हे भद्र पुरुषों , किसी स्त्री को इतना भी ना चाहो की मंथरा की पहचान ही न
कर सको ! और हे भारत की नारियों , किसी पुरुष को कभी भी गांधारी बन कर ना
पूजो ! तुम दोनों ही अपना अस्तित्व बचा कर रखो !
शिक्षाप्रद पोस्ट। इसे पढकर राम मनोहर लोहिया जी का कथन याद आ रहा है, जब उन्होंने एक बार कहा था कि भारत की आदर्श नारी तो द्रौपदी है, सीता या सावित्री नहीं।
सार्थक सोच,सार्थक सीख ....
ReplyDeleteशुभकामनायें हम सब को :-)
बढ़िया सीख .
ReplyDeleteसही संदेश।
ReplyDeleteसत्य वचन
ReplyDeleteचाहो ज़रूर, किन्तु चाहने से पहले पहचान कर लो। मंथरा और धृतराष्ट्र की पहचान होने पर उन्हें कदापि न चाहो।
ReplyDeleteबहुत ही उपयुक्त बिचार, ग्रहण करने योग्य.
ReplyDeleteStree aur Purush ke sahi astitv ko sweekarne vaala santulit vichar!
ReplyDeleteLove is blind so we shouldn't keep our eyes open. :)
ReplyDeleteअच्छी सीख लेने योग्य सन्देश !!
ReplyDeleteमहान सत्य.
ReplyDeleteशिक्षाप्रद पोस्ट। इसे पढकर राम मनोहर लोहिया जी का कथन याद आ रहा है, जब उन्होंने एक बार कहा था कि भारत की आदर्श नारी तो द्रौपदी है, सीता या सावित्री नहीं।
ReplyDeleteकिलकारी की गूँज सुनाती,
ReplyDeleteपरिवारों को यही बसाती।
नारी नर की खान रही है,
जन-जन का अरमान रही है।
नारी की महिमा अनन्त है।
नारी से घर में बसन्त है।।