Sunday, February 12, 2012

नेताओं में पनपती असाध्य विकृतियां

सरकार का आदेश हुआ है की जो IAS और PCS आफिसर ठीक से काम नहीं करेंगे उन्हें सेवा-निवृत्त कर दिया जाएगा। लेकिन सरकार का अपने बारे में क्या विचार है ? पिछले ६४ वर्षों से कोढ़ग्रस्त मशीनरी बनी हुयी है सरकार , इनके नेताओं की सेवा निवृत्ति क्यूँ नहीं होती। आजकल खा-पी कर मोटे हो रहे भ्रष्ट नेताओं को दिल का दौरा भी नहीं पड़ता। कितनी भी फजीहत हो जाते ये शर्माते नहीं है। डट कर घोटाले करते हैं , काला धन बटोरते हैं और गर्व के साथ जेल जाकर , वापस आकर चुनाव लड़ते हैं। अब सत्ता भी दागियों, लुटेरों, बेशर्मों और तानाशाहों की बपौती हो गयी है। पढ़ा-लिखा होना देशभक्ति के लिए ज़रूरी अर्ह्यता नहीं है।

20 comments:

  1. Theek kah rahee hain aap...sarkaar besharmon se bharee padee hai!

    ReplyDelete
  2. बुड्ढा होगा तेरा बाप का अमिताभ बच्चन का डायलोग याद आ गया " हार्ट अटैक से सिर्फ मर्द मरते हैं, क्योंकि उनके पास दिल होता है !:)

    ReplyDelete
  3. ....lol...Great comment Godiyal Sir.

    ReplyDelete
  4. यह आक्रोश यदि हर भारतीय के मन में उत्पन्न हो तब शायद देश की दशा सुधरे !

    ReplyDelete
  5. स्थिति तो यथास्थिति बनी हुई है ...

    ReplyDelete
  6. हम ही चुन रहे हैं उन्हें बार बार हर बार

    ReplyDelete
  7. गंभीर और विचारणीय.

    ReplyDelete
  8. नेता कभी रिटायर नहीं होते...

    ReplyDelete
  9. बात तो सही है आपकी।

    ReplyDelete
  10. यह नेताओं का डर्टी माइंड है जो कभी रिटायर नहीं होना चाहता :))

    ReplyDelete
  11. बहुत गंभीर विषय है नेताजी तो खुद को इसी तरह पाक दामन बतातें है....

    ReplyDelete
  12. पूरी तरह से ढीठ बन चुके इन लोगों को खुद के कुकर्म दिखाई नहीं देते। यदि इनका काम सही तरीके से चला रहे तो IAS और PCS की क्या औकात कि वे कोई गड़बड़ी या भ्रष्टाचार कर सकें?
    इन्हें दिल का दौरा कैसे पड़ेगा, उसके लिए तो दिल चाहिए।
    सेवानिवृति करनी है तो बिना दिल के इन सत्ता के दलालों की करनी चाहिए। अधिकारी व कर्मचारी तो इन्ही के रास्ते पर चलते हैं। जैसा बीज बोया जाएगा, फसल भी वैसी ही होगी। अत: शाखाओं को काटने से अच्छा है, इस भ्रष्ट पेड़ की जड़ें ही खोद डाली जाएं।

    ReplyDelete
  13. yahi shayad hanimari niyati ho gayee hai...hamesha kee tarah chintan k
    vibash karti panktiyan

    ReplyDelete
  14. is vishay par sabki gambheer soch honi chahiye...netaon ki bhi retirement age nishchit honi chahiye.

    ReplyDelete
  15. गंभीर यथार्थ कहा आपने...

    ReplyDelete
  16. आज तक देस को ईमानदार अधिकारी चला रहे थे। निकृष्ट और बेइमान नेताओं को भी वे अधिक पैर नहीं पसारने देते थे। अब जब से दोनों की मिलीभगत हुई तब से देश रसातल में जा रहा है। यह एक अच्छी पहल ही कही जाएगी॥

    ReplyDelete
  17. अभी राजभाषा पर गाँधी जी का एक प्रसंग पद रही थी कि गाँधी जी ने कुरता पहनना भी छोड दिया क्योंकि सारे देशवासियों को तन ढकने को कपडा नहीं था, और आज़ादी के बाद इन ६५ सालों में हम कहाँ पहुँच गए है...

    ReplyDelete
  18. there must be service line and retire line.nice lines.

    ReplyDelete
  19. नेता भी इंसान ही तो होते है !


    'सामग्री' व्यस्को ही की, हम देख रहे थे !
    'कुर्सी' न ही 'माईक' कहीं हम फेंक रहे थे,
    'कर-नाटकी' माहौल में रोमांस बड़ा है,
    दिल में न था कुछ मैल, 'नयन' सेंक रहे थे,

    मालूम न था हम को कि होवेगी फजीहत,
    दोहराएंगे अब हम नहीं, 'मोबाइली' हरकत,
    'सो' लेते तो होती न 'ख़राब' अपनी तबियत,
    बच जाए अगर 'कुर्सी' तो होवेगी गनीमत.

    हम सोच रहे थे कि सुरक्षित है, जगह ये,
    कानूनों के 'ऊपर' ही तो रहती है जगह ये,
    'आयुक्त' या 'अन्ना' की दख़ल होगी नही याँ,
    महँगी पड़ी 'बाबाजी' बड़ी हमको जगह ये.

    'दिन वेंलेंटाईन' का अब फीका ही रहेगा,
    चिंता ये नहीं है कि ज़माना क्या कहेगा,
    बदनाम ये मीडिया तो हमें बहुत करेगा,
    पर अगले 'इलेक्शन' तक ये किसे याद रहेगा ?

    http://aatm-manthan.com

    ReplyDelete