Tuesday, May 1, 2012

एक दिन वो मेरे ऐब गिनाने लगा मुझे...


एक दिन वो मेरे ऐब गिनाने लगा मुझे। जब खुद ही थक गया तो मुझे सोचना पड़ा.....

8 comments:

  1. सार्थक, सामयिक, सुन्दर, बधाई

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  2. ऐब गिनाना भी तो ऐब है

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  3. kuchh log a aur b sae aagae kabhie nahin badhtey zeal bekar sochtee ho :)

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  4. अच्छी बात है. कबीर ने भी तो यही कहा है;
    "निंदक नियरे राखिये आँगन कुटी छवाय....."

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  5. अच्छी बात है. कबीर ने भी तो यही कहा है;

    "निंदक नियरे राखिये आँगन कुटी छवाय....."

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  6. क्या बात है आजकल कमेन्ट की गुंजाईश नहीं छोड़तीं हैं आप...आज बहुत दिनों बाद मौका मिला है...बहुत ही सटीक हैं ये लाइने उनके लिए जो सिर्फ दूसरों में ऐब ही देखते हैं...

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  7. वाह ... ये भी बढि़या है

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