Thursday, October 4, 2012

हाय काजल लगी मदहोश तुम्हारी आखें..

बला का हुस्न गज़ब का शबाब नींद  में है
है जिस्म जैसे गुलिस्ताँ गुलाब नींद में है

उसे ज़रा सा भी पढ़ लो तो शायरी आ जाए
अभी ग़ज़ल की मुकम्मल किताब नींद में है

मचल रही है मेरे दिल में दीद की हसरत
वो डाले चेहरे पे नीला नकाब नींद में है

वो इन्कलाब उठाता है ले के अंगडाई
सवाल जागा हुआ है जवाब नींद में है

25 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    जिसने भी लिखी है बहुत अच्छी लिखी हैं ये पंक्तियाँ!
    शुभसंध्या...!

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  2. हुवे समर्थक छह शतक , दिव्या दिव्य कमाल ।

    बढे चढ़े उत्साह नित, जियो जील के जाल ।

    जियो जील के जाल, गजल का शायर बोलो ।

    है रचना उत्कृष्ट, हास्य पर कुछ दिन डोलो ।

    होय ईर्ष्या मोय, बताओ औषधि डाक्टर ।

    शतक समर्थक पूर, करे कैसे यह रविकर ।।

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  3. बहुत खूबसूरत कहा है

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  4. सच में बहुत अच्छी हैं।

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  5. मुझे तो लगा आपने ही लिख डाली हैं उपरोक्त
    पंक्तियाँ.

    बहुत ही भावपूर्ण है.

    शेयर करने के लिए आभार.

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  6. दो बार पढ़ गया हूँ. दोनों बार यह ग़ज़ल अच्छी लगी.

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  7. sawaal jaga hua hai, jawaab neend me hai ...shreshth!

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  8. गज़ब की पंक्तियाँ हैं। दरअसल मैं भी इस ग़ज़ल को गाना चाहता हूँ।
    आपको बता दूं कि ये ग़ज़ल फिल्म "एक विवाह ऐसा भी" की है, जिसने नायक (सोनू सूद) अपनी नायिका (ईशा कोप्पिकर) को ट्रेन में सोते हुए देखते समय लिखता है। असल में ये ग़ज़ल गीतकार रविन्द्र जैन ने लिखी है, संगीत भी उन्ही का है और इसे गायक शान ने अपनी शानदार आवाज़ म गाया है।
    मुझे यह ग़ज़ल बहुत पसंद है।

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  9. इस गीत को यहाँ देखिये
    http://www.youtube.com/watch?v=0uAX9IEPV9k

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  10. एक तो इस ब्लॉग पर गज़ल देखते ही दिल निसार हो गया :-)

    बहुत सुन्दर!!!
    अनु

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  11. हमने तो सोचा था की आप ने लिखी है यह रचना |
    पर है अच्छी |
    आशा

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  12. बढिया, क्या बात


    मेरे नए ब्लाग TV स्टेशन पर देखिए नया लेख
    http://tvstationlive.blogspot.in/2012/10/blog-post.html









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  13. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (06-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  14. ग़ज़ल खूबसूरत है और अच्छी है , पढना सुखद लगा

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  15. बहुत खूब है पसंद आपकी .

    लीजिए एक शैर इसी पर -उनसे छींके से कोई चीज़ उतरवाई है ,काम का काम है अंगडाई की अंगडाई है .

    ram ram bhai
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    शनिवार, 6 अक्तूबर 2012
    चील की गुजरात यात्रा

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  16. मैने पहले भी इसे पढा है,
    अच्छी रचना है।

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  17. पसंद करने लायक हैं भी....!

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  18. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

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  19. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

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