tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post7679133563794335531..comments2024-03-18T11:14:46.125+05:30Comments on ZEAL: आप ब्लॉगर हैं , लेखनी का इतना अपमान मत कीजिये.ZEALhttp://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-3343457854393539372012-05-10T06:46:27.953+05:302012-05-10T06:46:27.953+05:30सोचना भी कठिन है कि कोई विद्वान किसी महिला की अस्व...सोचना भी कठिन है कि कोई विद्वान किसी महिला की अस्वस्थता का मज़ाक उड़ा सकता है. हाँ कुछ लोगों को लफ़्फ़ाज़ी से इतना आनंद आता है कि वे इंसानियत से गिर जाते हैं. <br />आपसे सहमत हूँ.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-58133580095979654522012-05-09T19:10:42.885+05:302012-05-09T19:10:42.885+05:30जायज और सार्थक चिंता और चिंतनजायज और सार्थक चिंता और चिंतनM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-10911271766034933582012-05-09T15:24:38.523+05:302012-05-09T15:24:38.523+05:30niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-54825815087166825562012-05-09T14:20:47.050+05:302012-05-09T14:20:47.050+05:30Thanks for sharing the link . Vandana has said all...Thanks for sharing the link . Vandana has said all that I wanted say . <br /><br />You keep writingरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-23129868305512751462012-05-09T14:13:47.551+05:302012-05-09T14:13:47.551+05:30सटीक प्रश्न दागे हैं आपने .लगता है ये तमाम लोग तुल...सटीक प्रश्न दागे हैं आपने .लगता है ये तमाम लोग तुलसी दास के अनुयाई हैं जिन्होनें पता नहीं किस झोंक में लिख मारा -<br /><br />शूद्र गंवार ढोल पशु नारी ,सकल ताड़ना के अधिकारी .<br /><br />इन्हें कोई ये भी पढवाए -<br />ढोल गंवार और घोडा ,इन्हें जितना मारो थोड़ा .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-17984440075753076762012-05-09T14:01:07.226+05:302012-05-09T14:01:07.226+05:30भाषा में संयम होना जरूरी है ...
पर मेरा मानना ये ...भाषा में संयम होना जरूरी है ... <br />पर मेरा मानना ये भी है की ऐसे लोगों की परवाह नहीं करनी चाहिए ... अपना काम करते जाना चाहिए ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-1600134821913069222012-05-09T12:34:35.022+05:302012-05-09T12:34:35.022+05:30गिरी हुई मानसिकता के शिकार ऐसे लोगों ने ब्लोगिंग क...गिरी हुई मानसिकता के शिकार ऐसे लोगों ने ब्लोगिंग को मनोहर कहानियां बना दिया है। तेल-मसाले का तडका लगाकर परोसने वाला यह ब्लॉगर अपनी नीचता का ही परिचय दे रहा है। इसमें यदि दम होता तो नाम के साथ लिखता। लोमड़ी, कुत्ता जैसे शब्दों का उपयोग ही यह बता रहा है की यह ब्लॉगर कितना भयभीत है जो सीधे-सीधे अपनी बात भी नहीं कह सकता।<br />देखा मैंने भी वहाँ। किस प्रकार लोग वहाँ चटखारे ले लेकर रसास्वादन कर रहे थे। पूछिए उनसे कि इतना क्या खौफ? जिस दिन उस ब्लॉगर द्वारा इन लोगों के घरों की स्त्रियों का अपमान किया जाएगा, उस दिन भी क्या वे ऐसे हे चटखारे लेंगे? <br />पंचतन्त्र की कहानियां बच्चों को सन्देश देती हैं, ज्ञान देती हैं, प्रेरणा देती हैं। किन्तु इस निकृष्ट कहानी से केवल नीचता ही झलती है। ऐसे लोग भला क्या भला करेंगे देश का? क्या नाम रोशन करेंगे शहीदों व नायकों का?दिवसhttps://www.blogger.com/profile/07981168953019617780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-13060471344596449312012-05-09T11:38:14.094+05:302012-05-09T11:38:14.094+05:30सच कह दिव्या जी आप ने शब्दो की अपनी गरिमा होती है....सच कह दिव्या जी आप ने शब्दो की अपनी गरिमा होती है..भाषा का संयमित होना अत्यंत आवश्यक है..सार्थक लेख..<br />सस्नेह..Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-28083682609790111582012-05-09T10:49:31.901+05:302012-05-09T10:49:31.901+05:30दिव्या जी यदि वो ऐसा नही करेंगे तो उनका अहम कैसे स...दिव्या जी यदि वो ऐसा नही करेंगे तो उनका अहम कैसे संतुष्ट होगा? खुद को साहित्यकार आदि घोषित करने वाले इन लोगों की मानसिकता दोगली है जो स्त्री को सम्मान देना जानती हीनही और अपने घर मे भी ये लोग स्त्री को अपमानित करते होंगे तभी यहाँ भी वो ही प्रदर्शन करते हैं क्योंकि जैसी आदतें होती हैं वो कभी नही बदलतीं………जो अच्छा होगा हर जगह अच्छाई ही फ़ैलायेगा और जो बुरा होगा वो बुराई ही फ़ैलायेगा………और अच्छे बुरे लोग हर जगह होते हैं फिर चाहे स्त्रियाँ हों या पुरुष ………आजकल तो कुछ स्त्रियाँ भी सिर्फ़ सबकी चहेती बनने के लिये दूसरी स्त्री की दुश्मन बन जाती हैं तो पुरुष तो हमेशा से ही यही चाहता रहा है और उसका मकसद आसानी से पूरा होता जाता है………कौन पूछता है या समझना चाहता है दूसरे की समस्या जैसा आपने कहा यहाँ तो एक दूसरे के कहने पर भी भर्तसना शुरु कर देते हैं बिना दूसरे के चरित्र को जाने उसके चरित्र पर आक्षेप लगाने लगते हैं ……जब ऐसी मानसिकता होगी तो कैसा साहित्य और कैसे साहित्यकार और कैसा ब्लोग और कैसी ब्लोगिंग ………यहाँ तो ये हाल है कि आँख कान नाक सब बंद करो तो लिखो कुछ नही तो आपको ही अपमानित करने की कोई कसर नही छोडेंगे फिर चाहे खुद वैसा की कुकृत्य क्यों ना करें मगर दूसरे मे कमियाँ जरूर निकालेंगे मगर अपनी कमियाँ यहाँ कोई नही देखना चाहता।ऐसे मे किससे शब्दो की मर्यादा की उम्मीद करें जब इंसान ही अमर्यादित हों।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-24577065728821810312012-05-09T08:05:03.044+05:302012-05-09T08:05:03.044+05:30सहमत !सहमत !सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-60799088411442781872012-05-08T20:24:42.230+05:302012-05-08T20:24:42.230+05:30bhasha sanyamit hone ki jarurat ...bhasha sanyamit hone ki jarurat ...मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-81528780644188415192012-05-08T19:32:50.105+05:302012-05-08T19:32:50.105+05:30नारी की ख़ुशी उसकी तरक्की बर्दाश्त नहीं होती दम्भी...नारी की ख़ुशी उसकी तरक्की बर्दाश्त नहीं होती दम्भी पुरुषों से उनके अहम् को ठेस पहुँचती है इसलिए अपनी भड़ांस इस तरह निकलते हैं जो भर्त्सना करने योग्य हैRajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-86011017469948466302012-05-08T19:00:52.592+05:302012-05-08T19:00:52.592+05:30जी आपने बिल्कुल ठीक कहा । मैं भी देख रहा हूं कि इन...जी आपने बिल्कुल ठीक कहा । मैं भी देख रहा हूं कि इन दिनों जो नई शैली और शब्द चयन हमारे मित्र ब्लॉगर प्रयोग में ला रहे हैं , हैरान हैं कि इत्ती बडी प्रतिभा को अब तक जबरन कैसे रोका जा रहा था । अप डाऊन दोनों तरफ़ की गाडियां इतनी तेज़ रफ़्तार से चल रही हैं कि सवारियां गर्दन राईट से लेफ़्ट और लेफ़्ट से राईट ही कर रही हैं । चलिए अब गली मोहल्ले की बतकुच्चन और लिखने छपने का फ़र्क तो बस मिटा समझिए । आपने मुझे एक पोस्ट की ओर ठेल दिया ...अब शेष बातें अपनी पोस्ट परअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-51519508087404572852012-05-08T18:43:41.592+05:302012-05-08T18:43:41.592+05:30जो लोग इस तरह की भाषा का प्रयोग कर रहे हैं वे न तो...जो लोग इस तरह की भाषा का प्रयोग कर रहे हैं वे न तो ब्लागर कहे जा सकते हैं न साहित्यकार, वे मात्र तमाशबीन हैं। लेकिन उनका यह कृत्य घोर निंदनीय है।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-77112999318671955682012-05-08T18:18:18.326+05:302012-05-08T18:18:18.326+05:30can i get the link plzcan i get the link plzरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-68721961601385472312012-05-08T17:21:51.987+05:302012-05-08T17:21:51.987+05:30भाषा में संयम होना बहुत ही जरूरी है.ओछा लेखन लेखक ...भाषा में संयम होना बहुत ही जरूरी है.ओछा लेखन लेखक के मानसिक स्तर और उसके सोच को दर्शाता है.आपका यह लेख पीड़ा का सही रूप है.आभारdr.mahendraghttps://www.blogger.com/profile/07060472799281847141noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-64387934220818949102012-05-08T16:39:36.489+05:302012-05-08T16:39:36.489+05:30सच कहा आपने ..भाषा का संयमित होना अत्यंत आवश्यक है...सच कहा आपने ..भाषा का संयमित होना अत्यंत आवश्यक है ..अच्छा लिखते हैं आप लिखते रहें <br /><br /><br />गीता पंडितगीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-85860174452972997202012-05-08T13:29:32.327+05:302012-05-08T13:29:32.327+05:30कृपया यहाँ भी पधारें -http://veerubhai1947.blogspo...कृपया यहाँ भी पधारें -http://veerubhai1947.blogspot.in/<br />मंगलवार, 8 मई 2012<br />गोली को मार गोली पियो अनार का रोजाना जूस<br />गोली को मार गोली पियो अनार का रोजाना जूस<br /><br />चिठ्ठागिरी विमर्श का एक मंच है प्रपंच नहीं यहाँ संवाद एक मान्य स्वीकृत शैली में ही अच्छा लगता है .निस्संदेह जीव जगत को इस बौद्धिक चिठ्ठा प्रदूषण की गिरिफ्त में नहीं लेना चाहिए .पशुओं की अपनी गरिमा है .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-56718936210841368042012-05-08T13:27:30.511+05:302012-05-08T13:27:30.511+05:30कृपया यहाँ भी पधारें -http://veerubhai1947.blogspo...कृपया यहाँ भी पधारें -http://veerubhai1947.blogspot.in/<br />मंगलवार, 8 मई 2012<br />गोली को मार गोली पियो अनार का रोजाना जूस<br />गोली को मार गोली पियो अनार का रोजाना जूस<br /><br />चिठ्ठागिरी विमर्श का एक मंच है प्रपंच नहीं यहाँ संवाद एक मान्य स्वीकृत शैली में ही अच्छा लगता है .निस्संदेह जीव जगत को इस बौद्धिक चिठ्ठा प्रदूषण की गिरिफ्त में नहीं लेना चाहिए .पशुओं की अपनी गरिमा है .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-87627001868954982342012-05-08T13:27:19.885+05:302012-05-08T13:27:19.885+05:30हमारे इस महान देश में बहूत सी गलत धारणाएं भी खूब ह...हमारे इस महान देश में बहूत सी गलत धारणाएं भी खूब हें खास तोर से नारियों के बारे में नारियों को यंहा निम्न दर्जे का ही समझा जाता हे पुरुष के अंदर अहंकार कूट कूट कर भरा हुआ हे जब कोई नारी आगे निकलती हे तो उसके इस अहंकार को चोट लगती हे और इन कुरीतियों के जनम दाता हमारे देश के पंडित ही रहे हें क्योंकि जिन्होंने ज्ञान प्राप्त कर लिया हे वो ऐसी सोच नही रखतेamithttps://www.blogger.com/profile/02754966564229525555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-26957635468175734882012-05-08T13:25:55.979+05:302012-05-08T13:25:55.979+05:30चिठ्ठागिरी विमर्श का एक मंच है प्रपंच नहीं यहाँ ...चिठ्ठागिरी विमर्श का एक मंच है प्रपंच नहीं यहाँ संवाद एक मान्य स्वीकृत शैली में ही अच्छा लगता है .निस्संदेह जीव जगत को इस बौद्धिक चिठ्ठा प्रदूषण की गिरिफ्त में नहीं लेना चाहिए .पशुओं की अपनी गरिमा है .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-36030738199090112372012-05-08T13:11:55.224+05:302012-05-08T13:11:55.224+05:30आहत मन से निकले ये शब्द कहीं सीधे पाठकों को भी आहत...आहत मन से निकले ये शब्द कहीं सीधे पाठकों को भी आहत करते हैं. किसी ब्लोगर्स के प्रति यदि कोई इस तरह की अपमानजनक शब्दावली प्रयोग करता है तो उसकी भर्त्सना की ही जानी चाहिए।शूरवीर रावतhttps://www.blogger.com/profile/14313931009988667413noreply@blogger.com