tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post2100195109354764668..comments2024-03-18T11:14:46.125+05:30Comments on ZEAL: ठुमक चलत रामचंद्र , बाजत पैजनिया --रामकोट-अयोध्या -- और मेरा बचपन !ZEALhttp://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comBlogger91125tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-71207230762727553682014-09-14T23:19:37.494+05:302014-09-14T23:19:37.494+05:30In addition to using the vacuum, you can use attac...In addition to using the vacuum, you can use attachments that are included with the <br />carpet steam cleaning products. If there are stubborn stain spots, they <br />then deal with these places with specialized stain removers.<br />But when your carpet needs a thorough cleaning from the roots it is always advisable to call the professional <br />carpet cleaning to do excellent job leaving your carpet stain free,<br />dust free, allergen free and odor free.<br /><br />My blog post - <a href="https://www.youtube.com/watch?v=R0cPIlB4Vfg" rel="nofollow">Chem Dry Saratoga Ca</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-22697566259462804642011-08-29T19:59:09.419+05:302011-08-29T19:59:09.419+05:30आदरणीय क्रांत वर्मा जी , इस बेशकीमती ग़ज़ल को हम सभ...आदरणीय क्रांत वर्मा जी , इस बेशकीमती ग़ज़ल को हम सभी के साथ साझा करने के लिए आभार।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-19985905715481876622011-08-29T16:18:14.351+05:302011-08-29T16:18:14.351+05:30प्रिय दिव्या! ६ दिसम्बर १९९२ को मैंने एक उर्दू में...प्रिय दिव्या! ६ दिसम्बर १९९२ को मैंने एक उर्दू में नज़्म लिखी थी जो उन दिनों बहुत लोकप्रिय हुई थी उसे भेज रहा हूँ:<br />"ईंट से ईंट बजा दी ये सुना था मैंने, आज वो काम अयोध्या में हुआ दिखता है.<br />ये समन्दर है जो अपनी पे उतर आये तो, सारी दुनिया को ये औकात बता सकता है.<br />आज खतरा नहीं हमको है मुसलमानों से, घर में जयचन्द की औलादें बहुत ज्यादा हैं.<br />मेरा कहना है कि इन सबसे निबट लो पहले, कौम को अपनी मिटने पे ये आमादा हैं.<br />हम तो लोहू की सियाही से ये सब लिखते हैं, ताकि सोया ये लहू जागे कसम खाने को.<br />हम किसी जन्म में थे 'चन्द' कभी थे 'बिस्मिल'. देखें कौन आता है ये फ़र्ज़ बजा लाने को?"<br />शब्द-संकेत:*चन्द=चंदवरदाई "बिस्मिल'=पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल <br />डॉ.'क्रान्त'एम.एल.वर्माKRANT M.L.Vermahttps://www.blogger.com/profile/16522523292171432524noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-35901546218779747792011-08-29T15:14:36.662+05:302011-08-29T15:14:36.662+05:30६ दिसम्बर १९९२ को मैंने एक उर्दू में नज़्म लिखी थी ...६ दिसम्बर १९९२ को मैंने एक उर्दू में नज़्म लिखी थी जो उन दिनों बहुत लोकप्रिय हुई थी उसे भेज रहा हूँ:<br />"ईंट से ईंट बजा दी ये सुना था मैंने, आज वो कम अयोध्या में हुआ दीखता है.<br />ये समन्दर है जो अपनी पे उतर आये तो,सारी दुनिया को ये औकात बता सकता है.<br />आज खतरा नहीं हमको है मुसलमानों से, घर में जयचन्द की औलादें बहुत ज्यादा हैं.<br />मेरा कहना है कि इन सबसे निबट लो पहले,कौम को अपनी मिटने पे ये आमादा हैं.<br />हम तो लोहू कि सियाही से ये सब लिखते हैं, ताकि सोया ये लहू जागे कसम खाने को.<br />हम किसी जन्म में थे 'चन्द' कभी थे 'बिस्मिल'. देखें कौन आता है ये फ़र्ज़ बजा लाने को?"<br />डॉ.'क्रान्त'एम.एल.वर्माKRANT M.L.Vermahttps://www.blogger.com/profile/16522523292171432524noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-63028969819056375412011-06-21T00:04:17.340+05:302011-06-21T00:04:17.340+05:30आपके इस लेख को फिर से पढा.आपने अपने इस लेख में और ...आपके इस लेख को फिर से पढा.आपने अपने इस लेख में और अपनी टिप्पणियों में जो तारीखों के साथ महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत की तथा बहुत मेहनत से अपनी बातों को रखा वह काबिल तारीफ़ है.आपकी दुआ से मेरी यात्रा आनंदपूर्ण रही.आपके इन लेखों से बहुत कुछ सीखने को मिला.आप अपने कुछ विचार राम मंदिर के बारे में<br />मेरे लेख 'रामजन्म- आध्यात्मिक चिंतन-४' पर अलग से प्रस्तुत करेंगीं तो और प्रसन्नता मिलेगी.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-65236074847902502302011-05-27T12:13:19.208+05:302011-05-27T12:13:19.208+05:30राकेश जी , ख़ुशी हुयी ये जानकर की आपको पसंद आई यह...राकेश जी , ख़ुशी हुयी ये जानकर की आपको पसंद आई यह पोस्ट। आपकी यात्रा शुभ एवं मंगलमय हो।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-6216311494839494802011-05-27T08:56:15.196+05:302011-05-27T08:56:15.196+05:30दिव्या जी,
बहुत विस्तृत जानकारी है इस पोस्ट में और...दिव्या जी,<br />बहुत विस्तृत जानकारी है इस पोस्ट में और इसपर की गई टिप्पणिओं में.आपने वास्तव में बहुत मेहनत की है पोस्ट और अपनी टिप्पणियों <br />के माध्यम से विषय पर प्रकाश डालने की.मुझे बहुत खुशी मिली आपका नजरिया जानकर.फुर्सत से फिर पढूंगा इस पोस्ट को और सभी टिप्पणियों को.अभी १०-१५ दिन के लिए बाहर जा रहा हूँ.<br />आपका बहुत बहुत आभार इस पोस्ट का लिंक देने के लिए.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-61580552505423789852010-10-11T07:32:06.389+05:302010-10-11T07:32:06.389+05:30.
The ASI has reported in the last chapter of its....<br /><br />The ASI has reported in the last chapter of its report :<br /><br /> <br /><br />“Excavation at the disputed site of Rama Janmabhumi – Babri Masjid was carried out by the Archaeological survey of India from 12 March 2003 to 7 August 2003. During this period, as per the directions of the Hon’ble High Court, Lucknow, 82 trenches were excavated to verify the anomalies mentioned in the report of the Ground Penetrating Radar Survey which was conducted at the site prior to taking up the excavations. A total number of 82 trenches along with some of their baulks were checked for anomalies and anomaly alignments. The anomalies were confirmed in the trenches in the form of pillar bases, structures, floors and foundation though no such remains were noticed in some of them at the stipulated depths and spots. Besides the 82 trenches a few more making a total of 90 finally were also excavated keeping in view the objective fixed by the Hon’ble High Court to confirm the structure.”<br /><br /> <br /><br />Summing up its report, the ASI concludes :<br /><br /> <br /><br />“Now viewing in totality and taking into account the archaeological evidence of a massive structure just below the disputed structure and evidence of continuity in structural phases from the tenth century onwards up to the construction of the disputed structure along with the yield of stone and decorated bricks as well as mutilated sculpture of divine coupe and carved architectural members including foliage patterns, amalaka, kapolapali doorjamb with semi-circular pilaster, broken octagonal shaft of black schist pillar, lotus motif, circular shrine having pranala (waterchute) in the north, fifty pillar bases association of the huge structure, are indicative of remains which are distinctive features found associated with the temples of north India.”<br /><br /> <br />..ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-37360108802191445732010-10-05T13:56:46.693+05:302010-10-05T13:56:46.693+05:30.
Ankit ji,
१९४९ तक इसका नाम मस्जिदे-जन्मस्थान....<br /><br />Ankit ji, <br /><br />१९४९ तक इसका नाम मस्जिदे-जन्मस्थान ही था।, जो अपने आप में प्रमाण है की मस्जिद जन्मस्थान पर बनी थी । ....बाकी जितनी जानकारी संभव थी , वो मैं दे चुकी हूँ इस पोस्ट पर। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-58155770384357378242010-10-05T13:50:06.916+05:302010-10-05T13:50:06.916+05:30आपके द्वारा दी गई जानकारी के लिए धन्यवाद |
क्या आप...आपके द्वारा दी गई जानकारी के लिए धन्यवाद |<br />क्या आप मुझे यह बता सकते हैं की "मस्जिद-ए-जन्मस्थान" का बाबरी मस्जिद में परिवर्तन कब और कैसे हुआअंकित कुमार पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/02401207097587117827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-79617732614101721752010-10-05T13:15:41.745+05:302010-10-05T13:15:41.745+05:30ZEAL जी ,
नेरे चिट्ठे पर आने के लिए धन्यवाद और मै...ZEAL जी ,<br />नेरे चिट्ठे पर आने के लिए धन्यवाद और मैं इस लेख को पहले ही पढ़ चूका था और इसी लेख की राष्मीराठी की पंक्तियों ने मुझे प्रेरणा दी थी अपने संकलन में इसको रखने की |<br />यदि आप अपने अमोल्या समय में से कुछ समय मेरे दुसरे चिट्ठे को पढने के लिए दे सकें तो मैं आपका आभारी रहूँगा |<br />http://nationalizm.blogspot.com/अंकित कुमार पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/02401207097587117827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-37285029627173656572010-10-02T16:32:11.474+05:302010-10-02T16:32:11.474+05:30ab bataiye .....sadhbhavna ki apeel karne valon
m...ab bataiye .....sadhbhavna ki apeel karne valon<br /><br />muslimn ne to nirnay manne se hi inkar kar diya <br />ab bhi hai kuchh kahen ke liye?अंकित कुमार पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/02401207097587117827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-57905720718293843752010-10-01T07:19:59.065+05:302010-10-01T07:19:59.065+05:30माथे पे चमके जो बिंदिया,
जैसे नीले गगन में बिजुरिय...माथे पे चमके जो बिंदिया,<br />जैसे नीले गगन में बिजुरिया।<br />अंबे माँ की दुवरिया।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-50247556197523069552010-10-01T07:15:42.861+05:302010-10-01T07:15:42.861+05:30.
आज टीवी पर ये भजन सुन रही थी..मन भक्तिपूर्ण माह....<br /><br />आज टीवी पर ये भजन सुन रही थी..मन भक्तिपूर्ण माहौल में रच बस गया... कुछ पंक्तियाँ नीचे हैं....<br /><br />अमृत की बरसे बदरिया,<br />अंबे माँ की दुवरिया।<br /><br />माथे पे चमके जो बिंदिया ,<br />अंबे माँ की दुवरिया।<br /><br />सूरज चंदा आरती उतारें ,<br />पवन बुहारे डगरिया,<br />अंबे माँ की दुवरिया।<br /><br />ब्रम्हा विष्णु शंकर नाचे,<br />मोहन बजाये बंसुरिया।<br />अंबे माँ की दुवरिया।<br /><br />अमृत की बरसे बदरिया,<br />अंबे माँ की दुवरिया। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-71668961703752979282010-09-30T17:32:43.173+05:302010-09-30T17:32:43.173+05:30.
According to preliminary reports, the title of ....<br /><br />According to preliminary reports, the title of the land of Ramjanmabhoomi-Babri Masjid has been split into 3 parts in the decision delivered by the Allahabad High Court on 30-Sep-2010.<br /><br /> * The site of the idol of Ramlala has been given to the Lord Ram.<br /> * Sita Rasoi and Ram Chabutra has been marked for Nirmohi Akhara, and<br /> * The rest has been given to the Sunni Wakf Board.<br /><br />The decision also stipulates that a status quo has to be maintained for a period of 3 months. This will give any body wanting to contest the decision time to appeal in the Supreme Court of India.<br /><br />Detailed evaluation of the judgement will reveal more details and the finer points.<br /><br />The decision of the 60 year long Ayodhya land dispute has been delivered by the Lucknow bench of Allahabad High Court on 30-Sep-2010, bring the curtains down on the period of uncertainity.<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-3965818111720454312010-09-26T10:26:21.780+05:302010-09-26T10:26:21.780+05:30यह पोस्ट मै देर से पढ़ पाया साक्ष्य सहित बहुत सामग...यह पोस्ट मै देर से पढ़ पाया साक्ष्य सहित बहुत सामग्री अपने दिया है पुरातत्वा बिभाग ने पूरे सक्ध्य जो न्यायालय को दिया है उसमे लगभग मंदिर क़े ही तत्वा उपलब्ध है यह सत्य है की वहा मंदिर था उसे तोड़कर मस्जिद बनाया गया और बाबर तो आक्रमणकारी था उसकी तुलना पुरुषोत्तम राम से हो ही नहीं सकती ढाचा तोडना तो भारतीय राष्ट्र के जागरण क़ा प्रगटीकरण था -राम मंदिर क़ा जीर्णोद्धार - निर्माण में ही हिन्दू,मुसलमान की एकता की गारंटी है.<br />इतनी अच्छी पोस्ट क़े लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.सूबेदारhttps://www.blogger.com/profile/15985123712684138142noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-12131264865929217792010-09-25T06:58:01.106+05:302010-09-25T06:58:01.106+05:30.
भाई एजाज़ हक़ ,
इतनी सुन्दर जानकारी से रूब....<br /><br />भाई एजाज़ हक़ ,<br /><br /> इतनी सुन्दर जानकारी से रूबरू कराने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार। सादिक अली भाई जैसा जज्बा हम सभी के मन में हो। आपकी पोस्ट में दी गयी जानकारियों को पढ़कर मन में हर्ष के आंसू हैं। इस पवित्र सन्देश का प्रसार करने के लिए ह्रदय से आपका आभार।<br /><br /> हिन्दुस्तान की पवित्र भूमि पर रहने वाले हम हिन्दू मुस्लिम , भाई बहनों को कोई बाँट नहीं सकता , हम भारतीय हैं । हम एक हैं और सदैव एक ही रहेंगे।<br /><br /> आभार।<br /><br />.<br /> .ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-75646075329983860552010-09-25T06:56:57.505+05:302010-09-25T06:56:57.505+05:30.
सादिक़ मियां सिलते हैं रामलला के वस्त्र---
राज....<br /><br />सादिक़ मियां सिलते हैं रामलला के वस्त्र---<br /><br />राजीव दीक्षित, अयोध्या के दोराही कुआं के 45 साल सादिक अली उर्फ बाबू खान अपने को दुनिया का सबसे खुशनसीब मुसलमान मानते हैं। यह खुशनसीबी उन्हें दस वर्ष पहले हासिल हुई थी जब अयोध्या के विवादित स्थल पर विराजमान रामलला के मुख्य अर्चक (पुजारी) आचार्य सत्येन्द दास ने उनसे प्रभु के अंगवस्त्र सिलने की पेशकश की थी। तब से लेकर आज तक वह रामलला के कपड़े सिलते आ रहे हैं। मुसलमान दर्जी से प्रभु राम के कपड़े सिलवाने पर सवाल में छुपे संशय को भांपकर आचार्य सत्येन्द्र दास की उजली दाढ़ी के बीच मुस्कुराहट तैरती है। बोलते हैं, हिन्दू और मुसलमान, यह तय करने वाला मैं कौन होता हूं जब प्रभु राम स्वयं कहते हैं मम प्रिय सब मम उपजाये अर्थात मैंने ही सभी मानव को पैदा किया है, इसलिए मुझे सब प्रिय हैं। फिर आगे कहते हैं, रामराज्य की यह अवधारणा थी कि सब नर करहिं परस्पर प्रीति, चलहिं स्वधर्म सुनहि श्रुति नीति अर्थात जितने भी मानव हैं, वे परस्पर प्रेम करते हैं व अपनी परम्पराओं के अनुसार धर्मों का निर्वहन करते हैं। बाबू खान बड़ी सहजता से बताते हैं कि रामलला के रूप में भगवान बालस्वरूप में हैं, इसलिए उनका बागा (रामलला का अंगवस्त्र) सिलने के लिए मखमल के मुलायम कपड़े का इस्तेमाल होता है। वह बताते हैं कि रामलला हफ्ते के दिनों के हिसाब से वस्त्र धारण करते हैं। रविवार को वह गुलाबी, सोमवार को पूछने पर मिलता है जवाब मम प्रिय सब मम उपजाये सादिक मियां सिलते हैं रामलला के वस्त्र सादिक मियां.. सफेद, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को क्रीम कलर और शनिवार को नीले रंग का वस्त्र धारण करते हैं। बाबू खान पर सिर्फ रामलला के अंगवस्त्र ही नहीं, उनके सिंहासन की गद्दी और पर्दे को भी सिलने की जिम्मेदारी है। सिर्फ रामलला ही नहीं, अयोध्या के प्रमुख महंत भी उनके हुनर के मुरीद हैं। दिगम्बर अखाड़े के महंत और श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रहे स्वर्गीय रामचंद्र दास परमहंस को उनके हाथों का सिला बंगला कुर्ता और सदरी सुहाती थी तो हनुमानगढ़ी के महंत ज्ञान दास ने भी जब तक कुर्ता धारण किया, उन्होंने उसे सिलवाने के लिए हमेशा बाबू खान को ही याद किया। निर्मोही अखाड़े के सरपंच महंत भास्कर दास और कनक भवन के चारों पुजारियों के कुर्ते सिलने की जिम्मेदारी भी बाबू खान पर ही है। यह विडम्बना ही है कि रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद के जिस बहुचर्चित विवाद को लेकर अयोध्या बीते दो दशकों से सुर्खियों में आया, वहां के मठों से अमन व भाईचारे का ही पैगाम दिया जाता रहा है। हिन्दू समुदाय के एक वर्ग से नाराजगी मोल लेकर भी हनुमानगढ़ी के महंत ज्ञानदास ने वर्ष 2003 व 2004 में अपने आवास पर रमजान के महीने में इफ्तार आयोजित किया था। उन लम्हों को याद करके अयोध्या के मुसलमान आज भी भाववि ल हो जाते हैं। इतना ही नहीं, उसी वर्ष अयोध्या मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी की जानिब से बाबू खान के घर पर आयोजित ईद मिलन समारोह में वह 400 साधुओं की मंडली लेकर पहुंचे थे और वहां हनुमान चालीसा का पाठ किया था। हनुमानगढ़ी की 40 दुकानों के किरायेदार मुसलमान हैं लेकिन किसी को याद नहीं कि उनसे दुकानें खाली करने को कहा गया हो।<br />http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=36&edition=2010-09-24&pageno=1<br /><br />साभार-<br />दैनिक जागरण दैनिक हिंदी समाचार पत्र<br />मेरठ संस्करण: शुक्रवार 24 , सितम्बर, 2010<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-81306643950293006482010-09-24T23:44:55.195+05:302010-09-24T23:44:55.195+05:30अपनी स्टेट बैंक की नौकरी के दौरान मैं भी सोचता था ...अपनी स्टेट बैंक की नौकरी के दौरान मैं भी सोचता था कि अगर अयोध्या में मेरी पोस्टिंग होती तो मैं सद्भावना के लिये यह करता ,वह करता ...।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-86816410352549764852010-09-24T21:47:24.209+05:302010-09-24T21:47:24.209+05:30बेशक आप मेरी बहन हैं और मैं आपका भाई हूँ और हमारी ...<b>बेशक आप मेरी बहन हैं और मैं आपका भाई हूँ और हमारी खुशियाँ अलग नहीं हो सकतीं .</b> <a href="http://vedquran.blogspot.com/2010/09/mandir-masjid-anwer-jamal.html" rel="nofollow">हमें बेहतर कल के लिए मजबूत बुनियादों पर मालिक के हुक्म से इंसानियत के लिए जीना ही होगा , साथ साथ .</a> आपका आना सदा ही अच्छा लगता है , शुक्रगुज़ार हूँ आपका .DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-55790548195881515762010-09-24T21:21:29.297+05:302010-09-24T21:21:29.297+05:30.
आदरणीय , भाई अनवर जमाल,
एक माँ को अपने सभी बच्....<br /><br />आदरणीय , भाई अनवर जमाल,<br /><br />एक माँ को अपने सभी बच्चे सामान रूप से प्यारे होते हैं। राम हो या रहीम, भारत माता के लिए के लिए दोनों सपूत प्यारे हैं । मंदिर मस्जिद दोनों नहीं चाहिए। पढ़े-लिखे शान्ति पसंद भारतीयों को , चाहे वो हिन्दू हों या मुस्लिम, उन्हें मंदिर बने या मस्जिद, दोनों से कोई फरक नहीं पड़ता।<br /><br />धर्म और सम्प्रदाय के नाम पर भ्रष्ट एवं स्वार्थी नेता , राजनीति की रोटियाँ सेंक रहे हैं। और नादान लोग उन्हें सेंकने भी दे रहे हैं। झगडे दंगे होंगे तो गरीबों का नुक्सान होगा। उनका कोई नहीं सोचने वाला। <br /><br />क्या संवेदनशीलता इतनी मर गयी है लोगों में ? मानवता के बारे में न सोचकर , लोग मंदिर और मस्जिद की आस लगाए बैठे हैं। <br /><br />शर्म आनी चाहिए हमें। धिक्कार है हम भारत वासियों पर। ये भी नहीं सोचा की वो न्यायाधीश भी एक इंसान ही है जिस पर दोधारी तलवार लटक रही है। ये भी नहीं सोचा की इस फैसले से हमारे देश में कामनवेल्थ गेम पर क्या असर होगा ? मुफ्त में निर्दोष जनता मारी जायेगी। बड़े-बड़े बहादुर लोग सिर्फ तमाशा देखेंगे।<br /><br />अरे हमें तो फख्र होना चाहिए की हम , एक धर्म-निरपेक्ष देश के नागरिक हैं। आम जनता को इनकार कर देना चाहिए किसी मंदिर या मस्जिद से। नहीं चाहिए कुछ भी ऐसा जो हमारे देश की आधी आबादी को दुखी करे।<br /><br />हमें एक ऐसे फैसले का इंतज़ार है , जिसमें लिखा हो की हिन्दू-मुस्लिम [ दोनों भाई ] , एक ही कतार में लगकर उस पवित्र स्थल पर साथ ही पूजा करें। जो अपने आप में एक मिसाल हो ।<br /><br />भाई अनवर जमाल, यदि मैं आपकी बहिन हूँ और आप मेरे भाई, तो फिर हमारी और आपकी ख़ुशी अलग-अलग कैसे हो सकती है ?<br /><br />हिन्दू मुस्लिम भाई भाई।<br />भारत की एकता अखंड रहे।<br /><br />वन्देमातरम !<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-24008490906621280862010-09-24T10:01:48.479+05:302010-09-24T10:01:48.479+05:30जिन सभ्य नागरिकों को अपने देश के इतिहास, उनके महाप...जिन सभ्य नागरिकों को अपने देश के इतिहास, उनके महापुरुषों के ऊपर ही यकीन नहीं, वे क्या अपने देश की संस्कृति के वाहक बनेंगे.. देश को गुलामी इसी मानसिकता के कारण झेलना पड़ी.. आजादी मिली तो ऐसे दीवानों के कारण जिन्होंने अपनी संस्कृति को सबसे ऊपर रखा, गर्दन कटा दी लेकिन धर्म नहीं त्यागा. आज तो लोगों को राम के नाम पर उल्टी आती है. क्या कहूं ऐसे लोगों के लिये. मुसलमानों से अधिक तो हिन्दुओं के पेट में दर्द हो जायेगा यदि अयोध्या में राम मंदिर बनेगा...<br />ऐसी मानसिकता के साथ हिन्दुओं की संस्कृति कितने लम्बे समय तक बचेगी, सिर्फ यह देखना बाकी है...भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-75528296019260870052010-09-23T08:44:59.480+05:302010-09-23T08:44:59.480+05:30.
“दो न्याय अगर तो आधा दो,
पर उसमें भी यदि बाधा ह....<br /><br />“दो न्याय अगर तो आधा दो,<br />पर उसमें भी यदि बाधा हो,<br />तो दे दो केवल पाँच ग्राम,<br />रखो अपनी धरती तमाम।<br />हम वही खुशी से खाएँगे,<br />परिजन पर असि न उठाएँगे।”<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-35855990773731824092010-09-23T08:43:33.830+05:302010-09-23T08:43:33.830+05:30.
विवेक जी,
अब समय आ गया है की लोग अपने विवेक का....<br /><br />विवेक जी,<br /><br />अब समय आ गया है की लोग अपने विवेक का इस्तेमाल करें। आज समाज का एक जागरूक हिस्सा ये समझ चूका है की, धर्म के नाम पे राजनीति अब और नहीं चलेगी। लोग मर गए, और दफ़न भी हो गए , लेकिन हम लोग २१ वीं सदी में भी आपस में लड़े-मरे जा रहे हैं।<br /><br />कब हम समझेंगे के दुनिया में और भी गम हैं , आपसी दुश्मनी के सिवा ।<br /><br />नेता तो ऐसे मुद्दों को जीवित करते ही रहेंगे। क्यूंकि इसी पर तो उन्हें अपनी गन्दी राजनीति की रोटियाँ सेंकनी होती हैं।<br /><br />आज अयोध्या में हिन्दू-मुस्लिम बहुत प्यार से रहते हैं। लेकिन कुछ दंगा पसंद लोग देश को खोखला करने के लिए ऐसे बासी मुद्दों को हवा देते रहेंगे। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-43074467273697465432010-09-22T20:27:27.016+05:302010-09-22T20:27:27.016+05:30दिव्याजी!
नारे लगाने का मौसम आया है..
नफरत के जब...दिव्याजी! <br />नारे लगाने का मौसम आया है..<br /><br />नफरत के जब बीज बो रहे , धर्म ध्वजा के पहरेदार ।<br />प्रेम अहिंसा भाईचारा , कैसे बचायेंगे भगवान हर बार ।<br /><br />रघुपति राघव राजा राम , जोर से बोलो जय श्रीराम ।<br />मंदिर वहीँ बनायेगे , हम देश में दंगा करवाएंगे ।<br />जो न्याय नहीं कर पाएंगे , हम उनको सबक सिखायेंगे ।<br /><br />अल्ला हो अकबर-अल्ला हो अकबर ,इस्लाम के काम हम आयेंगे ।<br />फतवा जारी करो इमाम , लड़ने हम सब जायेंगे ।<br />सूखी रोटी खायेंगे पर , हम मस्जिद वहीँ बनायेगे ।<br /><br />प्रेम अहिंसा भाईचारा , कैसे बचायेंगे पैगम्बर ।<br />नफरत के जब बीज बो रहे , सब धर्मो के आडम्बर ।<br />http://vivekmishra001.blogspot.com/2010/09/blog-post_16.htmlVivek Mishrshttps://www.blogger.com/profile/18338162959806741052noreply@blogger.com