tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post4454886949817064214..comments2024-03-18T11:14:46.125+05:30Comments on ZEAL: बैसाखी तलाशते सपने ZEALhttp://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-29745106011807101852012-12-09T11:49:36.544+05:302012-12-09T11:49:36.544+05:30जो बैसाखी का सहारा लेता है वह अपनी चाल
भूल जाता ह...जो बैसाखी का सहारा लेता है वह अपनी चाल <br />भूल जाता है |<br />बढ़िया शिक्षाप्रद कहानी |<br />आशा Asha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-47420736463476437062012-12-09T10:59:39.876+05:302012-12-09T10:59:39.876+05:30ऐसे ही स्त्रियॉं के सपने दफन हो जाते हैं .... विच...ऐसे ही स्त्रियॉं के सपने दफन हो जाते हैं .... विचारणीय कहानी संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-35116433912662689702012-09-04T15:01:55.381+05:302012-09-04T15:01:55.381+05:30बोधिया की पीड़ा समझ में आती है.बोधिया की पीड़ा समझ में आती है.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-12776081483723523782012-09-02T00:12:02.577+05:302012-09-02T00:12:02.577+05:30बहुत ख़ूब!
एक लम्बे अंतराल के बाद कृपया इसे भी दे...बहुत ख़ूब!<br /><br />एक लम्बे अंतराल के बाद कृपया इसे भी देखें-<br /><br /><a href="http://cbmghafil.blogspot.in/2012/09/blog-post.html" rel="nofollow"><b>जमाने के नख़रे उठाया करो</b></a>चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-90556073682271970352012-09-01T23:30:47.300+05:302012-09-01T23:30:47.300+05:30शेषनाथ जी , मुझे तो सम्यक चर्चा से कोई परहेज़ नहीं...शेषनाथ जी , मुझे तो सम्यक चर्चा से कोई परहेज़ नहीं है ! कोशिश रहती है हर सम-सामयिक विषय पर चर्चा रख सकूं !ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-3691152637435217402012-09-01T22:34:33.633+05:302012-09-01T22:34:33.633+05:30एक कहानी के माध्यम से बहुत अच्छा कहा है आपने लेकिन...एक कहानी के माध्यम से बहुत अच्छा कहा है आपने लेकिन बोधिया को निराशा में ही छोड़ दिया !!<br />पूरण खण्डेलवालhttps://www.blogger.com/profile/04860147209904796304noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-88130487558428243512012-09-01T21:20:40.994+05:302012-09-01T21:20:40.994+05:30डॉ दिव्या, क्या आपलोगों को सम्यक आसोचना से परहेज ह...डॉ दिव्या, क्या आपलोगों को सम्यक आसोचना से परहेज है? आपके पिछले ब्लॉग पर मैंने जो टिप्पणी लिखी 'हमारी वाणी ने' उसे प्रकाशित नहीं किया. हिंदी ब्लॉगरों की कमजोरियाँ किस प्रकार उन्हीं के ब्लॉगों में झलकती हैं, यही उसमें मैंने उजागर किया है.<br />अगर 'हमारी वाणी एग्रीगेटर' को यह पसंद नहीं है तो फिर इस एग्रीगेटर के सदस्य होने से मेरा क्या फायदा ? आपलोग मेरे ब्लॉग को भी न तो पढ़ते हैं न कोई टिप्पणी करते हैं. Sheshnath Prasadhttps://www.blogger.com/profile/12846059616209808824noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-34533601803838537842012-09-01T20:33:01.923+05:302012-09-01T20:33:01.923+05:30बैशाखियों का सहारा लिए बगैर जीना सीख लेना ही जीना ...बैशाखियों का सहारा लिए बगैर जीना सीख लेना ही जीना है।<br />संदेशपरक कहानी।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-13217283070244326632012-09-01T18:09:31.889+05:302012-09-01T18:09:31.889+05:30आदरणीया दिव्या जी जय श्री राधे ...अक्सर ऐसा होता ...आदरणीया दिव्या जी जय श्री राधे ...अक्सर ऐसा होता है लेकिन बोधिया जैसे ही लोगों को जाग कर ...सपने अपने सीमित कर खुद को एक मुकाम पर ले जाना चाहिए बहुत सी बैशाखियाँ धोखा दे जाती हैं ...सुन्दर कहानी शिक्षाप्रद <br />भ्रमर ५ <br />भ्रमर का दर्द और दर्पण Surendra shukla" Bhramar"5https://www.blogger.com/profile/11124826694503822672noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-66122119516208162962012-09-01T13:19:49.032+05:302012-09-01T13:19:49.032+05:30भगवान् के साथ-साथ सब उसी की सहायता को आगे आते है ज...भगवान् के साथ-साथ सब उसी की सहायता को आगे आते है जो अपनी सहायता स्वयं करते है , यही सास्वत नियम है Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/18094849037409298228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-24610562515386793532012-09-01T11:32:41.084+05:302012-09-01T11:32:41.084+05:30वर्तमान की बूँद, भविष्य के सागर से बड़ी होती है..वर्तमान की बूँद, भविष्य के सागर से बड़ी होती है..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com