Saturday, March 2, 2013

ज़बान इस तरह फिसलेगी बार-बार तो

शिंदे की ज़बान इस तरह फिसलेगी बार-बार तो कब तक बर्दाश्त किया जाएगा इन्हें ? धारा 228A का उल्लंघन करते हुए , भंडारा रेप काण्ड की नाबालिग रेप-पीड़िताओं के नामों का उल्लेख किया . इस प्रकार की गलती वे सन 2007 में भी कर चुके हैं। कभी वे हिन्दुओं को आतंकवादी भी कहते हैं ! बार-बार ज़बान फिसलना आखिर क्या दर्शाता है?

पिछले 65 सालों से तो गुलामी के लिए अभिशप्त हैं ही हम लोग, क्या आगे भी गुलामी ही लिखी है?

http://timesofindia.indiatimes.com/india/Before-Shinde-a-similar-gaffe-by-an-SC-judge/articleshow/18758667.cms

11 comments:

  1. लोगों को कुछ याद नहीं रहता.

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  2. ये नेताओं के लिए नई बात नहीं है.

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  3. चिंता की बात यह है कि इस आयाम पर विशेषज्ञों का ध्यान नहीं जा रहा है।

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  4. इनकी जबान फिसलने के लिए हि बनी है !!

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  5. बिना हड़्डी के अंग का क्या भरोसा!

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  6. आज भी आजादी सबके लिए बराबर कहाँ है ... ..यहीं तो यही कहा जाएगा...समरथ को नहीं दोष गुसाई

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  7. एक शिंदे की बात नहीं है हमारे देश के नेताओं की जबान कुछ ज्यादा ही फिसल रही है क्या करें सोच में गिरावट तो सब ऒर है

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  8. गृहमंत्री अपने घर के क़ानून भी न जाने, ये कैसा भारत निर्माण है?

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  9. कम से कम एक चीज तो अच्छी होती है इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया में...उसके रिकॉर्ड बयान पर नेता ये बोल नहीं पाते कि उनकी बात को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया है।

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  10. गलती यदि बार बार दोहराई जाये तो उचित नहीं .

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  11. गलती की माफी मांगी । अपना काम निकल गया तो फिर से सीना जोरी । नेताओं की फितरत है ये ।

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