Saturday, January 19, 2013

जय जवान , जय किसान

कल की बारिश और ओले गिरने से कई स्थानों पर 70 फीसदी फसलों का नुकसान हुआ है! खेतों में खड़ी सरसों , मटर और आलू बर्बाद हो गए हैं ! किसानों का दुःख-दर्द पूछने वाला कोई नहीं है इस सरकार में!

काश लाल बहादुर शास्त्री जैसे प्रधानमन्त्री आज भी होते जिन्होंने "जय जवान --जय किसान" का नारा दिया था ! जिन्होंने 1965 के युद्ध के विध्वंस के समय सप्ताह में दो दिन उपवास किया और जनता से भी कहा ताकि अनाज की बचत हो सके और देश में कोई भी भूखा ना सोये ! ये एक इकलौते प्रधानमन्त्री थे जो अपने आवास से निकलकर पैदल ही कार्यालय तक जाया करते थे ताकि अनावश्यक व्यय होने वाली धनराशी को देशहित में बचाया जा सके! डॉ राजेन्द्र प्रसान तो अपनी तनखाह का चौथाई हिस्सा ही संस्कृत के विद्यार्थियों को दान दे देते थे ताकि संस्कृत भाषा का उत्त्थान हो सके !

आज हमें प्रासाद, पटेल और लाल बहादुर शास्त्री जैसे देशहित में सोचने वाले नेताओं की ज़रुरत है , जिनमें संवेदनशीलता और इमानदारी थी , ना कि कांग्रेसियों की जो की जवानो के सर काटे जाने पर भी खामोश रहते हैं और किसानों की बर्बादी पर भी !

Zeal

13 comments:

  1. ये जिम्मेदारी उस राज्य के मुख्यमंत्रियों की है
    जहां किसान प्रभावित हुए है,

    recent post : बस्तर-बाला,,,

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  2. उन्नत उदाहरण प्रस्तुत कर गये है हमारे सम्मानीय नेता, बस अनुकरण ही करना है..

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  3. आज हमें प्रासाद, पटेल और लाल बहादुर शास्त्री जैसे देशहित में सोचने वाले नेताओं की ज़रुरत है , जिनमें संवेदनशीलता और इमानदारी थी(aaj ke congresi?mt kakiye enki)

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  4. प्रभावी प्रस्तुति-
    आभार आदरेया -

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  5. बिल्कुल सही कहा आपने ,,,,
    आज सही में लाल बहादुर शास्त्री जैसे सच्चे नेता की सख्त जरुरत है ,,
    साभार .

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  6. जागती आँखों से ख्वाब देख रही हो.....????

    अनु

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  7. शास्त्री जी के कहने पर लोगों ने उपवास शुरू किया और ऐसा शुरू किया कि तब के कुछ लोग आज तक उपवास रखे हुए हैं। पूछने पर बताते हैं कि शास्त्री जी को वचन दिया था।
    शास्त्री जी ने उस समय अमरीका तक आँखें दिखा भारतीय सेना को लाहौर तक पहुंचा दिया। और आज हमारे प्रधानमन्त्री जी खुद अपनी कुर्सी पर बिना मैडम की परमिशन खिसक भी नहीं सकते।

    ओले गिरने से किसानों को जो नुक्सान हुआ है, उसके लिए उन्हें पूछने वाला कोई नहीं है। सीमाओं पर वीरों ने जो बलिदान दिया है, उसके लिए उन्हें पूछने वाला कोई नहीं है।
    शास्त्री जी के "जय जवान, जय किसान" के नारे को एडिट कर मनमोहन सिंह ने "मरो जवान, मरो किसान" कर दिया है।

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  8. wakayee un netaon jaise neta ki behad zaroorat hai.

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  9. देश गम्भीर संकट से गुज़र रहा है.....रक्षक ही भक्षक बन गये हैं.......
    जय जवान जय किसान, को तो स्कूलों पढ़ने वाले विद्यार्थी तक भूल चुके हैं मुझे तो ऐसा ही लगता है.... आज कल तो यही सुनाई देता है....जो बेइमान,बघारे शान, वही महान।

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  10. सटीक,लाजवाब प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

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  11. शास्त्री जी के कहने पर लोगों ने उपवास शुरू किया और ऐसा शुरू किया कि तब के कुछ लोग आज तक उपवास रखे हुए हैं। पूछने पर बताते हैं कि शास्त्री जी को वचन दिया था।
    शास्त्री जी ने उस समय अमरीका तक आँखें दिखा भारतीय सेना को लाहौर तक पहुंचा दिया। और आज हमारे प्रधानमन्त्री जी खुद अपनी कुर्सी पर बिना मैडम की परमिशन खिसक भी नहीं सकते।

    ओले गिरने से किसानों को जो नुक्सान हुआ है, उसके लिए उन्हें पूछने वाला कोई नहीं है। सीमाओं पर वीरों ने जो बलिदान दिया है, उसके लिए उन्हें पूछने वाला कोई नहीं है।
    शास्त्री जी के "जय जवान, जय किसान" के नारे को एडिट कर मनमोहन सिंह ने "मरो जवान, मरो किसान" कर दिया है।

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