सुखी एवं खुश रहने का मूल मन्त्र -- बस एक ही मन्त्र है । कभी किसी से कोई अपेक्षा मत रखिये। अपेक्षाएं कभी पूरी नहीं होतीं। पूरी ना हो पाने की अवस्था में मन को दुखी एवं अवसादित करती हैं। अच्छे- भले रिश्ते भी इन अपेक्षाओं की भेंट चढ़कर ख़ाक हो जाते हैं। दूरियां बढती हैं और दरारें आती हैं रिश्तों में। खुद को इतना सक्षम बनाईये की आप अपने सपनों को साकार कर सकें। सपने भी उतने ही देखिये जिन्हें पूरा कर पाने का सामर्थ्य हो आपमें। किसी दुसरे से अपेक्षाएं पालकर अपना और दुसरे का जीवन दूभर मत कीजिये।
Greater the एक्ष्पेक्ततिओन्स, ग्रेअटर थे दिसप्पोइन्त्मेन्त्स!
Zeal
सही है अपेक्षाएं अपेक्षाभंग की तरफ ले जाती हैं । खुद ही को करना होगा बुलंद और अपने सपने खुद ही साकार करने होंगे ।
ReplyDeleteअखिलेश जी से एक के बाद एक निरासाएं ही हाथ लग रही हैं ।