tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post7141704000987758831..comments2024-03-18T11:14:46.125+05:30Comments on ZEAL: क्या आप भी चोर हैं ?ZEALhttp://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comBlogger89125tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-46234934587163856182011-05-14T18:57:54.606+05:302011-05-14T18:57:54.606+05:30nice sharing
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ये काम ...@कभी बस या रेल में मुफ्त में यात्रा की है?<br />ये काम तो स्कूल टाईम में काफी किया है....जरूरत हुई तो अब भी कर सकते हैं...बाकी के काम कभी नहीं किये...<br /><br /><br /><br /><br />@ लेकिन क्या आपने कभी ऐसा किया है की किसी की पोस्ट पढ़ी लेकिन चुप-चाप अपने विचार रखे बगैर चले गए हों ?<br /><br /><br />ऐसा सिर्फ सिर्फ दो तीन ब्लोग्स के साथ किया है अभी तक....एक में अश्लीलता के सिवा कुछ था नहीं...एक दो ब्लॉग में पूरा का पूरा इंग्लिश और गणित की भाषा में formule jaisaa kuchh था....एकाध ऐसा भी था कि कमेन्ट देने का सही प्रावधान हम नहीं समझ सके...जैसे सिने मंथन...उस पर कमेन्ट कैसे देते हैं हमें आज तक नहीं पता...हाँ पढ़ते जरूर हैं..अभी पढ़ा था गुलज़ार के बारे में..बहुत अच्छा लगा...पर चाह कर भी कमेंट्स नहीं दे सके...बेहद लम्बी पोस्ट पढने से बचते हैं..लम्बे धारावाहिकों जैसी पोस्ट से भी तौबा करते हैं....इस तरह कि पोस्ट्स पर कभी थोड़ा बहुत पढ़ लिया हो और कमेन्ट ना किया हो तो और बात है.... <br /> एक बात और....अक्सर ब्लोगर कहते हैं कि उन्हें गुटबाजी से नफरत है...वो किसी लोबी में नहीं हैं...<br />हम को गुटबाजी से कोई नफरत नहीं है....पर हमारे कमेन्ट से शायद इसका कभी कोई वास्ता नहीं रहा है..<br /><br />यही कारण है कि हम किसी को भी बिंदास कमेन्ट दे डालते हैं...वो भी एक बार नहीं...कई कई बार...ये खूब अच्छी तरह जानते हुए भी कि इनका कमेन्ट कभी भी हमारे ब्लॉग पर नहीं आयेगा...manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-82657885220477778542010-09-03T17:47:07.198+05:302010-09-03T17:47:07.198+05:30.
@ Arth--
I have intentionally not put that funn....<br />@ Arth--<br /><br />I have intentionally not put that funny thing on my blog to monitor, who are coming and leaving. I have sympathy with thieves...lolZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-79667575445476074472010-09-03T06:51:12.883+05:302010-09-03T06:51:12.883+05:30Dearest ZEAL:
From childhood, we have grown up li...Dearest ZEAL:<br /><br />From childhood, we have grown up listening "jo pakdaa gayaa wo chor"<br /><br />With that statement the society refutes all being labelled as thieves in a general statement.<br /><br />On many a websites there is a mechanism to keep visitor count. Hope you can implement it here. And make your blog possible to read only if logged in from some id.<br /><br />Thus, you can then match off the logged ids versus comments and label only those as thieves and spare the rest.<br /><br /><br />Arth kaa<br />Natmastak charansparshethereal_infiniahttps://www.blogger.com/profile/04329983874928045371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-64830662856651053582010-09-02T18:14:00.501+05:302010-09-02T18:14:00.501+05:30टिप्पणी से टिप्पणीकर्ता के ब्लॉग पर पहुंचने की ...टिप्पणी से टिप्पणीकर्ता के ब्लॉग पर पहुंचने की राह आसान हो जाती है. अपने विचार के अनुरूप और रुचिकर ब्लॉग का चयन करने में मेरे लिए अक्सर अन्यों के ब्लॉग पर आई टिप्पणियां सहायक होती हैं. akaltara.blogspot.com पर पोस्ट 'रंगरेजी देस' का उल्लेख करना चाहूंगा, जिस पर कुछ उपस्थिति की, कुछ प्रोत्साहन की तो कुछ ऐसी भी टिप्पणियां हैं (मुझे स्वीकारने में कोई झिझक नहीं), जिनके सामने पोस्ट फीका और उनके बिना अधूरा सा ही लगने लगता है. आदतन पीठ थपथपा देने वालों और दुआ-सलाम करते रहने वालों के साथ ऐसी एकाध-दो भी टिप्पणी पोस्ट पर आ जाए तो ब्लॉगिंग सार्थक है. एक बार पहले भी आ चुका हूं, इसे तो टिप्पणी पर, टिप्पणी के लिए, की गई टिप्पणी मानिएगा.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-45328175479254966772010-08-31T19:59:50.489+05:302010-08-31T19:59:50.489+05:30Harek post par comment nahin dena chori nahin hai....Harek post par comment nahin dena chori nahin hai. Lekin post padhne par aapko pasand aaye ya aapki bhavnayen udvelit hon to comments avashy dene chahiye.Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-59608305046639892142010-08-31T14:40:19.305+05:302010-08-31T14:40:19.305+05:30आपके हिसाब से मैं भी बड़ा चोर ही हूं। :)
बचपन में म...आपके हिसाब से मैं भी बड़ा चोर ही हूं। :)<br />बचपन में मूंगफलियां और नमक की ढेलियां तो बहुत चुराई है लेकिन आज भी ब्लॉग पोस्ट की चोरी करता हूँ। रोजाना कई ब्लॉगर्स की पोस्ट पढ़ता हूं पर टिप्पणी नहीं देता। <br />कारण यह है कि कई बार समय नहीं होता, तो कई बार उपयुक्त शब्द भी नहीं मिलते। खाली; वाह वाही या बढ़िया पोस्ट , लिखती रहें टाईप की टिप्पणी देने में मैं विश्वास नहीं करता।सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-89144909632500646752010-08-31T09:00:12.046+05:302010-08-31T09:00:12.046+05:30bakwaa post aur comments pe mahaa bakwaas counter ...bakwaa post aur comments pe mahaa bakwaas counter comment. aur haa yahaa comment karke honest nahee ho gayaa hoo.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13199219119636372821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-55271633925693042172010-08-30T18:32:22.485+05:302010-08-30T18:32:22.485+05:30क्या आप भी चोर हैं?---दिव्याक्या आप भी चोर हैं?---दिव्याबसंतीhttps://www.blogger.com/profile/05563723975660079541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-59653150317096059432010-08-30T07:58:10.280+05:302010-08-30T07:58:10.280+05:30हा हा हा
ये बढ़िया लोचा है :-)
लेकिन ये वही है ये...हा हा हा<br /><br />ये बढ़िया लोचा है :-)<br />लेकिन ये वही है ये किसने सोचा है!<br />अभी आयेंगे वो, कि हमने अपना सिर नोचा है।<br />आखिर गैंडे को किसी-न-किसी ने कोंचा हैAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-90565069899984962522010-08-30T07:36:13.305+05:302010-08-30T07:36:13.305+05:30.
-आदरणीय पाठकों को दिल से आभार ।
-जो इमानदार थे ....<br />-आदरणीय पाठकों को दिल से आभार ।<br />-जो इमानदार थे वो सभी तो टिपण्णी कर गए।<br /><br />-असली 'चोर' तो आया ही नहीं, जिसकी शान में यह पोस्ट लिखी गयी थी। लेकिन पढ़ कर गया है और अपने मौसेरे भाई की पोस्ट पर मेरी निंदा कर रहा है । बेचारा पप्पू अपनी आदत से मजबूर है, कभी नहीं सुधरेगा।<br /><br />पप्पू की शान में मेरी अगली पोस्ट का इंतज़ार कीजिये, जिसका शीर्षक होगा --<br /><br />" पप्पू [कमीना ] फेल हो गया "<br /><br />पप्पू से आप सभी की मुलाकात शीघ्र ही होगी , तब तक अनुमान लगाईये की पप्पू कौन है ।<br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-47911194335022049652010-08-30T02:10:01.132+05:302010-08-30T02:10:01.132+05:30This comment has been removed by the author.डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-8347659038831838762010-08-30T00:02:12.328+05:302010-08-30T00:02:12.328+05:30जब रचना और ज्योत्सना ने यहाँ अपनी निगाहें डाल ली त...जब रचना और ज्योत्सना ने यहाँ अपनी निगाहें डाल ली तो मैंने कोई गुनाह तो नहीं करना http://www.youtube.com/watch?v=5v-kedT6sNkज्ञानhttps://www.blogger.com/profile/03778728535704063933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-76473838307400379842010-08-29T23:44:48.162+05:302010-08-29T23:44:48.162+05:30हम तो जी शुरू से ही विंडोशॉपिंग करने वाले रहे हैं,...हम तो जी शुरू से ही विंडोशॉपिंग करने वाले रहे हैं, हमें किस श्रेणी में रखेंगी आप? देखते बहुत कुछ हैं, खरीदते बहुत कम हैं। बहुत सारे ब्लॉग्स देखते हैं, सब जगह कमेंट नहीं करते। किसी दुकान से सामान उठाकर बिना पेमेंट किये निकल लेना और पोस्ट पढ़कर उसपर कमेंट न करना एक बात नहीं है।<br />यह मानता हूँ कि आप यह अपने लिये नहीं कर रहीं क्योंकि कमेंट्स की कमी आपकी पोस्ट को नहीं होती है, लेकिन फ़िर भी हम इस बाध्यता वाले विचार से सहमत नहीं हैं। बल्कि बहुत सी जगह तो यह देखने को मिलता है कि पोस्ट के बारे में कोई विचार नहीं और सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी पोस्ट का लिंक छोड़ दिया जाता है, क्या उसे आपके हिसाब से कमेंट की श्रेणी में माना जायेगा या चोरी की?<br />कभी कभी अपने ब्लॉग पर आपकी टिप्पणी मिलती थी और अच्छा भी लगता था। इस पोस्ट से कन्फ़्यूज़ हो गया हूँ(मैं कन्फ़्यूज़ बहुत ज्यादा और जल्दी जल्दी होता हूँ) कि आपकी वो टिप्पणी/टिप्पणियाँ कहीं इस चोरी न करने वाले नैतिकताबोध का नतीजा तो नहीं थी। तो दिव्याजी, आपके विचार जैसे भी रहे हों, अगर कभी हमारी तरफ़ आना हो तो बेफ़िक्र होकर आईयेगा, वहाँ ऐसी कोई बंदिश या पैमाना नहीं है। टिप्पणी करने का मन हो तो करिये, न मन हो तो बिंदास लौटने का।<br />वैसे कम से कम आज तो चोर नहीं समझेंगी आप? :))संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-32577749862706986642010-08-29T22:26:01.888+05:302010-08-29T22:26:01.888+05:30उन्मुक्त जी ,
सुन्दर लिंक दिया आपने, ज्ञानवर्धन ह...उन्मुक्त जी ,<br /><br />सुन्दर लिंक दिया आपने, ज्ञानवर्धन हुआ।<br /><br />आभार। <br /><br />राहुल जी,<br />मजेदार वाकया !<br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-85190125394739733532010-08-29T22:19:50.107+05:302010-08-29T22:19:50.107+05:30ब्लॉग कमेंट का यह प्रस्तावित नीतिशास्त्र विचारो...ब्लॉग कमेंट का यह प्रस्तावित नीतिशास्त्र विचारोत्तेजक तो है, लेकिन कॉलेज के दिनों में हमारे बहुतेरे कवि साथी, चाय पिलाकर भी कविता सुनाने को तैयार रहते थे. वैसे कई बार हमें उनकी कविता न सुनने के लिए भी चाय पिलानी पड़ी.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-36572199797323380502010-08-29T22:17:49.301+05:302010-08-29T22:17:49.301+05:30.
प्रतुल जी,
आपकी अमूल्य टिपण्णी के लिए आभार। मै....<br />प्रतुल जी,<br /><br />आपकी अमूल्य टिपण्णी के लिए आभार। मैं हमेशा सोचती की जिस प्रतुल जी ने मेरे एक कमेन्ट का इतना खूबसूरत translation करके मुझपर एक पोस्ट ही लिख डाली, वोह कभी मेरे ब्लॉग पर क्यूँ नहीं आते? बहुतेरे ब्लोग्स पर आपकी टिपण्णी देखकर खुद की कमतरी का एहसास बढ़ जाता था। लेकिन "देर आयद, दुरुस्त आयद। " आखिर आप आये तो। <br /><br />आपकी टिपण्णी से बहुत संबल मिला।<br /><br />आपका आभार।<br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-78208072785900774602010-08-29T22:14:05.052+05:302010-08-29T22:14:05.052+05:30.
सतीश जी,
अपने ही ब्लॉग पर जब खुद को कई बार अकेल....<br />सतीश जी,<br /><br />अपने ही ब्लॉग पर जब खुद को कई बार अकेला पाया तो सोचती थी, तमाशबीन कितने ज्यादा हैं, कोई नहीं जो सच का साथ दे।<br /><br />लेकिन आज आपने ये सिद्ध कर दिया की मैं अकेली नहीं हूँ, मेरे भी सही मायने में शुभ-चिन्तक हैं ।<br /><br />आपके मार्ग-दर्शन की सदैव आभारी रहूंगी। <br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-73034266570639306052010-08-29T19:45:36.257+05:302010-08-29T19:45:36.257+05:30डॉ दिव्या ,
चूंकि कम समय में ही आपने अपना स्थान बन...डॉ दिव्या ,<br />चूंकि कम समय में ही आपने अपना स्थान बना लिया है, अतः मेरा अनुरोध है इस श्रंखला को जारी रखो , ब्लाग जगत में कुछ ऐसा योगदान करें जिससे कहीं न कहीं आत्मसंतुष्टि का अनुभव महसूस हो !<br />हर एक में स्वच्छ समझ और निडरता नहीं होती , चूंकि यहाँ लिखने वाले अधिकतर कायर हैं जो अक्सर यहाँ अपना नाम कमाने के लिए कार्यरत घटिया लोगों से डरे रहते हैं और उनका विरोध अथवा जनमत नहीं तैयार कर पाते ! <br />आशा है सतत कार्यरत रहोगी और एक नया मार्गदर्शन दे पाओगी ! शुभकामनायें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-19257619522502812972010-08-29T18:18:52.661+05:302010-08-29T18:18:52.661+05:30उन्मुक्त जी जो कहते है. कुछ हद तक ठीक है.
समीर जी...उन्मुक्त जी जो कहते है. कुछ हद तक ठीक है. <br />समीर जी और अन्य ब्लोगर भी उन लेखों पर प्रतिक्रिया देने से बचते हैं जो उनकी दुकानदारी को नुकसान पहुँचाने की संभावना रखते हैं. वे अजातशत्रु रहकर ही जीना चाहते हैं. इसलिये विवाद से दूर रहते हैं. सो टिप्पणी केवल उन ब्लोगों पर करते हैं जिनमें दो-चार प्रशंसा वाले शब्दों से काम चल जाए. विचारों में उलझना उन्हें अखरता है या फिर किसी को तरजीह देना उन्हें गवारा नहीं.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-30129817178376214652010-08-29T18:16:28.184+05:302010-08-29T18:16:28.184+05:30दिव्या जी,
आप कमाल का लिखती हैं, आपके सवाल विमर्श...दिव्या जी, <br />आप कमाल का लिखती हैं, आपके सवाल विमर्श को प्रेरित करते हैं. आपका "प्रतिक्रिया-अनिवार्य विधान" पसंद आया. मैंने अपनी कमियों को ढूँढा. धन्यवाद. <br />आपसे एक गुजारिश : <br />आपमें सौहार्द बनाने की क्षमता है. कटु लिखने वालों और अपशब्द लिखने वालों को भी क्षमा का भाव आपसे अपेक्षित है. <br />यदि आपका कोई पाठक कडवी बात भी कह देता है तो भी उसे रूठने का मौक़ा न दें. मुझे आपका कोई पाठक टूटता लगता है तो कष्ट होता है. <br />— यदि मेरा लिखा किसी को बकवास लगता है और मैं निरर्थक बातों को उकसाने में अहम् भूमिका निभाता हूँ तो मेरा दोष उतना ही जितना उकसने वाली भीड़ का. <br /><br />मुझे प्रायः लगता है कि कुछ ऐसे विषय हैं, कुछ ऐसे तरीके हैं. जिन पर हमेशा अच्छी प्रतिक्रिया मिलती है. <br />वे हैं : <br />— प्रेम-सम्बन्धी लेख, यौन-विषयक लेख, अत्यंत व्यक्तिगत अनुभव, साम्प्रदायिक-सौहार्द वाले लेख, जिज्ञासापरक लेख, तमाम प्रश्नों वाले लेख ...... जिनमें सभी विचारक, साधक, जिज्ञासु और तरह-तरह के अनुभवी इस विचार-ए-जंग में कूद पड़ते हैं. फिर होती है गरमागरम बहसबाजी. कुछ लोग इसमें अपना मनोरंजन ढूँढते हैं. यह बौद्धिक व्यायाम शारीरिक व्यायाम की तरह ही तो है. यदि यह निरर्थक है तो वह शारीरिक व्यायाम भी निरर्थक है जिसमें एक कुंग-फू मास्टर हवा में हाथ-पाँव चलाकर अपनी ऊर्जा नष्ट करता है. इस कसरत से केवल मांसपेशियाँ ही तो फूलती हैं. कुछ लोगों के लिये यह सब निरर्थक हो सकता है. लेकिन सभी का अपना-अपना नज़रिया है. <br /><br />आपकी मौजूदगी ब्लॉग जगत के लिये गर्व की बात है. जिस तरह समीर लाल जी का होना हमें निरंतर प्रेरित करता है. वैसे ही आप भी उसी स्तर पर जा पहुँची हैं.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-24582635769615309882010-08-29T14:44:39.001+05:302010-08-29T14:44:39.001+05:30माफी चाहूंगा कि आपके विचार से सहमत नहीं हूं। यह जर...माफी चाहूंगा कि आपके विचार से सहमत नहीं हूं। यह जरूरी नहीं कि पढ़ा जाय तो टिप्पणी भी की जाय। टिप्पणी न करने के बहुत से कारण हो सकते हैं। <br /><br />यदि यह शर्त हो तो पढ़ना भी कम हो जायेगा। जरूरी नहीं की इतना समय हो। <br /><br />कभी विचार इतने स्पष्ट और बेहतर तरीके से लिखे होते हैं और उस पर पहले से ही इतनी वाह टिप्पणी होती है कि पुनः वाह लिखना ठीक नहीं लगता।<br /><br />कभी कुछ विवादास्पद विचार होते हैं उस पर कुछ लिखना विवाद बढ़ाता ही है। इसलिये लगता है शायद चुप रहने से विवाद शायद जल्दी समाप्त हो जाय।<br /><br />कुछ कारण मैंने <a href="http://unmukt-hindi.blogspot.com/2009/02/mangalore-pub-indian-culture.html" rel="nofollow">यहां</a> भी लिखे हैं।<br /><br />हां यह सच है कि यदि आप टिप्पणी कम करते हैं तो आपको इस बात के लिये तैयार रहना होगा कि आपके चिट्ठे पर कम टिप्पणियां आयेंगी :-)<br /><br />लेकिन यह भी सच है कि अक्सर टिप्पणियों के कारण ऐसे भी <a href="http://unmukt-hindi.blogspot.com/2009/04/pahlapanna-nitin-vyas-hindi-blogger.html" rel="nofollow">रिश्ते</a> बन जाते हैं जो अपने में प्यारे होते हैं।उन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-70093051019674874932010-08-29T14:10:56.391+05:302010-08-29T14:10:56.391+05:30Okay. this is my last comment.
goodbye frustrated ...Okay. this is my last comment.<br />goodbye frustrated loser.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-49804949664364118662010-08-29T13:15:26.120+05:302010-08-29T13:15:26.120+05:30i feel you have mellowed down rather then changed ...i feel you have mellowed down rather then changed in the process of getting accepted but if you are happy with what you are doing then none including me have a right to say anything <br />i withdraw my commentरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-22412846470076777082010-08-29T12:56:06.446+05:302010-08-29T12:56:06.446+05:30गोदियाल साहब,
धन्यवाद।गोदियाल साहब,<br />धन्यवाद।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.com