तस्वीर में माँ के हाथ का लिखा औटोग्राफ है , जिसमें लिखा है --- "सफलता सदैव तुम्हारे कदमों को चूमती रहे "[M Srivastava , dated- 2nd oct 90 ]
आज १९ दिसंबर है , जो कभी मेरी माँ का जन्मदिन हुआ करता था। दुनिया की सभी माँ अपने बच्चों के लिए अपना अतुलनीय स्नेह लुटाती हैं और यथाशक्ति अपनी शिक्षा , अपने ज्ञान और अनुभवों को अपने बच्चों के साथ बांटकर उसे संस्कार देती है और अपने पैरों पर खडा होने में मदद करती है। ऐसा ही हमारी माँ ने भी किया । हम चारों भाई-बहनों की अच्छी शिक्षा एवं विकास के लिए तत्कालीन , उच्च पदस्थ नौकरी को त्यागकर बच्चों की परवरिश पर ध्यान दिया। पिताजी की नौकरी बैंक मैं होने के कारण उनकी पोस्टिंग हर तीन साल पर अलग अलग शहरों में होती रहती थी। इसलिए लखनऊ में रह रहे हमारे परिवार की जिम्मेदारी माँ पर ज्यादा थी । पिताजी हफ्ते में एक दिन के लिए आते थे और हफ्ते भर का पेंडिंग गणित और अंग्रेजी एक दिन में पढ़ाते थे । इसलिए संडे का दिन कभी छुट्टी का दिन नहीं बल्कि एक टेरर [terror], लगता था। पढ़ना कौन चाहता है इतवार को। आज भी अगर उनके नाती-नातिन उनके हत्थे चढ़ गए तो आप उन्हें इंग्लिश ग्रामर पढ़ाते हुए पायेंगे। मुझे तो इससे बोरिंग विषय कभी भी और कोई नहीं लगा।
माँ की मृत्यु ३ अप्रैल २००७ में विवेकानंदा अस्पताल ,लखनऊ में हुई। छह दिन तक ICU में ventilator पर रहने के उपरान्त सातवें दिन दूसरी बार हार्ट-अटैक आने से उन्होंने हमारा साथ छोड़ दिया। उस समय जो चिकित्सक दल माँ की सेवा में तत्पर था , उनका विशेष आभार जिन्होंने पूरे मन से चिकित्सा सेवा की , हमारे दुःख में भी शामिल हुए और हमारी तरह लाचार भी थे क्यूंकि चिकित्सा सेवा करना उनके हाथ में था लेकिन जीवन देना उनके हाथ में नहीं था।
माँ की कही कुछ बातें अक्सर याद आती है । शायाद वही सब बातें और समझाइशें जो हर माँ अपनी संतान को देती है । लेकिन एक दिन का छोटा सा वाकया हमेशा याद आता है , जिसनें मेरा जीवन बदल कर रख दिया । आदतानुसार फोन पर माँ से एक आम लड़की की तरह पति की शिकायत कर रही थी । देखिये टेलेफोन का मिसयूज़ कैसे होता है ...
" माँ आप समीर को समझाइये घर पर ध्यान दिया करें , हर वक्त आफिस के कामों में व्यस्त रहते हैं। बच्चों को कभी पढ़ाते नहीं। घर बनवा रही हूँ, सभी मिस्त्री , मजदूर , ईंटा ,गारा , सीमेंट भी मैं ही देखूं , क्या डिजाईन देनी है वो भी मैं भी समझूं ..आदि आदि ...आखिर मैं भी इंसान हूँ कोई मशीन नहीं "
मेरा पिटा-पिटाया शिकायती रवैय्या देखकर माँ ने शाँत आवाज़ में कहा - " क्या इतनी शिकायतें करने के लिए ही तुम लोगों को पढाया लिखाया और आत्म-निर्भर बनाया था ? " । शिकायत वही करते हैं जिनमें स्वयं कोई कमी होती है और दूसरों पर निर्भर करते हैं। इसलिए दिव्या हो सके तो खुद को और भी लायक बनाओ ताकि समीर भी तुम पर निर्भर कर सकें और तुम पर गर्व कर सकें। "
वो दिन मेरे जीवन का एक turning point था। खुद को पहले से बेहतर बनाने की कोशिश जारी है । सच में आत्म-निर्भर होकर समाजोपयोगी होने में एक अलग ही आनंद है। बात बात पर शिकायतें कितना बचकाना लगता है । इसलिए शिकायत करने की आदत बाल्यावस्था के बाद छोड़ देनी चाहिए।
माँ को मीठी चीज़ें बहुत पसंद थीं , इसलिए उनकी याद में आज 'सूजी का हलवा' बनाने जा रही हूँ। भला हो शुक्ला जी का, जिनके कारण , विदेश में रहकर 'इंडियन ग्रोसरी' तो मिल जाती है ।
Happy birthday mom । You are forever alive in my heart , mind and memories।
वो शाम कुछ हसीन थी, ये शाम भी हसीन है...
आप कल भी साथ-साथ थीं , आप आज भी करीब हैं...
आभार ।
66 comments:
"....................."
माँ एक सुंदर प्रक्रिया है. माँ की याद सबसे मीठी होती है. यह लिखते समय आँखें नम हैं. माता जी को नमन.
Divyaji,
The greatest and one of the best tributes i ever laid my eyes on
बड़े ही सुन्दर तरीके से आपने हमें आपकी स्वर्गीय माताजी के बारे में बताया है.वर्तमान समय में बच्चों पर पूर्ण नजर नहीं रखी जा रही है, जिसका परिणाम हमारे सामने है. एक सुन्दर विचार प्रेरित करता है, शिकायत अपूर्णता को दर्शाता है.
यदि संतान माता पिता के दिए मूल्यों पर टिकी रहे तो यही उनके प्रति सबसे बड़ा आदर होता है. आपने मुझे अपने पिता की याद दिला दी, मुझे उन्होंने कुछ बात बतायीं थी जो आज भी मुझे याद है," डरना केवल अपने गंदे कामों से, व्यक्ति से डरने की आवश्यकता नहीं, सच से बढ़कर सुखदायी और कुछ नहीं"
आपको आपकी माता जी का जन्म दिन मुबारक हो. इस अवसर पर मैं ईश्वर से दुआ करता हूँ की समस्त शुभ शक्तियां आपके साथ हों..
मां की स्मृति को समर्पित यह पोस्ट भावुक कर देने वाला है। वेदव्यास जी का एक श्लोक स्मरण हो आया,
नास्ति मातृसमा छाया नास्ति मातृसमा गतिः।
नास्ति मातृसमं त्राणं नास्ति मातृसमाः प्रिया॥
माता जी को शत-शत नमन।
Dearest ZEAL:
A very beautiful tribute.
Even from Heaven she is tending over you, guiding you, talking to you, being with you.
Because she lives on within you.
Semper Fidelis
Arth Desai
समृतिशेष माँ की यादें पढ़ अच्छा लगा। और विशेष रूप से वो टर्निंग प्वाइंट वाला वाकया जिसने आपके व्यक्तित्व का परिष्कार किया। आभार.
माँ की सीख और उनकी पसंद की मिठास हमेशा साथ रहे ...
आपकी ये पोस्ट मेरी माँ भी बैठी पढ़ रही थीं...उनकी आखों में आंसू आ गए मैं भी ज्यादा कुछ कह नहीं पाऊंगा....
थोड़ी देर में आता हूँ....
मां जैसा कोई नहीं.. नमन..
माजी को हमारा नमन और श्रधांजलि !
... sundar charchaa !!!
रिश्तों में मां से प्यारा कोई रिश्ता नहीं...मां क़रीब हो या न हो, लेकिन उसकी दुआएं हमेशा अपने बच्चों के साथ होती हैं...
आपकी माँ को हमारी भी श्रद्धांजलि।
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मेरा पिटा-पिटाया शिकायती रवैया देखकर माँ ने शांत आवाज़ में कहा - "क्या इतनी शिकायतें करने के लिए ही तुम लोगों को पढाया-लिखाया और आत्मनिर्भर बनाया था?" ।शिकायत वही करते हैं जिनमें स्वयं कोई कमी होती है और दूसरों पर निर्भर करते हैं। इसलिए दिव्या हो सके तो खुद को और भी लायक बनाओ ताकि समीर भी तुम पर निर्भर कर सकें और तुम पर गर्व कर सकें।"
@ माँ का यह कथन सभी लोह-पर्सनेल्टीज के लिये गाँठ बाँधने योग्य है.
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मेरी एक शुभ-कामना आपके परिवार के लिये :
शारद-हंस
________________
चाहता हूँ आपस में आप
पास आकर दोनों मिल जाओ
अरे! तुम रंग रूप से नयी
विश्व को शीतलता पहुँचाओ!
निशा के सुन लो कर-भरतार!
दिवाकर को करना लाचार.
आपसे लेकर शीतल प्यार
उष्णता का कर दे परिहार.
मिलो तो लागे नया बसंत
बिछड़ जावो तो भी दुःख अंत
हुवे, लौटे मुख पर मुस्कान
देख तुमको खिल जावें दंत.
सुन्दरी लगने लागे लाज
राजने लागे सर अवतंस.
नष्ट होवे मानस का क्रोध
तैरने आवे शारद-हंस.
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मां की याद, उनकी सीख तो हमेशा साथ रहती है।
'सूजी का हलवा' अहाः मुह में पानी आ गया।
बहुत अच्छी बातें सिखाई हैं माँ ने आपको ।
आखिर संस्कार मां पिता से ही मिलते हैं ।
माँ को नमन ।
माँ बस ऐसी ही होती है जिसे एक पल भी मन से नही भुलाया जा सकता। आपकी माता जी को मेरी विनम्र श्रद्धाँजली।
आपकी माँ को हमारी भी श्रद्धांजलि।
शिकायत वही करते हैं जिनमें स्वयं कोई कमी होती है और दूसरों पर निर्भर करते हैं।
माँ ही हैं जो बच्चों को दृढ बनाती हैं ...
उनके जन्म दिन पर आपको शुभकामनायें ...और आपकी माँ के लिए बस नमन ..
सहज ही माँ की यादों को संजो कर रखा है आपने ... बहुत अच्छी लगी आपकी पोस्ट .
आपकी माँ को हमारी भी श्रद्धांजलि.
मां की याद हमेशा साथ रहती है.
'सी.एम.ऑडियो क्विज़'
every sunday
जब भावुक होता हूँ तो कुछ कहने की स्थिति में नहीं होता हूँ..........................................
दिव्या जी हां यही नाम तो लिया था आप की मां ने, लेकिन मां की कही बात बहुत अच्छी लगी, मां बाप अगर बचपन से ही बच्चो की नींव मजबुत कर दे तो बच्चे जिन्दगी मै हमेशा हर क्षेत्र मै सफ़ल होते हे, आप की माता जी को हम सब की तरफ़ से भाव भीनी श्रद्धांजलि.मां बाप हमेशा ही साथ रहते हे अपनी दी शिक्षा के रुप मे. धन्यवाद
माता जी को शत-शत नमन और विनम्र श्रद्धाँजली।
Devya Ji ,
Namaste
Maa Ki Yaad humesha saath rehti hain, aapke sarthak lekh ke liye 4 line "Munawar Rana " dwara likhi gayi hain
मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती
Shardhanjali
Jai Hind
Sanjay Sharma
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Maa never dies or fades away from our memory.
Happy Rememberance..
माँ ने क्या सिखाया और कैसे उन्होंने अपनी बातो को अकाट्य रूप में प्रस्तुत किया , उन तथ्यों में वात्सल्य और समझदारी का उत्कृष्ट प्रतीक है . ऐसे माँ को मेरी विनम्र श्रधांजलि एवं नमन . आप भाग्यशाली हो की अभी भी वो आपके समीप रहती है .
maa ki duaayen hamesha saath rahen
माँ खोने का दर्द हमने भी अनुभव किया है।
चार साल पहले मेरी माँ भी चल बसी थी।
अवश्य आपका यह ब्लॉग आपकी माँ स्वर्ग से पढते पढते मुस्कुरा रही होगी।
हमें विश्वास है कि आपकी माँ को भी आप पर गर्व हुआ होगा और उनके आशीश आप के साथ हमेंशा रहेगा।
आपकी माँ को हमारी विनम्र श्रद्धाँजलि।
यदि हम आप के पास होते तो हम हलवे का सेवन करने में आपका साथ देते!
सूजी का हलवा का एक और helping मेरे नाम से लीजिए।
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
ममतामयी माँ को विनम्र श्रद्धाँजलि...नमन
माँ महान हैं । मातृशक्ति को प्रणाम ।
मां के जन्म दिन का सबसे बेहतर तोहफा औलाद जो दे सकती है वोह यह की समाज मैं ऐसा काम केरे की लोग यह पूछें , कितनी नेक माँ की ओलाद है
मां की यादें ही तो रह जाती है जीवन के कठिन घडियों में ढाढस बंधाने के लिए। तभी तो किसी दर्द में कराहते हुए अम्मा निकल ही जाता है मुंह से:)
जब मैंने अपनी माँ के बारे में लिखा था तो तुमने लिखा था:
My mother was also like her. She is no more now. But still she is alive in my heart and mind. She will never retire from there.
Your post made me so emotional.
chhutki maan ko mera Charan sparsh.
regards.
आज उनकी स्मृति दिल को छू गई... सादर चरण स्पर्श!!
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है,
माँ दुआ कराती हुई ख्वाब में आ जाती है.
@‘शिकायत वही करते हैं जिनमें स्वयं कोई कमी होती है और दूसरों पर निर्भर करते हैं।‘
आपकी मां ने आ पसे जो उक्त बातें कहीं, वह एक श्रेष्ठ जीवन सूत्र है। आपके व्यक्तित्व और विचारों में इसकी झलक मिलती है।
दुनिया की हर मां अपने संतान का भला ही चाहती हैं। मां को शत-शत नमन।
आपके इस पोस्ट से हमें भी बड़ी सीख मिली कि शिकायत वही करते हैं जिनमें खुद कोई कमी होती है। आगे किसी की शिकायत करते समय आप की मां की सीख याद आएगी। मां की इस अमोल सीख हम से बांटने के लिए धन्यवाद।
मैडम जी को सादर प्रणाम, मैंने एक और ब्लॉग बना लिया है, शायद अभी बहुत लिखना है मुझे ! आपका मार्गदर्शन यदि यहाँ भी मिले तो बहुत ही अच्छा लगेगा....ब्लाग का पता निचे दिया है.
http://padhiye.blogspot.com
आपका धन्यवाद.
जन्मदिन को सार्थक जयंती बना दिया, इस पोस्ट के माध्यम से आपने.
माँ को मेरा नमन और आपको शुभकामना! और हाँ सूजी का हलवा................:)
माता पिता हमारे साथ ही होते हैं हमेशा ...
माँ की सीख बहुत काम की है ...
माँ को नमन एवं श्रद्धांजलि !
आपकी माता जी ने कितनी सही बात कही। अगर ये आज की नारी औऱ नर समझ लें तो घर ही संभल न जाए। आज दिल बढ़ा दुखी था। एक तलाक की कगार पर पहुंच चुके कपल से मिलना हुआ। बस शिकायत ही दोनो तरफ से। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि पीएचडी कर चुके इन दोनो लोगो को क्या कहूं। इतने पढ़े लिखे लोग नहीं समझते, इनसे बेहतर तो इस मामले में अनपढ़ लोग हैं।
मां तो ऐसी ही होती है ।
पंकज उधास जी ने एक गजल गाई है -
’बेसन की सोंधी रोटी पर ,खट्टी चटनी जैसी मां
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लेख में माँ का दिया हुआ औटोग्राफ एडिट करके जोड़ दिया गया है । इसके लिए बड़ी बहन का आभार जिन्होंने कल रात भारत से , मेरी औटोग्राफ बुक से यह पृष्ठ scan करके मुझे भेजा।
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.....शिकायत वही करते हैं जिनमें स्वयं कोई कमी होती है और दूसरों पर निर्भर करते हैं।
maan ko samarpit ek prerak post hetu abhaar.
माँ का श्रम, बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने में, प्रतिफल आप। आपका सफल और आनन्दित जीवन ही, माँ के सपनों का सच होना है।
आपके इस पोस्ट से हमें भी बड़ी सीख मिली .......मां को समर्पित यह पोस्ट वाकई भावुक कर देने वाला ,
maa ki yaad aur unka asheesh hamesha sath rahta hai.
hridayshparsi post.
.
नीरा जी की मेल से प्राप्त टिपण्णी --
"""
I can feel that these words come straight from your heart....thanks for the heartfelt post..!
I remember my mom too on this day as today happens to be her birthday too. In fact, knowingly or unknowingly I remember her everyday, every moment of my life through the things I do, speak or think--all of these reflect what I learnt from her. The advice your mom gave you about not to complain is really a priceless advice; I am sure your mom just like my mom must have been a strong woman who never complained and borne everything that life had to give---good or bad..! She taught me to live with dignity and self-respect and deal with everyone with due respect, speak softly and never give up hopes..!
Thanks once again for providing a chance to express my feelings for my mother through your wonderful post....!
regards,
Neera
Noida
""""
माँ से बड़ा शुभचिंतक और कोई हो ही नही सकता .
माँ भगवान का दूसरा रूप है जिस ने हमें ये शरीर दिया , हमें संस्कार दिए और प्यार दिया वन्दे मातरम .
दिव्या जी ! माँ के एक अंश के रूप में हम माँ को ही जीते हैं .......वे लोग धन्य हैं जिनका जीवन अपने माता-पिता की प्रेरणा से उल्लेखनीय और अनुकरणीय बन जाता है ......पूज्य माँ को मेरी श्रृद्धांजलि......
आज हलवा भी थोड़ा सा ज्य़ादा बनाइएगा.मैं भी हूँ .....ध्यान रखियेगा मथुरा के चौबे लोगों से कम नहीं हूँ....ब्राह्मण ज़ो ठहरा.....इसी बहाने आपकी पाक कला की भी परीक्षा हो जायेगी.
आप अपनी माँ को आज भी उतनी ही शिद्दत से और दिल से याद करती है,आपका जज़्बा प्रणम्य है.
उन्हें मेरी भाव-भीनी श्रृद्धांजलि.
Dr. Divya ji,
माँ के जन्म दिन पर उनकी दी हुई प्रेरणा पूर्ण सीखों के स्मरण से ज्यादा बड़ी श्रधांजलि और क्या हो सकती है क्योंकि उन विचारों में माँ आज भी ज़िंदा है !
मेरी विनम्र श्रधांजलि !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है,
माँ दुआ कराती हुई ख्वाब में आ जाती है.
maa ko vinamra shradhanjali.....
pranam.
ma ka janm din aapko mubarak aur shrdhey ma ko hamara naman .
shiksha smesha se hi jivit rhi hai our ma ka nam hi shiksha hai . vo hme hr achhe bure ka gyan bina kisi lobh ke deti hai isi liye vo sdaiv poojneey vndneey our smrneey hai .
माँएँ प्रकृतिस्वरूपा हैं जिन्होंने बस दिया ही है।
माता पिता का साथ हमेशा हमारे साथ होता है.अत्यंत भावुक कर देने वाली पोस्ट .माँ की स्मृति को बहुत भावुकता से लिखा है आपने उन्हें नमन और आपको समस्त शुभकामनायें.
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मेरे साथ आप सभी लोग माँ के जन्मदिन पर सूजी का हलवा पार्टी में शामिल हुए , जिससे मेरी ख़ुशी द्विगुणित हो गयी । सभी ब्लोगर मित्रों और पाठकों का आभार।
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yeh shayad purani post hai parantu mere liye nai hai pahli baar padh rahi hoon maa ki punya tithi par unko mera naman ,vinamra shradhaanjali.
माँ कल भी साथ थीं, माँ आज भी साथ हैं, माँ हमेशा साथ रहेंगी...
माँ को नमन... आप जैसे रत्न को जन्म देने वाली माँ आज जरूर स्वर्ग में होंगी...
दिव्या जी - आप ने बहुत ही सुन्दर श्रद्धांजली अपनी माता जी को दी है – जो खुशबू आप ने अपनी माता जी से प्राप्त करी है उस में अपनी तरफ से योग्दान कर के अपने बच्चों को दे दो। यही सच्ची यादें हैं जो परम्परागत आगे चलती जायें गी। प्यार बाँटते चलो...
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