Wednesday, October 17, 2012

उदास न हों ..

अपने-अपने हिस्से के प्यार से खुश रहिये। माता-पिता के हिस्से का प्यार पत्नी को नहीं मिल सकता , उसे पाने की व्यर्थ कोशिश नहीं करनी चाहिए।

उदास न हों , बस सत्य को स्वीकार कर लें .

पत्नी , अपने पति के लिए ज्यादा प्रेम रखती है , जबकि पति अपने माता-पिता के प्रति अधिक विश्वास और प्रेम रखता है।

Zeal

13 comments:

  1. मुझे लगता है जो पति अपने माँ-बाप को प्यार करता है वही पत्नि की परवाह भी करेगा...अच्छे इंसान की पहचान है ये...पत्नियों को बल्कि खुश होना चाहिए :-)

    अनु

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  2. चंद शब्दो मे गहरी बात कह दी

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  3. जी..सही कहा,अगर हम सत्य को स्वीकार कर ले तो उदास होने की जरुरत ही नही पड़ेगी |

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  4. माता-पिता और पति/पत्नी के प्रति प्रेम की मात्रा और गुणता व्यक्ति-व्यक्ति के लिए भिन्न-भिन्न होती है। इस भावना में variation स्पष्ट देखा जाता है।

    किंतु जिन अर्थों में आपने लिखा है, वह भी सही लगता है।

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  5. दिव्या, हर प्यार का अपना स्थान होता है.यह भी तो है कि जो प्यार व विश्वास पत्नी पाती है, वह किसा अन्य रिश्ते में संभव ही नहीं।
    देवेन्द्र
    शिवमेवम् सकलम् जगत

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  6. सर्वथा सत्य नहीं है। ऐसा होता होगा, इससे इनकार नहीं है किन्तु ऐसा ही होता है, यह मैं नहीं मानता। कुछ तो बेचारे पति ऐसे भी होते हैं जो पत्नी को अपना प्यार सिद्ध करते ही रह जाते हैं और पत्नी है कि मानती ही नहीं। ऐसे में पति अपने आप से कहता है
    उदास न हो, बस सत्य को स्वीकार कर ले। और सत्य यही है कि वह एक दिन सफल ज़रूर होगा।

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  7. प्रसन्नता केवल बाटी ही जा सकती है, यदि हो तो।

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  8. हम अक्सर कहते हैं कि प्यार कि गहरायी को नापा नहीं जा सकता और नापना भी नहीं चाहिए..
    फिर भी मन ही मन नाप तोल करते ही रहते हैं...
    पर जितना प्यार मिले उसमे खुश रहना सीखना चाहिए.. सच है..

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  9. पत्नी के हिस्से का प्रेम उसी को मिलेगा । जिन माँ बाप को पति चाहता है पत्नी भी चाहे तो कओई तकरार क्यूं हो ।

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