tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post8146014160370799380..comments2024-03-18T11:14:46.125+05:30Comments on ZEAL: शिल्पकारों , जुलाहों और मिस्त्री आदि के गौरव की रक्षा होनी चाहिए - एक पहचानZEALhttp://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comBlogger54125tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-5934138199253898672011-01-26T17:04:59.771+05:302011-01-26T17:04:59.771+05:30िव्या जी सही कहा आपने
आपकी सभी बातो से मै पूर्णत:...िव्या जी सही कहा आपने <br />आपकी सभी बातो से मै पूर्णत: सहमत हूँ ..<br />ज्ञान और कला का कोई दायरा नहीं होता, परन्तु हमारे समाज ने हर किसी को डीग्री के दायरे में बांध रखा है । डीग्री नहीं तो उस इन्सान का जैसे कोई मोल ही नहीं, चाहे वो कितना भी जानकार क्यों ना हो<br />साधुवाददमदन शर्माhttps://www.blogger.com/profile/07083187476096407948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-6476997676381833862011-01-23T02:51:39.780+05:302011-01-23T02:51:39.780+05:30लाख टके की बात है.। शौभना चौरे जी की बात विचारणीय ...लाख टके की बात है.। शौभना चौरे जी की बात विचारणीय है।Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-35526456548373795552011-01-21T22:49:12.240+05:302011-01-21T22:49:12.240+05:30आदरणीया डॉ. साहिबा,
आपका दिल दुखा इसके लिए माफ़ की...आदरणीया डॉ. साहिबा, <br />आपका दिल दुखा इसके लिए माफ़ कीजिएगा। मगर मेरे इस निंदनीय कृत्य ने हिन्दी ब्लॉगजगत में लगातार हो रहे घृणित कार्यों को हाशिए से सफ़े पर ला दिया और लोगों को भीतर तक झकझोर दिया है। बड़े से बड़े ब्लॉगर भी परेशान हुए और देख लीजिएगा के इसके सुपरिणाम ही सामने आएँगे। आप तो सभी को बहुत प्रिय हैं ज़ील जी। आपको नीचा दिखाकर मुझे हासिल ही क्या होगा भला ? एक बार इस पूरे घटनाक्रम पर ठण्डे दिमाग से नज़र डाल कर देख लीजिए। मृणाल जी तक को मैदान में उतरना पड़ा है। आप धैर्य रखिए और बुरा मत मानिए। आप बहुत ज़िम्मेदार ब्लॉगर हैं इसीलिए इस गंदे पैटर्न को ब्लॉगजगत से मिटाने के लिए आपका भी सहयोग आपसे बिना पूछे ले लिया बस यही मेरी गलती थी और कुछ भी नहीं। आप कहें तो टिप्पणियाँ क्या मैं अपने ब्लॉग को ही इतिहास में गुम कर दूँ पर यज्ञ अधूरा रह जाएगा।किलर झपाटाhttps://www.blogger.com/profile/07325715774314153336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-1694042607049133692011-01-21T10:30:08.735+05:302011-01-21T10:30:08.735+05:30सही है, सहमत हूँ ...सही है, सहमत हूँ ...अंजना https://www.blogger.com/profile/07031630222775453169noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-75859611185415419372011-01-21T08:19:59.223+05:302011-01-21T08:19:59.223+05:30.
अरविन्द जी ,
वास्तव में अत्यंत शर्मनाक और पीडा....<br /><br />अरविन्द जी ,<br /><br />वास्तव में अत्यंत शर्मनाक और पीडादायी है ये वाकया जहाँ ताज महल बनाने वाले बेहतरीन कलाकारों को उनकी कला के लिए हाथ कटवाने पड़े।<br /><br />यदि उस समय का शासक इतना निर्मम हो सकता है , तो क्या हुआ, आज का शासक [ सत्ता में बैठे लोग] , इन्ही कलाकालों के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। यदि चाहें तो। इनके हाथ में ताकत है। सकात्मक कार्यों में इन्हें लगना चाहिए। इन्हें भी सत्ता हमेशा नहीं रहना है। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-50758970349698030902011-01-21T08:04:12.426+05:302011-01-21T08:04:12.426+05:30.
आदरणीय भूषण जी ,
समस्या मानद उपाधि मिलने की ही....<br /><br />आदरणीय भूषण जी ,<br /><br />समस्या मानद उपाधि मिलने की ही है। इसी दिशा में प्रयास करना है। बिना सरकार के हस्तक्षेप के इन कलाकारों को समाज में उचित सामान नहीं मिल सकता। न ही इनके जीवन में कोई विकास हो सकता है।<br /><br />आज हम लोग जिन सुख सुविधाओं का उपभोग कर रहे हैं , इन्हें भी अधिकार है इन सब पर।<br /><br />मन में है विश्वास , इस दिशा में सकारात्मक पहल शीघ्र होगी । <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-28224647632607719832011-01-21T07:56:04.794+05:302011-01-21T07:56:04.794+05:30.
आदरणीय शोभना जी ,
आपके सुझाव से सहमत हूँ । नि....<br /><br />आदरणीय शोभना जी ,<br /><br />आपके सुझाव से सहमत हूँ । निश्चय ही इस सन्दर्भ में एक सकारात्मक पहल की जा सकती है । लेकिन सबसे जरूरी है , इन कलाकारों को डिग्री मिलना । इसके लिए सरकार की तरफ से इन डिग्रियों को मान्यता मिलनी चाहिए पहले । मेरा पूरा फोकस इन कलाकारों को डिग्री मिलने पर है ।<br /><br />यदि सरकार की तरफ से ये मान्य हो जाए तो फिर स्कूल , कालेज खोलने में सुविधा होगी। मेरी तरफ़ से जो भी सहयोग हो सकेगा , मैं करने को प्रस्तुत हूँ.<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-17735594709890128842011-01-21T07:46:26.737+05:302011-01-21T07:46:26.737+05:30सत्य है, मैं आपकी विचारों से पूर्ण रूप से सहमत हूँ...सत्य है, मैं आपकी विचारों से पूर्ण रूप से सहमत हूँ, मैंने एक लघु कथा लिखी थी जो की स्थानीय पत्रिका में प्रकाशित हुई थी, इसे कुछ छोटा करके लिखूंगा. <br /><br />समाज में इस वर्ग के प्रति सदैव ही उपेक्षा का भाव रहा है. इतिहास में पढ़ा है की ताज महल प्यार का प्रतीक है, वो ही ताजमहल जिसको बनाने वाले मासूम हाथों को काट दिया गया......खैर.<br /><br />एक बार और न केवल इन्हें समान अधिकार मिले बल्कि आर्थिक रूप में इनके श्रम को मूल्य भी मिले. नरेगा के अस्सी रुपयों में क्या खरीदा जा सकता है मैडम जी. <br /><br />जब देखता हूँ की कोई नयी दुल्हन अपनी बूढी सास के साथ धूप में मजदूरी करती है.....पीड़ा बयान करने को शब्द कम पड़ जाते हैं. <br /><br />श्रम को महत्त्व मिले और पूरा मिले. <br /><br /><br />साधुवादArvind Jangidhttps://www.blogger.com/profile/02090175008133230932noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-16677981241865404252011-01-21T07:44:35.093+05:302011-01-21T07:44:35.093+05:30.
किलर झपाटा जी ,
आपने मेरे विचारों की यहाँ सराह....<br /><br />किलर झपाटा जी ,<br /><br />आपने मेरे विचारों की यहाँ सराहना की , लेकिन अपने ब्लॉग पर मेरे ऊपर पोस्ट लगाकर हर ऐरे-गैरे , बेनामी और सनामी से मुझे अभद्र , गालियाँ और अश्लील टिप्पणियाँ दिलाईं । सम्मानित ब्लोगर्स के नाम से भी फर्जी टिप्पणियां लगायीं । आपका यह कृत्य अत्यंत निंदनीय है , और आशा करती हूँ आप अपनी गलती का प्रायश्चित जरूर करेंगे ।<br /><br />यदि आपका उद्देश्य मुझे नीचा दिखाना है तो आप इस तरह से कभी सफल नहीं हो सकेंगे । मैं ही उपाय बता देती हूँ सफल होने का। <br /><br />सफल होने के लिए खुद को इतना ऊँचा उठाइये की सभी बौने दिखने लगें।<br /><br />आभार। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-56021360504456398352011-01-21T07:36:00.240+05:302011-01-21T07:36:00.240+05:30.
दीपायन जी ,
आपने बहुत सार्थक बात कही है , मैं ....<br /><br />दीपायन जी ,<br /><br />आपने बहुत सार्थक बात कही है , मैं भी पहले बहुत मोल-तोल करती थी , गरीब से दो पैसा बचाकर बहुत कमाल समझती थी। वहीँ पर malls और Kutons , Lee , Monto Carlo , Fedo-Dedo , Woodland आदि ब्रांडेड वस्तुओं पर हज़ारों खर्च करके भी दुःख नहीं होता था।<br /><br />धीरे धीरे समझ में आने लगा हम गरीबों पर कितना अन्याय करते हैं। उनकी मेहनत से बनी वस्तुओं का इस्तेमाल शान से करते हैं , लेकिन उनको उसका उचित मूल्य नहीं देते। <br /><br />खैर , देर आयद दुरुस्त आयद -- इन बातों को समझने के बाद मैंने सबसे पहले तो branded वस्तुएं ही खरीदनी छोड़ दीं। और मोल भाव करने की गन्दी आदत भी ।<br /><br />मेरा अपने पाठकों से यही निवेदन है की भविष्य में गरीब से कुछ खरीदें तो मोल तोल ना करें । और यदि किसी कलाकार से कुछ खरीदें तो उसकी कला का उचित सम्मान करते हुए उसे मुंह माँगा दाम दें। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-37406802992736446772011-01-21T06:14:34.575+05:302011-01-21T06:14:34.575+05:30ऊपर कई टिप्पणियों में कारीगरों के शोषण की बात उठी ...ऊपर कई टिप्पणियों में कारीगरों के शोषण की बात उठी है. हस्तनिर्मित वस्तुएँ विदेशों में काफी मँहगी बिकती हैं. अधिकतर पैसा बिचौलियों के पास जाता है. यदि कोई कारीगर वाजिब दाम माँग लेता है तो शहरों में बैठे उनका उत्पाद बेचनेवाले दुकानदार उनकी पेमेंट रोक लेते हैं और उनका उत्पादन चक्र तोड़ देते हैं. पैसे की कमी के कारण ये कारीगर बेहतर तकनीक का लाभ नहीं उठा पाते हैं. शहरों में रह रहे ऐसे कारीगर संगठित हो गए हैं. वे लाभ बढ़ाने की स्थिति में आ गए हैं. गाँव में उनकी हालत उनके सामाजिक स्तर से बाँध दी जाती है. मैं समझता हूँ कि ज्यों-ज्यों शहरीकरण बढ़ेगा इनकी हालत बेहतर होगी. इन्हें डिग्री देने का कुछ लाभ हो सकता है अक्ल इसे मानती है. पर यह होगा कैसे? मानद डिग्रियाँ दी जा सकती हैं परंतु कितनी?Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-58541238247050837092011-01-21T02:20:35.552+05:302011-01-21T02:20:35.552+05:30दिव्या जी सही कहा अपने इनके अधिकारों की तो रक्षा ह...दिव्या जी सही कहा अपने इनके अधिकारों की तो रक्षा होने चाहिए लेकिन इनका पहले देश में तो मान सम्मान हो उसके बाद विदेशों में तो हर एक इंसान के हर उस गुण का सम्मान होता जो उस मनुष्य विशेष बनाता है..................Pahal a milestonehttps://www.blogger.com/profile/05203529305290024269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-46989246738961339312011-01-20T23:13:51.731+05:302011-01-20T23:13:51.731+05:30आपकी बातों से पूर्णतः सहमत .आपकी बातों से पूर्णतः सहमत .ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-10292636548805388352011-01-20T23:02:41.053+05:302011-01-20T23:02:41.053+05:30दिव्याजी(zeal )
आपकी सभी बातो से मै पूर्णत :सहमत ह...दिव्याजी(zeal )<br />आपकी सभी बातो से मै पूर्णत :सहमत हूँ |क्यों न हम सभी ब्लोगर मिलकर कोई प्रयास करे इस दिशा में ?जो भी लो ग (जो लोग ब्लाग भी लिखते हो ) ऐसे संस्थानों से ( जहाँ इस तरह की विधाए सिखाई जाती हो )जुड़े हो ? या वहां पदस्थ हो ?उनसे मिलकर एक शुरुआत तो की ही जा सकती है एक सार्थक पहल की |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-76233023650089471272011-01-20T22:36:09.949+05:302011-01-20T22:36:09.949+05:30बहुत ही सार्थक आलेख लिखा डॉ. साहिबा आपने। सच में आ...बहुत ही सार्थक आलेख लिखा डॉ. साहिबा आपने। सच में आपका विचार बहुत ऊँचा है।किलर झपाटाhttps://www.blogger.com/profile/07325715774314153336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-30330395254221264122011-01-20T19:31:55.386+05:302011-01-20T19:31:55.386+05:30Excellent post! I 100% agree with you.Excellent post! I 100% agree with you.Anjana Dayal de Prewitt (Gudia)https://www.blogger.com/profile/13896147864138128006noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-9245664261937201152011-01-20T19:25:39.101+05:302011-01-20T19:25:39.101+05:30सहमत हूँ। एक और बढ़िया लेख के लिए आभार।सहमत हूँ। एक और बढ़िया लेख के लिए आभार।वीरेंद्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17461991763603646384noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-34654075234214678392011-01-20T13:40:53.020+05:302011-01-20T13:40:53.020+05:30har kala ko samman milna chahiye .
bahut hi sartha...har kala ko samman milna chahiye .<br />bahut hi sarthak vicharon ka lekh ..सुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-51460689674523325312011-01-20T13:32:48.512+05:302011-01-20T13:32:48.512+05:30बहुत सही बात । ज्ञान और कला का कोई दायरा नहीं होता...बहुत सही बात । ज्ञान और कला का कोई दायरा नहीं होता, परन्तु हमारे समाज ने हर किसी को डीग्री के दायरे में बांध रखा है । डीग्री नहीं तो उस इन्सान का जैसे कोई मोल ही नहीं, चाहे वो कितना भी जानकार क्यों ना हो । शहर के व्यापारी, ग्रामीण कलाकारियो को ग्रामीण कलाकारो से कम दामो मे खरीदकर, शहर के अमीर लोगो को ज़्यादा मुनाफ़े मे बेचते है । सम्मान तो दूर, उन कलाकारो को तो उनकी मेहनत का उचित मोल भी नहीं मिलता । जो हमारी ग्रामीण परमपरा है, उसे जिवित रखने के लिये, सरकार के साथ साथ आम जनता को भी आगे आना चाहिये । हम मे से कितने लोग मेले मे जाकर इन कलाकारो और शिल्पकारो से मोल-भाव करके, उनके कला को कम से कम दामो मे खरीदते है परन्तु उसी चीज को जब हम एक भव्य "mall" से खरीदते है तो उसका कई गुना दाम देने से नहीं हिचकते । हमारे सोच को बदलना होगा, तभी इन कलाकारो को उनका उचित मुल्य और सम्मान मिलेगा । <br />आपके विचार उचित और सराहनीय है । आभार ।dipayanhttps://www.blogger.com/profile/07385176375960362837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-32342069579729124852011-01-20T12:55:00.562+05:302011-01-20T12:55:00.562+05:30सराहनीय और विचारणीय बात कही है ...शिल्पकारों का आज...सराहनीय और विचारणीय बात कही है ...शिल्पकारों का आज भी बहुत शोषण होता हैसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-56685280720423019242011-01-20T12:22:03.184+05:302011-01-20T12:22:03.184+05:30प्रत्येक नागरिक को अधिकार है गौरव के साथ जीने का। ...प्रत्येक नागरिक को अधिकार है गौरव के साथ जीने का। <br />bas yahin baat shuru hoti hai aur yahin khatm ho jati hai.sablog isse sahmat hain lekin baat aage badhti hi nahin.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-39900109563515487852011-01-20T12:02:25.427+05:302011-01-20T12:02:25.427+05:30आपके विचार सराहनीय हैं, विश्वनाथ जी कि टिप्पणी से ...आपके विचार सराहनीय हैं, विश्वनाथ जी कि टिप्पणी से सहमत हूँ. जिस तरीके से कला/सामाजिक सरोकार के क्षेत्र में योगदान देने वालों को मानद उपाधियाँ प्रदान की जाती हैं, उसी प्रकार शिल्पियों, जुलाहों आदि को भी कला विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में मानद उपाधियाँ प्रदान की जाएँ.Manoj Khttps://www.blogger.com/profile/06707542140412834778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-5323928406538547092011-01-20T11:25:49.106+05:302011-01-20T11:25:49.106+05:30सही मुद्दा उठाया है आपने,आपसे सहमत।
एक विचारणीय पो...सही मुद्दा उठाया है आपने,आपसे सहमत।<br />एक विचारणीय पोस्ट .Sunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-13063599695755835582011-01-20T10:36:09.456+05:302011-01-20T10:36:09.456+05:30आपका सुझाव एकदम मौलिक और सही है। अब तक किसी का ध्य...आपका सुझाव एकदम मौलिक और सही है। अब तक किसी का ध्यान इस ओर नहीं गया था।<br /><br />शिल्पकारों के लिए अलग से विश्वविद्यालय होने चाहिए, जिसमें परम्परागत रूप से विविध शिल्प कलाऔ में दक्ष कलाकार को बिना औपचारिक पढ़ाई किए मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री प्रदान की जानी चाहिए।<br /><br />इस प्रकार की कलाओं को सीखने के लिए केवल कौशलात्मक ज्ञान की आवश्यकता होती है जो पीढ़ दर पीढ़ी हस्तांतरित होती रहती है, सैद्धांतिक या पुस्तकीय ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती। इसलिए आपके द्वारा सुझाए गए शिल्प विश्वविद्यालय में ऐसे अध्यापक हों जो अपने हुनर में दक्ष हों, उनके पास किसी डिग्री का होना आवश्यक नहीं। इनमें सीखने वालों को बिना पाठ्य पुस्तक के संबंधित शिल्पकला का केवल प्रायोगिक अभ्यास कराया जाए।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-14699934222525298112011-01-20T08:07:34.269+05:302011-01-20T08:07:34.269+05:30.
शोभना जी ,
ख़ुशी होती है ये जानकार की ग्रामीण ....<br /><br />शोभना जी ,<br /><br />ख़ुशी होती है ये जानकार की ग्रामीण इलाके में अब भी ये चलन है और परम्पराएं अभी जीवित हैं । बहुत सी महिलाएं एवं पुरुष अपने अथक श्रम से के साथ लगे हुए हैं इस कला से अमीरों के घर की सज्जा का सामान बनाने में।<br /><br />लेकिन मुझे अफ़सोस इस बात का है, की इन्हें समाज में वो सम्मान नहीं मिलता जो डिग्रीधारी लोगों के पास है।<br />इन्हें भी हक है Graduate और Doctorate की उपाधि पाने का। इन्हें भी है हक है Gold medalist कहलाने का।<br /><br />ये गरीब लोग सारी जिंदगी अपनी कलाओं से हमारी सेवा करते रहेंगे , तो भी इनको क्या मिलेगा बदले में ? मात्र चंद रूपए ?<br /><br />नहीं !! इन्हें , इनकी कला का उचित सम्मान मिलना ही चाहिए। कालीन बनाने वालों के पास भी इतना बड़ा घर होना चाहिए की अपनी बनायी कालीन अपने घर में बिछा सकें। जिस पर उनके अपने भी चल सकें, बैठ सकें।<br /><br /> विद्यालय होना चाहिए इन गरीब , हुनरमंद , कलाकारों के लिए। डिग्री और प्रशस्तिपत्र होने चाहियें इनके पास भी , जो इनको स्वाभिमान के साथ उस व्यवसाय से जुड़े रहने के लिए ऊर्जा दें।<br /><br />जब किसी कला या व्यवसाय के साथ सम्मान और डिग्री जुड़ जाती है , तो नयी पीढ़ी के लोग पश्चिम की और भागना छोड़ , अपनी कला से जुड़ने की बात सोचेंगे।<br /><br />सरकार को घोटालेबाजी बंद कर , अपनी प्रजा की खुशियों के बारे में सोचना ही होगा। नहीं तो सिंघासन पर बैठने का कोई औचित्य नहीं है। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.com