हर कवि अपनी पत्नी के लिए एक कविता लिख देता है , और पत्नी के लिए वो एक सबसे हसीन तोहफा होता है । पहली बार मुझे दुःख हो रहा है की मुझे कविता लिखनी क्यूँ नहीं आती । काश मैं भी एक कवियत्री होती तो अपनी शादी की सालगिरह पर आज अपने पति के लिए एक कविता लिखती ।
लेकिन नहीं , मुझे तो सिर्फ सरल शब्दों में लिखना आता है , भाषा में कोमलता और लोच कैसे लाते हैं , मुझे आता ही नहीं। इसलिए पति श्री समीर जी से जुडी कुछ खट्टी , कुछ मीठी , कुछ चरपरी बातें जो शायद ज्यादातर पति पत्नी के मध्य होती होंगी , यहाँ लिख रही हूँ । दोनों में से कोई किसी से कम नहीं पड़ना चाहता । नहले पे दहला लगाने और ताने मारने में पतियों का भी जवाब नहीं।
अब मेरे जैसे बिना लोच वाले लोगों का प्यार होना तो संभव नहीं था इसलिए माता पिता ने मदद ली "Times of India matrimonial " की । भला हो इन अखबार वालों का , जिनसे हज़ारों कन्याओं का विवाह तो हो जाता है , और माता पिता भी अपने दायित्वों से मुक्त हो जाते हैं, एक पढ़े-लिखे दामाद कों पाकर।
खैर श्रीमान आये हमारे द्वार सपरिवार , मुझे ठोंक बजा कर जांचने-परखने । इससे पहले कि हिंदी फिल्मों की तर्ज पर सासू माँ ये कहती की चल कर दिखाओ , बोल कर दिखाओ , हमने स्वयं ही घर का एक चक्कर लगा दिया और हाथ जोड़कर ' नमस्ते " कह दिया । लड़की , लंगड़ी - गूंगी नहीं है , इसका प्रमाण पत्र मिल गया । गनीमत तो ये समझिये कि मुझसे ये नहीं कहा - " बेटी ज़रा भजन गा कर तो सुनाओ " । अगर कहीं मैंने अपने सुर दिखाए होते तो रिश्ता कैंसिल हो गया होता और दिव्या कुंवारी होती । भला हो उन भलमानस पुरुषों का जो 'बकरी ' जैसी एक लड़की कों जब देखने आते हैं और अपनी " हाँ " कहकर अभयदान दे जाते हैं।
खैर , लड़का लड़की कों पांच मिनट वार्तालाप करने का मौक़ा दिया गया ताकि वो दोनों अपने भावी जीवन साथी कों समझ और परख लें । वाह जनाब वाह ! इतना जटिल कार्य मात्र ५ मिनट में ? तीन मिनट बीत गए हम अगूंठे से फर्श खुरचते रहे । फिर समीर जी कों एहसास हुआ - " शरमा के न यूँ ही खो देना ..." । हिम्मत करके उन्होंने मुझसे पूछा - " आपको अपने पति में कौन सी खूबियाँ चाहिए ? "
हमने घडी देखी - मात्र एक मिनट बचा था भावी जीवन साथी से वार्तालाप के लिए । मन में सोचा - मंत्री का बेटा है, इंजिनियर है , घमंडी होगा , नकचढ़ा भी । अब तक तीन सैकड़ा कों रिजेक्ट कर चुका है , मुझे भी इनकार कर ही देगा । इतना ख़याल आते ही मेरे अन्दर की स्त्री ने चेतावनी दी - " दिव्या छोड़ना नहीं इसे , कह दो सब साफ़-साफ़ " । मैं ख्यालों से वापस लौटी , मात्र चालीस सेकेण्ड बचे थे । हमने बिना समय गँवाए कहना शुरू किया - " आपका बायो डाटा देखा था , आपके पास वो सब खूबियाँ हैं जिसकी कल्पना एक स्त्री करती है , लेकिन मुझे सिर्फ एक ही बात का डर है की कहीं आप मुझे रिजेक्ट न कर दें । इसलिए , यदि आप की हाँ है तो मेरी भी हाँ है। लेकिन यदि आपके मस्तिष्क के किसी कोने में " ना" है तो मेरा इनकार लेकर जाइएगा मेरे घर से । इनकार करने का अधिकार एक लड़की का भी है। "
अरे ! ये क्या ? लड़कों कों लड़कियों की कौन सी अदा भा जाए पता ही नहीं होता। समीर जी कों मेरा " अकडूपना " भा गया ।
उनका काफिला मेवे-मिष्ठान खाकर विदा हुआ । और जाने के आधे घंटे बाद आदरणीय ससुर जी का फोन आ गया की उनकी तरफ से रिश्ता पक्का । बस फिर क्या था लड़की के माता पिता तो अपनी लाडली बेटियों कों विदा करने में ही अहोभाग्य समझते हैं । ज़रा भी ममता नहीं , तुरंत हाँ कर दी । उसी शाम १४ अक्टूबर कों फलदान और रात्रि में सगाई की रस्म पूरी हो गयी । अगली सुबह उनका कारवां इंदौर के लिए रवाना हो गया ।
दिवाली की छुट्टियों के बाद मैं वापस हॉस्टल आ गयी । श्रीमान मुझसे मिलने नवम्बर में होस्टल " बनारस" आये। । एक बवाला करने वाली रिपोर्टर "जूनियर " ने सूचना दी - " दिव्या दीदी पूरे होस्टल में अफवाह है की आपका बॉय-फ्रेंड आपसे मिलने आया है "। मैंने कहा - " मूर्खों , बॉय-फ्रेंड कहाँ है मेरी किस्मत में , ये तुम लोगों के जीजू हैं , आदर-सम्मान से पेश आओ और अफवाहों कों विराम दो "
शाम कों श्रीमान समीर जी की हॉस्टल में आमंत्रित थे । फस्ट ईयर से लेकर फ़ाइनल इयर तक की सभी जूनियर- सीनियर वहां उपस्थित थीं। जनाब के तो मज़े हो गए । बेहतरीन गायक होने का इन्होने लाभ उठाया सुन्दर-सुन्दर जूनियर्स की फरमाइश पर इन्होने गाना सुनाया । जो गाना इन्होने सुनाया वो था किशोर जी का गाया हुआ - " कहना है , आज तुमसे ये पहली बार , तुम ही तो लायी हो जीवन में मेरे ...." । इसके बाद से वो गाना जब भी रेडियो पर आता था , तो मेरे रूम पर knock होने लगती थी । दरवाज़ा खोलने पर सभी जूनियर्स एक ही सुर में - " दीदी आपका वाला गाना आ रहा है " । हॉस्टल में आने वाले पत्रों का dissection , जूनियर्स द्वारा होता था पहले , फिर खुला हुआ लिफाफा मुझे सौंपा जाता था एहसान के तौर पर । क्या दिन थे वो भी हॉस्टल के !
११ फ़रवरी ( वसंत पंचमी ) कों विवाह संपन्न हो गया।
विवाह के बाद -फुर्सत के पलों में हम दोनों का एक ही विवाद । मैं कहती थी Love marriages ज्यादा successful होती है , और वो वकालत करते थे arranged marriages की । सन्डे कों सुबह से लेकर दोपहर तक कभी पालिटिक्स तो कभी अध्यात्म पर चर्चा होती । हम दोनों ही एक दुसरे कों बता देना चाहते थे की कम न समझना - "तुम डाल-डाल , तो हम पात-पात !
एक बार साहब तैयार हो रहे आफिस के लिए , हमने सूचना दी - " मैं एक किताब लिख रही हूँ "
दाढ़ी बनाते हुए उन्होंने मुझसे पूछा " विषय क्या है ? "
हमने कहा , स्त्री और पुरुषों में समानता पर लिखूंगी । और स्त्रियों से ये अपील करुँगी की वे स्वयं कों पुरुष से बेहतर समझें और यदि उनकी बराबरी करना चाहती हैं तो स्वयं कों थोडा नीचे गिरायें। थोडा violent बनें, शराब आदि पियें , बच्चों और परिवार कों वक्त कम दें तथा आफिस और दोस्तों के साथ मस्त रहे। मेरी बात सुनकर हँसने लगे । मुझे बहुत गुस्सा आई , पूछा , हंस क्यूँ रहे हैं तो बोले - " महिलाओं में तुम्हारी किताब "बेस्ट सेलर" रहेगी लेकिन पुरुषों कों offend करेगी " । खैर , बुद्धिमान श्रीमान के उपहास के बाद हमने उस पुस्तक कों लिखने का विचार त्याग दिया।
एक दिन मुझसे नाराज़ हो गए । मुझसे बोले - " जाओ , अपने मइके चली जाओ " हमने कहा - यही मेरा घर है । For a change , आप अपने मइके रह आइये थोड़े दिन , मैं भी शोर्ट-कट खाना बनाउंगी और चैन से दूरदर्शन देखूंगी " । वो दिन और आज का दिन , इतना funny ताना दुबारा नहीं मिला।
एक बार मैंने इनसे पूछा - आपको सबसे अच्छा कौन लगता है ? तो बोले - " मम्मी का स्वभाव सबसे अच्छा लगता है " मुझे वो बात बहुत अच्छी लगी थी उस दिन । मेरी माँ जो अब जीवित नहीं हैं , मुझसे कहती थीं हमेशा - " बेटा , समीर का दिल बहुत कोमल है , तुम उनका ध्यान रखना " ।
एक दिन बहुत सीरियस होकर मुझसे बोले - " दिव्या तुमसे अच्छा कोई दूसरा क्यूँ नहीं लगता " । मैंने उसे एक पति द्वारा मिला हुआ सबसे उम्दा compliment की तरह लिया। (वैसे ये वक्तव्य तीन वर्ष पूर्व मिला था , और शेष जीवन इसी इकलौते compliment के दम पर गुजारना है ।)
कभी-कभी प्रशंसा भी करते हैं मेरी , कहते हैं - " बहुत सुन्दर हो " । जब उत्सुक होकर पूछती हूँ , क्या सुन्दर लगता है ? तो कहते हैं - " तुम्हारी डिब्बे जैसी आँख और पकौड़े जैसी नाक "। उफ़ ! अपनी तो तमन्ना ही रह गयी कोई ग़ज़ल कहते मुझ पर !
आजकल जब मैं फोन लगाती हूँ तो कहते हैं - " दस मिनट में ring back करता हूँ , ज़रा मीटिंग में हूँ " । मैं कोई कम थोड़े ही हूँ , जब इनका फोन आता है तो हम भी कह देते हैं शान से - " ज़रा ठहरिये , मैं "ब्लॉगिंग" में हूँ। "। उफ़ ! ये ब्लॉगर पत्नियाँ !
जब इन्हें मुझसे कोई काम करवाना होता है तो मैं बहुत इमोशनल अत्याचार करती हूँ । साफ़ साफ़ शर्त है की "मेरा लिखा एक लेख पढना होगा "। बेचारे मन मारकर मेरी पोस्ट कों झेलते हैं । फिर अगली शर्त - " टिप्पणियां भी पढ़िए " । जब पूरा पढ़ लेते हैं तो जले पर नमक छिड़कते हैं और सारी नकारात्मक टिप्पणियों की प्रशंसा करते हुए कहते हैं - " ठीक कह रहा / रही है "
मैं गुस्से में पूछती हूँ - " पिछले जनम में क्या थे मेरे ? " । तो मुस्कुराकर कहते हैं - " साथी ब्लोगर "
लेकिन नहीं , मुझे तो सिर्फ सरल शब्दों में लिखना आता है , भाषा में कोमलता और लोच कैसे लाते हैं , मुझे आता ही नहीं। इसलिए पति श्री समीर जी से जुडी कुछ खट्टी , कुछ मीठी , कुछ चरपरी बातें जो शायद ज्यादातर पति पत्नी के मध्य होती होंगी , यहाँ लिख रही हूँ । दोनों में से कोई किसी से कम नहीं पड़ना चाहता । नहले पे दहला लगाने और ताने मारने में पतियों का भी जवाब नहीं।
अब मेरे जैसे बिना लोच वाले लोगों का प्यार होना तो संभव नहीं था इसलिए माता पिता ने मदद ली "Times of India matrimonial " की । भला हो इन अखबार वालों का , जिनसे हज़ारों कन्याओं का विवाह तो हो जाता है , और माता पिता भी अपने दायित्वों से मुक्त हो जाते हैं, एक पढ़े-लिखे दामाद कों पाकर।
खैर श्रीमान आये हमारे द्वार सपरिवार , मुझे ठोंक बजा कर जांचने-परखने । इससे पहले कि हिंदी फिल्मों की तर्ज पर सासू माँ ये कहती की चल कर दिखाओ , बोल कर दिखाओ , हमने स्वयं ही घर का एक चक्कर लगा दिया और हाथ जोड़कर ' नमस्ते " कह दिया । लड़की , लंगड़ी - गूंगी नहीं है , इसका प्रमाण पत्र मिल गया । गनीमत तो ये समझिये कि मुझसे ये नहीं कहा - " बेटी ज़रा भजन गा कर तो सुनाओ " । अगर कहीं मैंने अपने सुर दिखाए होते तो रिश्ता कैंसिल हो गया होता और दिव्या कुंवारी होती । भला हो उन भलमानस पुरुषों का जो 'बकरी ' जैसी एक लड़की कों जब देखने आते हैं और अपनी " हाँ " कहकर अभयदान दे जाते हैं।
खैर , लड़का लड़की कों पांच मिनट वार्तालाप करने का मौक़ा दिया गया ताकि वो दोनों अपने भावी जीवन साथी कों समझ और परख लें । वाह जनाब वाह ! इतना जटिल कार्य मात्र ५ मिनट में ? तीन मिनट बीत गए हम अगूंठे से फर्श खुरचते रहे । फिर समीर जी कों एहसास हुआ - " शरमा के न यूँ ही खो देना ..." । हिम्मत करके उन्होंने मुझसे पूछा - " आपको अपने पति में कौन सी खूबियाँ चाहिए ? "
हमने घडी देखी - मात्र एक मिनट बचा था भावी जीवन साथी से वार्तालाप के लिए । मन में सोचा - मंत्री का बेटा है, इंजिनियर है , घमंडी होगा , नकचढ़ा भी । अब तक तीन सैकड़ा कों रिजेक्ट कर चुका है , मुझे भी इनकार कर ही देगा । इतना ख़याल आते ही मेरे अन्दर की स्त्री ने चेतावनी दी - " दिव्या छोड़ना नहीं इसे , कह दो सब साफ़-साफ़ " । मैं ख्यालों से वापस लौटी , मात्र चालीस सेकेण्ड बचे थे । हमने बिना समय गँवाए कहना शुरू किया - " आपका बायो डाटा देखा था , आपके पास वो सब खूबियाँ हैं जिसकी कल्पना एक स्त्री करती है , लेकिन मुझे सिर्फ एक ही बात का डर है की कहीं आप मुझे रिजेक्ट न कर दें । इसलिए , यदि आप की हाँ है तो मेरी भी हाँ है। लेकिन यदि आपके मस्तिष्क के किसी कोने में " ना" है तो मेरा इनकार लेकर जाइएगा मेरे घर से । इनकार करने का अधिकार एक लड़की का भी है। "
अरे ! ये क्या ? लड़कों कों लड़कियों की कौन सी अदा भा जाए पता ही नहीं होता। समीर जी कों मेरा " अकडूपना " भा गया ।
उनका काफिला मेवे-मिष्ठान खाकर विदा हुआ । और जाने के आधे घंटे बाद आदरणीय ससुर जी का फोन आ गया की उनकी तरफ से रिश्ता पक्का । बस फिर क्या था लड़की के माता पिता तो अपनी लाडली बेटियों कों विदा करने में ही अहोभाग्य समझते हैं । ज़रा भी ममता नहीं , तुरंत हाँ कर दी । उसी शाम १४ अक्टूबर कों फलदान और रात्रि में सगाई की रस्म पूरी हो गयी । अगली सुबह उनका कारवां इंदौर के लिए रवाना हो गया ।
दिवाली की छुट्टियों के बाद मैं वापस हॉस्टल आ गयी । श्रीमान मुझसे मिलने नवम्बर में होस्टल " बनारस" आये। । एक बवाला करने वाली रिपोर्टर "जूनियर " ने सूचना दी - " दिव्या दीदी पूरे होस्टल में अफवाह है की आपका बॉय-फ्रेंड आपसे मिलने आया है "। मैंने कहा - " मूर्खों , बॉय-फ्रेंड कहाँ है मेरी किस्मत में , ये तुम लोगों के जीजू हैं , आदर-सम्मान से पेश आओ और अफवाहों कों विराम दो "
शाम कों श्रीमान समीर जी की हॉस्टल में आमंत्रित थे । फस्ट ईयर से लेकर फ़ाइनल इयर तक की सभी जूनियर- सीनियर वहां उपस्थित थीं। जनाब के तो मज़े हो गए । बेहतरीन गायक होने का इन्होने लाभ उठाया सुन्दर-सुन्दर जूनियर्स की फरमाइश पर इन्होने गाना सुनाया । जो गाना इन्होने सुनाया वो था किशोर जी का गाया हुआ - " कहना है , आज तुमसे ये पहली बार , तुम ही तो लायी हो जीवन में मेरे ...." । इसके बाद से वो गाना जब भी रेडियो पर आता था , तो मेरे रूम पर knock होने लगती थी । दरवाज़ा खोलने पर सभी जूनियर्स एक ही सुर में - " दीदी आपका वाला गाना आ रहा है " । हॉस्टल में आने वाले पत्रों का dissection , जूनियर्स द्वारा होता था पहले , फिर खुला हुआ लिफाफा मुझे सौंपा जाता था एहसान के तौर पर । क्या दिन थे वो भी हॉस्टल के !
११ फ़रवरी ( वसंत पंचमी ) कों विवाह संपन्न हो गया।
विवाह के बाद -फुर्सत के पलों में हम दोनों का एक ही विवाद । मैं कहती थी Love marriages ज्यादा successful होती है , और वो वकालत करते थे arranged marriages की । सन्डे कों सुबह से लेकर दोपहर तक कभी पालिटिक्स तो कभी अध्यात्म पर चर्चा होती । हम दोनों ही एक दुसरे कों बता देना चाहते थे की कम न समझना - "तुम डाल-डाल , तो हम पात-पात !
एक बार साहब तैयार हो रहे आफिस के लिए , हमने सूचना दी - " मैं एक किताब लिख रही हूँ "
दाढ़ी बनाते हुए उन्होंने मुझसे पूछा " विषय क्या है ? "
हमने कहा , स्त्री और पुरुषों में समानता पर लिखूंगी । और स्त्रियों से ये अपील करुँगी की वे स्वयं कों पुरुष से बेहतर समझें और यदि उनकी बराबरी करना चाहती हैं तो स्वयं कों थोडा नीचे गिरायें। थोडा violent बनें, शराब आदि पियें , बच्चों और परिवार कों वक्त कम दें तथा आफिस और दोस्तों के साथ मस्त रहे। मेरी बात सुनकर हँसने लगे । मुझे बहुत गुस्सा आई , पूछा , हंस क्यूँ रहे हैं तो बोले - " महिलाओं में तुम्हारी किताब "बेस्ट सेलर" रहेगी लेकिन पुरुषों कों offend करेगी " । खैर , बुद्धिमान श्रीमान के उपहास के बाद हमने उस पुस्तक कों लिखने का विचार त्याग दिया।
एक दिन मुझसे नाराज़ हो गए । मुझसे बोले - " जाओ , अपने मइके चली जाओ " हमने कहा - यही मेरा घर है । For a change , आप अपने मइके रह आइये थोड़े दिन , मैं भी शोर्ट-कट खाना बनाउंगी और चैन से दूरदर्शन देखूंगी " । वो दिन और आज का दिन , इतना funny ताना दुबारा नहीं मिला।
एक बार मैंने इनसे पूछा - आपको सबसे अच्छा कौन लगता है ? तो बोले - " मम्मी का स्वभाव सबसे अच्छा लगता है " मुझे वो बात बहुत अच्छी लगी थी उस दिन । मेरी माँ जो अब जीवित नहीं हैं , मुझसे कहती थीं हमेशा - " बेटा , समीर का दिल बहुत कोमल है , तुम उनका ध्यान रखना " ।
एक दिन बहुत सीरियस होकर मुझसे बोले - " दिव्या तुमसे अच्छा कोई दूसरा क्यूँ नहीं लगता " । मैंने उसे एक पति द्वारा मिला हुआ सबसे उम्दा compliment की तरह लिया। (वैसे ये वक्तव्य तीन वर्ष पूर्व मिला था , और शेष जीवन इसी इकलौते compliment के दम पर गुजारना है ।)
कभी-कभी प्रशंसा भी करते हैं मेरी , कहते हैं - " बहुत सुन्दर हो " । जब उत्सुक होकर पूछती हूँ , क्या सुन्दर लगता है ? तो कहते हैं - " तुम्हारी डिब्बे जैसी आँख और पकौड़े जैसी नाक "। उफ़ ! अपनी तो तमन्ना ही रह गयी कोई ग़ज़ल कहते मुझ पर !
आजकल जब मैं फोन लगाती हूँ तो कहते हैं - " दस मिनट में ring back करता हूँ , ज़रा मीटिंग में हूँ " । मैं कोई कम थोड़े ही हूँ , जब इनका फोन आता है तो हम भी कह देते हैं शान से - " ज़रा ठहरिये , मैं "ब्लॉगिंग" में हूँ। "। उफ़ ! ये ब्लॉगर पत्नियाँ !
जब इन्हें मुझसे कोई काम करवाना होता है तो मैं बहुत इमोशनल अत्याचार करती हूँ । साफ़ साफ़ शर्त है की "मेरा लिखा एक लेख पढना होगा "। बेचारे मन मारकर मेरी पोस्ट कों झेलते हैं । फिर अगली शर्त - " टिप्पणियां भी पढ़िए " । जब पूरा पढ़ लेते हैं तो जले पर नमक छिड़कते हैं और सारी नकारात्मक टिप्पणियों की प्रशंसा करते हुए कहते हैं - " ठीक कह रहा / रही है "
मैं गुस्से में पूछती हूँ - " पिछले जनम में क्या थे मेरे ? " । तो मुस्कुराकर कहते हैं - " साथी ब्लोगर "
आप सहित श्रीमान समीरजी को वैवाहिक वर्षगांठ पर हार्दिक बधाईयां....
ReplyDeleteअरे वाह बहुत सुंदर हमारी कहानी भी कुछ कुछ मिलती हे, कई बार मन मे आया लिखू, लेकिन फ़िर सोचा नही उसे पढ कर लोग हम दोनो को बुद्धु ही कहेगे, लेकिन अब बल मिल गया , ओर अब लिखू गां , आप की यह *दो घडी* बहुत सुंदर लगी, धन्यवाद
ReplyDeleteआदरणीय दिव्या जी आपको विवाह की वर्षगाँठ की बहुत बहुत बधाइयां एवं शुभकामनाएं| ईश्वर करे आपके जीवन में ये खुशियाँ सदा बनी रहें| आप दोनों का प्रेम सदा बना रहे| आपसे छोटा हूँ किन्तु आपके लिये दुआ करने का अधिकार तो रखता हूँ|
ReplyDeleteआज कुछ हट के लिखा| कुछ व्यक्तिगत किन्तु अच्छा लगा| आपका लेखन तो आज हट के है ही इसलिए आज इस उपलक्ष में टिप्पणी भी कुछ हट के करने का मन कर रहा है| शादी का अनुभव तो मुझे नहीं है क्यों कि ईश्वर की कृपा से अभी कुंवारा ही हूँ और आगे भी ऐसी ही इच्छा रखता हूँ| किन्तु रिश्तों की अहमियत तो जानता ही हूँ| जब भी कभी अपने घर जाता हूँ तो माता पिता व भईया भाभी को इसी प्रकार की हरकतें करते देखता हूँ जैसी कि आज आपने अपने लेख में बताईं| कुछ खट्टी कुछ मीठी, इसी प्रकार जीवन का आनंद लेती| शायद वे भी आप की तरह हैं| सोच रहा हूँ अपनी भाभी को भी ब्लॉगिंग की लत लगा दूं, फिर आएगा मज़ा जब वो भी करेंगी भैया पर इमोशनल अत्याचार| फिलहाल तो ब्लॉगिंग की बीमारी घर में सिर्फ मुझे ही है|
आपको बहुत बहुत धन्यवाद क्यों कि आज आपका लेख पढ़ कर घर की याद आ गयी| चलते चलते फिर से आपको ढेरों शुभकामनाएं|
सादर
दिवस...
बहुत रोचक घटना....वैसे मैं भी तक इनमे से किसिई से भी वंचित (?????) हूँ....
ReplyDeleteकिअविताएं लिखने का मन तो करता है मगर किसपर लिखूं समझ नहीं आता तो वापस भक्ति पे या वीर रस पे लिख देता हूँ....
अभी अभी लिखा गया मुक्तक....गरमा गरम....
युद्ध का बिहुल क्यों बजवाते हो
मरने मारने को क्यों ललकारते हो.
काम चल जाए अगर बस नज़र से ही.
ये तोप औ बन्दूक क्यों चलवाते हो??
बताइयेगा कैसा लगा....
प्रणाम.
शादी की वर्षगाँठ की शुभकामना....
आप की यह दो घडी बहुत सुंदर लगी| आपको विवाह की वर्षगाँठ की बहुत बहुत बधाइ| धन्यवाद|
ReplyDeleteबहुत बढ़िया संस्मरण । रोचक अंदाज़ ।
ReplyDeleteवैवाहिक वर्षगांठ की आप दोनों को हार्दिक बधाई ।
पति पत्नी के बीच चहुलबाजियां जीवन में रस घोलती रहती हैं ।
डॉ.दिव्या जी आज अगर किसी कारण वश ब्लॉग पर नहीं आ पता तो शुभ अवसर पर चूक हो जाती |आपको पुरे इलाहबाद की ओर से सालगिरह की ढेरों शुभकामनाएँ |जिस तरह अभिव्यक्ति के अनेकों माध्यम होते हैं यथा कला /कविता उसी तरह प्रेम को अभिव्यक्त करने के लिए आप कोई भी माध्यम चुन सकतीं है आपका कवि होना आवश्यक नहीं है |मेरे ब्लॉग पर आज आपके काम के एक दो शेर हैं ...आप उन्हें भेंट कर सकतीं है आपके सुखमय वैवाहिक जीवन की मंगल कामना के साथ .सादर
ReplyDeleteबहुत खूब! बधाई!
ReplyDeleteआपको और श्री समीरजी को वैवाहिक वर्षगांठ पर हार्दिक बधाईयां,
ReplyDelete"मैं ख्यालों से वापस लौटी , मात्र चालीस सेकेण्ड बचे थे....."
वाह टाइम मैनेजमेंट तो कोई आपसे ही सीखे !
दिव्या, शादी की सालगिरह की ढेरों बधाई और करोड़ों शुभकामनाएं :)
ReplyDeleteबहुत ही रोचक अंदाज़ में लिखा है...ऐसे ही कभी हल्की-फुलकी पोस्ट लिख दिया करो...दोनों रिफ्रेश हो जाएंगे...लिखने वाले भी..पढनेवाले भी :)
पति पत्नी का रिश्ता इन्ही खट्टे-मीठे पलों को साथ बिताने से हर दिन और मजबूत होता है ...आप दोनों के बीच प्रेम सदा ही बना रहे ....वैसे कितने वर्ष हो गए आप दोनों को साथ लड़ते- झगड़ते??
ReplyDeleteमहिलाओं की पत्रिकाओं में पति पत्नी को रिझाने के अनगिनत सुझाव होते हैं ...मीठा बोलो , जो भी गिफ्ट दे , ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार करो , कभी शिकायत मत करो ....मानो रिश्ता नहीं, बंधन है ...इन रिश्तों की जीवन्तता तो इसे सहज जीने में ही है ..
विवाह की वर्षगाँठ की बहुत शुभकामनायें ....!
आपकी शैली में वैवाहिक जीवन के सुन्दर संस्मरण पढ़े.बहुत ही दिलचस्प.
ReplyDeleteआपका लेखन समय बाँध देता है.
सुखी वैवाहिक जीवन के लिए ढेरों शुभ कामनाएं.
रोचक अंदाज़ ।
ReplyDeleteशादी की वर्षगाँठ की शुभकामना....
बेहतरीन लेखन!!
ReplyDeleteविवाह की वर्षगाँठ की बहुत बहुत बधाइयां एवं शुभकामनाएं|
विवाह की वर्षगाँठ पर आप दोनों को हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteआपकी मधुर स्मृतियाँ किसी कवित्व से कम नहीं। अपना लिखा पढ़वाये रहिये।
ReplyDeleteसबसे पहले शादी की वर्षगाँठ की बहुत बहुत शुभकामना.
ReplyDeleteएक हकीकत पेश की आपने
आपका शुक्रिया....
सबसे पहले शादी की वर्षगाँठ की बहुत बहुत शुभकामना.
ReplyDeleteएक हकीकत पेश की आपने
आपका शुक्रिया.....
बहुत बहुत शुभकामनाएं । ईश्वर करे आपके जीवन में "दिव्य-समीर" सदा बहती ही रहे ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया संस्मरण । रोचक अंदाज़ ।
ReplyDeleteआपको विवाह की वर्षगाँठ की बहुत बहुत बधाइ| धन्यवाद|
सर्वप्रथम आपको और समीर जी को "शादी की वर्षगांठ" की बधाई। अपने ही जीवन के नाज़ुक पन्नों पर कलम चलाना बहुत ही मुश्किल काम है पर आपने इसे बख़ूबी , संतुलित व रोचक तौर से निभाया है इसके लिये भी आप मुबारकबाद के मुस्तहक़ हैं ।
ReplyDelete
ReplyDeleteचलो हटो.. काहे को यूँ बनाओ बतियाँ !
अनोखा अँदाज़े बयाँ,
बधाईयाँ दोनो को
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteपति है जीवनभर का साथी
ReplyDeleteदुःख के साथ ख़ुशी का साथी
तेरे होते कभी अकेलापन
महसूस न करने पाए ,
सदा सहायक रहो पति की, हर अभिलाषा पूरी होगी !
पहल करोगी अगर नंदिनी,घर की रानी तुम्ही रहोगी !
http://satish-saxena.blogspot.com/2008/07/blog-post_14.html
शदी की वर्षगाँठ की बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुत ही रोचक अंदाज मे आपने लिखा है (पति श्री समीर जी को गिफ्ट दिया है )
एक बार फिर बधाई
यह मधुर यादें ...हमेशा आपके जीवन में यूं ही मधुर रहें ..
ReplyDeleteआज के दिन आप दोनो के लिये मेरी यही शुभकामनायें ...।
.
ReplyDelete.
.
Divya ji,
Happy Wedding Anniversary !
I can't stop myself from adding that if you are exactly like your blogwood persona in real life too... ie... aggressive, outspoken, unpredictable, fierce fighter, moody & sometimes inconsistent too !... then SAM is really a great husband !
He should seriously start thinking about writing his blog... so that poor souls like me can benefit from his example.. . :))
...
रिश्तों की मिठास लिए बहुत बढ़िया संस्मरण ।
ReplyDeleteअंदाज़-ए-बयां बेहद दिलचस्प
-
-
आपको विवाह की सालगिरह की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
आपको विवाह की वर्षगाँठ की बहुत बहुत बधाइयां एवं शुभकामनाएं| ईश्वर करे आपके जीवन में ये खुशियाँ सदा बनी रहें| आप दोनों का प्रेम सदा बना रहे
ReplyDeleteदिव्या जी आपको विवाह की वर्षगाँठ की बहुत बहुत बधाइयां एवं शुभकामनाएं…………बहुत ही रोचक रही यादें बस ऐसे ही खट्टी मीठी यादो के साथ ज़िन्दगी गुजरती रहे………पढते पढते ऐसा लग रहा था जैसे सामने बैठकर ही सुना रही हो सारा किस्सा……………ये खुशियां यूं ही बनी रहें।
ReplyDelete'vo do ghadi jo paas aa baithe,hum jamane se door ja baithe'.Lakin aap jamane se door kahan
ReplyDeletegaye.Aap to aur bhi jamane ke najdik aagye,unko
pichle janam me bhi saathi bloger banva kar.
Pavitra pawan milan ki anmol bela ki saalgirah per hardik shubkamanaye.Prabhu se prarthana hai ki yeh milan atoot,pragad aur chirmangalmay rahe.
बहुत बढ़िया संस्मरण ....आपका अंदाज- ए- वयां पसंद आया ...आपको वैवाहिक वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनायें ....यूँ ही सदा प्रसन रहो ...शुक्रिया
ReplyDeleteदिव्या जी ,
ReplyDeleteबहुत आनंद आया आपका सजीव संस्मरण पढ़कर |
ईश्वर आप दोनों की जोड़ी को सदियों तक हर्षोल्लास के साथ सलामत रखे !
सर्वप्रथम आपको और समीर जी को "शादी की वर्षगांठ" की बधाई...आप दोनों के बीच मधुर प्रेम सदा ही बना रहे ...
ReplyDeleteHappy Anniversery Doctor:)
ReplyDeleteदिव्या जी आपकी अंदाज़-ए-बयां की शैली बहुत ही सरल और गज़ब की है. आपको विवाह की वर्षगाँठ की बहुत बहुत बधाइयां एवं शुभकामनाएं…
ReplyDeleteदिव्या जी आपको और समीर जी को विवाह की वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाये ।
ReplyDeleteआपने कितने सरल मन से अपनी यादें हम सबके साथ बाँटी ।
चिर काल तक रहे सुहाग तेरा
चिरकाल तक रहे सौभाग्य तेरा
अगले जनम की प्लानिंग करके रखने पर क्या विचार है आप दोनों का, वैसे हमारी ओर से तो जोड़ी सदा सलामत रहे.
ReplyDelete:) :), anyway, Congratulations and best wishes !!
ReplyDeleteविवाह की वर्षगांठ की बहुत सारी बधाइयां .....
ReplyDeleteजीवन में इस नोक-झोंक का नमक बना रहे .....
आदरणीय दिव्या जी आपको और श्री समीरजी को विवाह की वर्षगाँठ की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं !
ReplyDeleteबहुत सी प्यारी यादें आपने हम सबके साथ बांटी बहुत अच्छा लगा !
"भाषा में कोमलता और लोच कैसे लाते हैं, मुझे आता ही नहीं"
आपकी लेखन कला देख कर तो बिलकुल भी नहीं लगा की भाषा में कोमलता और लोच कैसे लाते हैं आपको पता नहीं होगा !
हमें तो बहुत आनंद आया आपका संस्मरण पढ़कर
आभार !!
Badhaiya. :-)
ReplyDeleteशादी की वर्षगांठ की बहुत-बहुत बधाई। आपकी स्मृतियां भी बहुत ख़ूब हैं। बिल्कुल रिफ्रेश कर दिया आपने।
ReplyDeleteवर्षगांठ पर हार्दिक बधाई..
ReplyDeleteवर्षगांठ पर हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteविवाह की वर्षगांठ की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
ReplyDeleteआप दोनों हमेशा इसी तरह प्रसन्न रहें।
शादी की सालगिरह पर शुभकानायें।
ReplyDeleteजरा हट कर , एकदम मनोरंजक , लेकिन उत्तम भावो और विचारो से लड़ी फदी इस सुन्दर आलेख इ लिए आपका आभार . आपको वैवाहिक वर्षगांठ की शुभकामनाये
ReplyDeleteआदरणीया दिव्या जी
ReplyDeleteऔर
आदरणीय समीर जी
~*~शुभ विवाह की वर्षगांठ के अवसर पर हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !~*~
इस अवसर पर आपके लिए कहूंगा -
जीवन में खिलता रहे बारह मास बसंत !
ख़ुशियों का सुख-हर्ष का , कभी न आए अंत !!
आज अगर आपकी पोस्ट नहीं देखता -पढ़ता तो बाद में बहुत अफ़सोस होता ।
आपकी लेखनी तो किसी विषय पर चले … कमाल ही करेगी ।
कवयित्री न होने का मलाल न करें :)
बसंत पंचमी सहित बसंत ॠतु की भी हार्दिक शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
दिव्या जी, विवाह की वर्षगांठ की आपको ढेरों बधाईयां। आपके हास्टल के किस्से और आपको देखने आने वाले आपके भावी पति से वार्तालाप की आपकी शैली दिल को छू गई। भगवान से दुआ है कि आप दोनों का परिवार हमेशा सुखी रहे और यह भी कामना है कि आपके 'वो', उन्हें मैं जीजाजी कह सकता हूं न, किसी दिन आपके पोस्ट पर कमेंट लिखें।
ReplyDeleteएक बार और बधाई हो आपको।
अरे सच मे हम बुद्ध ही हे जी... लिजिये हमारी तरफ़ से भी आप को शादी की बहुत बहुत्ज़ बधाई ओर शुभकामनाये, मै हमेशा अपनी शादी वाले दिन को भुल जाता हुं बीबी इशारो से समझाती हे कि आज कोई खास दिन हे, एक बार मुझे कुछ समझ नही आया तो मै खीज सा गया कि क्या इशारो से समझा रही हो साफ़ साफ़ कहो जो कहना हे, ओर थोडा ज्यादा गुस्सा होगया, तभी भारत से साली का फ़ोन आया तो याद आया कि अरे आज तो हमारी शादी की साल गिरह हे, लेकिन अब बीबी मुंह फ़ुला कर बेठी थी, हम मनाने के मुड मे गये तो हम ने मनाते हुये कहा कि अजी अभी तो सात जन्मओ तक हमे भुगतना हे चलो मान जाओ, बीबी झट से बोली यह सातमा ही हो, ओर फ़िर हम सब खुब हंसे..
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई..
ReplyDeleteदिव्या जी
ReplyDeleteआपको और श्री समीरजी को विवाह की वर्षगाँठ की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं!
समीर जी और आप दोनों ही भाग्य-शाली हैं.. जो एक दुसरे को पाया
सच है की जोड़ियाँ ऊपर वाला (मतलब ईश्वर ) बनता है
कमाल किया है आज आपने
आप ऎसी शैली में भी लिख सकती है ! क्या संस्मरण है..बहुत खूब
मुझे तो काका हातरसी जी याद आने लगे
आप का व्यक्तित्व बहु- आयामी है
गंभीर सामाजिक चिंतन पर लेख लिखने वाली आप...
जीवन के सरस हास्य-विनोद पर भी ऐसी प्रस्तुति दे सकती है
आपने तो काव्य- प्रतिभा ना होने की बात कही है
पर सच कहूँ तो मुझे तो ये लेख काव्यात्मक शैली वाला ज्यादा लगा निभंधात्मक कम
सौभाग्य से आज ही ब्लॉग पर आया.. वरना तो मैं आपको पढने से चूक जाता..
एक बार फिर आपको और श्री समीर जी को सुखी जीवन की शुभ-कामनाएं..
काफ़िर..
.
ReplyDeleteटिप्पणियों में मिले आप लोगों के स्नेह , आशीर्वाद एवं शुभकामनाओं का हम दोनों की तरफ से ह्रदय से आभार । सभी ब्लोगर मित्रों ने अपनी-अपनी टिपण्णी में इतनी अच्छी बातें लिखीं थीं , की पढ़कर मुस्कराहट आ गई । हर किसी के साथ , मन ही मन मेरा एक संवाद भी हुआ । संवादों की ये मिठास मेरे साथ हमेशा रहेगी ।
ख़ुशी के इस मौके पर मेरे साथ रहकर इसे और भी ख़ास बनाने के लिए आप सभी एक बार पुनः आभार ।
.
विवाह की वर्षगांठ पर बधाइयाँ.....ढेर सारी. कल आपकी पोस्ट पढ़ रहा था कि तभी एक रिश्ते की बात लेकर मेरे समधी मेरी सहायता लेने के लिए आए. आपकी खुशी से चहचहाती पोस्ट से मैं प्रफुल्लित महसूस कर रहा था....तुरत चले और एक रुके मामले को रवानगी दे आए. आज टिप्पणी लिख रहा हूँ. ईश्वर से प्रार्थना है कि आपका जीवन खुशियों से भरा रहे.
ReplyDeleteविवाह की वर्षगाँठ की बहुत बहुत बधाइयां एवं शुभकामनाएं|
ReplyDeleteकास कि यह अकड़ूपन सब लड़की दिखाए!!
ReplyDeleteआपके वैवाहिक वर्षगांठ पर कामना है कि आपका जीवन मंगलमय और खुशियों से भरा रहे।
hhmm.. i think i am little late here...
ReplyDeleteYour anniversary is a time
For sharing your affection;
It’s obvious the two of you
Have quite a deep connection!
I send glad congratulations
And heartfelt wishes, too,
For joyful happiness and love
In everything you do !
Best Wishes,
irfan
देर से ही सही, आपको विवाह की वर्ष गाँठ की हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDeleteशादी की सालगिरह पर शुभकानायें..बहुत सुंदर लगी, धन्यवाद
ReplyDeleteकविताओं की उड़ान अक्सर कृत्रिम होती है। इसलिए,अक्सर,कवियों का दाम्पत्य जीवन सामान्य नहीं पाया जाता। बात तो तब है जब जीवन में काव्य-धारा प्रवाहित होने लगे। नोंक-झोंक इसी का हिस्सा हैं।
ReplyDeleteडॉ.दिव्या,
ReplyDeleteसर्वप्रथम आप दोनों को विवाह की वर्ष-गाँठ पर हार्दिक बधाई और आपके सरस वर्णन को पढ़कर मन मुग्ध हो गया। एक बार पुनः आप दोनों पति-पत्नी को हृदय से बधाई।
दिव्या जी शादी की साल गिरह तो क्या आपने तो पूरी बारात ही दिखा दी . शादी की साल गिरह पर ढेर सारी शुभकामनाये
ReplyDeleteदिव्या जी! विवाह की वर्षगाँठ पर
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुभकामनायें।
आपसे निवेदन है कि इस महत्त्वपूर्ण अवसर पर आप एक वृक्ष अवश्य लगायें।
आपका एक कदम हमारे अस्तित्व के लिये संजीवनी सिद्ध होगा।
एक निवेदन-
मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।
सालगिरह पर सुंदर , स्वस्थ और मधुर दाम्पत्य जीवन की शुभकामना एवं बधाई ।
ReplyDeleteक्या इत्तफाक है ,११ फरवरी को मुझे भी ’पति’पद प्राप्त हुआ था ।
देर से ही सही ...शादी की सालगिरह की बहुत बहुत बधाई ...
ReplyDeleteरोचक पोस्ट ...
दिव्याजी, आप आयरन लेडी हैं,शायद इसलिए लोच की कमी है आपके पास। वैसे हास्य फुहार छोड़ती अठखेलियों भरी आपकी यह पोस्ट पढ़कर मजा आया। मैं अपनी बीती यादों में चला गया जब मेरा रिश्ता तय होने के बाद शादी से पहले अपनी भावी पत्नी के साथ पहली फिल्म लखनउ के नावेल्टी सिनेमा में देखी थी 'मुगले आजम' जो उस समय रंगीन प्रिन्ट होकर नयी नयी आयी थी।
ReplyDeleteआपका एवं समीर जी का वैवाहिक जीवन सुख सम़ृद्धि से भरा रहे, ऐसी मेरी शुभकामना है।
बहुत अच्छा लगा आपका ये संस्मरणात्मक लेख। मेरी शादी को अभी एक ही साल हुआ है पर ढेर सी खट्टी मीठी यादें इकट्ठा हो गई हैं।
ReplyDeleteबधाई आप दोनों को।
आजकल इन्टरनेट बहुत दुखी किये हुए है इसलिए आपकी ये पोस्ट देर से पढ़ पा रहा हूँ.
ReplyDeleteबहुत मीठी मीठी,तो कहीं चटपटी चटपटी आपके जीवन से जुड़ी कुछ बातें पढ़ने को मिलीं.मज़ेदार लगी ये पोस्ट.
शादी की वर्षगांठ की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें.
वाह आज तो पोस्ट पढ़कर मन प्रसन्नता से भर गया ...
ReplyDeleteमुझ अकिंचन कि ओर से आप दोनों बधाई और ढेर सारी शुभकामनायें स्वीकार करें !!
दिव्या की भव्यता की कितनी सशक्त लकीर, भाग्य के प्रहरी बने कोमल हृदयी समीर, बसंत पचमी की वासंती पुकार कहे , युग्म मुग्धित यूँ रहे नाचे तकदीर.
ReplyDeleteशादी की वर्षगांठ की हार्दिक बधाई ..बढ़िया संस्मरण .
ReplyDeleteHappy anniversary!! Nice knowing you :-)
ReplyDeleteदिव्या जी, आपको विवाह की वर्षगाँठ की बहुत बहुत बधाइयां एवं शुभकामनाएं|
ReplyDeleteपरिणय वर्षगाँठ पर तनिक विलम्बित बधाई और शुभकामनाएं -शैली जीवंत है!
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत लगा खुद के सवालों को खुद ही जवाब बनकर दर्शाया गया ये आपस का ताना बाना अगर वो एहसास अब तक न रहता तो इस रचना की ताजगी एसा एहसास ही न करवाती दोस्त !
ReplyDeleteऔर आपकी ब्लोगर वाली बात से तो हम भी सहमत हैं की ... हाय ये ब्लॉगर पत्नियाँ ?
एहसासों को भी खूबसूरती से परिभाषित करती सुन्दर रचना !
आपको बहुत - बहुत बधाई व् शुभकामनायें !
aaj achanak gumate-ghumate aap ke blog par pahunch gaya.sansmaran bahut achcha laga,badhai.
ReplyDeletepahle der se hi sahi ,vivah ki varsganth ki dheron badhai aap dono ko.
jahan tak maen samjhata hun ki parivar dwara tay ki gaii sadi,prem vivah se kahin adhik sundar,tikau v nirantar bani rahne vali hoti hae.
banaras ka hone ki vajah se yeh dolaine likhane ko majbur huva.
punah subh kamnayon sahit
pradeep srivastava
nizamabad A.P.
दिव्या जी,
ReplyDeleteआपने तुलसी एवं गुलाब का पौधा लगाया इसके लिये, हमारी पूरी टीम की तरफ से आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।
कृपया इसे
http://vriksharopan.blogspot.com/2011/02/blog-post.htm
पर देखें।
दिव्या जी सर्वप्रथम देर से आने और शादी की वर्षगाठ की देर से बधाई देने के लिए माफ़ी चाहूँगा
ReplyDeleteविवाह बंधन में बंधने से पूर्व और विवाह बंधन में बंधने के बाद के क्षणों का सुंदर चित्रण आपने किया है
bahut late aayee hun sorry!! kya karu bachho ke exam sar pah aa pade hain n!
ReplyDeleteaapko sameer ji sahit shadi kee varshganth kee bahut bahut haardik shubhkamna...
aap to bahut achha likhti hain.. phir kavita kya baat hai wo bhi kabhi likhkar dekhiyega...
दिव्या जी एवं समीर जी को विवाह के वर्षगांठ की (विलंबित) शुभकामनाएं।
ReplyDeleteआपके संस्मरण पढ कर अत्यंत आनंदित हुआ, आज भी गृहशोभा मे मण्डप के नीचे का पाठक हूँ, और आपके लेख मे उससे ज्यादा आनंद है।
दिव्या जी, आपको विवाह की वर्षगाँठ की बहुत बहुत बधाइयां एवं शुभकामनाएं|
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
ReplyDelete"हट जाओ वेलेण्टाइन डेे आ रहा है!"
आदरणीय दिव्या जी,
ReplyDeleteशादी की वर्षगाँठ की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें।
आदरणीय दिव्या जी,
ReplyDeleteकुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका और शादी की वर्षगाठ की देर से बधाई देने के लिए माफ़ी चाहता हूँ!
आद.दिव्या जी.
ReplyDeleteदेर के लिए क्षमा चाहता हूँ .शादी की सालगिरह की बधाई स्वीकार करें !
शादी की सालगिरह पर आपने जीवन के सबसे मीठे लम्हों की खुशबू से भरा पोस्ट लगा कर इसे और भी खूबसूरत बना दिया है !
अनंत शुभकामनाएँ !
waahhhhhhhh
ReplyDeleteek ek shabd dhyan se padhaaa......mazaa aa gaya.....
बधाई हो बधाई :)
ReplyDeleteदिव्या जी
ReplyDelete‘‘बकरी जैसी एक लड़की को देखने आतें है’’ बाली बात दिल को छू गई और तकरार की बात भी लाजबाब। मैं भी बोल देती ब्लॉगिंग कर रहीं हूं। बहुत सुंदर लिखा है और वह आपके समीर जी का वह एक मात्र compliment लाजबाब था
.
ReplyDeleteशुभकामनायें देने के लिए कभी भी देर नहीं होती ।
It's never late !
आप सभी की शुभ कामनाओं के लिए हम दोनों की तरफ से आभार ।
.
शुभकामनायें देने के लिए कभी भी देर नहीं होती ।
ReplyDelete.......to phir hum kyon chooten......
aapko ek ser.....aur sahabji ko paseri......
unki...apko jhelna....asan nahi...(balak just kidding you)
......manay-many......returns of day.....
pranam.
The last one to wish .. better late then never :) Happy anniversary.
ReplyDeleteIron lady, you could be so tender , wow !
ReplyDeleteBest wishes to both of you for your anniversary.
Subhashis Das
दिव्याजी
ReplyDeleteशादी की वर्षगांठ की बहुत बहुत बधाई |ऐसे ही अकडू बनी रहनाऔर समीर जी को भी बहुत बहुत बधाई जो एक अकडू को भी" पकोड़ी सी नाक" कहकर प्रेम दर्शाते है |
खूब प्यार और आशीर्वाद |
शादियों का मौसम चल रहा तो व्यस्तता के कारण देर से बधाई दे रही हूँ |
नमस्ते दिव्या जी! बहुत अच्छा लिखती हैं आप!शादियों का मौसम,नून तेल लकड़ी के चक्कर में तथा अन्य कामों में व्यस्त होने के कारण बहुत कम ही ब्लागों पे समय दे पाता हूँ
ReplyDeleteचलिए देर से ही सही शादी की साल गिरह पर ढेर सारी शुभकामनाये!!
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ReplyDeleteये पुरानी पोस्ट हमे भी पढने का सौभाग्य मिला ,बहुत मजा आया आपको ढेरों शुभकामनायें वैवाहिक वर्षगाँठ पर हमारा आशीर्वाद आप दोनों को
ReplyDeleteहमारी तरफ से भी आपको विवाह की वर्षगांठ की बहुत बहुत शुभकामनायें. भगवान करे आपकी जोडी जन्मो जन्मो तक बनी रहे.
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