Thursday, August 23, 2012

बगल की डाली पर बैठी है कौन...?

कांग्रेस की फुनगी पर कौन है बैठा...?.... बगल की डाली पर बैठी है कौन... हर शाख पर बैठे हैं 2G , आदर्श और कोयले वाले.... अरे किसने लिखा था वो गीत...."हर शाख पे उल्लू बैठा है, अंजामे गुलिस्तान क्या होगा"







3 comments:

  1. डॉ० दिव्या जी बहुत खूब |

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  2. कविता :बल्ले बल्ले है सरकार

    वागीश मेहता ,डी .लिट ,१२१८ शब्दालोक ,अर्बन इस्टेट ,सेकत- ४ ,गुडगाँव

    मजबूरी साझी सरकार ,
    हाथ में कोयले ,ऊखल में सिर ,
    करेंगे मिलकर भ्रष्टाचार ,
    चारा तो हम ही खायेंगे ,
    करनी अपनी भुगतो यार .

    संख्या बल है पास हमारे ,
    हमीं बनायेंगे सरकार ,
    यदि कहीं गिनती कम होगी ,
    थैलीशाह भी हैं तैयार ,
    दो घोड़ों पर कई सवार .

    तुम लोगों ने सांसद भेजा ,
    कर लीना इन पर एतबार ,
    कलम भी इनके ,निर्णय इनके ,
    अपने सुख ,भत्ते विस्तार ,
    सांसद करते बारम्बार .

    अन्ना खुद ,साथी अनशन पर ,
    साथ युवा हैं कई हज़ार ,
    काला धन ,जन लोकपाल पर ,
    प्राण विसर्जन को तैयार ,
    मूढ़ बनी बैठी सरकार

    क्या कर लेंगे बाबा -बूबा ,
    कृष्ण -बाल ,फिर कारागार ,
    सी .बी .आई .वैतरणी आगे ,
    करेंगे कैसे ,इसको पार ,
    डूब मरेंगे खुद ,मंझधार .

    ख़ास वोट पर गिद्ध निगाहें ,
    घाव देश पर लगे हज़ार ,
    मुंबई ,जयपुर ,पूणे,दिल्ली ,
    शहर -स्टेशन सब लाचार ,
    शीशे में सेकुलर सरकार ,

    साल सवा सौ ,बूढी औरत ,
    घर बैठे कई भरतार ,
    कुर्सी चस्का बहुत पुराना ,
    लंठ -शंठ सब साझीदार ,
    लेन देन का है व्यापार .

    भारत के सीने में खंजर ,
    इंडिया की है जय जयकार
    वोटर भकुए क्या कर लेंगे ,
    जन गण मन भी है लाचार ,
    बल्ले बल्ले है सरकार .

    प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा(वीरू भाई ) ,४३,३०९ ,सिल्वरवुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशिगन -४८ ,१८८ -१७८१

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  3. विरेन्द्र कुमार वर्मा जी की समसामयिक विषय की कविता चेतना लाती है. ओजपूर्ण भावों को व्यक्त करने में सक्षम है.
    सरकार की सभी कारगुजारियों को स्वर देती इस दमदार रचना पर मेरी बधाई.

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