Monday, August 13, 2012

गृहस्थ जीवन !

अविवाहित व्यक्ति , चाहे वो स्त्री हो अथवा पुरुष , उसके पास सबसे बड़ा सुख होता है 'आजादी' का। वह व्यक्ति अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा को एक लक्ष्य की प्राप्ति में लगा सकता है। उसे अपने जीवन-साथी, बच्चों , समाज और परिवार की चिंता नहीं सताती। जो मिला वो खा लिया, जहाँ जगह मिली सो लिए ! इसके विपरीत विवाह एक बंधन है , जिसमें स्त्री अथवा पुरुष दोनों पर ही अनेक जिम्मेदारियां होती हैं। वह चाहते हुए भी बहुत कुछ नहीं कर पाता। अतः ज़रूरी है गृहस्थ व्यक्ति की मनोदशा को समझा जाए। उसे यह कहकर उलाहना ना दी जाए की तुम्हारे प्रयासों में कमी है।

Zeal

10 comments:

  1. बिल्कुल सही कहा दिव्या जी..अविवाहित व्यक्ति , चाहे वो स्त्री हो अथवा पुरुष अपनी ऊर्जा औए शक्ति का सही उपयोग कर सकता है..बजाय विवाहित के..

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  2. बिलकुल सच कहा दिव्या जी....
    हर मायने में आपकी बात सही है...

    अनु

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  3. दिव्या जी नमस्कार,
    बिल्कुल सही कहा आपने....,।

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  4. सम्मिलित प्रयास है गृहस्थ जीवन..

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  5. और एक अविवाहित व्यक्ति शादीशुदा को जंचता नहीं
    क्यों आजाद घूम रहा है वो खुलेआम पचता नहीं !!

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  6. अविवाहित के बड़े मजे हैं-रचना उत्तम ईश्वर की |
    जिम्मेदारी, बड़े बझे हैं, घनचक्कर सा बदतर की |
    लेकिन शादी बड़ी जरुरी, शान्ति व्यवस्था जग खातिर-
    *छड़ा बखेड़ा खड़ा कर सके, रहे ताक में अवसर की |
    पहले जैसे इक्के-दुक्के, बाबा विदुषी सन्यासिन
    करें क्रान्ति परिवर्तन बढ़िया, देश दिशा भी बेहतर की |
    गृहस्थी में फंसे लोग हैं, खुराफात का समय नहीं है-
    फुर्सत में होते हैं जब भी, खबर खूब लें रविकर की ||

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  7. सचमुच ,गृहस्थ-जीवन एक दायित्व है ,जिस पर कितनों का जीवन और भविष्य निर्भर होता है.

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  8. गृहस्थ जीवन ही तो ज़िन्दगी की कसौटी होता है।

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