tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post4988632160944420629..comments2024-03-18T11:14:46.125+05:30Comments on ZEAL: मइके की कभी न याद आये , ससुराल में इतना प्यार मिले...ZEALhttp://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comBlogger64125tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-75415139863009385832012-01-29T19:10:58.431+05:302012-01-29T19:10:58.431+05:30forest helps to cut the forests.
JUNGLE NAHIN HOT...forest helps to cut the forests.<br /><br />JUNGLE NAHIN HOTA TO JUNGLE NAHIN KATATA.<br /><br />MUGDHA ko aapane likhakar samman diya<br /> NARI ko samman ke pranam swikar karenRamakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-39968649610937355562011-04-08T11:58:31.810+05:302011-04-08T11:58:31.810+05:30.
अभिषेक जी ,
आपके विचार बहुत अच्छे लगे। मुग्धा....<br /><br />अभिषेक जी ,<br /><br />आपके विचार बहुत अच्छे लगे। मुग्धा के जीवन में अब थोडा स्थायित्व है । शायद उसकी अपेक्षाएं कुछ कम हो गयीं अब । घरवाले तो उसके वैसे ही हैं , ज़रा भी नहीं बदले। हाँ , मुग्धा ने ज़रूर खुद को पहले से ज्यादा मज़बूत बना लिया है। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-73053270688543501822011-04-08T09:37:54.237+05:302011-04-08T09:37:54.237+05:30main bhi saath hoon....
sabse pahle mugdha didi ke...main bhi saath hoon....<br />sabse pahle mugdha didi ke liye prarthana ..<br />aur wo akele nahi hain raah me..<br /><br />aur kranti ki jaroorat hai jahan sabhi ek saman rahe ....sammman ho ...ek peaceful world ...jahan sabhi ke vicharon ko mahatta mile aur badi ko door karne ke liye sabhi ekjoot hon...<br /><br />Emotional hokar kuch nahi hoga <br />dhridhta se kaam karna chahiye..नीलांशhttps://www.blogger.com/profile/06348811803233978822noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-25459634054235960992011-02-07T12:31:29.647+05:302011-02-07T12:31:29.647+05:30Thanks to everyone for your valuable opinion, sugg...Thanks to everyone for your valuable opinion, suggestions and concern for Mugdha.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-60921600067343840752011-02-06T11:25:17.457+05:302011-02-06T11:25:17.457+05:30मुझे लगता है,दीन बन कर सहने का बजाय अत्याचार का व...मुझे लगता है,दीन बन कर सहने का बजाय अत्याचार का विरोध होना चाहिये -मुग्धा की ओर से दृढ़ता से .उसे कुछ हो गया तो बच्चों का क्या होगा ?प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-16786482829132962192011-02-06T09:13:28.855+05:302011-02-06T09:13:28.855+05:30आँखे नम हो गयी एक माँ की यह स्थिति पढ़कर...
हम आपक...आँखे नम हो गयी एक माँ की यह स्थिति पढ़कर...<br />हम आपके साथ है आदेश दे की हम उनके जीवन में खुशिया भर पाए इसके लिए क्या कर सकते है ?betuliyanhttps://www.blogger.com/profile/10602319352974756848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-48429663912546200932011-02-06T09:04:14.105+05:302011-02-06T09:04:14.105+05:30बहुत ही मार्मिक घटना बस साहस और धैर्य ही काम आता ह...बहुत ही मार्मिक घटना बस साहस और धैर्य ही काम आता है|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-78380691266636058382011-02-05T23:52:31.585+05:302011-02-05T23:52:31.585+05:30बहुत ही मार्मिक घटना....बहुत ही मार्मिक घटना....Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-72223830060019571132011-02-05T22:50:43.725+05:302011-02-05T22:50:43.725+05:30बहुत ही अफ़सोस की बात है ....मगर फिर भी उम्मीद जिन्...बहुत ही अफ़सोस की बात है ....मगर फिर भी उम्मीद जिन्दा है मुग्धा की जो काबिलेतारीफ है और शायद उसे बेटे की उम्मीदों में अपना जीवन साकार नज़र आया है..........उपेन्द्र नाथhttps://www.blogger.com/profile/07603216151835286501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-47775272409794153662011-02-05T19:13:35.080+05:302011-02-05T19:13:35.080+05:30दुखद...
ईश्वर ऐसा कभी किसी के साथ न करें...दुखद...<br />ईश्वर ऐसा कभी किसी के साथ न करें...गौरव शर्मा "भारतीय"https://www.blogger.com/profile/08677836318252485179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-75672998728987023952011-02-05T18:25:28.742+05:302011-02-05T18:25:28.742+05:30Divya ji..mujhe lagta hai.ki Mugdha ko himmat se k...Divya ji..mujhe lagta hai.ki Mugdha ko himmat se kaam lena chahiye....Apne haalaat se ladna chahiye Apne BETE Ke liye....Halaki main ye bhi maanta hun ki raai(Advice) dena alag baat hai ......aur Haqeeqat alag cheez hai. Fir bhi Apne BETE(son) ki khatir use Ladna hi hoga......Divya ji ...Use himmat se ladna hi hoga...uske BETE ko uski Maa( Mother) Chahiye. <br /><br />Mugdha ji Apne Aap ko Kamjor mat Samjho..... Naari ki Taaqat ko pahchno......Utho( Rise) Lado(Fight) and Jeeto (win). Tumhaare BETE ko Uski Maa chahiye....har haal men, har keemat par.वीरेंद्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05613141957184614737noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-49423493287272882292011-02-05T14:37:01.741+05:302011-02-05T14:37:01.741+05:30आदरणीय दिव्याजी ,
अत्यंत मार्मिक लेख है ...आदरणीय दिव्याजी ,<br /><br /> अत्यंत मार्मिक लेख है | आप जिस तरह से ज्वलंत विषय पर लिखकर <br /><br /> उसका यथार्थ परक विश्लेषण करती हैं ,बहुत ही साहसिक एवं प्रशंसनीय<br /><br /> है | मुग्धा की जिन्दगी जिस भंवर में फंसी है ,उसके लिए जिम्मेदार आज का <br /><br /> समाज ही है | आज नहीं तो कल इसका समाधान होना तय है | आपके इस <br /><br /> आन्दोलन में हर कलमकार को भागीदार बनकर अपनी असल भूमिका का <br /><br /> निर्वहन करना होगा |सुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-11214726671905508632011-02-05T13:03:45.701+05:302011-02-05T13:03:45.701+05:30उसे स्वयं साहस करना होगा...आपकी इस बात से सहमत हूं...उसे स्वयं साहस करना होगा...आपकी इस बात से सहमत हूं कि -‘यदि वो हिम्मत से काम लेगी , तो मैं कदम दर कदम उसके साथ रहूंगी।’Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-44703896023913841392011-02-05T10:40:56.091+05:302011-02-05T10:40:56.091+05:30insan kitna lachar hai.....
aap pas me hain.....a...insan kitna lachar hai.....<br /><br />aap pas me hain.....apki koshish hi kuch phalit ho.....<br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-23106715345046811002011-02-05T10:39:13.765+05:302011-02-05T10:39:13.765+05:30बहुत ही मार्मिकबहुत ही मार्मिकDeepak Sainihttps://www.blogger.com/profile/04297742055557765083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-35308574832655517132011-02-05T10:07:12.374+05:302011-02-05T10:07:12.374+05:30.
मुदिता जी ,
आपकी टिपण्णी से अक्षरतः सहमत हूँ। ....<br /><br />मुदिता जी ,<br /><br />आपकी टिपण्णी से अक्षरतः सहमत हूँ। आपने स्त्री के कमज़ोर पहलू कों बखूबी समझा । समाज का ढांचा ही कुछ ऐसा है। एक स्त्री के लिए पति का घर ही सब कुछ है , इसी संस्कार के साथ उसे बड़ा किया जाता है । विवाह के बाद लड़की के माता पिता इसी उम्मीद के सहारे जीते हैं की उनकी बेटी ससुराल में खुशहाल है। लेकिन ५० प्रतिशत लड़कियां जो घरेलु हिंसा का शिकार हैं वो अपने माता-पिता कों दुखी नहीं देखना चाहतीं और उन्हें सच नहीं बताती । पूरी जिंदगी यही सिलसिला चलता रहता है । उनकी चुप्पी कों ही उनकी खुशहाली समझ लड़की के माता पिता भी उम्र का आखिरी पड़ाव शान्ति से गुज़ार लेते हैं।<br /><br />एक स्त्री पर -- माँ होने का , पत्नी होने का , बहु होने का, और बेटी होने का भी दायित्व होता है ।<br /><br /> ससुराल के साथ साथ वो ताउम्र अपने मइके की भी खुशहाली के बारे सोचती है। यदि वो पति से दूर रहकर सुसुराल वालों के खिलाफ लड़ेगी तो बूढ़े और निर्दोष माता-पिता कों अनायास ही दुःख देगी । अनेक दुविधाओं से घिरी होती है एक संस्कारी स्त्री। उसकी अंतिम कोशिश यही रहती है , की बिना किसी की बदनामी हुए घर में शांति बहाली हो जाये । एक द्विधारी तलवार पर टिकी है जिंदगी मुग्धा की ।<br /><br />इश्वर ने बनाया ही स्त्री मन बहुत कोमल है । वो खुद पर तो अत्याचार सह सकती है , लेकिन अपने कारण दूसरों कों दुखी नहीं देखना चाहती ।<br /><br />मैं मुग्धा प्रकरण में खुद कों बहुत अशक्त पाती हूँ क्यूंकि भावुक हूँ। मुद्दा की जगह स्वयं कों रखती हूँ तो उसी की तरह सोचने लगती हूँ । परिवार मेरे लिए बहुत अहमियत रखते हैं ।<br /><br />दुनिया की कोई भी जंग दिल से नहीं लड़ी जाती । " मोह" में पड़कर हमेशा हार ही होती है।<br /><br />मैं मुग्धा की यथा संभव मदद ज़रूर करुँगी । लेकिन मेरी भावुकता शायद उसकी ताकत न बन सके ।<br /><br />पाठकों के विचार उसे पढ़ाऊँगी , शायद वो कोई बेहतर निर्णय ले सके । यदि वो हिम्मत से काम लेगी , तो मैं कदम दर कदम उसके साथ रहूंगी।<br /><br />मैं बहुत आशावादी हूँ , इसलिए मुग्धा के बेहतर भविष्य की पूरी उम्मीद है।<br /><br />आपकी टिपण्णी से बहुत ऊर्जा मिली है ! आपका एक बार पुनः आभार। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-91780251707287439092011-02-05T10:02:38.956+05:302011-02-05T10:02:38.956+05:30दुखद और गंभीर चिंतन का विषय। आपने दुनिया की सच्च...दुखद और गंभीर चिंतन का विषय। आपने दुनिया की सच्चाई से रूबरू करा दिया।Atul Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-53203809260284583342011-02-05T09:35:12.422+05:302011-02-05T09:35:12.422+05:30अत्याचार और अन्याय सहने की हद पर भी परिवार को बचाए...अत्याचार और अन्याय सहने की हद पर भी परिवार को बचाए रखना ...और वो भी एक आत्मनिर्भर महिला का ...मुझे उचित नहीं लगता ...सामंजस्य होना चाहिए मगर उसकी भी सीमा होनी चाहिए ...इस तरह वे अपने बच्चों के साथ अन्याय ही कर रही है1वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-16180537967520726662011-02-05T09:25:42.141+05:302011-02-05T09:25:42.141+05:30दिव्या जी ,
बहुत दुखद है यह स्थिति ..शर्मनाक है कि...दिव्या जी ,<br />बहुत दुखद है यह स्थिति ..शर्मनाक है कि प्रगतिशील कहलाते भारत में आज भी स्त्रियों की यह हालत है.. इसका कारण क्या सदियों का अनुकूलन नहीं ...जिसने इस समाज को इस तरह का बना छोड़ा है कि अपने परिवार से अलग होने का सोच ही एक स्त्री को इस मुकाम पर ला खड़ा करने को मजबूर कर देती है..तथाकथित परिवार ,सम्मान ,माता पिता की असमर्थता, येही सोचें कमजोर कर देती हैं नारी को ..मुग्धा जी के साथ जो कुछ भी हो रहा है उसमें बहुत बड़ा हाथ इन सोचों का है..जिसका फायदा उसके पति जैसे कायर पुरुष और उसकी सास जैसी हृदयहीन नारियाँ उठा लेती हैं...यह अन्याय तब तक चलता रहेगा जब तक नारी स्वयं के अस्तित्व को नहीं जानेगी.. परिवार तभी बनता है जब एक नारी हो... नारी से परिवार होता है ..परिवार से नारी नहीं... एक क्रांति चाहिए इस बदलाव के लिए समाज में..जिस तरह से देश को स्वतंत्र करने के लिए शहीद हुए थे भगत सिंह सुखदेव आदि उसी तरह नारी मानस को इस अनुकूलन से मुक्ति दिलाने के लिए भी शहादतें चाहिए... कोई कुछ नहीं करता ..नारी मुक्ति संगठन , नारी सहायता संगठन ..सभी की अपनी सीमाएं हैं... इस अन्याय के खिलाफ नारी को ही सशक्त होना होगा...आसान नहीं यह जानती हूँ..किन्तु सहन करना भी कोई विकल्प नहीं ....आप मानसिक और भावनात्मक सहारा दे पाने में सक्षम हैं मुग्धा जी को... किन्तु सामजिक तौर पर उनके विद्रोह में स्वर मिलाने में आप भी कमजोर पाती हैं क्या खुद को...बहुत सी अडचनें होती हैं..कानून , पोलिस , आर्थिक पहलू... किन्तु इन सब का हल निकल सकता है यदि मन में दृढ विश्वास हो.... आंसू बहा कर , सहानुभूति दिखा कर इस तरह की समस्याओं का कभी हल नहीं निकाला जा सकता .. इसके लिए साहस चाहिए जो भीतर से आता है...मुदिताhttps://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-38862570803998155342011-02-05T01:28:16.942+05:302011-02-05T01:28:16.942+05:30According to me, julm krne bala gunahgar hota h to...According to me, julm krne bala gunahgar hota h to utna hi sahne bala. Agar mugdha ji ko ye lagta h ki unke bete bin pita k kaise palenge to unhe ye b lagna chahiye ki unhe kuch ho gya to bin ma k us mahol me kaise palenge. Ma ki kami pita kabi puri nhi kr sakta, aur ap NRI h, shayad ye kahani vha ki h....yadi h to vha k laws is mamle me india k compare me zarur strng honge. Mugdhaji ko kanoon ki madad leni hi chahiye aur apko unki madad krni hi chahiye. Awaaz uthane ki zarurat h, dard se cheekhne ki nhi.VIVEK VK JAINhttps://www.blogger.com/profile/15128320767768008022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-57741354788729842462011-02-04T22:18:04.851+05:302011-02-04T22:18:04.851+05:30भारतीय माइथोलोजी की कई कहानियों में मां पार्वती , ...भारतीय माइथोलोजी की कई कहानियों में मां पार्वती , मां काली या अन्य किसी देवी के कई ऐसे रूप भी होंगे जिसमें उन्होंने अपने पति और ससुराल के विरूद्ध किसी न किसी कारण अपनी आवाज़ बुलन्द करके समाज को सन्देश देने का काम किया हो, शायद इस समस्या का कोई हल, कोई रास्ता हमार्रे धार्मिक ग्रन्थों में तर्क सम्मत दिया हो आइये मिल कर ढूंढने का प्रयास करें।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttps://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-10226415225977312252011-02-04T21:25:24.436+05:302011-02-04T21:25:24.436+05:30अब तो इन्हे अलग होकर इस अन्याय के खिलाफ कानूनू कार...अब तो इन्हे अलग होकर इस अन्याय के खिलाफ कानूनू कार्यवाही करनी ही चाहिये । दस साल बाद के सुख की आस में आज अन्याय सहते चले जाना भी कोई अक्लमंदी तो नहीं । और यदि मां बेटे के इन जुल्मों से मुग्धा की हत्या ही हो जावे तो ? गाय किसी का बुरा नहीं करती और सबको दूध भी देती है फिर भी कुदरत ने आखिर उसे सिंग क्यों दिये हैं ?Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-18011051799400399532011-02-04T21:22:33.437+05:302011-02-04T21:22:33.437+05:30.
Vishwanath ji ,
Indeed its a wonderful sugges....<br /><br />Vishwanath ji , <br /><br />Indeed its a wonderful suggestion and truly helpful for the readers. <br /><br />thanks and regards , <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-48736766131654822622011-02-04T20:05:35.324+05:302011-02-04T20:05:35.324+05:30गंभीर चिंतन का विषय है |हमारा समाज एक साथ कई युगों...गंभीर चिंतन का विषय है |हमारा समाज एक साथ कई युगों में जीता है|समाज में बदलाव पूरी तरह से होना चाहिए |डॉ दिव्या जी बहुत बहुत बधाई |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-15695861902672904922011-02-04T20:00:33.658+05:302011-02-04T20:00:33.658+05:30दुखद घटना। कभी कभी जब हालात काबु से बाहर हो जाते ह...दुखद घटना। कभी कभी जब हालात काबु से बाहर हो जाते है तो उसे वक्त पर छोड़ देना चाहिए। बीते वक्त के साथ उसका कोई न कोई हल निकल ही आता है।Amit Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01787361968548267283noreply@blogger.com