Thursday, August 16, 2018

कायर है वो

कायर है वो!
न सीने में आग है,
न रक्त में उबाल है।
अन्याय सहता है
चुप रहता है
आवाज़ नहीं उठाता
वक़्त से पहले बूढ़ा हो गया।
जो लड़ते हैं ज़माने से,
रखते हैं सरोकार समाज से
फिक्र करते हैं आने वाली पीढ़ियों की
उन पर ग्रहण बनकर बैठ जाते हैं,
कायर हैं ये
नपुंसक हैं ये
नासूर हैं इस धरती का,
बोझ हैं ये इस समाज पर,
कायर हैं ये,
बेमतलब हैं ये।

5 comments:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन मौत से बेख़बर, ज़िन्दगी का सफ़र तय करने वाले सर्वप्रिय अटल जी को सादर नमन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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  2. कायर हैं वो...। सटीक बात। सुंदर। 🙏🏼

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