tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post2699052582772854441..comments2024-03-18T11:14:46.125+05:30Comments on ZEAL: त्योहारों का असर लेखों एवं टिप्पणियों पर .ZEALhttp://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comBlogger39125tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-64941305764929389522011-03-26T14:22:09.328+05:302011-03-26T14:22:09.328+05:30@ जिसके पास जो है वही देगा. जरूरी नहीं कि सभी आगुन...@ जिसके पास जो है वही देगा. जरूरी नहीं कि सभी आगुन्तक ... पाठक हों अथवा समीक्षक. अतः अपनी वैचारिक दीवार पर पोस्टर चिपकाने वालों को छूट देना आपकी सहृदयता ही मानी जायेगी. <br />— एक उपदेशक.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-8068699806572299442011-03-23T09:54:26.121+05:302011-03-23T09:54:26.121+05:30True, but this time I've written something dif...True, but this time I've written something different during 'HOLI' !A.G.Krishnanhttps://www.blogger.com/profile/15801930715895397684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-36874979008885650682011-03-22T17:08:24.582+05:302011-03-22T17:08:24.582+05:30बहस में जीतने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि वहस की...बहस में जीतने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि वहस की ही न जाय.<br />धन्यबाद.<br />www.rashtrapremi.com<br />www.rashtrapremi.in<br />www.aaokhudkosamvare.blogspot.com<br />www.rashtrapremi.wordpress.comडा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-38202600573632848622011-03-22T12:05:13.921+05:302011-03-22T12:05:13.921+05:30पोस्ट अच्छी लगी, सही बात कही है आपने
मुझे भी ऐसी ख...पोस्ट अच्छी लगी, सही बात कही है आपने<br />मुझे भी ऐसी खुमारी उतरने का इंतजार रहता है।<br /><br />बहुत ही अजीब सा लगता है जब कोई ब्लॉगर एक ही टिप्पणी को बिना पोस्ट पढे हर जगह कॉपी-पेस्ट करता रहता है। चलो वो अपना संदेश या शुभकामना देना भी चाहता है तो कम से कम जिस पोस्ट पर टिप्पणी कर रहे हैं, उस विषय पर एक पंक्ति तो लिखनी चाहिये।<br /><br />पर्वों पर औपचारिक और दिखावटी शुभकामनायें बाँटना मुझे कभी भी प्रिय नहीं रहा। <br /><br />प्रणाम स्वीकार करेंअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-61491023568557307882011-03-22T00:47:31.467+05:302011-03-22T00:47:31.467+05:30दिव्या जी नमस्कार. मैंने आप पे किसी भी किस्म का आ...दिव्या जी नमस्कार. मैंने आप पे किसी भी किस्म का आरोप नहीं लगाया अपितु अपना समझ के उचित सलाह दिया था. यदि आप को ऐसा लगता है तो मैं क्षमा चाहता हूँ. क्यों की हमारा या आप का लक्ष्य है समाज की सत्य बातों का समर्थन करना तथा अनुचित बातों का सकारात्मक विरोध करना. सलाह मानने के लिए आपका धन्यवादमदन शर्माhttps://www.blogger.com/profile/07083187476096407948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-36503873156435869592011-03-21T21:27:59.137+05:302011-03-21T21:27:59.137+05:30पता नही होली पर लड़ने क्यों बैठ गए हम सब..
चलो मेर...पता नही होली पर लड़ने क्यों बैठ गए हम सब..<br />चलो मेरे पास इतना ज्ञान नहीं है की इस महाभारत में भाग ले सकू..<br />अगली पोस्ट में शायद मुझे कुछ सिखने लायक मिल जाएगा .........आशुतोष की कलमhttps://www.blogger.com/profile/05182428076588668769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-57801506672062409402011-03-21T15:15:03.366+05:302011-03-21T15:15:03.366+05:30इसका एक प्रमुख कारण है कि आजकल विशेषकर महानगरों मे...इसका एक प्रमुख कारण है कि आजकल विशेषकर महानगरों में त्यौहार फ्लैट के चहारदीवारी में ही सिमटे रहते हैं, टी वी की भी भूमिका रहती है तथा उस घर के लोग भी एकसाथ मुश्किल से हो पाते हैं इसलिए भाव लेखन में उछल पड़ता है और तब लगता है कि हॉ अब त्यौहार मना. यह तो परिस्थितियों की देन जिसमें व्यक्ति असहाय है। करे तो क्या करे।धीरेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/12020246777509347843noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-73846654343617837122011-03-21T14:08:46.681+05:302011-03-21T14:08:46.681+05:30the content of this post is very too the point
on...the content of this post is very too the point <br />on blogs if some one is posting something other than related to festivals we need to restrain in giving good wishes on a post not related to festivalरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-72186503540476752842011-03-21T11:34:13.182+05:302011-03-21T11:34:13.182+05:30होली पर्व के अवसर पर आपको और आपके परिजनों को मित्...होली पर्व के अवसर पर आपको और आपके परिजनों को मित्रों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ...समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-86037902784351753152011-03-21T10:46:43.777+05:302011-03-21T10:46:43.777+05:30ये सच है की त्यौहार का हैंग ओवर चलता रहता है कई दि...ये सच है की त्यौहार का हैंग ओवर चलता रहता है कई दिनों तक लेकिन इसमें कोई बुराई नहीं है , हा ये जरुर है की टिपण्णी पोस्ट के विषय पर करनी चाहिए , बाद में आप चाहे तो बधाई दे सकते है .ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-42190557956519698842011-03-21T10:42:38.156+05:302011-03-21T10:42:38.156+05:30दिव्या जी,
मन में कोई गिला न थी.बस तकल्लुफ के तौर ...दिव्या जी,<br />मन में कोई गिला न थी.बस तकल्लुफ के तौर पर शिकायत की.फिर भी आपने तकल्लुफ निभाया इसके लिए बहुत बहुत आभार.<br />मैंने तकल्लुफ के बारे में आपके विचार जानने चाहे थे.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-18263255258632964022011-03-21T10:17:45.033+05:302011-03-21T10:17:45.033+05:30.
राकेश जी ,
आपके ब्लौग पर ये औपचारिकता रह गयी ज....<br /><br />राकेश जी ,<br /><br />आपके ब्लौग पर ये औपचारिकता रह गयी जिसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ। गलती सुधारने के लिए आपके ब्लौग पर आकर ये फोर्मलिटी भी पूरी कर दूँगी ताकि आपको कोई गिला न रहे मन में । <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-59439019189865472282011-03-21T10:04:08.474+05:302011-03-21T10:04:08.474+05:30दिव्या जी ,
मुझे शिकायत है आपसे.आपने होली की शुभ क...दिव्या जी ,<br />मुझे शिकायत है आपसे.आपने होली की शुभ कामना कुछ ब्लोगों पर तो की ,परन्तु मुझे बिलकुल भी इस लायक न समझा.यद्धपि आपने मेरी पोस्ट 'बिनु सत्संग बिबेक न होई' पर आकर शानदार टिपण्णी की, जो मेरे लिए किसी भी शुभ कामना से कम नहीं है.फिर भी फोर्मलिटी तो फोर्मलिटी है.कहा गया है <br />"माना की तकल्लुफ में है तकलीफ सरासर <br />पर वे लोग भी क्या लोग हैं जो तकल्लुफ नहीं करते."<br />ये इस बात का जबाब है कि<br />"जोंक तकल्लुफ में है तकलीफ सरासर <br /> बेहतर हैं वे लोग जो तकल्लुफ नहीं करते"<br />अब आपका क्या कहना है बताएं?Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-69308601366689758602011-03-21T09:42:11.244+05:302011-03-21T09:42:11.244+05:30कम शब्दों, कम समय में होली के दिन अधिक से अधिक ब्ल...कम शब्दों, कम समय में होली के दिन अधिक से अधिक ब्लोगरों को होली का सन्देश देना मेरे विचार से आलोचना के दायरे में नहीं आना चाहिए. सबके पास नेट पर बैठने का कोटा अलग अलग होता है.बधाई और शुभकामनाओं में पुनरावृति लाजिम बातहै.............................<br />खेद है की शुलभ जी की टिपण्णी को मैंने कापी करके यहाँ पर पेस्ट कर दिया है और अपना काफी समय बचाया , इसमें बुराई क्या है ?ठीक उसी तरह जैसे "आपको होली की हार्दिक शुभकामनाये "<br />अर्थात मैं शुलभ जी के विचारों से सौ फीसदी सहमत हूँ ,<br />आभार.......................पी.एस .भाकुनीhttps://www.blogger.com/profile/10948751292722131939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-82808420814903530562011-03-21T09:17:22.991+05:302011-03-21T09:17:22.991+05:30दिव्या जी, हमारे त्योहारों का मतलब है हंसी ख़ुशी !...दिव्या जी, हमारे त्योहारों का मतलब है हंसी ख़ुशी ! एकसाथ मिलजुल कर मनाना--यही तो जिन्दगी के मेले है वरना एक जैसी जिन्दगी जीकर इंसान पागल न हो जाएगा त्यौहार आते ही जिस तरह घर में बाज़ार में रोनके छा जाती है उसी तरह ब्लोक जगत भी इसी जिन्दगी का एक हिस्सा है हर इंसान सामाजिक बन्धनों में बंधा है और त्यौहार इसी समाज का हिस्सा है तो क्यों नही हम भी इस समाज का एक हिस्सा बने --<br />और जब हंसने हसाने का मोसम हो तो क्यों कोई एक नीरस सब्जेक्ट को पडेगा और टिप्पड़ी करेगा --हा यदि यही पोस्ट २अक्तुम्बर को लिखती तो शायद ढेरो टिप्पणिया आपके ब्लोक की शोभा बनती --<br /><br />कई बार खरबूजे को देखकर रंग बदलना पड़ता है...<br /> <br />खुशदीप साहेब की बातो से मै भी इतेफाक रखती हु --माडरेसन नही होना चाहिए --अगर कोई गलत टिप्पड़ी करता है तो हमारे पास आब्सन है उसे डिलीट करने का -दुबारा सामने वाला ऐसी हिम्मत नही करेगा --<br />कोई गलत बात हो गई होतो माफ़ी चाहती हु --दर्शन कौर धनोयhttps://www.blogger.com/profile/06042751859429906396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-25425449907863182792011-03-21T08:56:16.163+05:302011-03-21T08:56:16.163+05:30I agree with you and that seems to be trendI agree with you and that seems to be trendBK Chowla,https://www.blogger.com/profile/03869011550287421537noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-69510011464915557502011-03-21T08:11:54.582+05:302011-03-21T08:11:54.582+05:30.
Tarkeshwar Giri said...
अब क्या कह सकते है....<br /><br />Tarkeshwar Giri said...<br /><br /> अब क्या कह सकते हैं, आप के अन्दर कमेन्ट छापने कि हिम्मत तो हैं नहीं, में तो आज कि तारीख में आप को दुनिया कि सबसे कामचोर और कमजोर नारी कहना चाहता हूँ.<br /><br />------------<br /><br />खुशदीप जी ,<br /><br />उपरोक्त टिपण्णी यदि आपको अभद्र नहीं लगी तो शायद हम सबकी परिभाषाएं ही भिन्न हैं 'अभद्रता ' के सन्दर्भ में।<br /><br />उप्रुक्त टिपण्णी का विषय से दूर-दूर तक सम्बंधित नहीं है तथा लेखिका पर की गयी व्यक्तिगत टिपण्णी है ।<br /><br />यदि आप समझना चाहेंगे तभी किसी की व्यथा समझ सकते हैं अन्यथा मुझे गलत समझने वालों की संख्या यूँ भी ज्यादा ही है।<br /><br />कोई गिला नहीं है अब,टिप्पणीकारों से । अभद्र टिप्पणियों का भी स्वागत है। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-75130162618967527712011-03-21T08:00:51.079+05:302011-03-21T08:00:51.079+05:30दिव्या जी,
शुक्रिया, आपने मेरी बात को सकारात्मक तौ...<i>दिव्या जी,<br />शुक्रिया, आपने मेरी बात को सकारात्मक तौर पर लिया...मैंने सिर्फ आपकी नाथूराम गोडसे वाली पोस्ट के संदर्भ में लिखा था और वहां मुझे कोई अभद्र टिप्पणी नहीं दिखी थी...मुझे खुद ऐसी सलाह मिलती रही है कि मैं मॉडरेशन का प्रयोग करा करूं...लेकिन नहीं करता...और अब तक मेरे विश्वास को किसी ने ठेस नहीं पहुंचाई है...हां, आलोचनात्मक टिप्पणियों को मैंने भी हमेशा पूरा मान दिया है...अगर कोई अभद्र भाषा का प्रयोग करता है तो हमारे पास डिलीट का आप्शन तो रहता ही है...और कृपया इसे तोहमत के तौर पर न लें, एक वरिष्ठ साथी के तज़ुर्बे के निचोड़ के रूप में लें...कामना है कि आप आगे भी नए नए विषयों पर लेखनी चलाती रहेंगी और सफलता के ऊंचे से ऊंचे सोपान तय करती रहेंगी...<br /><br />जय हिंद...</i>Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-57397192706792677222011-03-21T07:40:57.995+05:302011-03-21T07:40:57.995+05:30दिव्या जी कम से कम किसी ने तो आवाज उठाई। वैसे टिप्...दिव्या जी कम से कम किसी ने तो आवाज उठाई। वैसे टिप्पणी के बारे मैं अपनी बात बता दूं कि कभी भी कॉपी पेस्ट नहीं करता और ऐसा संकल्प मन में कर रखा हूं कि चाहे दो चार पोस्ट पर ही टिप्पणी कर सकंू पर बिना पढ़े नहीं करूगा। अभी तो दौर है बिना पढ़े कुछ शब्द सेव कर रखंे है और पेस्ट करते रहने का। बहुत बुरा लगता है। कहीं कहीं तो ऐसी रचनाओं पर नजर पड़ जाती है जिसमें एक आध टिप्पणी रहती है पर रचना स्तरीय होती है तब क्या कहा जाय खैर फिर कभी मैं आपके आवाज के साथ हूं।Arun sathihttps://www.blogger.com/profile/08551872569072589867noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-1579345628567698002011-03-21T07:35:23.776+05:302011-03-21T07:35:23.776+05:30त्योहारों का खुमार बना रहने दीजिये, एकरसता भी कचोट...त्योहारों का खुमार बना रहने दीजिये, एकरसता भी कचोटती है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-85835681405401441822011-03-21T07:34:25.722+05:302011-03-21T07:34:25.722+05:30उसी खुमार में टिप्पणी:
आपको एवं आपके परिवार को हो...उसी खुमार में टिप्पणी:<br /><br />आपको एवं आपके परिवार को होली की बहुत मुबारकबाद एवं शुभकामनाएँ.<br /><br />सादर<br /><br />समीर लाल<br />http://udantashtari.blogspot.com/Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-53808990379192181702011-03-21T07:27:21.418+05:302011-03-21T07:27:21.418+05:30.
भूषण जी ,
बस यही मैं भी कहना चाहती थी , विषय ....<br /><br />भूषण जी ,<br /><br />बस यही मैं भी कहना चाहती थी , विषय पर कमेन्ट लिखने के बाद ही पर्व की बधाई लिखनी चाहिए । अन्यथा ऐसा लगता है जैसे हाजिरी लगाने के लिए कमेन्ट किया गया है। इससे लेख और विषय के साथ अन्याय होता है।<br /><br />संजीदा लेखक शुभकामनाओं से ज्यादा 'सार्थक टिप्पणियों ' की अपेक्षा रखते हैं। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-8604283877072468882011-03-21T07:21:36.216+05:302011-03-21T07:21:36.216+05:30.
@- तारकेश्वर गिरी -
-माटी का माधव
-जाहिल
-कमज़....<br /><br />@- तारकेश्वर गिरी -<br /><br /><br />-माटी का माधव<br />-जाहिल<br />-कमज़ोर<br />-कामचोर<br /><br />आप उपरोक्त विशेषणों से मुझे नवाज़ चुके हैं , पहले आप ये सीख लीजिये लीजिये कि टिपण्णी में कैसी भाषा प्रयोग करनी चाहिए और लेखक अथवा लेखिका पर व्यक्तिगत कमेन्ट नहीं करना चाहिए । विषय पर लिखना ही बुद्धिजीवियों कि पहचान है ( चाहे सहमती हो अथवा असहमति)<br /><br />अब मोडरेशन नहीं है । आप अपनी भड़ास निकालने के लिए स्वतंत्र हैं। आपकी अभद्र टिप्पणियों को पढ़कर आनंद लेने वाले हज़ारों हैं।<br /><br />आभार। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-30482158970764829542011-03-21T07:13:53.381+05:302011-03-21T07:13:53.381+05:30.
खुशदीप जी एवं मदन शर्मा जी ,
आखिर आप दोनों ने ....<br /><br />खुशदीप जी एवं मदन शर्मा जी ,<br /><br />आखिर आप दोनों ने भी ये तोहमत लगा ही दी की मैं असहमतियों को स्वीकार नहीं करती ।<br /><br />आप दोनों की बात के उत्तर के में मौन ही श्रेयस्कर है । क्यूंकि जब कोई व्यक्तिगत और अभद्र टिपण्णी करता है तब मूक दर्शक बहुत रहते हैं , आप लोगों ने ये नहीं देखा क्यूँ कमेन्ट बंद किये गए थे। अभद्र टिपण्णी मैं भी लिख सकती हूँ लेकिन ऐसा करके मैं अपने और अभद्र टिप्पणीकारों के भेद को मिटाना नहीं चाहती।<br /><br />आप भी , मैं भी और पढने वाले भी बुद्धिमान हैं । उचित अनुचित का फैसला खुद ही कर लेंगे।<br /><br />खैर पिछले लेख पर टिपण्णी आप्शन खुला है , आप लोग अपनी असहमति वहां दर्ज कर सकते हैं। <br /><br />धन्यवाद। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-88052492043304913022011-03-21T07:13:29.194+05:302011-03-21T07:13:29.194+05:30STHITI KUCH BHI HO HUMEIN LEKH KE VISHAY KE ANUSSA...STHITI KUCH BHI HO HUMEIN LEKH KE VISHAY KE ANUSSAR HI COMMENT KARNE CHAAHIYE....<br /> <br />AUR COMMENTS KISI BHI HAALAT MEIN NIJI NAHI HONE CHAAHIYE.Irfanuddinhttps://www.blogger.com/profile/17931968343851910523noreply@blogger.com