अपने-अपने हिस्से के प्यार से खुश रहिये।
माता-पिता के हिस्से का प्यार पत्नी को नहीं मिल सकता , उसे पाने की व्यर्थ
कोशिश नहीं करनी चाहिए।
उदास न हों , बस सत्य को स्वीकार कर लें .
पत्नी , अपने पति के लिए ज्यादा प्रेम रखती है , जबकि पति अपने माता-पिता के प्रति अधिक विश्वास और प्रेम रखता है।
Zeal
उदास न हों , बस सत्य को स्वीकार कर लें .
पत्नी , अपने पति के लिए ज्यादा प्रेम रखती है , जबकि पति अपने माता-पिता के प्रति अधिक विश्वास और प्रेम रखता है।
Zeal
मुझे लगता है जो पति अपने माँ-बाप को प्यार करता है वही पत्नि की परवाह भी करेगा...अच्छे इंसान की पहचान है ये...पत्नियों को बल्कि खुश होना चाहिए :-)
ReplyDeleteअनु
बहुत सही
ReplyDeleteचंद शब्दो मे गहरी बात कह दी
ReplyDeleteबहुत सही कहा..
ReplyDeleteवाह...!
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति!
जी..सही कहा,अगर हम सत्य को स्वीकार कर ले तो उदास होने की जरुरत ही नही पड़ेगी |
ReplyDeleteमाता-पिता और पति/पत्नी के प्रति प्रेम की मात्रा और गुणता व्यक्ति-व्यक्ति के लिए भिन्न-भिन्न होती है। इस भावना में variation स्पष्ट देखा जाता है।
ReplyDeleteकिंतु जिन अर्थों में आपने लिखा है, वह भी सही लगता है।
दिव्या, हर प्यार का अपना स्थान होता है.यह भी तो है कि जो प्यार व विश्वास पत्नी पाती है, वह किसा अन्य रिश्ते में संभव ही नहीं।
ReplyDeleteदेवेन्द्र
शिवमेवम् सकलम् जगत
सर्वथा सत्य नहीं है। ऐसा होता होगा, इससे इनकार नहीं है किन्तु ऐसा ही होता है, यह मैं नहीं मानता। कुछ तो बेचारे पति ऐसे भी होते हैं जो पत्नी को अपना प्यार सिद्ध करते ही रह जाते हैं और पत्नी है कि मानती ही नहीं। ऐसे में पति अपने आप से कहता है
ReplyDeleteउदास न हो, बस सत्य को स्वीकार कर ले। और सत्य यही है कि वह एक दिन सफल ज़रूर होगा।
प्रसन्नता केवल बाटी ही जा सकती है, यदि हो तो।
ReplyDeleteसही कहा ।
ReplyDeleteहम अक्सर कहते हैं कि प्यार कि गहरायी को नापा नहीं जा सकता और नापना भी नहीं चाहिए..
ReplyDeleteफिर भी मन ही मन नाप तोल करते ही रहते हैं...
पर जितना प्यार मिले उसमे खुश रहना सीखना चाहिए.. सच है..
पत्नी के हिस्से का प्रेम उसी को मिलेगा । जिन माँ बाप को पति चाहता है पत्नी भी चाहे तो कओई तकरार क्यूं हो ।
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