tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post5996319635469104634..comments2024-03-18T11:14:46.125+05:30Comments on ZEAL: जीते जी क्यूँ तलाशते हो कांधा ?ZEALhttp://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comBlogger53125tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-44762186133920902322013-03-17T20:54:00.300+05:302013-03-17T20:54:00.300+05:30एक दम सच्ची बात लेकिन व्यवहार में उतनी ही मुश्किल...एक दम सच्ची बात लेकिन व्यवहार में उतनी ही मुश्किल भी Mamta Bajpaihttps://www.blogger.com/profile/00085992274136542865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-47552554084725683462013-03-17T09:27:32.170+05:302013-03-17T09:27:32.170+05:30प्रेरणा देती रचना प्रेरणा देती रचना Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-61147560975762424822013-03-16T09:14:26.283+05:302013-03-16T09:14:26.283+05:30दिनांक 17/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-p...<i><b><br />दिनांक 17/03/2013 को आपकी यह पोस्ट <a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.in" rel="nofollow"> http://nayi-purani-halchal.blogspot.in </a> पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .<br />धन्यवाद! </b></i><br />-----------<br />अनाम रिश्ता....हलचल का रविवारीय विशेषांक...रचनाकार-कैलाश शर्मा जी<br />Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-8766628409967680752011-01-01T16:44:06.042+05:302011-01-01T16:44:06.042+05:30आपने तो हौसला भर दिया . केवल सार्थक प्रस्तुति नहीं...आपने तो हौसला भर दिया . केवल सार्थक प्रस्तुति नहीं कहुगी ...बल्कि कहना चाहूंगी कि बहुत अच्छा लाल रहा है आपको पढ़ना .... आपको बधाई .Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-29199916020306747102010-12-27T21:37:19.146+05:302010-12-27T21:37:19.146+05:30Dearest ZEAL:
Read.
Semper Fidelis
Arth DesaiDearest ZEAL:<br /><br />Read.<br /><br /><br />Semper Fidelis<br />Arth Desaiethereal_infiniahttps://www.blogger.com/profile/04329983874928045371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-38288853605243669992010-12-27T15:30:15.886+05:302010-12-27T15:30:15.886+05:30बहुत ही सार्थक प्रस्तुति ...विलम्ब से आने के लिय...बहुत ही सार्थक प्रस्तुति ...विलम्ब से आने के लिये खेद है ...।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-57319138179152434922010-12-27T15:03:31.782+05:302010-12-27T15:03:31.782+05:30यह ठीक है कि आत्मबल बढ़ाना जरूरी है आत्मनिर्भर बनने...यह ठीक है कि आत्मबल बढ़ाना जरूरी है आत्मनिर्भर बनने के लिए लेकिन जो दूसरों को सहारा देते हैं वे भी उस मक़ाम तक किसी के सहारे ही पहुँचते हैं।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-75881979717721838392010-12-27T13:17:17.161+05:302010-12-27T13:17:17.161+05:30सच मै आपकी इस उत्साह से भरी प्रस्तुति ये बयाँ करत...सच मै आपकी इस उत्साह से भरी प्रस्तुति ये बयाँ करती है की ........u r really an iron lady .<br />मेरी सोच भी कुच्छ आपकी ही तरह से है !<br />बहुत बहुत बधाई दोस्तMinakshi Panthttps://www.blogger.com/profile/07088702730002373736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-48437723128357409742010-12-27T13:01:58.681+05:302010-12-27T13:01:58.681+05:30डा. दिव्या जी,
आपके लेख में हमेशा विचारों का नया ...डा. दिव्या जी,<br /><br />आपके लेख में हमेशा विचारों का नया उदघोष होता है !<br />प्रस्तुत लेख मैं व्यक्ति को कमज़ोर बनने और बनाने का पुरज़ोर विरोध और स्वयं को पहचानने का आग्रह समाहित है !<br />साभार,<br /> <br />-ज्ञानचंद मर्मज्ञज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-7795689889568134332010-12-27T12:50:22.921+05:302010-12-27T12:50:22.921+05:30आपका कार्य प्रशंसनीय है, साधुवाद !
हमारे ब्लॉग पर...आपका कार्य प्रशंसनीय है, साधुवाद !<br /><br />हमारे ब्लॉग पर आजकल दिया जा रहा है <br />बिन पेंदी का लोटा सम्मान ....आईयेगा जरूर <br />पता है -<br /><a href="http://mangalaayatan.blogspot.com/2010/12/blog-post_26.html" rel="nofollow">http://mangalaayatan.blogspot.com/2010/12/blog-post_26.html</a>मनोज पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/12404564140663845635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-13300755334468446902010-12-27T10:50:59.319+05:302010-12-27T10:50:59.319+05:30सार्थक रचना, साधुवाद.
कंधे की जरुरत पड़ती है, दिए...सार्थक रचना, साधुवाद.<br /><br />कंधे की जरुरत पड़ती है, दिए जाते हैं, जीते जी भी, ये तो कंधे कंधे में फर्क है, सच्चा है या फिर कुछ और. <br /><br />बदलते समाज में आपकी सोच कतई सच्ची है, क्यों की जितने का कंधा लिया नहीं उससे ज्यादा तो मोल ही चुकाना पडता है, किसी की मदद लेना भी एक तरह से गुनाह बनता जा रहा है. <br /><br />पुनः साधुवाद.Arvind Jangidhttps://www.blogger.com/profile/02090175008133230932noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-67874583256277091432010-12-27T08:35:01.681+05:302010-12-27T08:35:01.681+05:30साहस और अंतर्मन को मजबूत करने वाली प्रेरक रचना ......साहस और अंतर्मन को मजबूत करने वाली प्रेरक रचना ...वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-70792154737696538332010-12-27T05:34:32.285+05:302010-12-27T05:34:32.285+05:30.
@ संवेदना के स्वर --
Compassion का अर्थ समझाने....<br /><br />@ संवेदना के स्वर --<br /><br />Compassion का अर्थ समझाने के लिए जो अर्थ लिखा गया उसको सही परिपेक्ष्य में लें तो बेहतर होगा। वैसे बाल की खाल निकालनी हो तो लाचार हूँ आपके आगे।<br />आभार। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-52564372061142525642010-12-26T21:55:18.037+05:302010-12-26T21:55:18.037+05:30आपसे सहमत। बस मुझे तो यह कहना है,
न रास्ता न अब र...आपसे सहमत। बस मुझे तो यह कहना है,<br /><br />न रास्ता न अब रहनुमा चाहता हूं<br />नई कोई बांगे-दिरा चाहता हूं<br />चिराग़ों का दुश्मन नहीं हूं मैं लेकिन<br />हवाओं का रुख़ मोड़ना चाहता हूंमनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-89104860220291877252010-12-26T20:39:50.557+05:302010-12-26T20:39:50.557+05:30.
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सही है... क्यों स्वयं को लाचार व दूसरों के क....<br />.<br />.<br />सही है... क्यों स्वयं को लाचार व दूसरों के कंधे का जरूरतमंद होने दिया जाये ?<br /><br /><br />...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-1271150203190718582010-12-26T20:28:24.743+05:302010-12-26T20:28:24.743+05:30प्रेरक आलेख।
कमजोर हृदय वालों और दुर्बल मनःस्थिति ...प्रेरक आलेख।<br />कमजोर हृदय वालों और दुर्बल मनःस्थिति वालों के लिए यह आलेख एक अचूक औषधि है।<br /><br />एक टिप्पणी के प्रत्युत्तर में आपका यह विचार एक जीवन सूत्र जैसा है-<br /><br />‘मृत्यु के अतिरिक्त कोई दुःख नहीं होता, सिर्फ मुश्किलें होती हैं, जिनका हल ढूंढा जाता है, कंधा नहीं।‘<br /><br />उच्च स्तरीय चिंतन से प्राप्त निष्कर्ष आपके इस आलेख में है।<br /><br />आभार, दिव्या जी।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-84943039485303744372010-12-26T19:36:45.201+05:302010-12-26T19:36:45.201+05:30सार्थक चिंतन..सार्थक चिंतन..Darshan Lal Bawejahttps://www.blogger.com/profile/10949400799195504029noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-20942223638918204912010-12-26T18:29:37.784+05:302010-12-26T18:29:37.784+05:30चलाते हैं आप जो चप्पु वो अकसर पार होते हैं ! बहुत ...चलाते हैं आप जो चप्पु वो अकसर पार होते हैं ! बहुत प्रेरणा दायक !JAGDISH BALIhttps://www.blogger.com/profile/12672029642353990072noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-25253784559182977062010-12-26T17:17:58.098+05:302010-12-26T17:17:58.098+05:30एक गीत याद आ गया=
मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल ग...एक गीत याद आ गया=<br />मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता.....<br /><br />हर व्यक्ति के जीवन में एक ऐसा समय आता है कि उसे सहारे की ज़रूरत पड सकती है... यह सहारा पति, पत्नी, दोस्त, पुत्र, पुत्री... किसी का भी हो सकता है॥चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-6705544602126325572010-12-26T16:55:38.234+05:302010-12-26T16:55:38.234+05:30बहुत ही विवेकपूर्ण विचार देती पोस्ट.बहुत ही विवेकपूर्ण विचार देती पोस्ट.अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-82281309310250964602010-12-26T16:21:18.417+05:302010-12-26T16:21:18.417+05:30वाह यह हुयी ना बात, बिलकुल मेरे सोचने के समान, अपू...वाह यह हुयी ना बात, बिलकुल मेरे सोचने के समान, अपून भी ऎसे ही हे जी, कभी कंधा नही तलाशा...मै जिन्दगी का साथ निभाता चला गया.....................<br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-89966136697288373932010-12-26T16:04:40.245+05:302010-12-26T16:04:40.245+05:30सार्थक प्रस्तुति...
हम यही मानते हैं कि अपने ग़म औ...सार्थक प्रस्तुति...<br />हम यही मानते हैं कि अपने ग़म और ख़ुशी की चाबी कभी किसी दूसरे के हाथ में नहीं देनी चाहिए...फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-24101229128998696592010-12-26T15:51:40.634+05:302010-12-26T15:51:40.634+05:30आज की पोस्ट पढ़ कर रहीम जी का एक दोहा याद आया
रह...आज की पोस्ट पढ़ कर रहीम जी का एक दोहा याद आया <br /><br />रहिमन निज मन की व्यथा , मन ही राखे गोय |<br />सुनि अठीलेहें लोग सब , बाँट न लेहें कोय ||<br /><br />अठीलेहें--- ठ पर छोटी ई की मात्र आएगी ....टंकण में नहीं आ रही है ...<br /><br />बहुत सार्थक पोस्टसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-4939872237346876132010-12-26T15:27:37.295+05:302010-12-26T15:27:37.295+05:30सही बात कही आपने.. पर मनुष्य का स्वभाव है दुःख में...सही बात कही आपने.. पर मनुष्य का स्वभाव है दुःख में किसी कंधे को ढूंढना....Satish Chandra Satyarthihttps://www.blogger.com/profile/09469779125852740541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-657182757518867612010-12-26T13:43:53.506+05:302010-12-26T13:43:53.506+05:30बहुत सटीक सलाह.दूसरों का कंधा ढूँढने की जगह अपने द...बहुत सटीक सलाह.दूसरों का कंधा ढूँढने की जगह अपने दुखों को अपने कन्धों पर ही उठाने की आदत डालने चाहिए,तभी जीवन में संघर्षों का सामना कर पायेंगे.और मरने पर भी कोई कंधा देगा या नहीं यह क्यों सोचें,क्यों की मरने के बाद इस सरीर का कोई क्या करता है उससे आत्मा को क्या फर्क पड़ता है,और जब हम नहीं तो इस सरीर को कोई कंधा दे या नहीं इसके बारे में हम क्यों सोचें. बहुत सुन्दर सोच..आभारKailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.com