tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post6796051033801239266..comments2024-03-18T11:14:46.125+05:30Comments on ZEAL: व्यक्ति बड़ा है या मुद्दा ?ZEALhttp://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comBlogger72125tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-68425650883807673132011-08-27T22:50:08.241+05:302011-08-27T22:50:08.241+05:30सही कहा आपने।
व्यक्ति बडा नहीं, मुद्दा बडा है।
...सही कहा आपने। <br />व्यक्ति बडा नहीं, मुद्दा बडा है। <br />और मुद्दा है, देश का, देशहित का...<br /><br />इसमें सबको साथ देना चाहिए, बगैर किसी भटकाव के।Atul Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-84086749731773815682011-08-24T21:08:58.350+05:302011-08-24T21:08:58.350+05:30बहुत सही बात उठाई है....हर पंक्ति सोचने को विवश कर...बहुत सही बात उठाई है....हर पंक्ति सोचने को विवश करती है<br />आज के वक़्त की आवाज़ ....और सच्चाई भी ......आभार<br /><br />.मदन शर्माhttps://www.blogger.com/profile/07083187476096407948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-45438252522959355362011-08-24T11:00:29.037+05:302011-08-24T11:00:29.037+05:30समर्थन भी किया जाय और विवेक भी जाग्रत रखा जाय, हर्...समर्थन भी किया जाय और विवेक भी जाग्रत रखा जाय, हर्ज़ ही क्या है। सावधानी उचित परिणाम ही देगी, आंखें मूंदनें का तो कोई प्रयोजन समझ नहीं आता? इससे आंदोलन को कोई विक्षेप पहुंचने वाला नहीं।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-25757412908681500382011-08-24T10:54:56.436+05:302011-08-24T10:54:56.436+05:30आपने सही कहा पर होना तो वही है जो सदियों से ...आपने सही कहा पर होना तो वही है जो सदियों से होता आया है क्यों की ये भारत की जनता है जिसे कुछ दिखाई नहीं देता बस उसे दिखाना पड़ता है जनता तो वही है जो अन्ना के अनसन से पहले थी क्या ये जनता पहले मर गई थी क्या क्या हुआ था इस जनता को १२५ करोड़ जनता में १ अन्ना ही क्यों निकला १ गाँधी जी क्यों निकले बात वही है की अब कलयुग आज्ञा है अभी तो कुछ हुआ भी नहीं है होना तो बाकि है और होना भी क्या है इस देश में आँखों के अंधे रहते है उस देश की दशा असी होती है फूट डालो राज करो इस समय bhrstachar जसे खाने की कोई वस्तु का नाम है जो खरब हो चुकी है अब उसे फेंकना है अरे मेरे देश वाशियो जागो अब भी कुछ हुआ नहीं है पर इस जनता को कुछ कहना भी बेकार लगता है क्यों की सब अपना पेट पलते नजर आते है किसी को नहीं लगता की ये मेरा भारत है मेरा भारत महँ जेसा नारा लगाने से कुछ नहीं होगा कुछ महान कर्म करो अन्ना के पीछे तो तुम लोग हो पर क्या इस लोक पल बिल से सब कुछ सही हो जायेगा ये नेता लोग सब कुछ छोड़ देगे अरे मेरे भाइयो आज अगर किसी ने किसी को मर दिया है तो उस को जेल होते होते २० साल गुजर जाते है फिर जज बदल जाते है मुंबई बम धामके के आरोपी १ अज भी जेल में है पैर उसको फंसी देने की जगह पोलिस उसकी हिफाजत में लगी है उसकी मेहमान नवाजी कर रही है हर रोज़ उसका मेडिकल होता है लाखो रूपया खर्चा होता है जेसे पोलिश का या सरकार का वो जवाई है कुछ नहीं होने वाला इस देश का और नेताओ का जय जवान जय किशन<br />अगर आप मेरी बैटन से सहमत नहीं है तो करपिया मेरे ब्लॉग लिंक पे क्लिक करे और अपनी राय देवे <br />दिनेश पारीक <br />http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/Dinesh pareekhttps://www.blogger.com/profile/00921803810659123076noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-13824239184345379262011-08-23T20:30:35.395+05:302011-08-23T20:30:35.395+05:30आप से पूरी तरह सहमत हूँ कि नेट और टी वी पर अन्ना क...आप से पूरी तरह सहमत हूँ कि नेट और टी वी पर अन्ना की अनावश्यक निंदा चलने लगती है.मुझे याद आता है "देते हैं भगवन को गली, इंसा को क्या छोड़ेंगे..कसमे वादे ..बातों का क्या ...Dr. Braj Kishorhttps://www.blogger.com/profile/06982842671013664280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-81329571806148402422011-08-23T17:18:48.104+05:302011-08-23T17:18:48.104+05:30यकीनन मुद्दा ही बड़ा है एक बार फिर आपने विचारणीय प...यकीनन मुद्दा ही बड़ा है एक बार फिर आपने विचारणीय प्रस्तुति दी है सार्थक एवं सटीक लेखन के लिये शुभकामनाएं ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-22042669189384569272011-08-23T11:39:27.909+05:302011-08-23T11:39:27.909+05:30यद्यपि साधारणतया जल तरल रूप में होता है, यह हिमालय...यद्यपि साधारणतया जल तरल रूप में होता है, यह हिमालय आदि पहाड़ों पर हिम के रूप में, और भाप के रूप में बादलों में भी होता है... <br />जब तक सोत से पानी आता रहता है, हर नदी अपने विभिन्न मार्गों पर अग्रसर हो अंततोगत्वा सागर में मिल अपनी स्वतंत्रता गंवाती तो चली जाती है, किन्तु काल-चक्र समान जल-चक्र के अनंत होने से, बड़ी बड़ी नदियाँ आम तौर पर अपना अस्तित्व खोते प्रतीत नहीं होतीं... <br />किन्तु, जैसे आज दिखाई दे रहा है, हिमालय आदि पर्वतों के ग्लेसियर तीव्र गति से पिघल रहे हैं - उत्तरी ध्रुव का हिम भी... और, इन कारणों से सागर जल का स्तर भी धीरे धीरे बढ़ रहा है, जिसके कारण सबसे पहले तटीय क्षेत्रों के डूबने की आशंका प्रतीत हो रही है... इसके अतिरिक्त जान माल की हानि अन्य प्राकृतिक कारणों, जैसे चक्रवात, भूमि कम्पन, भू-स्खलन, सुनामी, वातावरण में ऐन्टआर्कटिका के आकाश में देखे गए ओजोन तल में छिद्र, आदि अनेक कारणों से भय तो है है किन्तु इसे मानसिक गुलामी ही कहेंगे कि 'वर्तमान बुद्धिजीवी' यह मान कर कि जीवन ऐसे ही अनंत काल तक चलता रहेगा, खुद तो भ्रमित हो रहे हैं, किन्तु अन्य आम अज्ञानी जनता को भी भ्रमित कर रहे हैं,,, <br />प्राचीन ज्ञानी कह गए, "...पल में प्रलय होएगी...आदि" जिससे हर 'हिन्दू', लक्ष्मण (पृथ्वी) समान, अपना परम लक्ष्य, 'राम' (ब्रह्मा) और 'भरत' (कृष्ण / विष्णु) का साथ देना, सदैव याद रखे... <br />किन्तु दूसरी और यह भी कह गए, "होता है वही / जो मंजूरे खुदा होता है", और "होई है सो ही जो राम रची राखा"... <br />गीता में परम लक्ष्य पाने हेतु 'कृष्ण में आत्म-समर्पण' आवश्यक बताया गया है... <br />एक कहावत भी है कि 'एक आदमी काफी है घोड़े को पानी के पास लेजाने में / किन्तु बीस भी उसे पानी पिला नहीं सकते!JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-24928557648329876232011-08-23T09:14:56.200+05:302011-08-23T09:14:56.200+05:30मैं आपसे सहमत हूँ आज भी इस देश का एक तबका ऐसा है ज...मैं आपसे सहमत हूँ आज भी इस देश का एक तबका ऐसा है जो सिर्फ किसी राजनेता के नेतृत्व में ही विश्वास करता है और आन्दोलन की सफलता के प्रति शंकित है, शायद इसीलिए ऐसे बेहुदे प्रश्न उसके द्वारा उठाये जा रहे हैं, और आन्दोलन से जुड़ रहे लोगों का मनोबल तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है,पी.एस .भाकुनीhttps://www.blogger.com/profile/10948751292722131939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-23892160601057206992011-08-23T02:56:58.796+05:302011-08-23T02:56:58.796+05:30अमरजीत जी और दिवस जी की टिप्पणियां गौर तलब हैं, प्...अमरजीत जी और दिवस जी की टिप्पणियां गौर तलब हैं, प्रतुल जी ने भी अपनी टिप्पणी में काफी कुछ कह दिया है. जब भी कोई बात चलती है तो मामला हिन्दू मुस्लिम पर अटका दिया जाता है. प्रो मुस्लिम बन जाओ तो धर्मनिरपेक्षी और हिन्दू सच्ची बात कह दे तो आर०एस०एस का आदमी, संघ का आदमी. <br />खैर, जो भी हो, इस बिल के मामले में अन्ना का समर्थन. कहीं ऐसा न हो यह आन्दोलन प्रेशर रिलीज करने का काम करे, यह आशंका है, क्योंकि बाबा से तो पार्टियों को डर है और अन्ना से नहीं. परिवर्तन तभी आयेगा जब सत्ता की चाभी हाथ में हो. बाबा आयें, २०१४ का इन्तजार है.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-78589798652822867212011-08-23T01:02:55.434+05:302011-08-23T01:02:55.434+05:30आज एक बात और सामने आई है| जिन बाबा रामदेव ने अन्ना...आज एक बात और सामने आई है| जिन बाबा रामदेव ने अन्ना को उठाया, उन्ही बाबा रामदेव का अन्ना ने अपमान किया| ये तो बाबा की महानता है कि वे आज भी अन्ना के समर्थन में खड़े हैं|<br />वहीँ दूसरी ओर दिल्ली जामा मस्जिद के शाही ईमाम बुखारी ने आज यह ऐलान किया की अन्ना की यह मुहीम इस्लाम विरोधी है| इसलिए देश भर के मुसलामानों से यह गुहार लगाईं गयी है की वे अन्ना के इस आन्दोलन में शामिल न हों| इस पर किरण बेदी व केजरीवाल दोनों बुखारी की जी हुजूरी करने पहुँच गए| उसे मना रहे हैं, मनुहार कर रहे हैं| शर्म आती है जब किरण बेदी व केजरीवाल जैसे कर्तव्यनिष्ठ व ईमानदार लोग इतना गिर जाते हैं|<br />यह सब क्या ड्रामा है अन्ना टीम का? <br />देश के एक सबसे सम्माननीय संत का अपमान करते हैं व उस दो कौड़ी के मौलाना (इससे किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचती है तो पहुंचे मेरी बला से| क्योंकि ऐसी भावनाओं को मैं दुर्भावना मानता हूँ, जिन्हें ठेस पहुंचाने में मुझे बड़ा आनंद आता है) की खातिरदारी में लगे हैं| अग्निवेश व अरुंधती जैसे दल्ले पहले ही अन्ना टीम की शोभा (?) बढ़ा रहे हैं| ये आज़ादी की कैसी दूसरी लड़ाई है, जिसमे लड़ने वाले (?) सभी देशद्रोही ही हैं?<br />इससे पहले अन्ना अपने मंच से भारत माता का चित्र पहले ही हटा चुके हैं क्योंकि अन्ना अब सोचने लगे हैं की भारत माता साम्प्रदायिक हैं|<br />निश्चित तौर पर हमे आज़ादी चाहिए, किन्तु समझौते से नहीं अपनी शर्तों पर चाहिए|<br />ये सब वही ड्रामा शुरू हो गया जो गांधी जी किया करते थे| एक ओर गांधी जी अंग्रेजों से समझौता करके Dominion states की मांग करते थे वहीँ दूसरी ओर भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी अपनी शर्तों पर आज़ादी के लिए लड़ते थे| निश्चित रूप से दोनों ही अंग्रेजों का विरोध करते थे, जैसे आज अन्ना व कुछ गरम दल के लोग कांग्रेस का विरोध कर रहे हैं|<br /><br />मुझ पर अन्ना विरोधी आरोप लग सकते हैं अत: बताना चाहूँगा की अन्ना के आन्दोलन में आज भी जोर डाल कर आ गया हूँ| कल स्विस बैंक की लिस्ट बांटी थी, आज सरकारी लोकपाल व जन लोकपाल की व्याख्याएं करने वाली हज़ारों प्रतियां बाँट कर आए हैं| कल ऑफिस से छुट्टी ली है| कल अपने कुछ साथियों के साथ जयपुर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में जाकर छात्रों को आन्दोलन से जोड़ने का कार्यक्रम है| कक्षाओं में जाकर छात्रों व शिक्षकों से शामिल होने की प्रार्थना करेंगे|<br />उसके बाद शहर की गरीब बस्तियों के लोगों से भी बात करेंगे| उन्हें भी शामिल करेंगे|<br />अन्ना तो हमसे कुछ creative काम करवा नही रहे तो सोचा खुद ही कुछ कर लें|<br /><br />संतोष इस बात का है की सड़कों पर यत्र अन सैलाब अब लोकपाल की लड़ाई नही लड़ रहा| उन्हें तो अब कांग्रेस से मुक्ति चाहिए|दिवसhttps://www.blogger.com/profile/07981168953019617780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-82637767336565979432011-08-22T23:24:36.813+05:302011-08-22T23:24:36.813+05:30@ हंसराज जी, हमारे पूर्वज रहस्यवादी प्रतीत होते है...@ हंसराज जी, हमारे पूर्वज रहस्यवादी प्रतीत होते हैं आज जब हम प्राचीन कथा कहानी आदि पड़ते हैं... शायद तब काल की उलटी चाल के कारण सभी वर्तमान कलियुग के मानव से कई गुना ज्ञानी थे... <br />गीता में 'कृष्ण' (हमारी गैलेक्सी के निराकार केंद्र के प्रतिरूप) कहते दर्शाए गए हैं कि तीनों लिओक में उनके पाने के लिए कुछ शेष बचा नहीं था, फिर भी वो प्रति पल कार्य किये जा रहे हैं, क्यूंकि साड़ी प्रकृति श्रंखलाबद्ध तरीके से उनकी नक़ल कर रही है... इस कारण यदि वो काम करना बंद करदें तो सब काम करना बंद करे देंगे और वो सृष्टिकर्ता के स्थान पर संहारकर्ता हो जायेंगे... <br /><br />क्षीर सागर मंथन की कहानी भी हमारी गैलेक्सी को अमृत और अनंत, दर्शाती है,,, जिसमें एक कल्प की समाप्ति पर ब्रह्मा की रात आ जाती है और सब जीव कृष्ण में समां जाते हैं,,, जहां से वो ब्रह्मा के नए दिन आरम्भ होने पर फिर से अनंत काल-चक्र में प्रवेश पाते हैं... <br /><br />अर्थात जीव केवल देवताओं के इतिहास को प्रतिबिंबित कर रहे हैं...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-57281530938031815332011-08-22T20:27:37.180+05:302011-08-22T20:27:37.180+05:30अन्ना समर्थन व अन्ना विरोध, दोनों को समझना हो...अन्ना समर्थन व अन्ना विरोध, दोनों को समझना होगा,देश से बड़ा कोई नहीं ,किसी भी व्यक्ति को ,अकेले देश हित मुद्दे पर निर्णय लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती है ,चाहे अन्ना हों या मनमोहन / इतिहास से सबक लें , देखें सबक मिल जायेगा ,पाकिस्तान ,बंगला - देश ,उदहारण हैं / भीख मांगने की आजादी हैं , पर <br />रोजगार ,समानता , विकास के अवसर , सिक्षा ,संसाधन ,पारदर्शिता ,मांगने की आजादी नहीं है / धर्म-स्थलों में ,करोड़ों ,अरबों चढाने की आजादी है , नाम ,गुमनाम दोनों रूपों से ,परन्तु देश हितार्थ कोई बाध्यता नहीं है ,श्वार्ग प्राप्ति के चाहत के सिवा / भ्रष्टाचार को परिभाषित किये बिना ,कोई भी आन्दोलन सफल नहीं है ,भावनाओं को भड़का कर ,दिवा श्वप्न दिखा कर ,हम यथार्थ तक नहीं पहुँच सकते / मात्र अनशन की भाषा सर्व मान्य होती तो युध्य क्यों लड़े जाते ,? सेना क्यों ?मात्र कुछ व्यक्तियों का हठ ,सर्व - हित में नहीं ,कुछ व्यक्तियों को आरोपित कर ,कुछ व्यक्तियों का तुष्टिकरण हो सकता है ,सर्व - हित का नही , . <br /> इस देश के ,बच्चों [18 varsh तक ] और बुजुर्गों [६०वर्श के बाद ] की जिम्मेदारी वहन करो , देश सुरक्षित और भ्रस्टाचार मुक्त होगा ,किसी लम्बरदार की जरुरत नहीं / सेवा के नाम पर छद्म- वेशी,किसी नियम - उपनियम से बाहर क्यों ? आत्म हत्या की धमकी के नाम पर ,करोड़ों की दूरगामी हत्या का प्रयास क्यों ? यही प्रश्न शहीदे आजम ,भगत सिंह ने उठाया , क्या उसका कोई औचित्य नहीं ? भ्रष्टाचार की परिधि men ,सारे भ्रष्टाचार [ सामाजिक ,आर्थिक ,धार्मिक ,भौगोलिक ]क्यों नहीं ? <br /> निश्चित ही मुद्दे बड़े होते हैं , व्यक्ति पीछे ../<br /> फौरी तौर पर कार्य वाही जल्द बजी होगी .....<br /> शुक्रिया जी /udaya veer singhhttps://www.blogger.com/profile/14896909744042330558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-45605630145639541302011-08-22T17:50:26.392+05:302011-08-22T17:50:26.392+05:30इस नए ब्लॉग में पधारें |
काव्य का संसारइस नए ब्लॉग में पधारें |<br /><a href="http://kavyasansaar.blogspot.com" rel="nofollow"><b>काव्य का संसार</b></a>काव्य संसारhttps://www.blogger.com/profile/01544084782046012575noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-37940124305463361852011-08-22T17:22:32.653+05:302011-08-22T17:22:32.653+05:30बहुत ही सुंदर प्रस्तुति /आज देश के हालात और जनसमु...बहुत ही सुंदर प्रस्तुति /आज देश के हालात और जनसमुदाय के अन्तेर्मन की ब्यथा को बताती अत्याचार के खिलाफ लिखी,देश प्रेम के जज्बे को जगाती/बिलकुल सही कहा आपने की अन्ना निस्वार्थ भाव से ये लड़ाई लड़ रहे हैं उसमे सबको उनका साथ देना चाहिए /तभी इस देश का कुछ सुधार हो पायेगा / शानदार अभिब्यक्ति के लिए बधाई आपको /जन्माष्टमी की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं /<br />आप ब्लोगर्स मीट वीकली (५) के मंच पर आयें /और अपने विचारों से हमें अवगत कराएं /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /प्रत्येक सोमवार को होने वाले<br /> " http://hbfint.blogspot.com/2011/08/5-happy-janmashtami-happy-ramazan.html"ब्लोगर्स मीट वीकली मैं आप सादर आमंत्रित हैं /आभार /prerna argalhttps://www.blogger.com/profile/11905363361845183539noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-5702848339251289612011-08-22T16:38:56.769+05:302011-08-22T16:38:56.769+05:30true,... Unity is strength. We just need to keep i...true,... Unity is strength. We just need to keep in mind that the movement moves in right direction now.Jyoti Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01794675170127168298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-57188958039333932272011-08-22T15:01:43.403+05:302011-08-22T15:01:43.403+05:30वे निस्वार्थ भाव से देश के लिए ही कर रहे हैं , इसम...वे निस्वार्थ भाव से देश के लिए ही कर रहे हैं , इसमें उनका कोई निजी स्वार्थ तो है नहीं। फिर देश के लिए लड़ी जाने वाली लडाई में कुछ लोग उनका इतना विरोध क्यूँ कर कर रहे हैं? क्या हासिल होगा इससे? <br /><br />सभी संगीतकारों ने कुछ न कुछ तैयार किया हुआ है....<br />अनुरोध का गीत है तो विरोध का भी गीत है...<br />अच्छा संगीत कालजयी बन जाता है जबकि कानफोडू संगीत चार दिन में विच्छिन हो जाता है...<br />दुनिया में दोनों प्रकार के संगीत बजते हैं.... बस चार दिन का इंतज़ार... दूध और पानी अलग अलग हो जाते हैं....<br />सादर.....S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-1286372120261524132011-08-22T13:26:46.618+05:302011-08-22T13:26:46.618+05:30Dekhiye is samay sab logon ko yah achchhi tarah se...Dekhiye is samay sab logon ko yah achchhi tarah se samajh lena chahiye ki Rajiv Dixit ne jo mudde uthaye the unhe Ramdev ne aage badhaya isiloye ek shadyantra ke tahat unhe Bhilai (Durg) ke Apolo Hospital men marva diya gaya aur Swami Agnivesh ke madhyam se Anna Hajare ko Ramdev ka prabhav kam karne ke liye Dilli laya gaya.<br />Ab is samay Anna Ramdhun ga rahe hain media usko hava de raha hai. Koi ye nahin poochhta ki Madam aur unka poora parivar kahan hai? Kya kale dhan ko safed ki jagah peela banane men to nahin laga hai. Sone ki kimten kis tarah asman chhoone lagi hain. Is desh ki janta ko yah janne ka haq hai ki UPA chairperson ki sehat ka bultetin sarkar kyon nahin jari karti.<br />Baharhal Anna ke mudde ko hamen jivit rakhna hai use marne nahin dena. Aaj Krishna Janmashtami ke din ham yahi prarthna karen ki vo apni solaho kala ke roop men kahi n kahin kisi n kisi roop men apna jalwa bikherta rahe. Inhi shabdon ke sath.KRANT M.L.Vermahttps://www.blogger.com/profile/16522523292171432524noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-63698590449089548762011-08-22T10:56:19.984+05:302011-08-22T10:56:19.984+05:30व्यक्ति नहीं मुद्दा ही महत्वपूर्ण है। मैने तो ऐसा ...व्यक्ति नहीं मुद्दा ही महत्वपूर्ण है। मैने तो ऐसा एक भी विरोध नहीं देखा जो भ्रष्टाचार के मुद्दे का विरोध कर रहा हो? मैने मनिष तिवारी को छोडकर एक भी व्यक्ति नहीं देखा जो अन्ना के व्यक्तिगत चरित्र पर आरोप करता हो। टीम के बारे में संशय है तो रहेंगे भी। विवेक से सभी दृष्टिकोण पर विचार करना कूप-मण्डूकता नहीं है। संशय तो वास्तविक जाग्रति का लक्षण है। मुद्दा लक्षी तो साथ और समर्थन देते हुए भी आंखे खुली रखते है। व्यक्ति भक्ति में नहीं पडते, अन्य दृष्टिकोण बिना देखे बस विरोध कहकर खारिज़ नहीं करते। इसे विरोध कहकर त्वरित आवेश में आने वाले अंध-भक्त होते है। ऐसे अन्धत्व को लॉली-पॉप से सहजता से ललचाया जा सकता है। वस्तुतः मुद्दे को महत्व देते जाग्रत लोगों का समर्थन और संशय चिंतन साथ चलता है। उनकी नजर वास्तव में ध्येय की ईमानदारी और सार्थक अन्तिम परिणामों पर भी होती है। आगे बढ़ना लेकिन दूरदृष्टि से, कैसे बुरा हो सकता है। <br />इसी परिपेक्ष्य में अमर जीत जी की टिप्पणी को देखा जाना चाहिए, जो कहीं से भी भ्रष्टाचार मुक्ति (मुद्दे) का विरोध नहीं है उसमें ‘अन्ना’ (व्यक्ति) का उपयुक्त सम्मान सुरक्षित है।<br />सबसे अधिक विवेकयुक्त टिप्पणी है श्री भूषण जी की, आपके शब्दों को यहां पुनः आलेखित करना उपयुक्त ही होगा-<br />मुद्दा निश्चित रूप से बड़ा है. समस्या आंदोलन के आंतरिक स्वरूप को लेकर उठती प्रतीत होती है जैसा कि अमर जीत की टिप्पणी से दिख रहा है. ग़ैर सरकारी संगठनों को सरकारी और विदेशी साहायता मिलती है. उसका उपयोग कैसे होता है यह जग ज़ाहिर है. ये अपने आप में भ्रष्टाचार के अड्डे हैं इसमें न पब्लिक को संदेह है और न सरकार को. केवल पब्लिक नहीं जानती कि सरकार और एनजीओज़ की एक मिलीभगत है.<br />अपनी बात को यहाँ विराम दूँगा कि मुद्दा बड़ा है व्यक्ति नहीं.<br />जेसी जी नें बड़ा ही सार्थक उदाहरण दिया- किन्तु युद्ध के दौरान जब अर्जुन वहां नहीं था तो उस का पुत्र अभिमन्यु महारथियों द्वारा रचित 'चक्र-व्यूह' में घुस तो गया किन्तु अज्ञानतावश, सम्पूर्ण ज्ञान के अभाव से बाहर नहीं निकल पाया और महारथियों द्वारा मारा गया :(...<br />अभिमन्यु पूर्णतः विवेकवान था, परिणामों के प्रति आस्वस्त नहीं था, उसने पूर्व ही जता दिया मैं 7 पडाव पार करने में समर्थ हूँ पर आठवे पडाव का ज्ञान मुझे नहीं है। सफलता अनिश्चित है। भीम के अतिविश्वास नें कहा कि आठवा तो मैं बल-प्रयोग करके पार करवा दूँगा। इसी विश्वास पर अभिमन्यु नें कदम बढाया, पर वह अतिविश्वास असफल रहा। और अभिमन्यु की जान देकर भी चक्रव्यूह में जीत हासील न हो सकी।<br />मित्र दिवस जी और मित्र प्रतुल जी का समर्थन सहित संशय समाधान का जाग्रत चिंतन, विवेक-युक्त चिंतन का प्रमाण है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-24673249707613573542011-08-22T10:47:34.847+05:302011-08-22T10:47:34.847+05:30व्यक्ति नहीं ..मुद्दा बड़ा होता है ...व्यक्ति नहीं ..मुद्दा बड़ा होता है ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-83176783048191311012011-08-22T10:23:27.966+05:302011-08-22T10:23:27.966+05:30दिवस भाई
आपने सही कहा.
मुझे भी बहुत आश्चर्य हुआ था...दिवस भाई<br />आपने सही कहा.<br />मुझे भी बहुत आश्चर्य हुआ था.<br />जब राजीव दीक्षित जी का इतनी कम उम्र मे निधन हो गया.<br />मुझे तो ऐसा लगता है. कि उनको इस कांग्रेस और विदेशी ताकतो ने ही मरवा दिया. क्यो कि जैसा मैने सुना था कि मरने के बाद उनका शरीर नीला पड़ गया था.<br />क्यो कि वो बाबा रामदेव की ताकत थे.<br />और षडयंत्रकारियो ने सोचा होगा कि अगर उनको खत्म कर दिया जाये.<br />तो बाबा रामदेव के आंदोलन की ताकत खत्म हो जायेगी.ROHIThttps://www.blogger.com/profile/06777108993458979775noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-41231215187417388992011-08-22T09:35:52.443+05:302011-08-22T09:35:52.443+05:30आदरणीय प्रतुल भाईसाहब, बहुत बहुत धन्यवाद...
आपका आ...आदरणीय प्रतुल भाईसाहब, बहुत बहुत धन्यवाद...<br />आपका आशीर्वाद बना रहे तो शीघ्र ही किला फतह भी कर लेंगे...<br /><br />वैसे इस समय राजिव भाई दीक्षित की कमी बहुत खल रही है| वे आज हमारे साथ होते तो इतना विवाद ही नही होता| जिन राजिव भाई ने बाबा रामदेव, अन्ना हजारे, किरण बेदी, केजरीवाल, डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, विश्वबंधु गुप्ता जैसी शक्तियों को एक कर दिया था, आज उनकी शहादत के बाद ये शक्तियां बिखर गयी हैं| निश्चित रूप से आज भारत की जनता में आग लग गयी है, यह आन्दोलन पूरे जोश में है, किन्तु यदि आज राजिव भाई हमारे बीच होते तो ये जोश कुछ और ही होता| राजिव भाई साथ होते तो आज आन्दोलन की शक्ति वर्तमान परिस्थितियों से दस गुना अधिक होती|<br /><br />सही अर्थों में देखा जाए तो इस क्रान्ति के सूत्रधार न बाबा रामदेव हैं और न ही श्री अन्ना साहब हजारे| वे तो राजिव भाई ही हैं|दिवसhttps://www.blogger.com/profile/07981168953019617780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-44656896897134419002011-08-22T09:32:31.568+05:302011-08-22T09:32:31.568+05:30This comment has been removed by the author.दिवसhttps://www.blogger.com/profile/07981168953019617780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-83144607740735829552011-08-22T09:29:58.523+05:302011-08-22T09:29:58.523+05:30aadeniya divya ji..aapn ne bakhubi is jwalant mudd...aadeniya divya ji..aapn ne bakhubi is jwalant mudde ko uthaya hai..main aapke bicharaon se hamesha ki tarah sahmat hoon..bartmaan pariprekshya mein is tarah ke lekho ki samicheenta aaur badh jaati hai..aap eun hi shadon se masal jalate rahein..hausla dilate rahein...jahan talwarein natmastak ho jaati hain..kalam bahan bhi sir uthati hai..is mahayagya ke safalta ki kamna aaur aap sabhi kalam ke pujariyon ko sadar naman aaur janmastmi ki hardik shubhkamnaon ke sathDr.Ashutosh Mishra "Ashu"https://www.blogger.com/profile/06488429624376922144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-53055659271122374552011-08-22T08:03:36.912+05:302011-08-22T08:03:36.912+05:30श्री कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर सभी को बधाई द...श्री कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर सभी को बधाई देते हुए 'मेरा' कहना है कि 'कर्म कर / फल की इच्छा मत कर' तो सभी ने सुना है... यद्यपि गीता का पांचवा अध्याय कर्मयोग पर है, उसमें से श्लोक १५ / १६ का हिंदी रूपांतर नीचे दे रहा हूँ...<br /><br />"परमेश्वर न तो किसी के पापों को ग्रहण करता है, न पुण्यों को... किन्तु सारे देहधारी जीव उस अज्ञान के कारण मोहग्रस्त रहते हैं, जो उनके वास्तविक ज्ञान को आच्छादित किये रहता है.../ किन्तु जब कोई उस ज्ञान से प्रबुद्ध होता है, जिससे अविद्या का विनाश होता है, तो उसके ज्ञान से सब कुछ उसी तरह प्रकट हो जाता है, जैसे दिन में सूर्य से सारी वस्तुएं प्रकाशित हो जाती हैं..."JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-34026683796166024592011-08-22T03:48:34.861+05:302011-08-22T03:48:34.861+05:30लोकपाल बिल बनने से कुछ हो या न हो लेकिन लोगों को क...लोकपाल बिल बनने से कुछ हो या न हो लेकिन लोगों को कुछ पा लेने का अहसास तो हो ही जाएगा।<br />हम तो शुरू से ही कह रहे हैं कि सच्चे रब से डरो, जैसी उसकी ढील है वैसी ही सख्त उसकी पकड़ है। <br />अभी इंटेलेक्चुअल बने घूम रहे हैं लेकिन अगर भूकंप, बाढ़ और युद्धों ने घेर लिया तो कोई भी फ़िलॉस्फ़र बचा न पाएगा।<br />ईमानदारी के लिए ईमान चाहिए और वह रब को माने बिना और रब की माने बिना मिलने वाला नहीं है।<br />लोग उससे हटकर ही अपने मसले हल कर लेना चाहते हैं, <br />यही सारी समस्या है।<br />ख़ैर ,<br />आज सोमवार है और <a href="http://hbfint.blogspot.com/2011/08/5-happy-janmashtami-happy-ramazan.html" rel="nofollow">ब्लॉगर्स मीट वीकली 5 </a>में आ जाइये और वहां शेर भी हैं।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.com