tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post2472417262902771914..comments2024-03-18T11:14:46.125+05:30Comments on ZEAL: कुछ उपेक्षित हिन्दू शहीदZEALhttp://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-45793723231674913802012-11-09T02:39:19.578+05:302012-11-09T02:39:19.578+05:30इतिहास की सच्चाइयों को लामने लाना बहुत ज़रूरी है,अ...इतिहास की सच्चाइयों को लामने लाना बहुत ज़रूरी है,अपने विगतसे शिक्षा न लेनेवालों को सदा मुँह की खानी पड़ती है.<br />आभार!प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-58378647429693989512012-11-07T19:48:04.779+05:302012-11-07T19:48:04.779+05:30प्रतुल जी, मुझे जो सर्वश्रेष्ठ लगा , ह्रदय से उसे ...प्रतुल जी, मुझे जो सर्वश्रेष्ठ लगा , ह्रदय से उसे ये सम्मान दे दिया ! न ही कोई आयोजन , न ही चुनाव, न ही कोई भेद-भाव ! न ही कोई पूर्वाग्रह, न देने वाले की कोई लालच, न ही पाने वाले को कोई ! बस निस्वार्थ ह्रदय के उदगार स्वरुप ये सम्मान दिया है श्री शर्मा जी को! यदि आपको भी कोई श्रेष्ठ लगता हो तो आप भी दे सकते हैं --आभार !ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-80698551885266248732012-11-07T19:37:48.226+05:302012-11-07T19:37:48.226+05:30Natkhat ji , You can reach his blog by clicking on...Natkhat ji , You can reach his blog by clicking on his name.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-10512057920808928522012-11-07T19:29:08.852+05:302012-11-07T19:29:08.852+05:30इतिहासकारों द्वारा उपेक्षित शहीदों की करुण दास्तान...इतिहासकारों द्वारा उपेक्षित शहीदों की करुण दास्तान प्रस्तुत कर श्री चांद शर्मा जी ने वंदनीय कार्य किया है।<br />महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-12042658039347255402012-11-07T15:10:09.982+05:302012-11-07T15:10:09.982+05:30वाह. शानदार व्यक्तित्व से आपने मिलवाया.
यह कमेन्ट ...वाह. शानदार व्यक्तित्व से आपने मिलवाया.<br />यह कमेन्ट इस उम्मीद के साथ कर रहा हूँ कि मेरे आखिरी कमेन्ट(लगभग साल भर पहले) की तरह इसे भी ब्लोक नहीं करेंगी. आपसे असहमतियां भी हैं और सहमती भी, पर आपको हमेशा पढता रहा हूँ.PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-64087799990797347022012-11-07T14:53:54.991+05:302012-11-07T14:53:54.991+05:30pls chand sharma ji ke blog ka naam bhej deejiye.....pls chand sharma ji ke blog ka naam bhej deejiye.. unka blog link.. on this mail id - jit05yadav@gmail.com जितेन्द्र सिंह यादव https://www.blogger.com/profile/07720125733673053883noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-33829273178513111782012-11-07T14:17:14.866+05:302012-11-07T14:17:14.866+05:30दिव्या जी,
सर्वश्रेष्ठ लेखन का आधार 'राष्ट्र...दिव्या जी, <br /><br />सर्वश्रेष्ठ लेखन का आधार 'राष्ट्र हित' के आधार पर ही होना चाहिए। जब राष्ट्र चारों तरफ से लूट का केंद्र बन कर ही रह गया हो तब और कोई आधार बचता ही नहीं जिसके आधार पर लेखन की श्रेष्ठता मापी जाए। <br /><br /> <br /><br />ठीक ऐसा ही कभी अफलातून उर्फ़ प्लेटो ने भी 'होमर' की रचनाओं को नकारते हुए उद्घोषणा की थी। वह विशुद्ध राष्ट्रवादी था। उसने उस समय वह हिम्मत की जब पूरा योरोप 'होमर' के गुणगान में लगा था, उसका दीवाना था। <br /><br /><br />उसने किसी भी 'रचना' को उपयोगितावाद से जोड़कर आँका। कला और सौन्दर्य का कद नागरिकों के चरित्र के सामने बौना बताया। राष्ट्र के नागरिकों के चरित्र में सत्य, सदाचार और संवेदनाओं जैसे भावों को अहमियत दी। <br /><br /> <br /><br />बहुतेरे बुद्धिजीवियों के लिए अब ये सोच का विषय है कि क्या केवल और केवल क्रान्तिवीरों और बलिदानियों का साहित्य ही 'राष्ट्र हितकारी' है? या फिर अन्य विषयक लेखन भी उसके समकक्ष खड़ा किया जा सकता है? <br /><br /> मानता हूँ जन जागृति और गौरव की अनुभूति कराने वाले महत्वपूर्ण हैं। मुर्दों में जान फूँकने वालों ने ही अपने मंसूबों से संभावित पराजय को परे धकेला है। <br /><br /><br />एक साहित्य वह है जो विभिन्न आचरण वालों को एक दिशा में लिए चलता है और एक साहित्य वह है जो भिन्न-भिन्न आचरणों के आधार पर भेद-प्रभेद करके उनके जन्मजात संस्कारों के आधार पर उनसे व्यवहार करने को इंगित करता है। इनमें चाँद जी क्या कर रहे हैं यह तो उन्हें पढ़कर ही पता चलेगा। फिलहाल आपके आकलन के आधार पर हम भी उन्हें सदी का सर्वश्रेष्ठ लेखक मानकर उनके लिखे के माध्यम से उनके विचारों से लाभान्वित होंगे। <br /><br /><br />— एक 'सदी' समय का एक बड़ा विशाल काल खंड है। हर घड़ी तो युद्ध नहीं होते, घर घड़ी तो क़यामत नहीं आती रहती। जहाँ एक समय पुष्प को खिलाने को बहार आती है वहीं उसे मुरझाने को और डाल से नीचे गिराने को तेज़ गरमी और झोंका भी प्रस्तुत होता है। <br /><br />- 'सुई और तलवार दोनों की अपनी-अपनी जगह उपयोगिता है।' फिर भी 'चाँद' जी का साहित्य उन सभी के लिए बेहद उपयोगी है जो अपने इतिहास से देशप्रेम की डोज़ लेना चाहते हैं। 'आत्मगौरव गान' करने वाला साहित्य किसी भी मज़बूत राष्ट्र की पहली धरोहर है। प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-55955881862281366622012-11-07T13:56:28.948+05:302012-11-07T13:56:28.948+05:30 -
सुन्दर प्रस्तुति |
आभार || -<br />सुन्दर प्रस्तुति |<br />आभार ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-52231394693519356532012-11-07T11:22:40.656+05:302012-11-07T11:22:40.656+05:30Gr8 !Gr8 !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.com