मुस्लिमों में जागरूकता आते देखकर ख़ुशी हो रही है। अब इस्लाम में क्रान्ति आ रही है। मुस्लिम बहनों ने तीन बार तलाक कह देने मात्र से तलाक हो जाने सम्बन्धी नियम के खिलाफ आवाज़ उठायी है। असग़र अली इंजिनियर ने भारतीय मुस्लिम महिला आन्दोलन का समर्थन करते हुए इस नियम को बदलने की आवश्यकता पर बल दिया है। मुंबई के 'इंस्टिट्यूट ऑफ़ इस्लामिक स्टडीज़' के 'क़ुतुब जहान किदवई' का कहना है की इस वाहियात नियम को ख़तम किया जाना चाहिए और इस्लाम में polygamy की प्रथा पर बैन लगना चाहिए।
केरल के रिटायर्ड जज श्री शमसुद्दीन ने कहा की कुरआन की आयातों में एक ही विवाह करने की बात स्पष्ट रूप से लिखी है। केरल में अब निकाह-रजिस्ट्रार नियुक्त किये जायेंगे जो निकाहनामों का पूरा लेखा-जोखा रखेंगे।
देखें यह ड्राफ्ट कब पास होता है और मुस्लिम बहनों के साथ अत्याचार कब बंद हो पाता है।
केरल के रिटायर्ड जज श्री शमसुद्दीन ने कहा की कुरआन की आयातों में एक ही विवाह करने की बात स्पष्ट रूप से लिखी है। केरल में अब निकाह-रजिस्ट्रार नियुक्त किये जायेंगे जो निकाहनामों का पूरा लेखा-जोखा रखेंगे।
देखें यह ड्राफ्ट कब पास होता है और मुस्लिम बहनों के साथ अत्याचार कब बंद हो पाता है।
वो सुबह कभी तो आयेगी
ReplyDeleteबस जब एक बार कमर कस ली तो सुबह जल्दी ही आयेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी
ReplyDeleteबस जब एक बार कमर कस ली तो सुबह जल्दी ही आयेगी
बहुत शुभ लक्षण है - प्रयास सफल हों !
ReplyDeletenow thats is some good news and will help for sure
ReplyDeletei find it wrong too that my three words one can have a divorce..
Bikram's
मुस्लिम महिलाओं ने समझ लिया है कि महिलाओं की तकलीफें पूरी दुनिया में एक जैसी हैं और वे अपने संघर्ष को धर्म से अलग करके देखने लगी है. यह शुभ लक्षण है. हिंदू महिलाएँ भी इस दिशा में आगे निकल आई हैं.
ReplyDeleteये मुल्ले केवल तोड़ने का ही आन्दोलन कर सकते हैं। जोड़ने का काम इनके बस में नहीं। महिलाओं को तलाक का अधिक्कर चाहिए किन्तु पुरुषों से यह रिश्ता तोड़ने का अधिकार छीनने की बात कोई मुल्ला नहीं करेगा।
ReplyDeleteजिस दिन मुस्लिम महिलाएं आगे आ गईं उस दिन एक नया प्रभात होगा...
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