Wednesday, January 23, 2013

कांग्रेस की रुदाली

नितिन गडकरी बनें या राजनाथ , कांग्रेस को क्यों तकलीफ हो रही है? --कांग्रेसी तो सारे चमचे हैं , चाची-420 के आगे गर्दन झुकाए उनकी सैंडलों  पर ही दृष्टि रखते हैं ! मुंह में ज़बान और हलक में थूक भी नहीं है की कुछ बोल सकें !  भाजपा का निर्णय उचित है, सबकी सलाह मशविरा लेकर सर्वसम्मति से लिया गया एक समझदारीपूर्ण, नैतिक निर्णय है! --कांग्रेसियों अपना रुन्दन बंद करो , हमें तो तुम्हारा अमूल बेबी को उपाध्यक्ष बनाने का निर्णय भी मजेदार लगा!

Zeal

10 comments:

  1. Bahot khoob,"dilli to chamcho ki dilli,roj dikhe ab chuhe billi,roj tamasa kare ye dilli,ab ye hai kankalo ki dilli....maryada ki bat n ab kar,ye hai ab chir- haran ki dilli.....

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  2. सुन्दर प्रस्तुति!
    वरिष्ठ गणतन्त्रदिवस की अग्रिम शुभकामनाएँ और नेता जी सुभाष को नमन!

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  3. पंजा-वाले से भला, खुरवाला खुद्दार ।

    परम्परागत चाल से, करे जाति-उद्धार ।

    करे जाति-उद्धार, उगाये पद्म जलाशय ।

    चाँद-सितारे नहीं, तोड़ता बूझ महाशय ।

    गंगा गीता गाय, पूजता काट शिकंजा ।

    छक्का पंजा करे, सदा ही खूनी पंजा ।।

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  4. जिनकी जैसी आदत है वो वैसा ही करेंगे !!

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  5. पंजा-वाले से भला, खुरवाला खुद्दार ।

    परम्परागत चाल से, करे जाति-उद्धार ।

    करे जाति-उद्धार, जलाशय पद्म उगाये ।

    तोडूं तारे-चाँद, कथ्य पंजा भरमाये ।

    गंगा गीता गाय, पूजने खिलता *अंजा।

    छक्का पंजा करे, सदा ही खूनी पंजा ।।



    अंज = पद्म , कमल

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  6. सही है. किसी को क्या तकलीफ.

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  8. गज़ब मज़ा आ गया। ऐसे ही किसी जवाब के इंतज़ार में था। मुझे विश्वास था कि ये सब आप ही कर सकती हैं।
    सच ही तो है, हमारी पार्टी, हम जिसे चाहे ऊपर लाएं, तुम कौन हो सवाल पूछने और आरोप लगाने वाले?

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  9. बहुत ही सही कहा है आपने । आभार ।

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