tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post862521218958486220..comments2024-03-18T11:14:46.125+05:30Comments on ZEAL: क्या हमारी शिक्षा पद्धति में सुधार की दरकार है ? - Indian Education SystemZEALhttp://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comBlogger92125tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-90172012511403940772015-03-09T19:44:55.473+05:302015-03-09T19:44:55.473+05:30super power super power what is super power duniya...super power super power what is super power duniya hamse darey ye chahte ho kya darr se duniya nahi chalti aur darana kyu chahte ho sab log barabarr hai lekin kuch ginti ke logo ne yeh barabarri bahut bada di haiAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-87589255254242571922012-01-07T01:55:34.603+05:302012-01-07T01:55:34.603+05:30aapane shiksha par wyapak wichar kiya hai.aapak...aapane shiksha par wyapak wichar kiya hai.aapako badhai nanhi dadi aditi se parichit karwane ka.Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-29417152326141661002012-01-07T01:55:31.239+05:302012-01-07T01:55:31.239+05:30aapane shiksha par wyapak wichar kiya hai.aapak...aapane shiksha par wyapak wichar kiya hai.aapako badhai nanhi dadi aditi se parichit karwane ka.Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-5245979374164495932011-11-10T12:05:16.647+05:302011-11-10T12:05:16.647+05:30maikole,maikole,maikole, akhir kyon maikole ka naa...maikole,maikole,maikole, akhir kyon maikole ka naam baar baar aa raha hai,kya maikole ki shikcha paddhati se pehele hamre pass shikcha padhati nahi thi kya? thi na par ab kyon nahi, isliye nahi kyon ki hamare pratham pradhanmantri ji angrejo ko shabhya aur apna adarsh maante the unhe lagta tha ki purin duniya me inse badkar koi bhi nahi hai,<br />zab hame agngrejo ne azadi di to hamne kyon apni prachin shikcha pradali lagu kiya? zabki hamari pradali puri duniya me sarvocha thi, 1830 me 97% sikhcha ka ister tha hamara, maikole ne ish ister ko girane ke liye hi ye ran niti banai,kyon hamare rastra me abhi tak kam se kam 33% mulyankan safal hone ke liye nirdharit hai ? baki kisi bhi aur rastra yaa khud unke mulk me nahi, maaf kijiyega kahene ko to bhot hai par kya hoga lekin kucha to zaroor hoga aisi hai.bhartiya shikchahttps://www.blogger.com/profile/12657761702979062951noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-8121543213600648792010-12-27T10:04:44.841+05:302010-12-27T10:04:44.841+05:30nice post!nice post!Sharonhttps://www.blogger.com/profile/14076881919882988962noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-35536474179069791142010-12-15T16:19:59.775+05:302010-12-15T16:19:59.775+05:30ver well written. nice.ver well written. nice.RioZeehttps://www.blogger.com/profile/00246956315902471176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-33760637815385845872010-12-14T18:33:30.137+05:302010-12-14T18:33:30.137+05:30very nice post...very nice post...Vivek Ranjan Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/06945725435403559585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-20896226431889030062010-12-12T11:09:16.372+05:302010-12-12T11:09:16.372+05:30प्रतुल जी,
प्रतिभा पलायन पर आपके विचार सुलझे हुए ...प्रतुल जी,<br /><br />प्रतिभा पलायन पर आपके विचार सुलझे हुए और स्पष्ठ है। एक गर्भित दृष्टिकोण प्रस्तूत करता है………मैं सहमत हूँ आपके विचारो से………इसे आप विस्तार से एक पोस्ट के माध्यम से प्रकाशित करें।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-61199036751598918572010-12-12T10:12:45.011+05:302010-12-12T10:12:45.011+05:30.
Hi Ganesh ,
It's nice to see you back. Do....<br /><br />Hi Ganesh , <br /><br />It's nice to see you back. Do not deprive us from your valuable comments. Glad to hear about that young man.<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-73003476289902645432010-12-12T10:10:36.772+05:302010-12-12T10:10:36.772+05:30.
प्रतुल जी ,
चलिए हम भी आपके साथ इंतज़ार करते ह....<br /><br />प्रतुल जी ,<br /><br />चलिए हम भी आपके साथ इंतज़ार करते हैं उन, अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर का।<br /><br />-----------------<br /><br />अमरजीत जी ,<br /><br />बहुत दिनों बाद आये आप , कहाँ थे ? जब से आपने ब्लॉग लिखना शुरू किया है , आपने अपने अनमोल विचारों से वंचित ही कर दिया है। यदि सब लोग एक एक दूसरे की पोस्ट पर - " Nice " और " बढ़िया लेख " लिख कर खिसक लेंगे तो कौन पढेगा उनकी पोस्ट ?<br /><br />खैर चिंता न कीजिये, हम आयेंगे आपकी पोस्ट पर , आपने कमेन्ट करके निमंत्रण जो दिया है। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-19401544238218083762010-12-12T09:16:46.166+05:302010-12-12T09:16:46.166+05:30अच्छी पोस्ट
इस बार मेरे ब्लॉग में SMS की दुनिया ...अच्छी पोस्ट <br />इस बार मेरे ब्लॉग में SMS की दुनिया ............amar jeethttps://www.blogger.com/profile/09137277479820450744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-20807182177348133892010-12-12T09:04:51.590+05:302010-12-12T09:04:51.590+05:30.
दिव्या जी, आपकी प्रति-टिप्पणियों ने मेरे कई अनस....<br /><br />दिव्या जी, आपकी प्रति-टिप्पणियों ने मेरे कई अनसुलझे सवालों को सुलझा दिया. <br />आपने जो प्रश्न अपनी पोस्ट में रखे उनके आपने ही उत्तर दे दिए. पढ़कर अच्छा लगा. <br />जहाँ केवल प्रश्न रखे गये हों, हल न हों, कारणों पर प्रकाश न डाला गया हो - वहाँ कुछ अधूरापन-सा लगता है. <br />आपकी पोस्ट अब जाकर पूरी हुई. फिर भी कुछ सवाल अभी लाजवाब रह गये. उनका जवाब समय देगा - ऎसी आशा है. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-55815330719461177362010-12-12T08:57:46.602+05:302010-12-12T08:57:46.602+05:30Dear Zeal,
Once again, after a long time.
You are ...Dear Zeal,<br />Once again, after a long time.<br />You are churning out articles after articles that are interesting to read and evoking a spontaneous reply. So, these kind of interactive discussions, tend to keep boredom away.<br /><br />I know a young man who studied Engg, just for the sake of a professional degree, but his interest lay solely in Music. He studied / educated himself practically from the internet, with sheer will and now plays the Guitar as a profession & career. I am really proud of this young man.Ganeshhttps://www.blogger.com/profile/13909532682629507074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-39470614712882190822010-12-12T08:08:55.351+05:302010-12-12T08:08:55.351+05:30.
आज हमारे देश में " आयुर्वेद जैसी चिकित्स....<br /><br />आज हमारे देश में " आयुर्वेद जैसी चिकित्सा पद्धाती का खजाना भरा हुआ है। लेकिन सरकार क्या कर रही है इस दिशा में ? आयुर्वेदिक अस्पतालों एवं इन पर शोध को विस्तार देने के बजाये ये पद्धति भी अब स्वामियों और बाबाओं के हाथों में है।<br /><br />क्या सरकार के पास वक्त है अपने विद्यार्थियों के बारे में सोचने का ? क्या सरकार के पास वक़्त है इतनी गहराई से सोचने का ? उसे तो बस अपनी सात्ता की पड़ी है। सस्ती लोकप्रियता में पड़े दोगले नेता खुद को प्रकाश में लाने के लिए बनारस में हुआ बम-काण्ड को भी भगवा आतंक का नाम दे रहे हैं।<br /><br />ऐसे घटिया सोच रखने वाले कभी शिक्षा के विषय में सोच भी सकेंगे ? <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-63436305510346661282010-12-12T08:00:26.197+05:302010-12-12T08:00:26.197+05:30.
पिछले वर्ष बड़ी बहन ने , Banglore science ins....<br /><br />पिछले वर्ष बड़ी बहन ने , Banglore science institute में apply किया project sanction होने के लिए " Nanotechnology" पर। project ५० लाख का था । अधिकारियों को अपने भारतीय शोध कर्ताओं पर यकीन नहीं है। उन्हें लगता है , इतना पैसा डूब जाएगा , इसलिए project sanction नहीं हुआ। उन्होंने आदेश किया कम बजट का आसान शोध विषय चुनिए। वैसा ही किया गया, और १० लाख का बजट पास हो गया। लेकिन एक उपयोगी एवं गहेन विषय पर शोध जरूर डूब गया। और शोधकर्ता के सपनों ने भी अपने सपनों का आयाम छोटा कर लिया क्यूंकि भारतवर्ष में रहकर बड़े सपने देखना और उसको साकार करना भी एक गुनाह की तरह है।<br /><br />Banglore में बैठे चयनकर्ताओं ने बहन की शोध देखी, डिग्री देखी, लगन देखी , और अमेरिकेन तथा जर्मन जर्नल्स में प्रकाशिक शोध पत्रों का उल्लेख देखा तो दांतों तले ऊँगली दबा ली । लेकिन आगे बढ़ने के लिए जो शोध होना चाहिए जिसमें देश की तरक्की हो तथा हमारा देश भी विज्ञान में उन्नत शीर्षों को छुए , उसके लिए उन्होंने कुछ नहीं किया।<br /><br />ऊँची कुर्सी पर बैठकर मेधावी विद्यार्थोयों का गला घोंटते हैं ये। हमारा देश गरीब है। इसके पास पैसे सिर्फ घोटालों के लिए हैं। सकारात्मक कार्यों के लिए नहीं।<br /><br />इतने मेधावी विद्यार्थी विरले ही होते हैं , जिनमें शोध के लिए लगन होती है। यदि ऐसे लोगों को सरकार प्रोत्साहित नहीं करेगी तो विदेश में पलायन ही एकमात्र उपाय दीखता है । और फिर जन्म लेती हैं कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स जैसे लोग।<br /><br />या फिर सपनों का गला घोंटते हुए मेरी बहन जैसे शोधार्थी जो मात्र प्रेफेसर बनकर संतोष कर लेते हैं और अपने विद्यार्थियों को एक अच्छी शिक्षा देना ही जीवन का ध्येय समझ चल पड़ते हैं।<br /><br />क्यूँ भ्रष्ट सिस्टम से लड़ने का सामर्थ्य सबका नहीं होता। पढाई-लिखाई में रूचि रखने वाले लोग अक्सर शान्तिपसंद भी होते हैं। वे कम में ही संतोष करके चुप हो जाते हैं, और निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य निभाते रहते हैं।<br /><br />लेकिन यदि उच्च पदासीन अधिकारी एवं सरकार ऐसे विरले प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के बारे में सोचे तो देश बहुत ऊँचाइयों तक जाएगा तथा सुपर पावर बनने से कोई नहीं रोक सकेगा।<br /><br />लेकिन अफ़सोस ऐसा नहीं हो सकेगा शायद हमारे देश में जब तक अधिकारीगण अपनी भारतीय- केकरें [ Indian crab ], वाली मानसिकता से बाज नहीं आयेंगे , जो किसी को आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहता। <br /><br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-61425985956776979042010-12-12T07:36:07.328+05:302010-12-12T07:36:07.328+05:30.
आपने जिक्र किया अपने भतीजे का जो विदेश जाकर अपन....<br /><br />आपने जिक्र किया अपने भतीजे का जो विदेश जाकर अपने सपने पूरे करना चाहता है। मैं आपको बताती हूँ अपनी बड़ी बहेन के बारे में जो विश्व विद्यालय में भौतिकी [physics] में प्रोफ़ेसर हैं। जिनके अधीन अब तक २० छात्र -छात्राएं शोध कर चुके हैं। और कुछ शोध-रत हैं।<br /><br />दीदी ने स्वयं " Free electron laser " में शोध किया है , जिसके लिए theoretical सुविधा पूरे भारत में सिर्फ इंदौर एवं लखनऊ में है । प्रक्टिकल सुविधाओं के लिए लिए करोड़ों के यंत्र चाहिए जो भारत के पास नहीं है । इसलिए भारत के मेधावी विद्यार्थियों द्वारा किये गए शोध को अमेरिका , जर्मनी , जापान जैसे विकसित देश ले लेते हैं तथा उसके theoretical पार्ट पर प्रक्टिकल शोध करके शोहरत अपने हिस्से में कर लेते हैं। लेकिन दोष इसमें बड़े मंच का तो नहीं क्यूंकि उसने अपने विद्यार्थियों को बेहतर तकनिकी सुविधा दी , जिसका फल उन्हें मिला।<br /><br />लेकिन सबसे ज्यादा नुक्सान में वो लोग रहते हैं , जो अपने सपनों को अपने देश में रहकर पूरा करना चाहते हैं। यदि मेरी बहिन भी ये निर्णय लेती की विदेश चला जाए , तो उनके सपने तो निसंदेह पूरे हो जाते और नाम और शोहरत भी मिलती । लेकिन हजारों विद्यार्थी वंचित रह जाते , एक अच्छे शिक्षक से ज्ञान और शिक्षा पाने से। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-58713426389294825142010-12-12T07:21:00.695+05:302010-12-12T07:21:00.695+05:30.
प्रतुल जी ,
आपने लोभ संवरण करके अपने विचार रखे....<br /><br />प्रतुल जी ,<br /><br />आपने लोभ संवरण करके अपने विचार रखे उसके लिए आभार। लेकिन आपने कोई सुझाव नहीं दिया छोटे मंच को वृहत रूप प्रदान करने में। क्या ये आवश्यक नहीं की छोटे मंच की कमियों को जाना को जाना जाए और उसे दूर किया जाए ? क्या बड़े मंच को दोष देना ही सर्वोत्तम उपाय है ? बात यहाँ विदेशों में चर्चित भारतीयों की नहीं है। मुद्दा तो ये है की हमारा देश इतना प्रतिभा संपन्न होते हुए भी क्यूँ नहीं प्रतिभाओं को निखार पा रहा है ? क्यूँ प्रतिभाएं पलायन कर रही हैं ?<br /><br />आपने अपने भतीजे की बात की है । उससे पूछियेगा की क्यूँ उसे लगता है की उसके सपने विदेश में ही सार्थक होंगे। कोशिश करिए ये जानने की क्या समस्याएं और व्यवधान आ रहे हैं ? और सरकार कितनी प्रयासरत है उन्हें दूर करने के लिए।<br /><br />तेजी से आगे बढ़ते विद्यार्थी को सुविधायें कहीं तो उपलब्ध नहीं होतीं, कहीं जानबूझ कर उन्हें दी नहीं जाती । क्योंकि भारतीय मानसिकता ये भी है की..." इसकी कमीज मेरी कमीज से उजली कैसे " । कहीं ज्यादा सुविधायें मुहैय्या कराके वो पीछे न छूट जाएँ। देश के आगे बढ़ने से सरोकार किसको है ? <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-26169939341354437162010-12-12T00:04:46.053+05:302010-12-12T00:04:46.053+05:30.
अब भी सोचता हूँ कि कुछ और कहूँ लेकिन टिप्पणियों....<br /><br />अब भी सोचता हूँ कि कुछ और कहूँ लेकिन टिप्पणियों की मर्यादा होनी चाहिए अन्यथा टिप्पणियाँ पढी नहीं जायेंगी. <br />इस विषय पर जनवरी मास में शायद कुछ नये ढंग से कह पाऊँ. शायद कुछ पहले ... अभी कहना संभव नहीं...... <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-31465030252585303892010-12-12T00:00:37.188+05:302010-12-12T00:00:37.188+05:30.
इस तरह से प्रतिभा का हनन भी हो रहा है और हमारे ....<br /><br />इस तरह से प्रतिभा का हनन भी हो रहा है और हमारे देश की प्रतिभाओं का विदेश में पलायनभी हो रहा है ? क्या इसको रोका जा सकता है ? यदि हाँ तो कैसे ? <br />@ आज से ही आप कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स, अमर्त्य सेन आदि-आदि के नाम और विदेशी पुरस्कारों के महिमा-गान को छोड़ दें तो कुछ असर ज़रूर होगा. मेरा भतीजा जब तक मेरे संपर्क में रहा केवल भारत की ही बात करता था लेकिन जब से जयपुर इंजीनिरिंग कोलिज में कुछ विदेशी और कुछ विदेशीयत का यशो-गान करने वालों से उसका वास्ता पड़ा .. अब केवल अमेरिका जाने की धुन है. भारत में उसे स्ट्रगल दिखता है. बाहर उसे सुनहरे ख्वाब सच होते दिखायी देते हैं. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-24593365307035966162010-12-11T23:50:45.604+05:302010-12-11T23:50:45.604+05:30.
विश्व के कुल अनपढ़ों में से ३४% केवल भारत में ह....<br /><br />विश्व के कुल अनपढ़ों में से ३४% केवल भारत में हैं। इस क्षेत्र में भारत अव्वल है। क्या इन्हींआंकड़ों के साथ हम सुपर पावर बनने के ख्वाब सजा रहे हैं ? आज सर्व शिक्षा अभियान तोचला रही है सरकार, लेकिन सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर काफी निम्न है। विद्यार्थी को जोमिलना चाहिए, वो नहीं मिल रहा। आखिर क्या वजह है इस गिरते हुए स्तर की, और क्याहल है इसका?<br /><br />@ अनपढ़ों के अधिक प्रतिशत को देखकर मैं विचलित नहीं होता. क्योंकि अनपढ़ होने से व्यक्ति केवल अपनी हानि को सहता है, भोगता है, जबकि पढ़ा-लिखा व्यक्ति दूसरे की हानि को ही अपने शिक्षित होने की सार्थकता समझता है. अनपढ़ के पास योजनायें नहीं हैं किसी को छलने की, कपट को पहचानने की उतनी अक्ल नहीं अनुमान भी नहीं. अनपढ़ अपने व्यापार को फैला नहीं सकता केवल उतना ही बढाता है जिससे उसका भरण-पोषण हो सके. साहित्य में कई अनपढ़ संतो के कहे वचनों पर शोध हुआ करता है. ऐसे कई क्षेत्र हैं जहाँ अनपढ़ होना मायने नहीं रखता. कई लोग भावों को पढ़ने में माहिर होते हैं. उसे भी साक्षर माना जाना चाहिए. केवल अक्षर को पहचाने वाले ही साक्षर नहीं अक्षरों को सुनकर सही अर्थ ग्रहण करने वाले भी समझदार साक्षर हैं. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-65842349226564556592010-12-11T23:28:57.220+05:302010-12-11T23:28:57.220+05:30.
मतलब यह कि
जहाँ अवसर मिलते हैं. जहाँ रूकावटे न....<br /><br />मतलब यह कि <br />जहाँ अवसर मिलते हैं. जहाँ रूकावटे नहीं होती ......... वहाँ पहुँच वाले और साधन वाले स्वतः पहुँच ही जाते हैं. ..... फिर वे ही अपनी व्यक्तिगत उपलब्धियों को देश के गौरव से जोड़कर भारत-रत्न जैसे अन्य सम्मानों पर हाथ साफ़ करने की मुहीम चलाते हैं. मैं पूछना चाहता हूँ कि अमर्त्य सेन की उपलब्धि से कौन-सी राष्ट्रीय समस्या का हल हुआ है? शांति पुरस्कारों को पाने वाले क्या कभी अपने मन की असीम इच्छाओं को, महत्वाकांक्षाओं को शांत कर पाए हैं? उनके प्रयासों से कौन-कौन सी लड़ाइयाँ होने से रुकी हैं. युद्ध थम गये हैं? ....... कभी-कभी लगता है कि यह सब खोखला है...... इन बढ़ते आकड़ों का उपयोग केवल KBC और कुछ प्रतियोगिताओं के प्रश्नपत्रों में जगह बना पाता है ......... क्या मतलब हैं ऎसी प्रतिभाओं का जिनकी उपलब्धियों का ज़मीनी असर देखने में नहीं आता. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-1081810934345851582010-12-11T23:24:34.587+05:302010-12-11T23:24:34.587+05:30dr. divya ji apke lekhon deshhit ki sari baten ham...dr. divya ji apke lekhon deshhit ki sari baten hamesha parne ke liye milti he is bar bhi apne jo vishya chuna bahut hi prasangik or desh hit ka he. lekin is subject ko sudharne ke liye to hum logon ko hi sochna hoga na kiyon ki hamre smaj ke dekedaar to apne pet ke potle barte jayegen yah smsya tab taak thik nahi hone wali jab tak ham log in niyam banane walon ki nak me nakel nahi laga dete. or yah bhi sambhav he yadi hamari jansankhya par anksh lagta he wese mera ye manna he ki in sbhi ka yhi ek hal he........Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/03639618090213922857noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-12407507192570878892010-12-11T23:08:10.381+05:302010-12-11T23:08:10.381+05:30.
क्या वजह है , भारतीय वैज्ञानिक विदेशों में जाकर....<br /><br />क्या वजह है , भारतीय वैज्ञानिक विदेशों में जाकर की कुछ बड़ा कर पाने में सक्षम होते हैं? चाहे वो पर्यावरण की दिशा में, नोबेल शान्ति पुरस्कार विजेता ' राजेन्द्र पचौरी जी' हों अथवा, स्पेस में जाने वाली 'सुनीता विलियम्स ' हों। हम तो प्रसन्न हो लेते हैं कि भारतीय हैं , लेकिन क्या उनकी सफलताओं में भारत का योगदान है ? <br />@ मंच-मंच की बात है. छोटे बेनर वाली और बड़े बेनर वाली, कम बजट और असीमित बजट की फिल्मों को अलग-अलग तवज्जो मिलती रही है. मैं अपनी इन समस्त बातों को अपने ब्लॉग पर लिखूँ तो कम मूल्यांकन होगा, कम हो-हल्ला मचेगा. और इस जिजीविषा वाले ब्लॉग पर कहूँ तो उसे पाठक मिलेंगे ही - मुझे ऐसा लगता है और इस कारण अपना घर [ब्लॉग] छोड़ कर पूरी ऊर्जा आपके ब्लॉग पर लगाता हूँ. <br />चाहे मनोभाव के पर्यावरण की दिशा हो अथवा शिक्षा के भाँति-भाँति के प्रेरक व्यक्तित्व. ........ यहाँ आकर मेरी प्रसन्नता भी तो मायने रखती है ना ! अमर्त्य सेन, सुनीता और पचौरी जैसे उन्हीं भारतीयों की तरह जो विदेश में रहकर केवल अपने कैरियर की सीडियाँ चढ़ते हैं और हम समझते हैं कि वे भारत के नाम को रोशन करने का इंतजाम कर रहे हैं. <br />...... मैंने एक समीप के उदाहरण के माध्यम से अपनी बात कही, कृपया इसके गंभीर अर्थ न लगा लीजिएगा. यह ब्लॉग विचारों की उत्प्रेरणा के लिये मंच देता है इसी कारण मुझे जैसों को पहचान मिल जाती है. <br />क्या मेरी इस पहचान बनाने में 'काव्य थेरपी' का कोई योगदान है? <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-57174536523165617492010-12-11T22:20:25.837+05:302010-12-11T22:20:25.837+05:30.
क्या २०२० में सुपरपावर कहलाने के आसार हैं?
@ य....<br /><br />क्या २०२० में सुपरपावर कहलाने के आसार हैं? <br />@ यदि कर्णधारों का भ्रष्ट आचरण इसी क्षण समाप्त हो जाये, यदि सफाई कर्मचारी से लेकर प्रधान कर्मचारी [प्रधानमंत्री] देश हित को सर्वोपरि मानकर आज़ से ही काम शुरू कर दें. तो दूसरे क्षण से ही सुपर पावर बन जायेंगे. उसके लिये 2020 के मिथ्या भ्रम में नहीं जीना चाहिए. मुझे नहीं लगता ऐसे कोई आसार हैं? <br /><br />क्या शोध नहीं हो रही या फिर शोधपत्रों में भी घोटाले हो रहे हैं और ईमान के साथ शोध कार्य भी बेच दिए जा रहे हैं? <br />@ आपके इस संदेह में सत्य छिपा हो सकता है. ....... आपकी ही तरह मुझे भी संदेह है. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-14574823639195005692010-12-11T22:12:13.406+05:302010-12-11T22:12:13.406+05:30.
क्यूँ नहीं अपने देश में रहकर ही कुछ नया और बेहत....<br /><br />क्यूँ नहीं अपने देश में रहकर ही कुछ नया और बेहतरीन करने के लिए सक्षम हैं? <br />@ मुझे अपनायी गयी शिक्षा प्रणाली दोषी लगती है. <br /><br />क्या हम पंगु हैं? <br />@ नहीं पंगु तो नहीं हैं लेकिन पग्गू जरूर हैं. पग्गू मतलब पग पर पग धरकर चलने वाला नकलची. नया और बेहतरीन इसी कारण नहीं हो पा रहा है. <br /><br />या फिर यहाँ मिलने वाली सुविधायें उच्च स्तरीय नहीं हैं? या फिर देश के पास पैसा कम है? या फिर हमारा देश विकासशील की श्रेणी में ही रहना चाहता है? <br />@ जो लोग नया कर रहे हैं उन्हें सही आंकने वाली आँखें नहीं हैं. उन्हें कुछ समय बाद जीविका के लिये संघर्ष करने में सब कुछ विस्मृत करना पड़ जाता है. <br /> 'पैसा' ... कम देश और देश के कर्णधारों के पास भरपूर है लेकिन कमी तो शोधार्थियों के पास है. <br />विकाशील होना सबसे अच्छी स्थिति होता है. विकसित होने में ठहराव आता है. और ठहराव में गंदगी पनपने के अंदेशे अधिक होते हैं. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.com