दुर्गा
शक्ती नागपाल का निलंबन इसलिए हुआ क्योंकि वो हिन्दू है। इस देश में
हिन्दू होना गुनाह है। मुसलमान होती तो कई नेता नितीश कुमार की तरह इशरत
जहाँ के सेक्युलर बाप बन कर आ जाते।
इस देश में अनपढ़ों और गंवारों का बोलबाला चलता है। पढ़े-लिखे काबिल लोगों को निलंबित करते हैं क्योंकि वे देश का विकास करना चाहते हैं। वोट की भीख पाने के लिए आतंकवादियों को भी अपना सरपरस्त बनाती है।
सनद रहे मुस्लिम DSP की मौत पर उसकी पत्नी परवीन ने सियासत करके , खूब मोलभाव करके पद और रूपए लुटे। हिन्दुस्तान में ऐश करनी है तो मुसलमान बनो और आतंकवादियों की तरह डंके की चोट पर रहो !
इस सरकार ने तो देश से "ईमानदारी का जनाजा" ही निकाल दिया है।
इस देश में अनपढ़ों और गंवारों का बोलबाला चलता है। पढ़े-लिखे काबिल लोगों को निलंबित करते हैं क्योंकि वे देश का विकास करना चाहते हैं। वोट की भीख पाने के लिए आतंकवादियों को भी अपना सरपरस्त बनाती है।
सनद रहे मुस्लिम DSP की मौत पर उसकी पत्नी परवीन ने सियासत करके , खूब मोलभाव करके पद और रूपए लुटे। हिन्दुस्तान में ऐश करनी है तो मुसलमान बनो और आतंकवादियों की तरह डंके की चोट पर रहो !
इस सरकार ने तो देश से "ईमानदारी का जनाजा" ही निकाल दिया है।
हया, कर्मठता,देशभक्ति,ईमानदारी सभी का जनाजा तो ये निकाल चुके, अब यही बाट देख रहे है सब कि इनके जनाजे में कब शामिल हो पाते हैं!
ReplyDeleteहर बात में दम है।
ReplyDeleteपूरी तरह सहमत
बात तो सही है !!
ReplyDeleteअपनी मर्जी करने की होड़ मची हुई है देश के नेताओं में ...
ReplyDeletesahi kaha..
ReplyDeleteसही बात सुने कौन!
ReplyDeleteTHE FIRST TRUTH
ReplyDeleteसच्चाई कड़वी होती है ....पर सेहत के लिए अच्छी!
ReplyDeleteसब की सेहत बनाये रखो दिव्या ...
स्वस्थ रहो !
आपकी यह पोस्ट आज के (०५ अगस्त, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - कब कहलायेगा देश महान ? पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
ReplyDeleteIAS अधिकारियों के लिये अब राजनैताओं को उन की औकात दिखाना जरूरी होगया है। यह देश अनपढ और उज्जड नेताओं के बगैर ज्यादा अच्छा चले गा। प्रशासनिक अधिकारी नेताओं से कहीं ज्यादा पढेलिखे, विचारशील, और अनुभवी होते हैं। वह कानून के मापदण्डों के साथ काम करते हैं जिस कारण भ्रष्टाचार सीमित रहता है।
ReplyDeleteअभी तो शुरुआत है दिव्या जी , हो सकता है आगे भविष्य में ये राजनीति के पैगम्बर (हमारे नेता)कसाब ,दाउद आदि को वोटों के लिए अगर नोबेल पुरूस्कार के लिए नामांकित कर दें तो हैरानी नहीं होगी. कसाब की फांसी का अगर किसी को तहेदिल से दुःख हुआ तो वो हमारी स्वच्छ राजनीति के गांधीवादी नेता माननीय श्री दिग्विजय सिंह जी को हुआ, क्योंकि कसाब की फांसी के बाद इनका चेहरा और बातें कुछ ऐसी थी कि मुझे लगा शायद इनके कलेजे का टुकड़ा (इनका पुत्र)मरा है. सच में दिव्या जी अमेरिका ने ओसामा को मार कर दिग्विजय का दिल और मुलायम का मुस्लिम सुहाग ही उजाड़ दिया. मै तो कहता हूँ की विश्व हिन्दू परिषद् ,rss, बजरंग दल, शिव सेना या जितने भी हिन्दू संस्थाए हैं इन पर पाबन्दी लगा देनी चाहिए क्योंकि इंसानियत एवं भाई चारे के लिए ये सबसे बड़ा खतरा हैं जबकि इंडियन मुजाहिद्दीन ,लश्करे तैय्यबा ,जमात उद दावा जैसे अहिंसा व सत्यवादी संगठनों को नोबेल न सही कम से कम महात्मा गांधी पुरूस्कार से सम्मानित करना ही चाहिए.
ReplyDeleteमेरी बातों से अगर किसी कठमुल्ले पाठक को दुःख हुआ हो तो कृपया मेरा जनाजा निकलने की दुआ वो जरूर मांगे ...जय हिन्द , जय भारत ,
जय हिन्दू................
बहुत सटीक बात कही है आपने सुधांशू जी।
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