एक समय था जब भारत देश में अंध विश्वास के नाम पर मूर्ख बनाकर उनकी
मासूमियत का नाजायज लाभ उठाया जाता था लेकिन अब समय बदल गया है। उन्नत
तकनीक के साथ-साथ शातिर दिमाग वालों ने नयी राहें खोज निकाली हैं लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ करके उनके भोलेपन का नाजायज़ फायदा उठाने के लिए!
और इस नयी विकसित स्वार्थी तकनीक का नाम है -'सेक्युलेरिज्म' अथवा धर्म-निरपेक्षता।
धर्मनिरपेक्ष
का अर्थ होता है एक ऐसा प्राविधान जिसके तहत किसी भी धर्म विशेष को कोई
विशेष अधिकार या सुविधायें न प्राप्त हों। सभी धर्मों के लिए एक जैसा
मापदंड हो। किसी के भी साथ किसी प्रकार का अन्याय न होने पाए! सभी
अपनी-अपनी आस्थाओं के साथ और एक जैसी सुख सुविधाओं के साथ सुकून से जियें!
लेकिन
अफ़सोस कि भारत देश ने इन मापदंडों को कभी नहीं माना। इसके विपरीत भारत की
सरकारों ने धर्म-निरपेक्ष शब्द के मायने ही बदल दिए ! हमारे देश में
सेक्युलर होने का अर्थ हो गया 'मुस्लिम तुष्टिकरण' ! हर राज्य की
सरकार स्वयं को सबसे बड़ा सेक्युलर सिद्ध करने की होड़ में लग गयी , लेकिन
सभी की दौड़ 'मुस्लिम तुष्टिकरण पर जाकर ही समाप्त हुयी !
बंगाल में
तसलीमा नसरीन जैसी विश्व विख्यात लेखिका को राज्य से निकाल दिया गया
क्योंकि उन्होंने इस्लाम की सच्चाई से पर्दा उठा दिया था! यही हश्र सलमान
रुश्दी का भी किया गया।
मुस्लिमों को आरक्षण देकर हिन्दुओं के अधिकारों का दमन भी धर्म-निरपेक्षता नहीं अपितु 'मुस्लिम तुष्टिकरण है'
हिन्दुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ करते हुए अनेक राज्यों में कत्लखाने खुलवाना और गोहत्या करवाना क्या धर्म-निरपेक्षता है या फिर मुस्लिम तुष्टिकरण?
उत्तर
प्रदेश में मुलायम सिंह और अखिलेश यादव द्वारा जो किया जा रहा है वो
सर्व-विदित है! मुस्लिम बच्चियों की शिक्षा के लिए 30 हज़ार दिए जायेंगे और
हिन्दू बच्चियां को ?
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इमानदारी का
हवाला देते हुए एक मुसलमान एस ए इब्राहिम को खुफिया ब्यूरो का प्रमुख
बनाया। उनसे चार वरिष्ठ और काबिल अफसरों को नज़र अंदाज़ कर उन्हें खुफिया
ब्यूरो का प्रमुख नियुक्त किया है। ये मुस्लिम तुष्टिकरण की गन्दी राजनीति नहीं तो और क्या है?
अजमल
कसाब और अफज़ल गुरु जैसे घृणित आतंकवादियों को शाही दामाद की तरह रखना वोट
बैंकों के ध्रुवीकरण की सस्ती राजनीति है , जिसे सरकार धर्म-निरपेक्षता
कहकर हिन्दुओं पर कहर बरपा रही है और मुसलामानों से उनका स्वाभिमान छीन रही
है !
मुसलमान कठपुतली बनकर जीने को मजबूर हो गए हैं और हिन्दू लाचार बना दिए गए हैं।
इस सब का कारण है छद्म धर्म निरपेक्षता अर्थात मुस्लिम तुष्टिकरण!
बहुत सही कहा दिव्या जी..ये सब घटिया राजनिति है सिर्फ वोट के लिए..
ReplyDeleteये बातें सभी बुद्धिजीवी लोग समझते होंगे किन्तु आपकी तरह बेबाकी से लिखना, बेबाकी से कहना सबके बूते की नहीं है।
ReplyDeleteकाश! सभी ऐसा कर पाते।
‘‘सबको सन्मति दे भगवान...........’’
बेहतर लेखनी !!!
ReplyDeleteआपने बिल्कुल सही और सटीक लिखा है , आज देश में धर्मनिरपकेक्षता का मतलब , कम से कम सियासत के लिए तो , तुष्टिकरण ही होकर रह गया है और अफ़सोस ये कि ये अब बढता ही जा रहा है
ReplyDeleteवोट बटोरो राजनीति ने हमारे देश का हाल क्या से क्या बना दिया ...एक बेहतरीन व विचारणीय पोस्ट।
ReplyDeleteमेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है बेतुकी खुशियाँ
सही और सटीक
ReplyDeleteGambheer bishay....
ReplyDeleteक्षद्म धर्म निरपेक्षता एक महा मारी की तरह देश खाए जा रही है ,जिस से भाई चारा सद्भाव सब तिरोहित होता जा रहा है ,और इसी की डम पर जनता को बरगला क्र ५६ साल से अधिक भ्रष्ट /लुटेरे कांग्रेसी राज एबम एयासी क्र भारत को दरिद्रतम/भ्रष्टतम स्तर पर ला खड़ा क्र दिया है ,और इस से सम्बन्धित ऐसे कौम बिरोधी कानून लेन का प्रयाश क्र रहे है ताकि देश में सब एक दुसरे से लड़ते रहे और कभी सद्भावना के दर्शन न हों|अब हम सब को जागने का समय आगया है ,इस बीमारी को खत्म क्र एक माला में सब को गुधने का कार्य क्र देश को सर्वांगीण बिकाश की अग्रसर करे ,और सबका एक मजहब यानी भारतीय होकर रहने का प्रयाश करे|
ReplyDeleteसब वोट की राजनीति है
ReplyDeleteदूसरों को कसूरवार ठहराना हमारी आदत बन चुकी है। सुधार के लिये दूसरों को सलाह देना भी हमारी आदत है। अगर प्रजातन्त्र में हमारा यह हाल है तो उस के जिम्मेदार हमारे सिवा और कौन हो सकता है।
ReplyDeleteमुझे ही अब अपने देश को साफ करना है। जो मुझे देश में अच्छा नहीं लगता कम से कम मैं वह नहीं करूंगा और जहाँ तक मेरा बस चले गा दूसरों को भी नहीं करने दूँ गा। जो देश के लिये सही है वह मैं स्वयं अवश्य कूरूँगा। कोई दूसरा मेरे साथ मिले या ना मिले।
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा 14/12/12,कल के चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका हार्दिक स्वागत है
ReplyDeleteधर्म निरपेक्षता के तो माने ही बदल दिये गये हैं। :(
ReplyDeleteसशक्त एवं सार्थक आलेख ...यही सच है
ReplyDeletenice
ReplyDeleteप्रश्न विचारणीय ?
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