tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post7035736162491935486..comments2024-03-18T11:14:46.125+05:30Comments on ZEAL: आलोचनाओं का बाज़ार गर्म है ZEALhttp://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-32241509641611893972012-09-05T20:26:41.249+05:302012-09-05T20:26:41.249+05:30hamari वाणी की maarifat aaya .
bahut badhiya .
s...hamari वाणी की maarifat aaya .<br /><br />bahut badhiya .<br /><br />sab kuchh badhiya hi badhiya.Anwar Ahmadhttps://www.blogger.com/profile/08378872436720055429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-49877790117044912182012-09-05T06:16:48.024+05:302012-09-05T06:16:48.024+05:30ब्लॉग परिवार की नींव ही ऐसे संबंधों पर राखी गयी ह...ब्लॉग परिवार की नींव ही ऐसे संबंधों पर राखी गयी है कि एक दूसरे से लोग अच्छी पोस्ट की वजह से नहीं जुड़ते बल्कि आप हमारे यहाँ आये तो हम आपके यहाँ आ जायेंगे और व्यवहार में वाही सास बहू सीरियल्स की राजनीती शुरू हो गयी है ...दुखद है Vandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-36530089161139068272012-09-04T22:23:27.431+05:302012-09-04T22:23:27.431+05:30यही तो कहते कहते हम भी थक गए... दिमाग का दही हो गय...यही तो कहते कहते हम भी थक गए... दिमाग का दही हो गया इस जूतम पैजार से..Satish Chandra Satyarthihttps://www.blogger.com/profile/09469779125852740541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-92038973200806702182012-09-04T17:08:47.482+05:302012-09-04T17:08:47.482+05:30सही कह रही हैं आप... आलोचनाओं-प्रत्यालोचनाओं का दौ...सही कह रही हैं आप... आलोचनाओं-प्रत्यालोचनाओं का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा और ब्लॉग जगत का माहौल दूषित हो रहा है। खेद की बात यह है कि स्थापित लोग अशोभनीय भाषा का प्रयोग कर रहे हैं.. दुख होता है देखकर।दीपिका रानीhttps://www.blogger.com/profile/12986060603619371005noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-5048610031506055932012-09-04T15:44:21.512+05:302012-09-04T15:44:21.512+05:30प्रतुल जी ने काफी अच्छे बिंदु कह दिए हैं. उक्त सम्...प्रतुल जी ने काफी अच्छे बिंदु कह दिए हैं. उक्त सम्मेलन के बारे में अधिक नहीं मालूम लेकिन चलो किसी ने कोई कार्य तो किया है. आज ऐसा किया है, कल बेहतर करेंगे.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-64751729211425585052012-09-04T13:54:48.152+05:302012-09-04T13:54:48.152+05:30आलोचना स्वस्थ हो तो बेहतर वरना किसी के कुछ कहने से...आलोचना स्वस्थ हो तो बेहतर वरना किसी के कुछ कहने से क्या फर्क पड़ता है..आप कुछ लिख रहो हो इससे लोग आंदोलित होते हैं तभी तो आलोचना भी होती है ..बेहतर है होने दीजिए।Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-55251552459613205972012-09-04T12:46:27.403+05:302012-09-04T12:46:27.403+05:30कुछ न कुछ तो होते रहना चाहिए ... अत्यधिक एनर्जी नि...कुछ न कुछ तो होते रहना चाहिए ... अत्यधिक एनर्जी निकालनी चाहिए बस ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-16935913127452965452012-09-04T12:35:58.923+05:302012-09-04T12:35:58.923+05:30परेशान व्यक्ति हर दिशा में भागता है.परेशान व्यक्ति हर दिशा में भागता है.सत्य गौतमhttps://www.blogger.com/profile/11175275197788938243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-15324058133677299802012-09-04T11:34:35.706+05:302012-09-04T11:34:35.706+05:30आलोचनाओं का जवाब आलोचना नहीं हो सकता है !!आलोचनाओं का जवाब आलोचना नहीं हो सकता है !!पूरण खण्डेलवालhttps://www.blogger.com/profile/04860147209904796304noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2911361780403920194.post-55382897618649936932012-09-04T11:26:04.570+05:302012-09-04T11:26:04.570+05:30आपकी हिन्दी काफी परिमार्जित होती जा रही है... वह न...आपकी हिन्दी काफी परिमार्जित होती जा रही है... वह नये शीर्ष छू रही है... लेकिन एकाद जगह पर वह अपूर्णता लिये रह जाती है. मुझे विश्वास है कि वह कमी भी दूर होगी और आप अपने बलबूते ब्लॉग जगत के नामी हस्ताक्षर होकर उभरेंगे. हम ये भी जानते हैं कि आपकी भाषा बातचीत शैली की है और आप उसके द्वारा ही व्यंग्य और कोमलतम भावों को अच्छे से पिरो लेते हैं.... ये सबके बूते की बात नहीं. <br /><br />उतार-चढ़ाव सभी के लेखन में आते हैं.... लेकिन आपने उसे स्थिर रखकर लम्बी दौड़ की क्षमता दिखा दी है. <br /><br />आलोचना का वास्तविक अर्थ मेरी दृष्टि में तो यही है कि "विशेष दृष्टि से वह देखा जाये जो सामने होते हुए भी नहीं देखा जा रहा."<br /><br />चाहे कोई 'ब्लोगर सम्मान सम्मेलन' आयोजित होवे ...चाहे उसकी परख से कितने ही वंचित रह जावें ... चाहे उसकी समीक्षा-आलोचना में कोई कितने ही दिन-रात बितावे.... <br /><br />यह उनकी समझ और सोच के दायरे हैं.....पाठक अपनी सरसरी दृष्टि से देखने पर सभी की अपने-अपने ब्लॉग पर की जाने वाली उछलकूद को यथोचित महत्व देते हैं.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.com