blogger.com/profile/06898153601484427791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-68948945210210843052011-09-28T16:34:54.078+05:302011-09-28T16:34:54.078+05:30मन और मर्यादा का अंतर्युद्ध ...........मन की विजय ...मन और मर्यादा का अंतर्युद्ध ...........मन की विजय |<br /><br />बहुत सुन्दर और हृदयस्पर्शी कहानी ...मर्यादा-पालन एक सीमा तक ही उचित होता है |<br /><br />और मन ?.....'तेरा मन दर्पण कहलाये ....'सुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-10453914535578750742011-09-28T13:36:47.292+05:302011-09-28T13:36:47.292+05:30This comment has been removed by the author.आशा बिष्टhttps://www.blogger.com/profile/09252016355406381145noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-22841238451639655942011-09-28T13:27:52.194+05:302011-09-28T13:27:52.194+05:30PRANAM ZEAL JI
KAHANI KAPHI ACHCHHI HAI.......PRANAM ZEAL JI <br />KAHANI KAPHI ACHCHHI HAI.......आशा बिष्टhttps://www.blogger.com/profile/09252016355406381145noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-47277300818832058762011-09-28T12:55:22.686+05:302011-09-28T12:55:22.686+05:30पुनश्च:
नवरात्री की बहुत बहुत शुभकामनाएं !पुनश्च: <br /> नवरात्री की बहुत बहुत शुभकामनाएं !aarkayhttps://www.blogger.com/profile/04245016911166409040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-225212943670388842011-09-28T12:53:15.049+05:302011-09-28T12:53:15.049+05:30इस पूरे प्रकरण में देव आरम्भ में एक कमज़ोर व्यक...इस पूरे प्रकरण में देव आरम्भ में एक कमज़ोर व्यक्तित्व के रूप में उभरता है यद्यपि अंत में मन तथाकथित मर्यादा के छलावे पर हावी हो जाता है और देव वही करता है जो उसे काफी पहले करना चाहिए था. अनन्या ने कभी बहिन बन कर या फिर माँ की तरह उसका ध्यान रखा है, ज़ाहिर है उसने भी अंतर्द्वद्व से निकल कर मानवीय आधार पर आवश्यकता के समय देव की सहायता की है. मानवीयता से बड़ा क्या सम्बन्ध हो सकता है !<br />एक मार्मिक, झकझोर देने वाला प्रसंग !<br />बधाई !aarkayhttps://www.blogger.com/profile/04245016911166409040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-10966668511390337572011-09-28T11:22:52.923+05:302011-09-28T11:22:52.923+05:30सुँदर अर्थप्रद कहानी . पारिजात ऐसे ही मुस्कराते रह...सुँदर अर्थप्रद कहानी . पारिजात ऐसे ही मुस्कराते रहे .ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-35476017376628597582011-09-28T08:40:25.595+05:302011-09-28T08:40:25.595+05:30कहानी का मर्म प्रारंभ से एकरूपता में बांधे रहना ह...कहानी का मर्म प्रारंभ से एकरूपता में बांधे रहना ही उसकी सफलता है ,जिसमें आप सफल है , अति सुन्दर शुभकामनायें जीudaya veer singhhttps://www.blogger.com/profile/14896909744042330558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-23077775819519941582011-09-28T07:52:51.389+05:302011-09-28T07:52:51.389+05:30.
JC जी ,
मुझे तो यही लगता है की हर विषय का उद्गम....<br /><br />JC जी ,<br />मुझे तो यही लगता है की हर विषय का उद्गम और अंत दोनों ही ईश्वर में होता है। अतः आपकी टिप्पणियों में विषय को ईश्वर से जोड़कर पढना अच्छा लगता है। इससे विषय को विस्तार मिलता है और और नए आयाम देखने को मिलते हैं। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-82697760173460113552011-09-28T07:11:47.271+05:302011-09-28T07:11:47.271+05:30दिव्या जी, मुझे सिविल इंजीनियर होने के नाते कभी कि...दिव्या जी, मुझे सिविल इंजीनियर होने के नाते कभी किसी ने कहा था मैं ईंट पत्थर से सम्बन्ध रखने वाला हिंदी साहित्य में जयदेव आदि की रचनाओं के बारे में क्या जान सकता हूँ?! और मेरी बेटी नाराज़ होती थी कि मैं किसी भी विषय को भगवान् से क्यूँ जोड़ देता हूँ?!<br /><br />'भारत' में जन्म ले, बचपन से कथा-कहानियों के माध्यम से, कम से कम मुझे, सभी में रहस्यवाद की झलक ही दिखाई देती है... <br />उदाहरणतया, कृष्ण की बांसुरी (जो फूंक मार बनायी जाती है) कहने से मुझे हर व्यक्ति, जैसा योगियों ने 'अष्ट-चक्र' कह मेरु दंड पर बिंदु दर्शाए, मुझे कृष्ण की बांसुरी दिखाई देता है,,, आठ मंजिली इमारत और उसमें अलग अलग तल पर रहते व्यक्ति मुझे मूलाधार में मंगल ग्रह (सिंदूरी गणेश) से आठवें तल में सबसे ऊपर चन्द्रमा (पीताम्बर कृष्ण) का सार दिखते हैं, चौथे तल में पेट में सूर्य का (सफ़ेद रंग वाली किरणों का स्रोत, जिस रंग में सभी रंग समाये हैं, राहू (पांचवे तल में)-केतु (तीसरे तल में) भी, और कंठ में, छाते तल में शुक्र ग्रह, आदि आदि... और अंत में सातवें तल में मेरे प्रिय शिव (गंगाधर / चन्द्रशेखर, अर्थात पृथ्वी) - तीसरे नेत्र वाले अर्थात वास्तविक दृष्टा (और उसके पशु जगत के अनंत आँखें, किन्तु बाहरी ही खुली, भीतरी बंद अथवा अध्कुली :) !...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-13654976402212803752011-09-28T06:34:35.728+05:302011-09-28T06:34:35.728+05:30Nice post.
शुभकामनाएं और मंगलकामनाएं !Nice post.<br /><br />शुभकामनाएं और मंगलकामनाएं !DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-11432696846731601642011-09-28T02:26:37.857+05:302011-09-28T02:26:37.857+05:30अर्थपूर्ण और सार्थक प्रस्तुति......अर्थपूर्ण और सार्थक प्रस्तुति......Atul Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-89549005158605372122011-09-27T23:57:09.088+05:302011-09-27T23:57:09.088+05:30देव का अनन्या के प्रति समर्पण और इस कहानी का सुखद...देव का अनन्या के प्रति समर्पण और इस कहानी का सुखद अंत जीवन के प्रति बदलती सोच को प्रखर आयाम प्रदान करना भी है शायद. एक प्रश्न करती कहानी का उत्तर देता अंत आपकी रचनात्मकता को झलकाता है और आपके ह्रदय को भी बधाईAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/18094849037409298228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-6266171739960367072011-09-27T23:24:26.857+05:302011-09-27T23:24:26.857+05:30सुन्दर प्रस्तुति.
हृदयस्पर्शी !सुन्दर प्रस्तुति.<br />हृदयस्पर्शी !Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.com