१६ दिसंबर निर्भया बलात्कार काण्ड के छठे आरोपी, जो पौने अठारह साल का था उसे नाबालिग बताकर मात्र तीन वर्ष के लिए सुधार गृह भेजा गया है। शायद उसने बलात्कार बचकाने तरीके से किया होगा इसलिए उसे बच्चों वाली सज़ा दी गयी है ! तीन वर्ष बाद बाहर निकलकर दुबारा ऐश करेगा ये सरकारी अल्पसंख्यक बच्चा।
सनद रहे इस लफंगे ने ना केवल बलात्कार किया अपितु छात्रा के पेट में लोहे का सरिया डालकर उसकी आंतें बाहर निकाल दी थी!
बलात्कार और मर्डर की सज़ा मात्र तीन वर्ष के लिए सुधार गृह की सज़ा ! हो रहा भारत निर्माण , बढ़ रहे हैं अत्याचार।
हमारी सरकार जहाँ चाहती हैं वहां तो त्वरित संशोधन कर बिल पास करा लेती है , लेकिन बलात्कार की शिकार हो रही लड़कियों के लिए कोई संशोधन नहीं किया जाएगा ! हम लाचार हैं ! या फिर लचर हैं आप ?
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प्राचीन भारत में बलात्कार एवं त्वरित दण्ड के संदर्भ
 
 रावण जिसे दुष्टता का पर्यायवाची माना जाता है - उसने सीता हरण किया - 
परन्तु अपने महल में न रख कर - 1 महीने तक अशोक वाटिका में पूर्ण सुरक्षा 
एवं सुविधा के साथ रक्खा और बलात्कार तो दूर की बात है - दोबारा हाथ तक 
नहीं लगाया किया - फिर भी उसके पुतले को आज तक जलाया जाता है |
 
 इन्द्र के पुत्र जयंत ने रूप बदल - कौव्वा का रूप धरण कर - सीता के पैरों में चोंच
 मार कर भाग गया | प्रभु श्री राम के छोड़े हुए बाण ने चौदहों लोकों में 
पीछा कर के ढूंढ कर प्राणदान देते हुए एक आँख फोड़ कर दंडित किया |
 
 इन्द्र ने रूप बदल कर सती अहिल्या के साथ छलपूर्वक शीलहरण किया - इन्द्र को देवराज होने के उपरांत भी कठोर दंड मिला |
 
 महाभारत की कथा में वर्णन है - दुस्साशन ने द्रौपदी के केश पकड़ कर उसे सभा
 तक खींचा और दुर्योधन ने द्रौपदी को जंघा पर बैठाने का आदेश मात्र दिया - 
लेकिन उस कुकृत्य के कारण धृतराष्ट्र के समस्त पुत्रों को मृत्यु दंड मिला 
और कौरव वंश का नाश हुआ |
 
 विदेशी आक्रमणकरियों के भारत पर अधिकार 
करने के पहले क्या ऐसा कोई संदर्भ मिलता है कि किसी ने बलात्कार जैसा 
कुकृत्य - जघन्य अपराध किया हो और उसे राजाज्ञा द्वारा त्वरित मृत्यु-दंड न
 दिया गया हो ?
 
 क्षत्रपति शिवाजी ने भी विदेशी आक्रमणकरियों के 
विरुद्ध कई युद्ध लड़े और उन्हें परास्त कर अपने देश की भूमि का पुनः 
अधिग्रहण किया - लेकिन उस कार्यवाही में पराजित विदेशी आक्रमणकरियों की 
स्त्रियों के साथ पूर्ण सज्जनता प्रदर्शित करते हुए सम्मानपूर्वक उन्हें 
सुरक्षित उनके खेमों में भिजवाने के उल्लेख मिलते हैं |
 
 विदेशी 
आक्रमणकरियों के भारत पर अधिकार करने के पश्चात उन्होने अपनी सभ्यता (?) के
 अनुसार पराजित देश की स्त्रियों के साथ बलात्कार की परंपरा स्थापित की - 
अतः पराजित जाति आज तक बलात्कार भोगने के लिए विवश है |
 
 स्त्री को
 प्रताड़ित या उस का बलात्कार करना तो तो दूर - अपमानित करना भी भारत की 
सभ्यता एवं संस्कृति में वर्जित है - त्वरित एवं कठोर दंडनीय - अक्षम्य 
अपराध है |