मेरा फ़्लैट दुसरे माले पर है ! सुबह बालकनी में धूप ले रही थी कि निगाह कार
पार्किंग में गयी ! सुरेश जल्दी-जल्दी सभी कारें साफ़ करने में लगा था ,
पता नहीं एक दिन में कितनी कार साफ़ कर डालेगा ... उसे तो बस हर कार मालिक
से 300 रूपए महीने पाने थे!
अचानक मेरी निगाह नीचे खड़े काले कुत्ते
पर गयी , मुंह उठाये दुसरे माले पर मुझे देख रहा था ! प्रेम के लिए अपनी
गर्दन को बेवजह इतनी तकलीफ दे रहा था ! मुझे उसका अपनापन बहुत अच्छा लगा !
मैंने मुस्कुरा दिया तो उसने पूंछ और जोर से हिलानी शुरू कर दी ... फिर
अपनी जगह बदलकर ठीक मेरी बालकनी की सिधान में आ गया और 180 डिग्री पर सर
उठाकर निहारने लगा ! मेरे पास पूंछ तो थी नहीं की उसका प्रेम रेसिप्रोकेट
कर सकती , अतः बाय बाय की मुद्रा में हाथ हिलाया ...कुत्ता जोर जोर से पूँछ
हिल रहा था ...शायद पूर्व जन्म का मेरा दोस्त था .....फिर मैं अन्दर आ गयी
....दोनों पर इमोशनल अत्याचार ज्यादा हो रहा था ....
MORAL of the story -- प्रेम की कोई भाषा नहीं होती ...कभी हिंदी में , कभी स्पैनिश में ...कभी पूंछ हिलाकर .....
Zeal
सच ... !!!
ReplyDeleteप्रेम तो आँखों में छिपा रहता है।
ReplyDeleteसच है प्रेम की कोई भाषा नही होती...बस प्रेम तो प्रेम है निश्छल बेपाक...
ReplyDeleteBhaasha-viheen PREM ko dekhne me ek nuksaan ho gaya. Mere paas meri gaadi saaf karne vala ladka bhi baitha tha, ab vo bhi teen sau mang raha hai, abhi main 200 deta hoon.
ReplyDeleteSach me nahee hotee...
ReplyDeleteएक कहावत है कि पैसे से आप कुत्ता खरीद सकते हैं..मगर पूछ हिलवाने के लिए प्रेम ही चाहिए होगा...
ReplyDelete:-)
अनु
.बस प्रेम तो प्रेम है सच तो आँखों में छिपा रहता है।
ReplyDeleteप्रेम की कोई भाषा नही होती सच है और ना ही कोई आकार !!
ReplyDeleteसच मौन में भी संवाद होता है और उसमें भी प्रेम प्रकट किया जा सकता है।
ReplyDeleteविजय दिवस की हार्दिक बधाइयाँ - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteस्वान मानवीय भावाभिव्यक्ति पर अनुक्रिया करते हैं -प्रेम न बाड़ी ऊपजे ,प्रेम न हाट बिकाय ...
ReplyDeleteपूर्णतः सहमत |
ReplyDeleteसादर