Thursday, March 17, 2011

सन २०१३ के अंत तक महाप्रलय निश्चित है --श्री अशोक घई .

Roorkee IIT से BE , श्री अशोक घई ने ये भविष्यवाणी कि है कि सन २०१३ के अंत तक महाप्रलय हो जायेगी। और ऐसी स्थिति आएगी कि स्वयं भगवान् को पृथ्वी कि रक्षा के लिए नियंत्रण हाथ में लेना पड़ेगा श्री घई ने कहा है की IIT कानपुर के प्रोफ़ेसर ने उनके इन वक्तव्यों का पूरा परिक्षण भी किया है।

श्री घई की भविष्यवाणी का आधार है वो धुंधले चित्र हैं जो सफ़ेद कागज़ पर अपने आप उभर आते हैं , जिन पर प्रलय सदृश्य चित्र होते हैं और देवी देवताओं कि धुंधली तसवीरें उभरती हैं उनका कहना है कि दूसरी दुनिया के निवासी उन्हें ये सन्देश भेजते हैं उन्होंने इन चित्रों का परिक्षण और चर्चा देश विदेश के वैज्ञानिकों के साथ की है

श्री घई के तथ्यों कि सच्चाई जानने के लिए महाप्रलय के बाद सन २०१४ तक जीवित रहना बहुत आवश्यक है। श्री घई , नोस्त्रदामस से बहुत प्रभावित हैं। उन्होंने इनकी भविष्यवाणियों का काफी अध्ययन किया है और उन्हें सही पाया है। नोस्त्रदामुस ने अपनी मृत्यु का समय भी बता दिया था , जो सही निकला

यदि पूर्व में लिखे गए धर्म ग्रंथों अथवा गणित और ज्योतिष कि बात कि जाए तो उसमें भी प्रलय का जिक्र किया गया है। महाभारत में आग से प्रलय की बात लिखी है तो कुअरान में जल प्रलय द्वारा क़यामत का जिक्र है बाइबिल में भी प्रलय की बात कही गयी है नोस्त्रदामस ने भी आग के गोले से पृथ्वी के विनाश की बात कही है

माया कैलेण्डर के अनुसार सन २०१२ के अंत तक पृथ्वी समाप्त हो जायेगी देखने में आया है की इन की गणना आज तक काफी सटीक निकली हैं लेकिन मयन सभ्यता के लोग अपना कैलंडर २०१२ के आगे बना ही नहीं पाये तो क्या उसी को पृथ्वी का अंत समझ लिया जाए ? वैसे २००५ की सुनामी , जापान की सुनामी , हेती का भूकंप , चिली देश का विनाश आदि प्रलय का ही एक रूप हैं।

धर्म और विज्ञान एक दुसरे से जुदा नहीं हैं। यदि विभिन्न धर्मों में प्रलय का उल्लेख है तो गणितीय आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं। आज बढती ग्लोबल वार्मिंग प्रकृति का संतुलन तेजी से बिगाड़ रही है लोग निश्चिन्त हैं कोई संतोषजनक हल नहीं निकला अभी तक इसका। कभी-कभी भविष्य के भी बारे में सोचना चाहिए और प्रकृति तथा पर्यावरण की रक्षा का भी दायित्व उठाना चाहिए

क्या आग , पानी और भूकंप तीनों मिलकर महाप्रलय लायेंगे ? क्या प्रलय छोटी-छोटी किश्तों में होगी और सृष्टि बची रहेगी ? क्या काल का चतुर्थ युग कलियुग विनाश की कगार पर है ?

पाठकों का क्या विचार है इस विषय पर ?

आभार

77 comments:

  1. ...ने ये भविष्यवाणी कि है कि सन २०१३ के अंत तक महाप्रलय हो जायेगी.. क्या प्रलय छोटी-छोटी किश्तों में होगी ....और ऐसी स्थिति आएगी कि स्वयं भगवान् को पृथ्वी कि रक्षा के लिए नियंत्रण हाथ में लेना पड़ेगा ...

    अरे ओ भई प्रभु जी, अगर नहीं मानना चाहते तो इस मीट का झटका करो यूं हलाल क्यों करते हो..

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  2. कोई फर्क नहीं पड़ने वाला

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  3. जब आएगी तब देखी जाएगी। बनारसी किसी बात की परवाह नहीं करता। अभी तो होली का आनंद लेना है।

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  4. चलिए प्रलय होगी तो एक और कामायनी लिखी जाएगी . वैसे झटके में ख़तम हो दुनिया तो अच्छा है .

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  5. जो मजा हलाल में है वो झटके में कहां...
    घई जी को एक बार टीवी पर देखा था... उनका विवेचन मुझे समझ नहीं आया..

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  6. हम भविष्‍यवक्‍ता की भी कोई पूछ-परख होगी- प्रलय तो कल ही होगा (कल जो आता नहीं).

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  7. प्रलय तो आएगी ही ; आखिर कब तक यह प्रथ्वी पाप का बोझ सम्भाले --पर खुदा जो करे वो झटके से करे --किस्तों में नही ?

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  8. क्या फर्क पड़ता है कभी हो जाए , तैयार हैं :-)

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  9. मरने के पहले केवल जीवन की बाते हों।

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  10. 1962 से अब तक कई बार ऐसी भविष्यवाणियां मेरे सामने से गुजर चुकी हैं ।

    ब्लागराग : क्या मैं खुश हो सकता हूँ ?

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  11. 'ना जाने कोन सा पल मौत की इनायत हो ,हरेक पल की खुशी को गले लगा के जियो'.
    दिव्याजी,जब कोई प्राणी इस शरीर को छोड़ता है तो उसके लिए तो प्रलय तभी हो जाती है. बहुत सी भविष्यवाणियों से क्या मिलेगा जब ये निश्चित है कि शरीर को छोड़ना पड़ेगा ही. यूँ तो हमारी किताबों में ऐसा भी वर्णित है कि महाप्रलय में भी योगी/भक्त जीवित रह सकते हैं. रामचरित्र मानस में काक भुशुण्डी जी का जिक्र आया है जिन्होंने कितनी ही महाप्रलय देखीं हैं. कितने ही नित्य जीवी
    नारदजी,हनुमानजी आदि के बारे में भी हम सुनते आये है.और इस बात का भी वर्णन है कि प्रत्येक जीव में नित्य जीवी बनने की पूर्ण संभावना है ,बशर्ते वह खुद के नित्य ,अजर,अमर ,सत्-चित-आनन्द स्वरुप का ध्यान करे और समझे. भगवान का अवतरण हृदय में होता है,क्योंकि असल में अवतरण भी हो और ह्रदय दूषित हो ,तो वह अवतरण का रहस्य कैसे जान पायेगा, कहा भी गया है "जा की रही भावना जैसी,प्रभु मूरत देखि तिन तैसी". प्रलय के बारे में अनगिनित कल्पनाएँ और भविष्यवाणी की जा सकती हैं,और मन में डर बैठाया जा सकता है. लेकिन यह डर वर्तमान को सुधारने के लिए हो तो ही अच्छा है . कबीरदास जी का तो कहना है "कबीरा गर्व न कीजिये ,काल गहे कर केश,ना जाने कित मारिह का घर का परदेश."
    भगवद गीता अ.८ श्.१९ व २० के अनुसार 'हे पार्थ! वही यह भूत समुदाय उत्पन्न हो-होकर प्रकृति के वश में हुआ रात्रि के प्रवेशकाल में लीन होता है और दिन के प्रवेशकाल में फिर उत्पन्न होता है."
    'उस अव्यक्त से भी अति परे दूसरा अर्थात विलक्षण जो सनातन अव्यक्तभाव है,वह परम दिव्य पुरुष सब भूतों के नष्ट होने पर भी नष्ट नहीं होता.' टिपण्णी थोडा लंबी हो जाने के लिए छमा चाहता हूँ,परन्तु विषय ही ऐसा रखा आपने कि रोक नहीं पाया.

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  12. God says – Tu Karta wo hai jo tu chahta hai...
    Par hota wo hai jo main chahta hoon...
    Tu wo kar jo main chahta hoon...
    fir hoga wo jo tu chahta hai....


    BTW, i don't see any reason of these forecasts other than publicity.
    its bound to come when it has to.....

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  13. मै प्रोफ़ेसर श्री अशोक घई की सारी संपत्ती १ लाख रूपये मे खरीदने तैयार हूं। पैसा २०११ मे ही दूंगा और कब्जा २०१४ मे लूंगा।

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  14. .

    Rakesh ji ,

    Your comment is quite convincing .

    .

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  15. जो बातें रास्ते पर बैठा चंदन टीका लगाए हुए ज्योतिषी अपने तोते से कहलाता है....उन्हीं चीजों को जब BE पास करने के बाद कहा जाता है तो वजन बढ़ जाता है :)

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  16. आदि का अंत तो निश्चित है। यहॉ ज़रूरी यह है कि व्यक्ति अपने जीवन को अपनी-अपनी परिभाषाओं के अनुसार कितने गुणवत्तापूर्ण ढंग से जी पाता है। यदि व्यक्ति परिपूर्णता के करीब है तो सृष्टि का विनाश उसे रोमांचित नहीं करती है. ऐसी चर्चाओं में यह तथ्य मुखर हो जाता है कि बहुजन सुखाय, बहुजन हिताय शैली में जीवन जीने की ओर प्रवृत्त होना चाहिए। ज़माने से मुहब्बत करनी चाहिए। मिटेगी तो फिर रचेगी दुनिया और हम सब अपने नए-नए किरदार में फिर मिलेगे हम। पहले भी तो ऐसा हो चुका है और देखि हम सब मिल गए हैं, मिल रहे हैं वरना किसी को पहली बार देखते ही दिल से अपना क्यों मान बैठता है।

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  17. दुनिया (पृथ्वी) पांच अरब साल से मौजूद है और इससे पहले प्रलय की करोड़ों भविष्यवाणियां हुई हैं. मैं घई साहब की बात गलत साबित होने का इंतजार कर रहा हूं.
    लेकिन ये ज्योतिषी अपनी बात को घुमाने-फिराने में माहिर हैं. गलत साबित होने पर कोई फालतू का बहाना बना देंगे.

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  18. jab jeewan mein dukh aata hai,wh kisi prlay se kam hota hai kaya? aaj mein khush raho aur rehanein do....

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  19. मनुष्य जिस प्रकार अपनी सुविधा और ऐशो आराम के लिए प्राकृतिक संपदाओं का दोहन कर रहा है उसे देखकर किसी भी भविष्यवाणी की कोई ज़रूरत नहीं है ,हमें अपना भविष्य साफ़ साफ़ दिख रहा है !

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  20. जापान में जो हुआ वह प्रलय ही तो है।

    जो हो रहा है वह भी प्रलय ही तो है।

    जो २०१३ में होगा उसकी चिंता क्या?

    जो होगा देखा जाएगा।

    यह बात तो तय ही है कि यदि हम प्रकृति का बेहिसाब दोहन करेंगे तो प्रकृति के प्रकोप को भी झेलने के लिए तैयार रहना ही होगा।

    ... और यह प्रकोप प्रलय का रूप भी अख़्तियार कर सकता है।

    बाक़ी इन भविष्य वक्ताओं की बातें विश्वास करने लायक़ नहीं होतीं। अगर ये कुछ बता सकते थे तो जापन के लोगों को सतर्क कर बचा सकते। कह देते कि फलां दिन, फलां समय यह होगा तुम वहां से हट जाओ।

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  21. क्या कह सकते हैं बहुत कुछ भगवान ने अपने हाथ मे रखा है। बस अपना कर्म करते हुये भोग रहे हैं और आगे भी भोग लेंगे। जापान के हालात देख कर तो लगता है कि प्रलय आने वाली है। वैसे मनोज जी ने सही कहा है पहले किसी ने जापान के बारे मे ऐसी भविष्य वाणी नही की। शुभकामनायें। फिल हाल होली मनायें क्या पता फिर मना सकें या नही। होली की हार्दिक शुभकामनायें।

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  22. आय एम अफ़्रेड ऑफ़ महाप्रलय। कृपया प्लीज़ इसको रोकिये ना।

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  23. जब जो होना है वो होकर रहेगा उसके लिये चिन्ता क्यों…………अगर आज को सुन्दर बना ले तो कल अपने आप सुन्दर होगा ……………वैसे मनोज जी का कहना सही है भविष्यवक्ता यदि सही हैं तो पहले क्यो नही बता दिया …………ये सब मन के वहम हैं बस कर्म अच्छे करो नही करोगे तो फ़ल भी भुगतोगे फिर चाहे प्रकृति का दोहन ही क्यो ना हो।

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  24. जीवन..आग..पानी और वायु से ज्यादा कुछ नहीं है ...किसी एक को निकाल दीजिये प्रलय आप के समक्ष हाजीर ..! भविष्य वाणी...आज नयी नहीं है सदियों से होते आये है...और सही भी हुए !.

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  25. कल किसने देखा है, कल के चक्कर मे आज क्यो दुखी होवें
    अपना तो यही फंडा है, जब प्रलय आयेगी देखी जायेगी
    मरना तो एक दिन है तो क्यो डर डर के जिये

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  26. दिव्या जी वैसे मैं इस पर एक नहीं चार चार पोस्ट बहुत पहले लिख चुका हूँ ।..जापान जैसी घटनायें 2014 लास्ट तक जगह जगह होती रहेंगी । ये महाप्रलय न होकर खन्ड प्रलय है । इसमें 65 % आवादी ही समाप्त होगी । 2015 से इस प्रलय का रौद्र रूप आरम्भ हो जायेगा । जो लगभग 2018 जून तक ज्वालामुखी फ़टने से ..जगह जगह जमीन से जहरीला गैस युक्त धुँआ के रूप में होगा । ये प्रलय जहरीली गैसों और धुँये से होगी । 2020 तक ( प्रलय का प्रभाव ) सब कुछ शान्त होकर जीवन प्रथ्वी मानव सभी कुछ नये रूप में सतयुग में
    पदार्पण करेंगे ।

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  27. चिंता न करें, मेरे आचार्य कहते हैं.... अभी कलयुग आधा ही बीता है. ४ लाख ३२ हजार वर्षों में २ लाख कुछ वर्ष ही व्यतीत हुए हैं.
    इन प्रलयों के बीच मनुष्य और मनुष्यता कहीं न कहीं अवश्य जीवित रहेगी.

    ये कंप, ये ज्वाला, ये प्लवन .. प्राकृतिक होली का विकृत रूप हैं.
    अब तक न जाने कितनी ही बार बड़े-बड़े राज-साम्राज्य ध्वस्त हुए हैं. फिर चिंता क्यों?

    ईश्वर का तो ..... हो गया खेल
    कम्पन करना ... होली-होली.
    दब गये हजारों ... छत नीचे
    बन गई काल ... अपनी खोली.
    __________________
    वैसे भी ज्योतिषियों और भविष्यवक्ताओं को अनिष्ट की सूचनाओं में अधिक रुचि लेते देखा गया है. वे अपनी कला का सकारात्मक फायदा कभी देते नज़र नहीं आये.

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  28. धरती पे आबादी बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है. इसके कारण रहने के लिये जगह धीरे धीरे खत्म होती जा रही है. संसाधनो की भी कमी होती जा रही है
    आने वाले समय मे लोगो के मध्य इन्ही संसाधनो जल ,भोजन ,आवास आदि के लिये मार काट मचेगी.

    देशो के मध्य भी इन्ही सब चीजो के लिये युद्ध होगा.

    इसके अलावा मनुष्य ने जो कुदरत के साथ भयंकर खिलवाड़ किया है उसके फलस्वरुप ग्रीन हाऊस इफेक्ट का प्रभाव भी दिन प्रतिदिन और तेज होता जायेगा

    धरती दिन प्रतिदिन और गर्म होती जायेगी
    इतनी गर्म होती जायेगी की फिर सर्दी के मौसम मे भी ठंड नही होगी.

    कुल मिला कर ये सारी चीजे मिलकर धरती पर घोर अशांति और हाहाकार मचा देगी. इसी हाहाकार को हम प्रलय कह सकते है.
    जिससे समस्त जीवधारियो का जीवन नर्क समान हो जायेगा.

    इसके अलावा एक महाप्रलय ( जो कलियुग के अंत मे होनी है.जिसके बाद ये कलियुग खत्म होकर नये युग का प्रारम्भ होना है.) को होने मे अभी लाखो साल है. श्रीमदभागवत मे कलियुग की उम्र चार लाख बतीस हजार साल बतायी गयी है.
    और अभी तो केवल लगभग छहः हजार साल ही हुये है .

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  29. यदि यूं ही प्रकृति से खिलवाड़ किया जाता रहा तो मुहूर्त्त और जल्दी आ सकता है....

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  30. प्रकृति से छेडछाड किया तो यह समय पहले भी आ जाएगा।
    वैसे इन दिनों एक एसएमएस मोबाइल में खूब चल रहा है, आप भी देखिऐ,
    'U S Lost Many Lives On 11/09/01 And Japan Has Lost More Lives On 10/03/11
    दोनों को जोड दें तो तारीख आएगी 21/12/12, Beginning Of The END.

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  31. जब प्रलय आनी ही है तो चिन्ता क्या ? भूत और भविष्य के बजाये वर्तमान में जीना चाहिए ...जब इंसान अपने लिए गड्ढे खोद रहा है तो कब तक बचेगा ?

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  32. हर दिन को अपना आखरी दिन समझ के जियो !
    किसी दिन आप की भविष्यवाणी भी सच्ची हो जाये गी |

    शुभकामनाएँ!
    अशोक सलूजा

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  33. hum to 80 me khassi ban-ne chale the.....apne local 'nestradamas' ke hisab se.....7 wan sal tha
    hamare jindgi ka.........ab to 37 sal par kar chuke........

    kahin..kahin se thora kuch ya jyada kuch uprokt karno se nasht hoga .......... likin poori bramhand apne 'sankuchan' ke prakriya dwar hi
    hoga........

    holiyaste.

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  34. चिंता न करें सब साथ - साथ हैं

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  35. भेड़िया आया-भेड़िया आया वाली कहावत तो सबने सुनी ही होगी लिहाजा ऐसी भविष्य वाणियों को नाकारा भी नहीं जाना चाहिए, लेकिन जब प्रलय आएगा तब देखा जायेगा और इंसान कर भी क्या सकता है ,

    आभार..........

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  36. पूरी सृष्टि का विनाश हो जाय वह पल कभी न आयेगा।
    चिंता न करे, छोटे प्रलय तो सम्भव है एक परिवर्तन की तरह!!

    प्रेरक विवेचन!!

    निरामिष: शाकाहार : दयालु मानसिकता प्रेरक

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  37. प्रकृति ऐसे बदलावों से खुद ही निपट रही है...कभी बाढ़ तो कभी भूकम तो कभी ठण्ड ला के..
    मगर मित्रों हमें कई ब्लॉग लिखने है अभी..दिव्या जी आप के यहाँ थाईलैंड में भोजन भी करना है..
    पाकिस्तानियों को देश से भागना भी है ..कला धन वापस लाना भी है..
    हम लोग प्रलय तो टाल देंगे जब तक ये काम नहीं कर लेते..अशोक जी अफवाह न फैलाएं...कुछ फैलाना है तो प्यार फैलाएं..

    बुरा न मानो होली है....

    आप सभी को होली की शुभकामनायें..

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  38. इस तरह की भविष्यवाणियां अक्सर होती रहती हैं..इनके बारे में सोच कर आज को क्यों खराब किया जाए..कल जो होगा देखा जायेगा..आज को सार्थकता से जियो, कल की चिंता कल अपने आप कर लेगा..

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  39. भविष्‍य का आगम न तो बताया जा सकता है ..ना ही जो होना उससे

    बचा जा सकता है ऐसा होता तो ...दुनिया में जो प्रलय मची हुई है..उनके समाधान कब के खोज लिये गये होते ...हां हर क्षण को सार्थक करते हुये एक नई ऊर्जा से अपने कर्म करते रहें ...होली के अवसर पर सभी को शुभकामनाएं ...।।

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  40. सन् २००० में भी ऐसी कई अटकलें लगाई गयीं थी पर ऐसा कुछ हुआ नहीं..
    और हम तो उड़ते पंछी हैं.. कुछ होना होगा तो हंस कर झेलेंगे..
    रो-रो कर कौन ज़िन्दगी निकाले?

    एक गाना ज़हन में हमेशा रहता है: "रोते हुए आते हैं सब, हँसता हुआ जो जाएगा... वो मुक़द्दर का सिकंदर जान-ए-मन कहलाएगा!!"
    बस गुनगुनाते रहिये और मस्ती करिए!! :)

    आभार

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  41. अरे अबतक तो मैं २०१२ ही सोच रहा था .... चलिए एक साल और मिल गया ... हैप्पी होली !

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  42. Nice post.
    और अपने रब से माफ़ी माँगो फिर उसकी तरफ़ पलट आओ ; बेशक मेरा रब बड़ा दयावन्त, बहुत प्रेम करने वाला है।
    ज़लज़लों और क़ुदरती तबाहियों के बारे में अल्लाह की नीति The punishment

    http://www.vedkuran.blogspot.com/

    डाक्टर साहिबा आपने पूछा है कि
    1- क्या आग , पानी और भूकंप तीनों मिलकर महाप्रलय लायेंगे ?
    2- क्या प्रलय छोटी-छोटी किश्तों में होगी और सृष्टि बची रहेगी ?
    3- क्या काल का चतुर्थ युग कलियुग विनाश की कगार पर है ?


    तीनों के उत्तर

    1- हाँ
    2- हाँ
    3- यह इस बात पर निर्भर है कि आप के नज़दीक चारों युगों कि गणना क्या है ?
    ब्रह्माकुमारी मत के अनुसार कलियुग १२५० का होता है जबकि दुसरे लोग लाख साल से ऊपर बताते हैं .
    आप क्या मानती हैं ?

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  43. काल करे सो आज कर, आज करे सो अब
    पल में प्रलय आएगी, फेर करेगा कब...

    प्रलय तो आनी है, पर पता नहीं कब?

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  44. देखते हे जी क्या होगा
    आप सभी होली की हार्दिक शुभकामनाये
    ब्लॉग पर अनियमितता होने के कारण आप से माफ़ी चाहता हूँ

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  45. निम्नांकित भविष्यवाणी घई की भविष्यवाणी का विरोध करती प्रतीत होती है-
    श्री ए.पी.जे.अब्दुल कलाम के अनुसार ई. सन 2020 तक भारत एक शक्तिशाली विकसित देश के रूप में विश्व का नेतृत्व करेगा।

    वैसे तो खण्ड प्रलय की घटनाएं पृथ्वी की उत्पत्ति के समय से लेकर आज तक प्रतिदिन घटित होती रही हैं, जो आगे भी जारी रहेंगी, सूर्य में सुपरनोवा घटित होने तक, जिसके लिए अभी 5 अरब वर्ष का समय शेष है।

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  46. अब वैज्ञानिक भी आडम्बर करने लगे ?

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  47. नई मजलिसें , नई बातें
    और सभी दिलचस्प .
    क़ियामत कई तरह की होती है
    कियामत ए सुगरा और क़ियामत ए कुबरा
    यानि कि
    छोटी क़ियामत और बड़ी क़ियामत
    हिन्दी में आप ज्यादा बेहतर जान सकते हैं लेकिन छोटी तबाही और मुकम्मल तबाही की बातें सभी धर्मगुरुओं ने बतायी हैं
    जो गलत नहीं हो सकतीं चाहे सारा समाज इनकार करे.
    आंखन देखि को मना कोई अक्लमंद तो करता नहीं .
    आदमी की मौत भी क़ियामत की ही एक किस्म है .
    ज्यादा मुझ पे लिखा नहीं जाता और समझदारों के लिए उसकी ज़रुरत भी नहीं है.
    http://janhai.blogspot.com/

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  48. अब तक तमाम लोग इस तरह की भविष्य वाणी कर चुके है.कभी सही साबित नहीं हुई.जहाँ तक भूकंप,सुनामी इत्यादि की बात हैं ये सब दैविक आपदाएं हमेशा आती ही रही हैं.इनकी आवृत्ति तथा तीव्रता का ज़िम्मेदार इन्सान है.इसलिए प्रलय की चिंता छोड़कर सब पर्यावरण संरक्षण की और इंसानी संस्कृति को बचाए रखने की चिंता करें तो ज़ियादा उचित होगा.
    बाकी जो जैसा करेगा वैसा भुगतेगा ज़रूर.

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  49. मौत का एक दिन मुअय्यन है,
    नींद क्यों रात भर नहीं आती

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  50. श्री घई की भविष्यवाणी का आधार है वो धुंधले चित्र हैं जो सफ़ेद कागज़ पर अपने आप उभर आते हैं , जिन पर प्रलय सदृश्य चित्र होते हैं और देवी देवताओं कि धुंधली तसवीरें उभरती हैं । .... ऎसे कागज मे हजारो बना दुं, अजी छोडो इन सब अफ़गाहो को, मेरी प्रल्य उस दिन होगी जब मे मरुंगा, ओर मरने से पहले ही क्यो मरे, अंतिम पल का मजा ले, जब मोत अयेगी तो आ जाये कोन साला डरता हे, लेकिन दुनिया खत्म नही होगी यह बात पक्की हे, ओर भगवान का क्या रुप ने उस का क्या नाम हे यह कोई नही जानता, इस लिये उस का चित्र कागज पर अंकित केसे हो सकता हे?ओर जो अपने आप को सिद्ध करने के लिये कागज पर अपने चित्र अंकित करे वो केसा भगवान? डरे नही अभी दुनिया सदियो तक रहेगी...

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  51. मेरी भविष्यवाणी --- 2013 में महाप्रलय नहीं होगी.

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  52. प्रलय को आना चाहिए..........बशर्ते कोई भी ना बचे :)

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  53. जो खुद एक क़यामत हो वो भी क़यामत की बात करे ,
    क्या कयामत है ?
    आपकी टिप्पणी मिली , शोक्रिया .*.*.

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  54. अभी तो!
    होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
    --
    वतन में अमन की, जागर जगाने की जरूरत है,
    जहाँ में प्यार का सागर, बहाने की जरूरत है।
    मिलन मोहताज कब है, ईद, होली और क्रिसमस का-
    दिलों में प्रीत की गागर, सजाने की जरूरत है।।

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  55. क्या फर्क पड़ता है कभी हो जाए , तैयार हैं :-)

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  56. Vichar kya doongee? Mai to auron ke vichar padhoongee!Mera apna itna abhyaas kahan ki,apne vichar dun!

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  57. चाहे रोड के किनारे बैठा तोता वाला ज्योतिष हो या सभी आधुनिक
    संसाधन से लैस चैम्बर में बैठा ऊँची डिग्री धारी ज्योतिष हो,
    ये सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं. ये सब बेकार की बातें हैं,
    प्रकृति का रहस्य पूरी तरह आज तक कोई नहीं समझ पाया है.
    होइहें वही जो राम रची रखा. यहाँ राम से तात्पर्य इश्वर से है.
    गीता में भी बहुत सही कहा है इश्वर जो भी करता है, हमारे भले के लिए ही करता है.
    उस समय ज्योतिष कहाँ थे जब भारत में या जापान में सुनामी आई थी?
    विशेष रूप से हमारे भारत में लगभग सभी जगह इन्ही ज्योतिषी तथा पंडितों से
    सलाह विचार कर के ही शादियाँ कराई जाती हैं. वे सफल क्यों नहीं होती.
    यदि नतीजा मनमुताबिक रहा तो इनकी वाह वाही,
    यदि प्रतिकूल रहा तो भाग्य तथा विधाता का दोष..

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  58. राज भाटिया जी के बातों से पूरी तरह सहमत !!

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  59. जीने वाले झूम के मस्ताना होकर जी
    ..आने वाले कल से बेगाना होकर जी !

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  60. सोंचना क्या जो भी होगा देखा जाएगा
    कल के लिए आज को न खोना आज ऐ न कल आएगा

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  61. आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  62. तैयार बैठा हूं मरने के लिये पर होली के बाद

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  63. दिव्या जी , मुझे भली भांति याद है , साठ के दशक के प्रारंभ में भी अष्टग्रही का योग ज्योतिषियों ने बताया था और महा प्रलय की भविष्यवाणी की थी , परन्तु ऐसा कुछ घटित नहीं हुआ था. फिर क्यों चिंता करें !

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  64. प्रलय को आना चाहिए....

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  65. होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    मुझे लगता है कि प्रलय और महाप्रलय आदि की जो बातें होती हैं, वे केवल मनुष्य के दृष्टिकोण को इंगित करती हैं, अर्थात जन-धन की व्यापक हानि की ओर। अन्यथा जैसे ऊर्जा नष्ट नहीं होती केवल परिवर्तित होती है, वैसे ही सृष्टि भी कभी नष्ट नहीं होती है। वेद, कुरान और बाइबिल आदि में जिस महाप्रलय का उल्लेख मिलता है, वे भी कुछ जापान जैसी, पर उससे कहीं गुणात्मक रूप से अधिक रही होंगी। वैसे सृजन और प्रलय सतत अन्तहीन प्रकिया है।

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  66. अभी हम क्यों चिंता करे की २०१३ -१४ तक संसार समाप्त हो जायेगा. हमारे ग्रंथों के अनुसार अभी प्रलय में लाखो वर्ष पड़े है. और वास्तव में ये संसार इश्वर का है. जीवन मरण होता रहेगा. आरंभ और अंत उसी को करना होता है. हम तो कठ पुतली है. वैसे हर रोज विनाश लीला देखते है अपने घर.परिवार,शहर,देश में ऐसी घटनाएँ होती रहती है. हम फिर अपने काम में लग जाते है. फिर इस प्रलय की क्यों हा हा कार हो रही है. ग्रन्थ के ग्रन्थ लिखे जा रहे है. लोगो को पैसा कमाने का तरीका जो चाहियें.

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  67. अभी हम क्यों चिंता करे की २०१३ -१४ तक संसार समाप्त हो जायेगा. हमारे ग्रंथों के अनुसार अभी प्रलय में लाखो वर्ष पड़े है. और वास्तव में ये संसार इश्वर का है. जीवन मरण होता रहेगा. आरंभ और अंत उसी को करना होता है. हम तो कठ पुतली है. वैसे हर रोज विनाश लीला देखते है अपने घर.परिवार,शहर,देश में ऐसी घटनाएँ होती रहती है. हम फिर अपने काम में लग जाते है. फिर इस प्रलय की क्यों हा हा कार हो रही है. ग्रन्थ के ग्रन्थ लिखे जा रहे है. लोगो को पैसा कमाने का तरीका जो चाहियें.

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  68. अभी हम क्यों चिंता करे की २०१३ -१४ तक संसार समाप्त हो जायेगा. हमारे ग्रंथों के अनुसार अभी प्रलय में लाखो वर्ष पड़े है. और वास्तव में ये संसार इश्वर का है. जीवन मरण होता रहेगा. आरंभ और अंत उसी को करना होता है. हम तो कठ पुतली है. वैसे हर रोज विनाश लीला देखते है अपने घर.परिवार,शहर,देश में ऐसी घटनाएँ होती रहती है. हम फिर अपने काम में लग जाते है. फिर इस प्रलय की क्यों हा हा कार हो रही है. ग्रन्थ के ग्रन्थ लिखे जा रहे है. लोगो को पैसा कमाने का तरीका जो चाहियें.

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  69. अभी हम क्यों चिंता करे की २०१३ -१४ तक संसार समाप्त हो जायेगा. हमारे ग्रंथों के अनुसार अभी प्रलय में लाखो वर्ष पड़े है. और वास्तव में ये संसार इश्वर का है. जीवन मरण होता रहेगा. आरंभ और अंत उसी को करना होता है. हम तो कठ पुतली है. वैसे हर रोज विनाश लीला देखते है अपने घर.परिवार,शहर,देश में ऐसी घटनाएँ होती रहती है. हम फिर अपने काम में लग जाते है. फिर इस प्रलय की क्यों हा हा कार हो रही है. ग्रन्थ के ग्रन्थ लिखे जा रहे है. लोगो को पैसा कमाने का तरीका जो चाहियें.

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  70. साले गधों दुनिया कहाँ से कहाँ पहुच गई और तुम लोग इन्ही बातों मैं अटके हुए हो. ये अशोक घई मेरे हिसाब से तो बहुत बड़ा चूतिया इंसान है, मुझे ये दिमागी रूप से बीमार लगता है IIT करके पागल हो गया है .

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  71. आओ मानव जीवो बतलाता हु बदल जाता ह युग केसे रे,
    और आता ह अंडकार के उंदकर से नवयुग रे,
    जिस जिस को मालुम ह वो वो वो जान लो रे,
    आ ग्या समय एक याद आने का क्या क्या तुमने याद किया,
    वो नही काम आना रे,
    एक ही सवाल ह उसका क्या क्या याद ह तुमको रे,
    बस यही तुम फंस जाई गा रे,
    अब तो कर याद से तु सवाल,
    वरना महायाद की एक याद मे तु भी गुम चला जायगा रे,
    हे मानव कह रहा हु सच मगर केसे तु समझैगा रे,
    ये तुज को ही मालुम होगा रे,
    हम तो इतना जाने यही भासा को बास कर तुम समझता ह रे,
    फिर किस का एन्तजार ह क्या ज्यादा बोलना सत्य का साक्षी ह रे,
    अगर नही तो मानव जान ले कारण कोई भी हो रे,
    मगर युग बदलने का कारण किसी एक मानव जीव के लिये नही होता रे,
    ना ही वो धरती के लिया मानव और धरती तो उस कारण मे ह रे,
    मगर एक मानव उस कारण को जान सकता ह रे,
    देहसमय रहने तक ये मानव मे ताकत ह रे,
    मगर मानव को उसी ताकत का गुमान ह रे,
    उसको जीवन भर गुलाम बना कर रखता ह रे,
    और देह छोड़ने के बाद उसी गुमान का नशा जब टूटता ह रे,
    तो फिर एक बार ना सोने की कसम ही लेता ह रे,
    और फिर आने के लिया रोता ह रे,
    मगर आता उसी योनि मे ह रे,
    जिस की याद उस याद मे बंद ह रे,
    समय ना बेकार कर सोच क्या याद करना ह तुजको रे,
    जो तु भूल गया कोन ह क्या तु जान गया रे,
    अगर नही तो मरना ह क्या रे,
    भाग जा के जान ले जब तक तुज को मालुम ह ये स्वासा ह रे,
    इनसे ही कर सवाल क्या तुम हो रे,
    होगी तो देगी जवाब बस तु जवाब याद करना छोड़ दे रे,
    सब को मालुम करना ह तो मालुम करना छोड़ दे रे,
    जो मालुम ना हो उस को मालुम कर दूसरों को समझाना छोड़ दे रे,
    जो कहते ह समझा आ गया वो सब से आगे मरता ह रे,
    जो मरता मानव जीव को देख कर डर कर भागता ह रे,
    वही सवाल तलाश करता ह और मिलता भी उसको ही ह रे,
    नही अब कोई जानन वाला
    नही अब कोई जानन वाला
    नही अब कोई जानन वाला
    नही अब कोई जानन वाला
    नही अब कोई जानन वाला
    नही अब कोई जानन वाला
    नही अब कोई जानन वाला
    नही अब कोई जानन वाला
    नही अब कोई जानन वाला

    क्या आप जाग गये हो मानव,
    अगर हा तो कैसे खुद को यकिन दिलाओगे रे,
    आप एक आंख से देख रहे है या दो आँखों से रे,

    कल्याण हो
    !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

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  72. पहला पन्ना या आखिरी पन्ना कहा से लिखु उस एक पल का सत्य समझ ही नही आता,
    क्या कुछ नही होकर चला गया उस एक पल मे,
    सब बिगङकर बन गया या यु कहो बनकर बिगङ गया उस एक पल मे,
    ना जाने कितना कुछ अपने अन्दर ही छुपा लिया उस एक पल ने,
    क्या कहु कैसै समझाऊ उस एक पल को,
    ना जाने कितने एक पल समा गये उस एक पल मे,
    क्या समझाऊ उस पल की कहानी क्या समझाऊ उस की दास्ता,
    जिसमे सब कुछ रूककर फिर शुरू हो गया,
    उस एक पल मे ना जाने कितने एक–एक पल के टुकङे होकर समा गये,
    फिर भी वो पल वही का वही रह गया,
    उस पल मे ना जाने कितने ही पल समाकर गुम हो गये,
    उस पल को खोजते-खोजते ना जाने कितने ही उस पल मे हमेशा के लिये गुम हो गये,
    कल भी छुपा था आज भी छुपा है,
    क्या है ऐसा उस पल के अंदर जिसमे न जाने कितने एक पल भी समाकर खो गए,
    अब तुम ही बतलाओ ए मानुष उस पल का कैसे तुम्हे राज समझाऊ,
    जिसमे एक-एक पल करके ना जाने कितने एक पल समा गए,
    मगर सवाल फिर भी वही का वही है,
    हम जानते उस एक-एक पल का आखिरी जवाब जहॉ तक है,
    उस एक पल को पकङ पाते है या जाते देख पाते है,
    नही ये जान पाते है क़्या हुआ उस आखिरी पल के बाद के पल मे,
    ना जाने कितने एक आखिरी पल खो गऐ उस आखिरी पल के बाद के पहले पल को तलाश करने मे,
    जँहा भी एक पल को खोज के देखा तो अगले पल के होने का अहसास दे गया,
    आखिरी एक पल जहॉ तक तलाश किया एक पल को, वो एक पल बढता ही चला गया,
    जहॉ तक भी उस पल मे उस एक पल की तलाश की, ना जाने कितना बडा लगा,
    मगर ना जाने कितने एक-एक पल आगे जाके देखा,
    उस पल के होने का एहसास तो मिला मगर वो पल फिर भी ना मिला,
    अब मानुष सोच रहा कैसे करू तलाश, उस एक पल के बाद के पल का रहस्य क्या है,
    उस एक पल के बाद का आश्चयॅ, वो पल ना मिले ना सही ये तो पता चले क्या है,
    उस एक आखिरी पल के बाद घटने वाले पहले पल का रहस्य,
    यही सोचकर दिया कदम बढाऐ, उस आखिरी पल मे फिर भी रहस्य का रहस्य ही रह गया,
    आखिरी पल भी मिल गया और उसके बाद का पहला पल भी मिल गया,
    मगर फिर तलाश अधुरी की अधुरी रह गयी,
    उस आखिरी एक पल और पहले एक पल के बीच वो पल फिर रह गया,
    कैसे करू तलाश कैसे देखु उस पल को जो दोनो के बीच आया तो सही मगर आकर चला गया,
    देखकर भी नही देखा वो पल आया भी और आकर चला भी गया,
    अगर ए मानुष तु मानता है ये सवाल है,
    तो दोनो के बीच ठहर जा, वही तुझे वो पल मिलेगा,
    जिसमे गति दिखाई देती है मगर होती नही,
    यही वो फैसले की घङी है जब तुझे उस पल मे फैसला करना है,
    जो दोनो के बीच तु खङा है यही सवाल है यही जवाब है, ना समझे वो अनाङी है,
    आखिरी पल मे फैसला कर ले रूककर बीच मे जाना है,
    फिर जो तु देखना चाहे वही पल पहला पल हो, ये फैसला तु बीच मे खङा होकर कर ले,
    जिस पल को तु चुन ले, वही तेरा पहला पल हो,
    इस घाटी मे उतरने को कितने है बेताब,
    मगर जान ले ए मानुष कितना आसान और कितना मुश्किल है,
    ये आखिरी पल और पहले पल के बीच पल का स्थान,
    उस पल पर पहुचने के वास्ते तुझे होना होगा दुर आखिरी और पहले पल से,
    दोनो की दुरी को बॉटना होगा, बॉटते ही दुरी दोनो के बीच की हो जाएगा तु दोनो के बीच,
    वही खङे होकर तुझे लेना है फैसला कौन सा हो तेरा अगला पहला पल,
    जान ले तु खङा नही होगा और खङा भी होगा, जब तु होगा खङा उन दोनो पल के बीच,
    होगा सभी एक-एक पल मे, मगर दोनो पलो को बॉट देना होगा तुझे बीचो-बीच,
    टुट जाएगा नाता तेरा सबसे कुछ पल कहो या वो एक पल जिसमे तु होगा सभी से दुर,
    वही जाकर लेना होगा अगले पहले पल कहा होना चाहता है तु,
    नही कर सकेगा जब तक तु ये सब करना है बैकार,
    नही कभी ये जान सकेगा दोनो एक पल के बीच का सच,
    और किसी भी तरह ना तु समझ पाएगा उस पल का सच,
    जो पहुचेगा वही जान पाएगा उस पल का सच,
    वो भी इतना ही वो एक आखिरी पल भी था और ये पहला पल भी है,
    फिर भी गुप्त रह जाएगा वो दोनो के बीच,
    छुट गया वो पल पकङ लो उसको,
    जिसे पकङकर पार उतर गये साधु सन्त और फकिर,
    मानुष देखता रह गया वो निकल गये बीचो-बीच बे रॅग !!
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