tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post6751515670763407015..comments2024-03-18T11:14:46.125+05:30Comments on ZEAL: ब्लॉगजगत में गुंडागर्दी या मात्र एक गीदड़-भभकी ?ZEALhttp://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comBlogger63125tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-68925213541851730452012-01-04T20:53:25.783+05:302012-01-04T20:53:25.783+05:30I would like to post some of your ideas in my blog...I would like to post some of your ideas in my blog. Can I ,please take them? <a href="http://medsildenafil.com/" rel="nofollow">kamagra 100mg</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-4533440278412393482011-02-25T13:54:37.454+05:302011-02-25T13:54:37.454+05:30आपसे असहमति का तो प्रश्न ही नहीं.
छापना , न छापन...आपसे असहमति का तो प्रश्न ही नहीं. <br />छापना , न छापना ब्लॉगर का अधिकार है !aarkayhttps://www.blogger.com/profile/04245016911166409040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-84544959822842040172011-02-25T06:28:21.264+05:302011-02-25T06:28:21.264+05:30हर ब्लॉगर टिप्पणी छापने या नहीं छापने का निर्णय ले...हर ब्लॉगर टिप्पणी छापने या नहीं छापने का निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-56115860423190704742011-02-24T10:50:51.019+05:302011-02-24T10:50:51.019+05:30koi-firk nahi parta......kya kahiye......
.....jan...koi-firk nahi parta......kya kahiye......<br />.....jane dijiye.......ab bhi sabak lene ke badle<br />bharak rahe hain......nuksan apna hi karenge......<br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-18892585724596826242011-02-24T07:20:50.851+05:302011-02-24T07:20:50.851+05:30ऐसा भी होता है क्या? :-/ऐसा भी होता है क्या? :-/Giribalahttps://www.blogger.com/profile/11481010044909052232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-40228098759971294572011-02-23T21:05:13.440+05:302011-02-23T21:05:13.440+05:30.
आदरणीय भाई , डॉ रुपेश ,
निश्चय ही ध्यान रखूंगी....<br /><br />आदरणीय भाई , डॉ रुपेश ,<br /><br />निश्चय ही ध्यान रखूंगी की आगे से भडासी शब्द का किसी भी नकारात्मक जगह पर प्रयोग न करूँ , क्यूंकि ये शब्द बहुत से सम्मानित , निर्भीक , स्पष्टवादी और इमानदार ब्लोगर्स के साथ भी जुड़ा हुआ है । इस तरफ ध्यान दिलाने के लिए आभार । <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-55953661714925947222011-02-23T19:31:13.895+05:302011-02-23T19:31:13.895+05:30आपने निर्भीकतापूर्वक उपरोक्त आपत्तिजनक टिप्पणी छाप...आपने निर्भीकतापूर्वक उपरोक्त आपत्तिजनक टिप्पणी छापा और ब्लॉगजगत की एक खामी को उजागर किया. <br />दुबे जी शायद अपनी टिप्पणी न छापे जाने को अपनी मानहानि से जोड़कर देखा और फिर ऎसी टिप्पणी की. ये उनकी अज्ञानता को दर्शाता है क्योंकि टिप्पणी को छापना या न छापना हर ब्लॉगर का अपना अधिकार है.(जैसे उनका अपने ब्लॉग पर) <br />उम्मीद है दुबे जी ने अपनी गलती को समझा होगा. हिन्दी ब्लॉगजगत एक परिवार की तरह है उम्मीद है ये बरकरार रहेगा!Anupam Karnhttps://www.blogger.com/profile/13180006039022421006noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-77044985775063516462011-02-23T19:24:43.420+05:302011-02-23T19:24:43.420+05:30अरे मेरे प्यारे भाई बहनों!
यह कौन सा खेल शुरू हो ग...अरे मेरे प्यारे भाई बहनों!<br />यह कौन सा खेल शुरू हो गया. यहाँ दुबेजी गलत है, उनकी भाषा और शैली शिष्ट नहीं कही जा सकती. लेकिन बहुत हो गया.. कहीं कहीं तो विराम लेना ही पड़ेगा. अछ हो बात यहीं समाप्त किया जाय. एक बात आज जो प्रमादित हुयी वह सुखद है की सत्य के पक्षधर अभी है और रहेंगे. मेरा तो मानना है की दुबे जी भी यदि ब्लॉग जगत में सक्रीय है तो जरूर अच्छ और सम्वेदंस्जील रहे होंगे. मैं उन्हें जानता तो हाही पान्तु मेरी अपनी मान्यता यही है की संवेदी व्यक्ति ही ब्लॉग पाठक और लेखक होता महीन तो किसी को इतनी फुर्सत कहाँ है पढने और लिखने की. आप लोग बुद्धिजीवी है, शांतिप्रियता का परिचय दें. सभी मित्रो से यही अनुरोध है. सम्मान दे और सम्मान प्राप्त करे . ..तथास्तु.Dr.J.P.Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10480781530189981473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-86786581020000196012011-02-23T18:55:15.137+05:302011-02-23T18:55:15.137+05:30divya ji main aapse sehmat hu. aap ne jo kiya thee...divya ji main aapse sehmat hu. aap ne jo kiya theek kiya. jiski jitni samajh vo utna hi karega aur kahega. bas aap likhti rahiye.<br />ek aur baat jo in bato se zyada mahatavpuran hai. blog jagat main kai aise digajj hai jinke comments aise jaandaar hote hain ki post ko chaar chand laga dete hain jo hum sab ki soch main izafa karte hain aur sochne ke naye-naye nazariye dete hain ki kaise likha jaye aur kaise kisi ko parha jaye. isliye jo bhi comment karo itna soch kar karo ki vo aapka vyaktitav darshata hai.vijaymaudgillhttps://www.blogger.com/profile/10488293173878643670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-73846254982036604042011-02-23T18:46:15.641+05:302011-02-23T18:46:15.641+05:30डटी रहिये बहन....
आपका ऐसी परिस्थितियों में डट कर ...डटी रहिये बहन....<br />आपका ऐसी परिस्थितियों में डट कर मुकाबला करने का गुण ही हम भाई-बहन को कुछ अर्थों में एक सा बनाता है। ऐसे न जाने कितने आएंगे। भड़ास यदि तर्काधारित समीक्षा और आलोचना है तो सार्थक अन्यथा तो बस भौ-भौं ही है अभी हाल ही मे भड़ास पर आपके लिये संजय कटारनवरे नाम के एक बंदे ने लिखा है यदि समय मिले तो देखें। हर अल्ल-बल्ल लिखने वाले को भड़ासी होने का श्रेय मत दीजिये क्योंकि कम से कम ब्लाग जगत में आपका भइया भी भड़ासियों के सरदार कहे जाते हैं :)<br />सादर<br />भइयाडॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)https://www.blogger.com/profile/13368132639758320994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-40886887932841421762011-02-23T18:38:51.769+05:302011-02-23T18:38:51.769+05:30आपका लेख पढ़ा , सारी टिप्पणियाँ पढ़ी , जिस लेख को ...आपका लेख पढ़ा , सारी टिप्पणियाँ पढ़ी , जिस लेख को लेकर यह सब हो रहा है वो भी पढ़ा था , कुलमिलाकर दुःख हुआ इस विवाद को देखकर .<br /> असहमति होना बुरा नहीं है लेकिन ब्लॉग जगत की असहमति का यह तरीका चिंताजनक है और क्या कहूं एक हाइकु कह रहा हूँ ---<br /> जीना तो ऐसे<br /> न डरना किसे से <br /> न ही डराना .<br /> शायद यह आपके और दूबे जी दोनों के लिए है .<br /> आशा है ये विवाद थमेगा . नफरत पहले ही बहुत है जरूरत है तो प्यार की . आओ इसके लिए प्रयास करेंदिलबागसिंह विर्कhttps://www.blogger.com/profile/11756513024249884803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-62265125819311353992011-02-23T17:08:37.267+05:302011-02-23T17:08:37.267+05:30डॉ० दिव्या जी आप ऐसे लोगों पर आलेख लिखकर उनको और ...डॉ० दिव्या जी आप ऐसे लोगों पर आलेख लिखकर उनको और अधिक चर्चित न करिये आपका विशाल पाठक वर्ग है |ऐसे लोगों के विरुद्ध आपको कानून की मदद लेनी चाहिए |हम आपके साथ हैं और ऐसे लोगों की निंदा करते हैं |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-15995988528130694992011-02-23T16:58:01.463+05:302011-02-23T16:58:01.463+05:30kya karengi divya jee.. nakli chehre lagakar naari...kya karengi divya jee.. nakli chehre lagakar naari jati ko doyam darja dene vale bahut milenge .. unki geedar-bhabhaki se hamen nahi darna hai.. ham aaj ki hain .int ka jabab patthar se dene ka jajba rakhate hain ..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-44582574592580414312011-02-23T15:51:23.879+05:302011-02-23T15:51:23.879+05:30आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल...आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी<br /> प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है<br />कल (24-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट<br /> देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर<br />अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।<br /><br />http://charchamanch.blogspot.com/vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-70830581246553302212011-02-23T15:14:17.990+05:302011-02-23T15:14:17.990+05:30टिप्पणी विचार विनिमय के लिये होती है।
और किसी भी व...टिप्पणी विचार विनिमय के लिये होती है।<br />और किसी भी विचार से सहमत असहमत और इग्नोर करने का सभी को अधिकार है।<br />मोडरेशन तो ब्लॉग-लेखक का सर्वाधिकार सुरक्षित की तरह है।<br />और टिप्पणीकार के लिये छ्पी तो छपी न छपी तो न सही क्या फर्क पडता है। आवेश में आना उचित नहीं।<br />उस दशा में जब मांगे गये या आवश्यक स्पष्टिकरण को ब्लॉग-लेखक न छापे तो शालीनता से शिकायत की जा सकती है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-46466191587578472492011-02-23T14:53:29.685+05:302011-02-23T14:53:29.685+05:30'अन्यथा अपनीछिछा लेधर के लिए तैयार रहिये , शाय...'अन्यथा अपनीछिछा लेधर के लिए तैयार रहिये , शायद आपने अभद्रता देखी नहीं है अभी तक ????'<br /><br />ऐसी भाषा का प्रयोग सर्वथा अनुचित है और किसी सज्जन व्यक्ति से तो ऐसी भाषा का प्रयोग करने की आशा नहीं की जा सकती | <br />टिपण्णी प्रकाशित करना अथवा न करना ब्लोगर का विसेशाधिकार है, उसके लिए धमकियाना तो सर्वथा अनुचित है |<br /><br />मेरे विचार से ऐसी गुंडा-गर्दी करने वालो का ब्लॉग-जगत को सार्वजनिक- बहिष्कार कर देना चाहिए |<br />हम सभी ब्लोगर एक परिवार के सदस्यों जैसे है और यह परिवार संस्कारवान- विचारवान और बौद्धिक रूप से सम्पन्न लोगो का है | वैसे भी जिसकी भाषा नहीं सुन्दर हो उसके विचार या लेख कैसे सुन्दर होंगे, क्यूंकि आपकी भाषा ही आपके विचार बताती है और विचार मन में जन्मते है इसलिए सुन्दर भाषा सुन्दर मन का परिचायक है |<br />किसी को भी किसी पर व्यक्तिगत टिपण्णी नहीं करनी चाहिए | ऐसा आचरण किसी को भी शोभा नहीं देता | और ऐसे आचरण का विरोध किया जाना चाहिए |Manishhttps://www.blogger.com/profile/09692477952965514957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-81255344401831429842011-02-23T13:49:23.971+05:302011-02-23T13:49:23.971+05:30पता नहीं क्या होता जा रहा है ब्लॉग-जगत को ...
अपन...पता नहीं क्या होता जा रहा है ब्लॉग-जगत को ... <br />अपना अपना काम क्यों नहीं करते सब ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-39387830166642039112011-02-23T13:14:29.193+05:302011-02-23T13:14:29.193+05:30.
@ संवेदना के स्वर -
किसी बात को नज़र अंदाज़ करना....<br /><br />@ संवेदना के स्वर -<br /><br />किसी बात को नज़र अंदाज़ करना मेरी फितरत में ही नहीं है । छोटी से छोटी बात भी नज़र अंदाज़ नहीं कर पाती । इसे मेरा दोष ही समझ लीजिये ।<br /><br />वैसे आपने मेरी पिछली कई महत्वपूर्ण विषयों पर लिखी पोस्टों को नज़र अंदाज़ कर दिया , लेकिन इस पोस्ट को नहीं कर पाए । मुझे दुःख हुआ । आप यदि आते तो आपके बहुमूल्य विचारों से लेख के साथ न्याय भी होता और पाठकों का लाभ भी होता ।<br /><br />लेकिन शिकायत करने का कोई अधिकार नहीं बनता । आपके ना आने का दो ही कारण हो सकता है -<br /><br /> * परिवार और नौकरी के कारण व्यस्तता , अथवा<br /> * मेरी किसी टिपण्णी से उत्पन्न नाराज़गी ।<br /><br /><br />यदि व्यस्तता है तो कोई बात नहीं , लेकिन नाराजगी है तो गुस्सा थूक दीजिये । अपनों से कोई नाराज रहता है भला ज्यादा दिन तक ?<br /><br />आभार ।<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-54646262876592174242011-02-23T13:13:03.680+05:302011-02-23T13:13:03.680+05:30.
In continuation -
और आपसे बेहतर मुझे कौन जाने....<br /><br />In continuation -<br /><br />और आपसे बेहतर मुझे कौन जानेगा ? आप ही तो कहते थे - " दिव्या तुम्हारे अन्दर मुझे लेखन की बहुत संभावनाएं दिखाई देती हैं " । ये बात आपने तब कही थी जब मुझे लेखन की A B C तक नहीं आती थी । क्या आज आपको अपने ही वक्तव्य पर शक हो रहा है ? <br /><br />आपके ब्लॉग पर कभी दिल से टिपण्णी लिखा करती थी । फिर आपने जो किया वो सभी को मालूम है । लेकिन फिर आपने माफ़ी मांग ली तो मेरे दिल में भी कोई द्वेष नहीं है । जब आप यहाँ टिपण्णी करते हैं तो आभार स्वरुप आपके ब्लॉग पर आकर मैं भी टिपण्णी लिखती हूँ , लेकिन अब लाख कोशिश करूँ , दिल से नहीं लिख पाती आपके ब्लॉग पर । ( रहिमन धागा प्रेम का मत तोड्यो चटकाय , टूटे से फिर न जुड़े , जुड़े गाँठ पड़ जाए )<br /><br />विषयांतर न हो जाए , इसलिए वापस आती हूँ विषय पर --<br /><br />भाषा की अहमियत बहुत है हम सभी के लिए । अनर्गल प्रलापों को , व्यक्तिगत आक्षेपों को , व्यंग को बखूबी परख सकती हूँ । व्यक्ति के intention और agenda को समझना इतना मुश्किल तो नहीं । इसलिए यदि कोई टिपण्णी मोडरेट करी गयी है तो सोच समझ कर ही करी होगी न ? इतना भरोसा तो आप मुझ पर कर ही सकते हैं।<br /><br />पिछले छः महीनों मुझे ग्यारह हज़ार टिप्पणियां मिली हैं , यानि मैंने भी असंख्य ब्लॉग्स पर कम से कम इतनी टिप्पणियां तो लिखी ही होंगी । लेकिन आज तक किसी को भी मेरी टिप्पणियों से शिकायत नहीं हुई । हमेशा विषय पर ही लिखा । कोशिश यही रही की विषय के साथ न्याय हो सके और लेखक तथा लेखिका की भावनाओं को ठेस भी न पहुंचे ।<br /><br />मेरी प्रति- टिपण्णी से यदि आपको ठेस पहुंची हो तो करबद्ध क्षमा प्रार्थी हूँ।<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-23363615697673395262011-02-23T13:09:12.813+05:302011-02-23T13:09:12.813+05:30.
इस लेख कों लिखने के लाभ -
* एक तो दुबे जी ....<br /><br />इस लेख कों लिखने के लाभ -<br /><br /> * एक तो दुबे जी इस भ्रम में नहीं रहेंगे की उनकी गीदड़-भभकी से कोई डर गया । <br /> * दुसरे न जाने कितने ही ब्लोगर्स इस तरह की गुंडागर्दी का शिकार होते हैं लेकिन सहन कर लेते हैं । आखिर किसी तो पहल करनी होगी ब्लॉगजगत की इन अभद्रताओं के खिलाफ । <br /> * इस लेख के लिखने के बाद मुझे उम्मीद है दुबे जी जैसे लेखक किसी को धमकी नहीं देंगे भविष्य में ।<br /> * कभी कभी ऊँट को पहाड़ के नीचे लाकर उसका कद बताना पड़ता है ।<br /> * जो स्त्री समाज में स्त्रियों के स्वाभिमान एवं जागरूकता के लिए लडती है , वो क्या अपने ही अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्ष न करे ?<br /> * जो स्त्री समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ लडती है , वो क्या ब्लॉगजगत में व्याप्त अभद्रताओं को नज़र अंदाज़ कर देगी ? ( Charity begins from home )<br /><br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-57550828281736374652011-02-23T13:07:23.566+05:302011-02-23T13:07:23.566+05:30.
आदरणीय डॉ आर्विंद मिश्र ,
जो टिपण्णी अनुचित एव....<br /><br />आदरणीय डॉ आर्विंद मिश्र ,<br /><br />जो टिपण्णी अनुचित एवं मेरे ऊपर आक्षेप थी और उस समय नहीं प्रकाशित कि गयी जब लिखी गयी थी , तो उसे यहाँ सार्वजनिक करने का अनुरोध कैसे कर सकते हैं आप ?<br /><br /> * क्या अपना अपमान सार्वजनिक करती फिरूं और लोगों से सहानुभूति की भीख मांगू ?<br /> * क्या मेरे पास निर्णय लेने कि शक्ति नहीं है कि क्या उचित है और क्या अनुचित ?<br /> * दुबे जी ने विषय पर एक शब्द भी नहीं लिखा था बल्कि मेरे ऊपर व्यक्तिगत टिपण्णी कि थी । <br /> * मैं पहले ही स्पष्ट कर चुकी हूँ , की विषय से इतर की गयी व्यक्तिगत एवं अपमानजनक टिपण्णी प्रकाशित नहीं की जायेगी । <br /> * कोई भी किसी का ग़ुलाम नहीं है । न परिवार में , न समाज में , न ही ब्लॉग जगत में।<br /> * भाषा की महिमा हर किसी कों समझनी होगी । अनर्गल प्रलापों का मेरे लेख पर कोई स्थान नहीं है।<br /> * दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है । मेरे पूर्व के लेखों पर बहुत से लोगों ने विवाद उत्पन्न करके लेख की आत्मा को ही मारने की कुचेष्टा की । इसलिए ईर्ष्यालू एवं विवादी लोगों से दूर रहना ज्यादा पसंद करती हूँ।<br /><br />Continued..<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-72274214318761396382011-02-23T12:57:59.139+05:302011-02-23T12:57:59.139+05:30दिव्या जी ,
आप इन बेकार की बकवासों से हतोत्साहि...दिव्या जी ,<br /> आप इन बेकार की बकवासों से हतोत्साहित न हों , आप होंगी भी नहीं क्योंकि यह आपके स्वभाव में ही नहीं है |<br />आप जिन ज्वलंत एवं अनछुए मुद्दों पर अपनी धारदार कलम चलाकर उन्हें बहस का विषय बना देती हैं , वहां तक बहुतों की सोच पहुँच ही नहीं पाती | आप हिंदी गद्य को अनवरत समृद्ध कर रही हैं , यह जारी भी रहेगा -कोई भी बाधा इसे रोक नहीं पायेगी |सुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-28151762401744671762011-02-23T12:56:41.859+05:302011-02-23T12:56:41.859+05:30aapki bebak tippani aur aapse sahmat hoon.aapki bebak tippani aur aapse sahmat hoon.मेरे भावhttps://www.blogger.com/profile/16447582860551511850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-30313583732565345852011-02-23T12:47:25.041+05:302011-02-23T12:47:25.041+05:30क्यों भाई मिथिलेश जी ? क्या हो गया आपको जो दिव्या ...क्यों भाई मिथिलेश जी ? क्या हो गया आपको जो दिव्या जी जैसी विनम्र और क्रन्तिकारी लेखिका के साथ इस तरह का अशोभनीय व्यवहार किया | भैया हम सभी एक डाल के पंछी हैं, प्रेम से चहचहाएंगे तो बड़ा आनंद आयेगा|<br />इस तरह का लड़ाई-झगड़ा सड़क पर ही होना चाहिए , कलम के मंच पर शोभा नहीं देता |सुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-15497582626802075702011-02-23T12:41:48.822+05:302011-02-23T12:41:48.822+05:30ऎसा करना बिलकुल गलत हे,ऎसा करना बिलकुल गलत हे,संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.com