Sunday, February 27, 2011

पुनर्जन्म और लिंग परिवर्तन - भ्रम अथवा सत्य .

अक्सर लोगों को पूर्वजन्म की बातें याद रहती हैंऔर पता करने पर उसकी प्रमाणिकता भी सिद्ध होती हैरोचक लगता है इस बारे में जाननापढ़ा था कहीं कि दलाई लामा अपनी मृत्यु से पूर्व एक वाक्य कह जाते हैं , जिसका अर्थ उनका अगला जन्म होने पर वो बालक ही बता सकेगा कोई अन्य नहींमेरे मन में प्रश्न है कि क्या दलाई लामा को मोक्ष नहीं मिलता तथा उनका पुनर्जन्म सुनिश्चित है ?

हाल ही में शाहरुख़ खान के पुनर्जन्म के चर्चे सुर्ख़ियों में हैंबताया जाता है कि शाहरुख़ खान अपने पूर्व जन्म में नर्तकी 'साधना बोस' थेअमेरिका के प्रसिद्ध डाक्टर 'वाल्टर सेमकिव' ने ये दावा किया है और सबूत के तौर पर कहा की साधना भी शाहरुख़ जैसी लोकप्रिय थीं तथा उनकी जो अधूरी तमन्नाएं रह गयी थी , उसे शाहरुख़ ने इस जन्म में कई मुश्किलों के बाद पूरा किया


मन में प्रश्न कुछ इस प्रकार से हैं -

  • क्या पुनर्जन्म होता है ?
  • यदि हाँ तो किन परिस्थियों में होता है ?
  • मोक्ष किन लोगों को प्राप्त होता है ?
  • क्या इच्छाएं अधूरी रह जाने पर पुनर्जन्म होना तयशुदा है ?
  • क्या आप past life regression ( प्रति-प्रसव) में विश्वास रखते हैं ?
  • क्या पुनर्जन्म होने पर लिंग परिवर्तन होता है ? जैसे स्त्री का पुरुष होना अथवा पुरुष का स्त्री बनकर जन्म लेना
  • क्या इन विषयों पर शोध संभव है , जिसके अंतर्गत एक से ज्यादा जन्मों का समावेश है और शोधकर्ता के पास सिर्फ एक ही जीवन है शोध करने के लिए

172 comments:

  1. bahue hi sunder or vicharniya post
    ye to sab nirakaar ki maya he
    wo hi jane

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  2. "क्या इन विषयों पर शोध संभव है , जिसके अंतर्गत एक से ज्यादा जन्मों का समावेश है और शोधकर्ता के पास सिर्फ एक ही जीवन है शोध करने के लिए"..... i think it says all.
    there is no firm reason to believe in PUNAR JANM.

    Regards,
    irfan

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  3. दिव्या जी , कुछ सवालों के ज़वाब सिर्फ दन्त कथाओं में ही मिल सकते हैं ।

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  4. शायद ये प्रश्न सब का है लेकिन अभी तक विग्यान दुआरा अनुतरित है। शुभकामनायें।

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  5. बहुत ही सुंदर और रोचक जानकारी देने के लिए आपको बधाई |

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  6. दिव्या जी ,ये पुर्नजन्म के बारे में कही गई बाते काल्पनिक है इसमें विश्वास नहीं किया जा सकता .जहाँ तक मेरी राय है की ये पुनर्जन्म की बात सत्य नही है और जिस इंसान की इच्छा अधूरी रह जती है उसका पुनर्जन्म होता है ये बात मिथ्या है .

    अच्छी प्रस्तुति ,आभार

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  7. पुनर्जन्म के रहस्य पर बहस की जरूरत है। अध्यात्म का जवाब हां होगा, तो विज्ञान का ना। आपने बेहद दिलचस्प मुद्दा उठाया है।

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  8. दिव्‍या जी, डा वाल्‍टर समकिव की किताब मैंने भी पढी है। इस किताब में शाहरूख खान के अलावा अमिताभ बच्‍चन, जया भादुडी, रेखा का पुनर्जन्‍म बताया गया है। इस किताब के मुताबिक अमिताभ को पूर्व जन्‍म में शेक्‍सपियर के नाटकों का हिरो और रेखा को हिरोईन बताया गया है। दोनों पिछले जन्‍म में प्रेमी प्रेमिका थे और पिछले जन्‍म में अमिताभ की जो पत्‍नी थी वही इस जन्‍म में जया भादुडी है, ऐसा कहा गयाहै।
    जवाहर लाल नेहरू, बहादुर शाह जफर, जिन्‍ना, इंदिरा गांधी जैसी हस्तियों का भी पुनर्जन्‍म बताया गया है।
    डा से‍मकिव ने अपनी किताब में कई तर्क भी दिए हैं अपने तथ्‍यों के साथ। खैर।
    बहरहाल, पुनर्जन्‍म की अवधारणा नई नहीं है। आज भी कभी कभार यह खबरें आती हैं कि फला जगह किसी को अपना पूर्व जन्‍म याद आ गया है।
    आपने अच्‍छे विषय पर लिखा।
    वास्‍तव में इस विषय पर शोध और भी होने चाहिए।

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  9. साइंस तो इसे नकारता है ,किन्तु कुछ घटनायें इसे खंडित करने से रोकती हैं ,शोध की आवश्यकता है ।

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  10. कुछ भी कह पाना मुश्किल ही लगता है ।

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  11. आपके इस विषय पर निश्चित रूप से मतभेद होंगे . विज्ञान को मानने वाले शायद विश्वास न करे , लेकिन मैं तो अविश्वास भी नहीं कर सकता क्योंकि पूर्व जन्म की सटीक जानकारी देने वाली एक लडकी को आँखों से देखा है . समाचार पत्रों में बहुत घटनाएँ पढ़ी है . हाँ जन्म के बाद लिंग बदलने की घटना सिर्फ शाहरुख़ खान के मामले में ही सुनी है
    काश विज्ञान जीवन की इन रहस्यमयी परतों को खोल सके .
    ऐसा विचारणीय मुद्दा उठाने और जीवन के रहस्यों के बारे में सोचने के लिए मजबूर करने हेतु आपका धन्यवाद

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  12. भारतीय संस्कृति में पुरुष महिला का भेद ही नहीं है आत्मा के संदर्भों में।

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  13. पुनर्जन्म पर मै तो विश्वास नहीं करता हूँ , इस पर बहस सुनता रहता हूँ और गुनता रहता हूँ .

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  14. दिव्या जी बहुत ही गज़ब का आलेख लगाया है आज तो…………हमे तो इस बारे मे पता ही नही कि शाहरुख का पुनर्जन्म हुआ है……………पता नही लोग क्या क्या बातें बना लेते हैं और किसने देखा है अगला जन्म …………जो है आज है बस इसी को सही तरीके से जी लें वो ही काफ़ी है।

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  15. कुछ विषय ऐसे होते है जो जब तक आपके सामने घटित ना हो आप विश्वास नहीं कर पाते ..पुनर्जनम उनमें से एक है ..कोई तो एक ऐसी चीज़ है जो देह के साथ नष्ट नहीं होती , और अनवरत चलती है

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  16. इस बारे हम कुछ भी नही कह सकते....

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  17. मैं पूर्व जन्म के बारे में चार्वाक मत का अनुयायी हूँ -भस्माविभूतस्य शरीरस्य पुनारागमनम कुतः ?

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  18. ..और मृत्यु ही मोक्ष है!

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  19. आत्मा भी अन्य तत्त्वों की भांति एक तत्त्व है. अध्यात्म जन्म-मरण से बाहर निकलने की बाद कहता है. स्पष्ट है कि यह मानव की बनाई हुई एक अवधारणा ही है. विज्ञान तो इसे नकारता है. सामाजिक दृष्टि से यह धूर्त बुद्धि की उपज है. पुनर्जन्म को मानना अपना वर्तमान जीवन खराब करना है. इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर देखा जा सकता है- http://nirmukta.com/ यह ग्रुप विवेकशीलता के लिए एक बड़ी मुहिम चलाए हुए है.

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  20. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (28-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  21. बहुत गहन विचारणीय पोस्ट..इस विषय पर गंभीर शोध की आवश्यकता है..

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  22. दिव्या जी, यदि आत्मा अमर है , जैसा कि हम में से अधिकतर विश्वास करते हैं तो पुनर्जन्म पर भी विश्वास करना ही चाहिए. परन्तु यह कहना कि पूर्व जन्म में अमुक व्यक्ति यह था अथवा वह था प्रमाणिक तौर पर असंभव जान पड़ता है. लोग जिज्ञासा वश भृगु संहिता आदि का सहारा अवश्य लेते हैं परन्तु अभी भी यह एक अनबूझ पहेली ही है.

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  23. मैं भी अपने सभी पूर्वजों का पुनर्जन्म हूँ।

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  24. बौद्धिकता कहती है यह आधारहीन है लेकिन ह्रदय की स्पन्दनें कहती हैं की इंसान यदि अपनी धडकनों को समझे और जीवन को समझे तो इस सवाल का जवाब हाँ है. सारे सवाल बेहद गूढ़ हैं.

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  25. यह ऐसा विषय है, जिस पर सदैव शोध होता रहेगा और तदर्थ निष्‍कर्ष आते रहेंगे.

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  26. प्रभू की माया वो ही जाने!
    अन्दाजा सब अपने हिसाब से लगाते हैं!

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  27. यह तो अपने-अपने विश्वास की बात है :)

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  28. भारतीय दर्शन के अनुसार मनुष्य का तब तक पुनर्जन्म होता है जब तक उसे मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो जाती। पौराणिक कथाओं के अनुसार मानव जाति में जन्म लेने के पूर्व व्यक्ति अपने पूर्वजन्मों में अन्य प्राणियों के रूप में जन्म ले चुका होता है।

    भारत में पुनर्जन्म का व्यवस्थित अध्ययन 1935 में शांति देवी के प्रकरण से प्रारंभ हो चुका है। डॉ. कीर्ति स्वरूप रावत पुनर्जन्म पर गत 40 वर्षों से शोध कर रहे हैं।

    डॉ. वाल्टर सेमकिव, जो चिकित्साशास्त्र में एम.डी. हैं, ने अपनी पुस्तक में अनेक प्रसिद्ध व्यक्तियों के पुनर्जन्म के प्रकरणों का विवरण दिया है। इनके अनुसार पुनर्जन्म में व्यक्ति के देश, धर्म, जाति या लिंग में परिवर्तन हो सकता है। इस पुस्तक में बताया गया है कि इंदिरा गांधी पूर्वजन्म में नाना साहब पेशवा थीं, जवाहर लाल नेहरू पूर्वजन्म में बहादुर शाह जफर थे और बाद में बेनजीर भुट्टो के रूप में जन्मे, शाहरुख खान साधना बोस थे आदि।

    पूर्वजन्म संबंधी समाचार यदा-कदा छपते, प्रसारित होते रहते हैं।
    यद्यपि पूर्वजन्म को अभी वैज्ञानिक तथ्य नहीं माना गया है, संभवतः भविष्य में यह वैज्ञानिक तथ्य सिद्ध हो जाए।

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  29. यदि आत्मा अमर है तो पुनर्जन्म पर भी विश्वास करना ही चाहिए
    विचारणीय पोस्ट गंभीर शोध की आवश्यकता !

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  30. दिव्या जी पुनर्जन्म के बारे में पुख्ता तौर से कहना कुछ भी मुमकिन नहीं है ! मगर फिर भी कुछ बातें तो सच ही लगती है !

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  31. Aise vishayon pe padhana bada rochak lagta hai....lekin poorvjanm/punarjanm hai ya nahi ye to shayad nishchit taurpe koyi bhee nahee jaan paya!

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  32. पुनर्जन्म : एक इंसान जब मरता है तो उसकी आत्मा कहाँ जाती है? क्या कोई दूसरी दुनिया भी है जहाँ जा के वाही आत्मा फिर से इन दुनिया मैं जन्म लेती है?

    यह सच है की इंसान की आत्मा मर के एक दूसरी दुनिया मैं जाती है. और उसका पुनर्जन्म इस दुनिया मैं फिर से नहीं हुआ करता बल्कि उसी दुनिया मैं उसे उठाया जाता है और उसका हिसाब किताब हुए करता है, जिसको आप उस दुनिया मैं पुनर्जन्म भी कह सकते हैं.

    बाकी अपना अपना नजरिया है और अपना अपना ज्ञान.

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  33. दिव्या जी..
    पुन:-जन्म की अवधारणा हमारी व्यक्ति गत मानसिकता से लगी हुई है..
    इस्लाम में पुन:-जन्म की अवधारणा नहीं है.. इसलिए आजतक किसी मुस्लिम को अपना पिछला जन्म याद नहीं आया..
    पर ईसाईयों और सनातनियो (हिन्दू) के मत इससे अलग है और उनके अगले-पिछले जन्म अक्सर सुनाई पड़ते है |

    मेरा अपना मत कहता है की जन्म-पुन:जन्म हो या न हो पर आत्मा जैसी एक चीज़ है जो हमेशा रहती है और जब समाज और काल को अपने अनुरूप देखती है तो अपने स्वभाव के अनुसार
    अपने गर्भ का चुनाव कर वो आत्मा शरीर रूप धारण कर लेती है.. और दुनिया में आ जाती है अपने मुताबिक काम करने |

    जरुरी नहीं की एक बार आकर कोई आत्मा दुबारा भी शरीर पाना चाहे..
    पर बहुत सारी रूहे दुबारा भी आना चाहती है.. और इसके लिए हर आत्मा का अपना निजी कारण और स्वार्थ होता है..और शायद तभी होता है पुन:जन्म |और फिर कुछ आत्माओ की इच्छा- महत्वकांचा एक जन्म में पूरी नहीं होती तो उन्हें दुबारा आना
    ही होता है |
    दूसरा जन्म होता हो या नहीं पर मुझे तो दुबारा आना ही है अपनी कुछ इच्छाओ को पूरा करने जो इस बार नहीं हो सकती | अगर मेरा पुन:-जन्म नहीं हुआ तो मेरा वर्तमान जीवन भी संकट में होगा क्यु की फिर मेरी इच्छाओं को पंख फैलाने के लिए कोई आसमान नहीं
    मिलेगा जो सही नहीं होगा |और यही मूल कारण है की पुनर्जन्म की अवधारणा बने | ताकि हम अपने वर्तमान जीवन में मात्र एक शिकायती ख़त न बने रहे.. जो आज नहीं मिला हो सकता है.. अगली बार मिले..
    और जो चीज़ किसी को नहीं चाहिए उसी को हम मोक्ष कहते है .. क्यूंकि मोक्ष उस आत्मा की मौत का नाम है.. और हमेशा के लिए कौन मरना चाहेगा.. :)

    आत्मा या पुन:-जन्म को कभी साबित नहीं किया जा सकता.. पर महसूस जरुर किया जा सकता है |

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  34. पता नहीं कितना इस विषय पर पढ़ा और सुना है.
    विज्ञान पुनर्जन्म की अवधारणा को पूर्णतयः नकारता है.
    कोई भी तर्कशील व्यक्ति पुनर्जन्म को नहीं मानेगा.
    मैं इसकी गहराई में क्यों जाऊं ?
    मेरा तो इस पर यकीन करने को मन करता है

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  35. आपका रोचक आलेख पढ़ा.
    और सवाल भी.
    सबसे ज़्यादा भ्रामक तो मोक्ष प्राप्ति है.
    मोक्ष नाम की कोई चीज़ नहीं है.
    सिर्फ दुखों से मोक्ष चाहिए.
    सुखों में जी रहा व्यक्ति कभी मोक्ष चाहता है?

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  36. गंभीर और गहरा प्रश्न है.पुनर्जन्म अभी तक तो मन स्वीकार नहीं कर पाया है,यही कह सकता हूँ.

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  37. spiritually i am handicapped,so can't make any comment.thanx for raising such a mind boggling issue.

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  38. प्रकाँड जी ने बताया कि मैं पिछले जन्म में श्वान योनि का चील-भगोड़ा था... और मैंनें मान लिया ।
    यदि किसी को मेरी बात पर यकीन न हो, तो मेरे पास भी पुनर्जन्म जैसी अवधारणाओं पर विश्वास करने का कोई कारण नहीं है !

    डॉ. वाल्टर सेमकिव, एम.डी. की किताब कोई प्रामाणिक शोध-ग्रँथ नहीं है, जो इस पर इतनी मगज़मारी की जाये । यह सब बेस्ट-सेलर तैयार करने के टोटके हैं । अभी हाल ही में तो एक ज़नाब अपनी भविष्यवाणी से सन 2012 में दुनिया ढहाये दे रहे थे.. सुर्खियों में रहने का यह कारगर तरीका है ।

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  39. विषय रोचक है .आगे के संवादों दी प्रतीक्षा रहेगी .

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  40. जैसे म्रत्यु एक अनिवार्य सत्य है उसी तरह पुर्नजन्म भी एक अनिवार्य सत्य है.इसमे किसी भी प्रकार का संदेह नही है. पुर्नजन्म कोई चमत्कारिक घटना नही है बल्कि एक साधारण प्रक्रिया है जो प्रकति ने बनायी है.
    रही बात साइंस की तो साइंटिस्ट अगर किसी बात को प्रमाणित न कर पाये तो इसका मतलब ये नही कि वो बात झूठी है .बल्कि इसका मतलब ये है कि उन साइंटिस्टो की योग्यता का पैमाना अभी वहाँ तक नही पहुचा है जहाँ पर उन्हे मौत के बाद की बाते पता चल सके . और न ही साइन्टिस्ट कभी इसको प्रमाणित कर पायेँगे क्यो कि मौत के बाद की बाते जानना इन साइन्टिस्टो के दिमाग के बस मे नही है. पुर्नजन्म की सत्यता को परखने के लिये हमे चमत्कारिक प्रमाणो की आवश्यकता होती है और वो प्रमाण हमे समय समय पर मिलते रहते है
    हजारो घटनाये ऐसी हो चुकी है जिसमे बच्चा अपने पूर्वजन्म की बाते अपना पिछले परिवार की जानकारी,अपने पिछले स्थान की जानकारी देता है और वो सब जाँच करने पर अक्षरशः सही निकलती है.
    गीता मे भगवान अर्जुन से कहते है कि
    हे पार्थ "मेरे और तुम्हारे कई जन्म हो चुके हैँ. तुम्हे उनकी याद नही लेकिन मुझे उन सबकी याद है"
    पुराणो और ग्रन्थो मे न जाने कितनी बार पुर्नजन्म की बाते आयी है.
    और पुनर्जन्म किसी एक धर्म के लोगो का नही .बल्कि सभी जीवधारियो का होता है
    अभी दो तीन साल पहले ही मैने एक घटना पढ़ी थी जिसमे बच्चा जो पिछले जन्म मे मुसलमान था और इस जन्म मे एक हिँदु परिवार मे जन्मा था और वो कुरान की आयते सुना रहा था.उसकी पिछली बतायी गयी जानकारियाँ जाँच करने पर एकदम सत्य पायी गयी.
    मौत के बाद आत्मा का कब, कहाँ ,किस योनि मे और कितने समय के बाद दुबारा जन्म होगा ये उसके द्धारा किये गये पिछले कर्मो पर निर्भर करता है.

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  41. और भी न जाने कितने प्रमाण है जो पुर्नजन्म को चिल्ला चिल्ला कर साबित करते है.अब कोई अपने आँख और कान ही बंद कर के रखे रहे तो उसके लिये कुछ नही कहा जा सकता.
    कभी वक्त मिलने पर इसे विस्तार से लिखूंगा.

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  42. प्रमाण के बाद अगर हम तर्क की बात करे तो केवल एक ही बात से पूरी बात समझ मे आ जायेगी
    मुझे बस कोई इतना बता दे
    कि क्यो एक बच्चा झोपड़े मे गरीब बन कर पैदा होता है?
    और कोई दूसरा महलो मे अमीर बन के क्यो पैदा होता है?

    क्यो कोई एक जिँदगी भर दुख भोगता रहता है?
    और क्यो कोई दूसरा जिँदगी भर सुख भोगता रहता है?

    क्यो कोई एक जी तोड़ मेहनत कर के भी दो रोटी ही जुटा पाता हॅ?
    और कोई दूसरा केवल थोड़ी मेहनत करता है और लक्ष्मी उसके पीछे भागने लगती है?
    आखिर क्यो?
    जब इस क्यो का जबाब कोई ढूंढने की कोशिश करेगा तो पुर्नजन्म की हकीकत उसको अपने आप समझ मे आ जायेगी

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  43. अगला प्रश्न अगर ना दागें तो मन करता है कहें को "पुनर्जनम होते हैं."
    अगर मोक्ष न मिले तो फिर जन्म लेना पड़ता है. अगले जन्म का 'भाग्य' और 'योनी' (इन्सान या जानवर इत्यादि) क्रमशः पूर्व जन्म के भक्ति और कर्म पर निर्भर करते हैं.'
    ये महज धारणाएं भी हो सकती हैं...मेरे पास इनका कोई लिखित विवरण भी नहीं है.

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  44. गीता अ.१५ श्लोक ८ ,९ और १० में यह कहा गया है,
    "वायु गंध के स्थान से गंध को जैसे ग्रहण करके ले जाता है ,वैसे ही देहादि का स्वामी भी जिस शरीर का त्याग करता है ,उससे इन मन सहित इन्द्रिओं को ग्रहण करके फिर जिस शरीर को प्राप्त होता है -
    उसमे जाता है."
    "यह जीवात्मा श्रोत ,नेत्र ,त्वचा तथा रसना ,घ्राण और मन को आश्रय करके - अर्थात इन सबके सहारे से ही विषयों का सेवन करता है."
    "शरीर को छोड़ कर जाते हुए को अथवा शरीर में स्थिर हुए को अथवा
    विषयों को भोगते हुए को इस प्रकार तीनो गुणों से युक्त हुए को अज्ञानीजन नहीं जानते ,केवल ज्ञानरूप नेत्रोंवाले विवेकशील ज्ञानी ही तत्व से जानते है."
    जब मन इन्द्रिओं के द्वारा विषयों का सेवन करता है तो अनुभवों की रिकॉर्डिंग मनरुपी सोफ्ट वेयेर में होती हैं और जो अधूरी इच्छायें व संचित कर्म भोग शेष रह जाता है उनको पूरा करने के लिए फिर नवीन शरीर ग्रहण करना होता है.अभी तो वैज्ञानिक मन के रहस्यों को ही पूर्ण रूप से जानने में असमर्थ हैं .लेकिन अन्तःकरण का जो ज्ञान रूप नेत्रो द्वारा शोध करते हैं और अपनी मन बुद्धि को इस लायक बना पाते है कि ऐसा शोध वे सफलतापूर्वक कर सके तभी पुनर्जन्म कि गुत्थी आसानी से सुलझ जाती है .अब आप बिना प्रोपर इंस्ट्रुमेंट्स के कोई शोध करना चाहते हैं तो कैसे संभव होगा इन रहस्यों को जानना.आपके पास सही मन और बुद्धि चाहियें अनुसन्धान करने के लिये .केवल तत्वहीन निरर्थक तर्कों से तो काम नहीं चलेगा .मोक्ष के बारे में कुछ मै अपनी पोस्ट 'मन ही मुक्ति का द्वार है ' में भी लिख चूका हूँ .आगे भी चर्चा का विषय बनाने कि कोशिश करूँगा.

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  45. .

    पुनर्जन्म पर मेरा भी दिल यकीन करता है , और कभी कभी यत्र-तत्र अखबारों में प्रकाशित घटनाओं के विवरण से दिमाग भी पुनर्जन्म कों स्वीकार करता है , लेकिन डॉ वाल्टर सेमकिव द्वारा claim की गयी बातें की अमिताभ बचन ये थे और शाहरुख़ खान ये हैं । इसे मेरा दिल और दिमाग दोनों नहीं मान पाता ।

    डॉ अमर की इस बात से सहमत हूँ की ऐसे लोग सुर्खियाँ बटोरने के लिए नामचीन हस्तियों पर किताब लिखते हैं । डॉ वाल्टर के दावे मेरा मन कतई स्वीकार नहीं कर पा रहा है ।

    .

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  46. पुर्नजन्म होता है क्योकि मनुष्य अपने पुर्वजन्मो के कर्मो के हिसाब से ही अगला जन्म लेता है
    इस जन्म के कर्मो के आधार पर ही अगला जन्म निर्भर करता है यदि पाप और पुण्य बराबर हो तो मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है ।
    इसी कारण तो गरीब और अमीर, सुख और दुख आदि है (कर्म विपाक संहिता के अनुसार)

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  49. आदरणीय दिव्या जी ,
    आप तो जानती ही है कि मन केवल रिकॉर्डिंग ही नहीं रिसीविंग और ट्रांसमिटिंग का कार्य भी करता है.निर्मल,शांत और निष्कपट मन से जो सच्चाई से भाव प्रेषित किये जाते हैं वे औरो के मन तक भी पहुँचते हैं.परन्तु निर्मल और शांत मन ही उन्हें ज्यादा अच्छी तरह से ग्रहण कर पाता है.अब आपका मन जिस पर यकीन नहीं करता तो उस पर ज्यादा चिंतन करना अनावश्यक सा प्रतीत होता है .जिस पर आपका मन यकीन करता है उसी पर शोध की आवश्यकता है जो प्रामाणिक शास्त्रों के अध्ययन से , जो उस विषय का ज्ञान और अनुभव रखते हों उनसे चर्चा करने से और उपर्युक्त साधना से पुष्ट हो जाता है.मन और बुद्धि का विकास जैसे जैसे सही प्रकार से होता जायेगा तत्व बोध उसी प्रकार से बढ़ता जायेगा .

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  50. .

    आदरणीय राकेश जी ,

    चिंतन कभी भी अनावश्यक नहीं होता । डॉ वाल्टर जो भ्रमित करने के लिए लिख रहे हैं और भारत की जनता के विश्वास के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं , उस पर रोक लगनी ही चाहिए ।

    .

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  51. आपके परहित से प्रेरित चिंतन का मै सम्मान करता हूँ. आपकी बुद्धि इस संबंध मै निश्चयात्मक है तो जो आप चाहती है वैसा होना ही चाहिए .जो भ्रमित बुद्धिवाले हैं उनके भ्रम को दूर करने की आपकी यह कोशिश सराहनीय है.

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  52. डा. वाल्टर द्धारा जो बाते बतायी जा रही .
    वो पूर्णतया वकवास है
    वो अंग्रेज मात्र प्रचार पाने के लिये ये सब हथकंडे अपना रहा है.

    और एक तरीके से वो पुर्नजन्म का मजाक उड़ा रहा है

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  53. पुर्नजन्म के बारे मे अन्य धर्मो के लोगो मे संदेह हो सकता है क्यो कि उनके धर्मग्रन्थो मे इस बारे मे कोई जानकारी नही है.
    लेकिन हिँदुओ को इस बात मे बिल्कुल भी संदेह नही रखना चाहिये.
    क्यो कि हमारे धर्मग्रन्थो मे जीवन से लेकर म्रत्यु और म्रत्यु से लेकर अगले जीवन तक के रहस्यो के बारे मे संपूर्ण जानकारी है. और इस पर हमे गर्व होना चाहिये

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  54. सबसे बडा झूठ जो कहा जा रहा है कि "विज्ञान पुनर्जन्म को नकारता है।" जब्कि सच्चाई यह है कि विज्ञान पुनर्जन्म को अभी तक प्रमाणित नहीं कर पाया। विज्ञान ज्ञात को ज्ञात और अज्ञात को मात्र अज्ञात कहता है। इसलिये पुनर्जन्म को नकारने के लिये विज्ञान का सहारा लेना ठीक नहीं।

    पुनर्जन्म होता है यह सच्चाई है, पर इस का ज्ञान करने के लिये उच्चत्तम ज्ञान चाहिए जो वर्तमान में सम्भव नहीं है। इसलिये पुनर्जन्म व उसकी स्मृतियों के लिये जो भी प्रचारित किया जाता है वह गप्प और भ्रंतियों का मिला-जुला रूप है।

    आत्मा के लिंगभेद नहीं है, इसलिये नारी को पुरूष और पुरूष को नारी जन्म सम्भव है जो सिद्धान्तों के आधार पर होता है।

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  55. .

    खुद दरख़्त को भी नहीं पता होता कि
    वह किसी द्वार की चौखट में इस्तेमाल होगा अथवा मेज़-कुर्सी आदि फर्नीचर बनने में अथवा ईंधन रूप में झोंक दिया जाएगा.

    एक कुशल कारीगर भाँति-भाँति के दरख्तों का सही प्रयोग उनकी गुणवत्ता के अनुसार करता है.

    .

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  56. पुनर्जन्म अवधारणा की शोध सम्भव ही नहीं, और शोध-प्रयास भी तुक लडाने का कार्य करेगा। सर्वज्ञ- सर्वदर्शीओं द्वारा भारतिय दर्शनों में इसे सुव्याख्यायित किया जा चुका है जो तार्किक और नियोजित है।

    वैज्ञानिक उपकरणों से शोध सम्भव नहीं, यदि इस अवधारणा से मानव को कोई हानि न हो तो, तार्किक आधार पर इसे आस्था की तरह जिया जा सकता है।

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  57. पुनर्जन्म निश्चित है अध्यात्म से बड़ा विज्ञानं कुछ नहीं है , गरुड़ पुराण में सभी प्रकियाएं विस्तार से दी गयी है गीता में श्रीकृष्ण का उपदेश पुष्टि कारक है . राम कृष्ण परम हंस ने स्वयं स्वामी विवेकानंद जी के संशय को दूर करने के लिए कहा था कि जो राम तथा कृष्ण बन कर आये थे वही आज ( स्वयमं की तरफ अंगुली से इशारा करते हुए ) राम कृष्ण बन तुम्हारे सामने है . ( यह उन्होंने अपने पूर्ण समाधी काल से कुछ ही समय पूर्व कही) साथ में यह भी कहा कि पुनः २०० वर्षों के उपरांत व्यावृत दिशा में आना पड़ेगा .

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  58. यदि सम्भव हो तो आप ओशो की पुस्तक "जिन खोजा तिन पाईया"
    और "मै मृत्यु सिखाता हूं" अवशय पढे। मै सोचता हूं आपके तार्किक मन को कुछ उत्तर जरूर मिलेंगें। (पहली बार मै किसी को कोई पुस्तक पढनें को कह रहा हूं, पता नहीं क्यों?)

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  59. विज्ञानं जहा समाप्त होता है वह अध्यात्म शुरू होता है पुनर्जन्म सत्य है यह हमारे हिन्दू धर्म की कशौटी पर खरा उतरता है आज सारा विश्व पुनर्जन्म को स्वीकार करता है कुछ बामपंथियो को छोड़कर या तथा कथित भौतिक बादी को आपकी इस जानकारी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद .

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  60. आत्मीय दिव्या जी​
    जब-जब किसी भारतीय धर्मशास्त्र में अध्यात्म अथवा धर्म की चर्चा शुरू हुई है, उसकी परिस्थितियां ठीक वैसी ही रही हैं, जैसी आज हैं। आपने बिल्कुल शास्त्रीय परम्परा के अनुरूप प्रश्न उठाए हैं, जो लोक-कल्याण के लिए हैं। शास्त्रों के ऋषि-मुनि प्रश्नकर्त्ता की उसके लोकमंगलकारक प्रश्नों के लिए प्रशंसा करते हैं। आपने सरल-सी जिज्ञासाएं उठाई हैं। मुझे ऐसा लगता है कि आपको इसके बारे में कुछ अनुभूत चीजें बताऊं।​
    ​-पुनर्जन्म सत्य है, न केवल व्यक्तिगत अपितु सार्वकालिक। भारतीय शास्त्र, ऋषिमुनि-योगी-साधक इसके गवाह हैं। व्यक्तिगत अनुभूति न होने का अर्थ यह नहीं कि सत्य़ को इनकार कर दिया जाए। पुनर्जन्म के सत्य को न केवल आस्तिक वैदिक धर्मों, बल्कि नास्तिक धर्म माने जाते बौद्ध और जैन धर्मों ने भी अनुभव किय़ा है। जहां तक बात चार्वाक और फ्रायड की है तो वे सिर्फ चिकित्सक थे, आत्म के खोजी नहीं। पुनर्जन्म की प्रतीति हुई ही उन्हें है, जिन्होंने आत्मतत्व की खोज की है। स्वयं के अस्तित्व को पहचानने का प्रयास किया है। अध्यात्म के जगत में प्रवेश के बिना इसकी प्रतीति नहीं हो सकती। विज्ञान की सारी खोज बाहर की है-पदार्थ की है, बहुत गहरे चला जाए तो भी विज्ञान मन के पार नहीं जा पाता। ​पुनर्जन्म एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, श्वसन की तरह। भारतीय योग परम्परा में ऐसी अनेक विधियां है जिनसे पुनर्जन्म की अनुभूति की जा सकती है। बहुतों ने प्रयोग किया है। ​
    शास्त्रों-संतों का कहना है कि जीव की वासनाएं ही पुनर्जन्म का कारण बनती हैं। वासना का अर्थ वो हर अच्छी-बुरी कामना है, जो मन में उपजती है। पाप करने वाला ही नहीं, पुण्यात्मा भी तबतक जन्मता-मरता रहता है, जबतक उसे मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो जाती। जन्म-मरण से मुक्ति को मोक्ष कहा गया है। ​यह तभी संभव है जब वासनाओं का क्षय हो जाए। मन की मृत्यु को मोक्ष का द्वार कहा गया है। यह कथन एवं विश्लेषण का नहीं अपितु अनुभूति का ही विषय है। वासनाओं के अऩुरूप लिंग-काया-वृत्ति का स्वरूप बदल जाता है। जिन मित्र का कहना है कि कुछ अन्य धर्मों, खासकर इस्लाम में पुनर्जन्म की अवधारणा नहीं है, उन्हें सच्चाई का पता नहीं। दोजख और जन्नत की अवधारणा बताती है कि इस्लाम अभी आगे की चीजें खोज रहा है। आवागमन हो रहा है, चाहे दोजख में हो चाहे जन्नत में। जन्म-मरण उन्हें भी स्वीकार्य है। रही बात शोध की, तो निश्चित ही शोध संभव है। बहुत से लोग इस कार्य में लगे हुए हैं और सफल भी हुए हैं। किंतु, यह मामला इतना आंतरिक है कि इसका ग्लोबलाइजेशन नहीं किया जा सकता। यह अंतर की अनुभूति है-पदार्थ से परे की घटना है-मन और बुद्धि से अतीत है। साधु-संतों की संगत और साधना-अभ्यास से इसकी प्रतीति की जा सकती है। ​विज्ञान की बात की जाए तो वह अभी बच्चा है। कोई वैज्ञानिक रिस्क लेने को ही तैयार नहीं है इस क्षेत्र में शोध का। जो शोध करने जाता है वह संत हो जाता है। अनुभूतियों के बाद सारी कल्पनाएं भोथरी हो जाती हैं। ​मुक्तमन से कोई शोध करने को तैयार हो तो मैं प्लेटफार्म मुहैया करा सकता हूं। क्या कोई तैयार है।

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  61. डॉ.दिव्या,
    आपने बहुत ही महत्वपूर्ण और जिज्ञासा उत्पन्न करने वाला प्रश्न उठाया है. पहला प्रश्न क्या पुनर्जन्म होता है?

    उत्तर है - हाँ, जिस प्रकार से ऊर्जा का रूपांतरण होता है. जिस प्रकार से रासायनिक बन्ध के परवर्तन से यौगिक का नाम रूप बदल जाता है, उसी परके जीवन चक्र भी बदलता रहता है. और इस परिवर्तन में केवल लिंग ही नहीं चेतना के स्तर में भी परिवर्तन संभव है. माना से लेकत अर्द्ध चेतन, सुप्त चेतन तक में. हाँ शोध का विषय यह जरूर हो सकता है और होना भी चाहिए कि किस नियम से? किस सिद्धांतो के आधार पर? हमे परंपरागत नियमो पर आँख बंद कर विश्वास नहीं करना चाहिए उनका गह विश्लेषण करना होगा. प्रतीकों में छी नियमों को उसी प्रकार ढूढना होगा जिस प्रकार विज्ञानं ढूढता है. विज्ञानं एप्लाइड साइंस के विकास द्वारा विज्ञानं के नियमो से मानव सुविधा के उपकरण उपलभ कराता है, इन्गीनीरिंग और मेडिकल क्षेत्र इसके प्रमाण है..

    २- आपने दलाईलामा के बारे में जो प्रश्न उठाया है प्रकारांतर से उसे मैंने भी पढ़ा है. दुद्ध ने भी अंतिम निर्वाण नहीं ली है, ऐसा उनके अनुयायी कहते हैं, उनकी संकल्पना है जब तक इस धारा पर दुःख रहेगा, दुखी व्यक्ति रहेंगे मै स्वयं निवां कैसे ले सकता हूँ? दुद्ध के दलाई लामा के बारे में भी इसी प्रकार की मान्यता कार्यरत है, अपने एक रचना में मैंने लिखा था -
    .'जीवन' जो नहीं कर सकता..
    'मृत्यु' उसे पूरी करती है..
    लेकिन यह भी सच है भैया !
    मरना नहीं आता है सबको
    जो जीना भी सीख नहीं पाए,
    भला मरना वे क्या जानेंगे ?
    क्या मृत्यु सौंदर्य पहचानेंगे ?
    क्या मृत्यु के सत्य को जानेंगे ?
    कुछ तो मरते है - एकबार,
    कुछ एक ही दिन में कईबार..
    दुःख को जग से पुनः मिटाने
    बुद्ध को 'मैत्रेय' रूप में आना है.
    आना तो है हरि को भी अब,
    'कल्कि' रूप में आना है ...
    वादा अपना जो निभाना है.
    फिर बात वही दुहराता हूँ ..
    मृत्यु समापन नहीं, सृजन है..,
    यह मृत्यु का ही 'महागर्जन' है.


    ३- Lise cycle of a star के अध्ययन से भी यह प्रमाणित होता है क़ि किस प्रकार pro-star, proto-star, star, red-gient, Sper novwa और फिर ब्लाक होल क़ि स्थिति बनती है. ब्लाक होल में 'बिग बैंग' क़ि घटना से पुनः नयी स्रिष्टि का सृजन होता है यह वैज्ञानिक अवधारना भी, पुनर्जन्म मान्यता की पुष्टि करता है.
    ४ - शेष बाते विचारणीय है और प्रत्येक चिंतनशील को सोचना चाहिए.
    ५- एक चिंतन योग्य प्रश्न उठाने के लिए आभार.

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  62. आदमी विचारों से जाना जाता है. विचारों का पुनर्जन्म होता है.

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  63. दिव्या जी,
    जिन प्रश्नों को आपने उठाया है, उन पर विचारक मानव-सभ्यता के प्रारम्भ से ही चिन्तन करते आ रहे हैं। चिन्तन के परणाम स्वरूप जो परिणाम कहे गये हैं, वे विश्वसनीय और अविश्वसनीय दोनों ही तरह के अकाट्य तर्क से भरपूर हैं। इन दोनों के सामने एक ही कठिनाई है और वह यह कि आधुनिक भौतिक विज्ञानों की भाँति प्रयोगशाला में इन तथ्यों को प्रमाणित करने का साधन नहीं है। दूसरी बात यह कि जिसे प्रयोगशाला में प्रमाणित न किया जा सके, उसके विषय में ऐसा मान लेना कि उसका अस्तित्व नहीं है गलत होगा। वैसे इन प्रश्नों का उत्तर पा लेने से कोई समस्या हल नहीं हो सकती। जहाँतक शोध की बात है, तो ऐसा नहीं है कि लोगों ने शोध नहीं किया है। यहाँ जिन लोगों ने अपने विचार दिए हैं, वे ग्रंथों में उपलब्ध तथ्यों के आधार पर। ठीक उसी प्रकार जैसे आधुनिक विज्ञान के विषय अधिकांश लोग करते हैं। हर व्यक्ति उन तथ्यों को प्रयोगशाला में प्रमाणित करके नहीं कहता। विज्ञान की पुस्तकों में लिखा है और उसने पढ़ा है, बस इतना काफी है। पराविज्ञान की प्रयोगशाला स्वयं मानव है। पर इसे प्रमाणित करने के लिए कितने तैयार होंगे और अगर लोग तैयार हुए भी तो प्रयोगशास्त्र के पुरोधा का मिलना उससे भी कठिन है। जो परिचय की सतह पर तैर रहे हैं उनकी क्षमता पर भरोसा करना कठिन है। वैसे इस विषय पर गीता और उपनिषदों के अलावा आधुनिक मस्तिष्क के लिए सर्वाधिक प्रामाणिक तर्क संगत और विज्ञान सम्मत ग्रंथ स्वामी अभेदानन्दजी (स्वामी विवेकानन्द के गुरुभाई) द्वारा विरचित Life Beyond Death और स्वामी राम का Life Here And Hereafter हैं। Life Beyond Death में अनेक प्रयोगों के विवरण भी उपलब्ध हैं। साधुवाद।

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  65. इस विषय पर मै कुछ अपना अनुभव बताना चाहूंगी ,मेरे साथ भी कुछ ऐसी घटना घटी है ,उसे पूर्वजन्म कहेगे या क्या ..मै समझ नहीं पाती हूँ ...
    लन्दन के कई ऐसे जगह है जो मुझे ऐसा लगत मै पहले भी आ चुकी हूँ ..जो की मै कभी नहीं गई हूँ वहां ...मुझे रास्ते पता होता है ,मै भी हैरान हो जाती हूँ की जहाँ मै पहले कभी नहीं आई उस जगह के बारे में मुझे कैसे पता चल जाता है ....कई बार तो ऐसा भी हुआ है , मेरे जन्म के पहले का अंग्रेजी मूवी देखती हूँ तो अचानक मुझे ऐसा लगत है की मै इस मूवी को पहले भी देख चुकी हूँ .और कहानी बात देती हूँ या फिर इसके बाद कौन सा सीन आने वाला है वो भी बता देती हूँ ...पर ये सब हमेशा नहीं होता है कभी कभी ...अब इसे पूर्व जन्म कहेंगे या और कुछ पता नहीं ...!!!

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  66. चिंतनीय पोस्ट,आभार.
    पुनश्च-वैवाहिक वर्षगांठ पर बहुत शुभकामनायें.

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  83. sikke ke do pahlu hote hain......

    sawal hai hum kahan se dekh rahe hain......

    good one...post....'anandam...anandam...anandam...

    pranam.

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  84. .

    अलग-अलग क्षेत्रों में महारथ रखने वाले सभी विद्वानों की ज्ञानवर्धक टिप्पणियों से विषय कों बहुत विस्तार मिला एवं बहुत से उनुत्तरित प्रश्नों का उत्तर भी । बहुत से ग्रन्थ और पुस्तकें अछूती ही रह जाती हैं और कभी-कभी अप्राप्य भी होती हैं , लेकिन सभी के सांझा अनुभवों को चर्चा में पढ़कर , इसका अभाव दूर हो जाता है ।

    गरुण पुराण , भृगु संहिता , श्रीमद भागवद गीता , नोवा , सुपर नोवा , ब्लैक-होल , बिग-बैंग आदि के सन्दर्भ में अद्भुत जानकारी के सभी आदरणीय टिप्पणीकारों का ह्रदय से आभार ।

    .

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  85. .

    यहाँ एक बात आयी है की आत्मा का कोई लिंग एवं धर्म नहीं होता । तथा मुस्लिम समुदाय में पुनर्जन्म की अवधारणा मान्य नहीं है । तो फिर इस्लाम में कर्मों के बंधन और जन्म-मृत्यु के चक्र को कैसे समझाया गया है ?

    .

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  86. .

    जगन जी ,

    आपने लिखा की व्यक्ति की पूर्ण आयु औसत १२० वर्ष की मानी गयी । क्या इसमें पृथ्वी पर गुजारे गए ६० वर्ष के अतिरिक्त गर्भकाल के नौ माह , गर्भ से पूर्व आत्मा के द्वारा अपने लिए शरीर के चयन से पूर्व का अशरीर समय भी शामिल है ?

    क्या एक ज्योतिष , अपनी ज्योतिष विद्या द्वारा अपने पूर्व-जन्म और आगामी जन्म की कुंडली भी तैयार कर सकता है ? यदि ऐसा हुआ तो समय के साथ नष्ट होने वाला मनुष्य त्रिकालदर्शी हो जाएगा ।

    आपने लिखा की आत्मा एवं पुनर्जन्म पर शोध के दौरान आत्मा विघ्न उत्पन्न करती हैं । ये किस प्रकार से विघ्न उत्पन्न करती हैं तथा क्यूँ उत्पन्न करती हैं ? क्या आत्माओं को किसी प्रकार का भय होता है इस नश्वर शरीरधारी इंसान से ?

    उत्तर की प्रतीक्षा में ..

    .

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  88. साहित्य के द्वारा पुनर्जन्म का संस्कार हमारे मन पर अंकित कर दिया गया है. जिसने जो पढ़ा वही कहा. जिन मानव समूहों में पुनर्जन्म की अवधारणा नहीं है जाहिर है उनके लिए इस अवधारणा का कोई अस्तित्व नहीं. पुनर्जन्म कुछ इंसानों के व्यवसाय का आधार अवश्य है जैसा कि आपकी टिप्पणी से स्पष्ट है. वह विदेशी इसका सहारा ले कर कमा रहा है. भारत में भी लोग कमाने के लिए इसका प्रचार और प्रयोग करते हैं. क्योंकि अन्य जीवों की भाँति हमारी उत्पत्ति सूर्य के प्रकाश से होती है अतः कोई ऐसी अवस्था प्रकाश में होनी चाहिए जो इस प्रकाश को नर और नारी में परिवर्तित कर देती है. बुद्धि इस बात को मानती है. मृत्यु के बाद यह प्रकाश तत्त्व प्रकाश में ऐसे लौट जाता है जैसे अन्य तत्त्व अपने-अपने तत्त्वों में लौट जाते हैं. सूर्य के इस प्रकाश को गीता में आत्मा (प्रकाश तत्त्व) कहा गया है जिसे अग्नि जला नहीं सकती, पानी गला नहीं सकता, हवा सुखा नहीं सकती और शस्त्र काट नहीं सकता. बात सामान्य है लेकिन इसे रहस्यमय बना दिया गया.

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  89. बहुत ही सुन्‍दर एवं रोचक प्रस्‍तुति ।

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  92. .

    जगन जी ,

    इतने सरल एवं सहज तरीके से प्रश्नों का उत्तर देने के लिए धन्यवाद। विषयांतर है लेकिन सोचा क्यूँ न आपके अनुभवों का लाभ लिया जाए , इसलिए प्रश्न कर रही हूँ।

    क्या मृत्यु के पश्चात मुक्त हुई आत्मा आम इंसान से ज्यादा ताकतवर होती है ? क्या वो अपने प्रियजनों को लाभ पहुंचाती है ? क्या उनकी मददगार साबित होती है ? अथवा व्यक्ति की मृत्यु के बाद आत्मा का सम्बन्ध अपने परिवार जनों से समाप्त हो जाता है ?

    मन में दुविधा ने जन्म ले लिया है । जन्म-मृत्यु का चक्र पूर्व जन्म के कर्मों को भोगने के लिए होता है , अथवा अधूरी इच्छाओं को पूरा करने के लिए ?

    यदि आत्माएं स्वयं अपने लिए पृथ्वी पर आने का काल , शरीर एवं माता पिता का चुनाव करती हैं तो विधि का विधान कहाँ रह गया ?

    .

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  95. .

    Bhushan ji ,

    The theory of 'prakaaash-tatv ' is quite appealing indeed.

    .

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  99. Divyaji , yeh manav jeevan kaise behtar ho sakta hai, kuchh is par vichar kare. aam admi ka yeh jiven jeena he dushwar ho raha hai aur aap punarjanam ki baat kar rahi hai.

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  100. @ कमलेश झा ,

    पिछले १५० लेख मानव जीवन की बेहतरी के लिए ही लिखे हैं और ये चर्चा भी इसलिए है क्यूंकि आजकल समाचारों में आम जनता कों मूर्ख बना रहे डॉ सेमकिव सुर्ख़ियों में हैं।

    By the way , आप कोई तरीका सुझायेंगे लोगों का जीवन बेहतर बनाने का ? मैं तो ठहरी मूर्ख अबला । आप जैसे समाज के शुभचिंतक तो विरले ही होते हैं।

    धन्यवाद यहाँ प्रकट होने के लिए। मेरा आपसे कोई पूर्वजन्म का नाता-रिश्ता लगता है ।

    < Grins at Kamlesh >

    .

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  101. दिव्या जी आपका लेख पर कर अच्छा लगा साथ- साथ थोडा आश्चर्य भी हुआ की आज इस धरना में कई लोग जीते हें . हाँ , में अपनी कहूँ तो में इस तरह की किसी भी धरना से इतेफाक नहीं रखता हूँ , क्योंकि मेरा मानना हे की पुनर्जनम जेसी कोई भी बात न तो थी और न ही आगे होगी . ये उनलोगों के कम हें जिन्होंने अपने लाभ के लिए ये बातें बनाये और इन बातो का इस कदर प्रचार प्रसार किया की इस तरह की अफवाह पर सभी यकीन करने लगे इससे ज्यादा और कुछ नहीं हे ये पुनर जनम .

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  102. दिव्या जी ,

    हिन्दू धर्मग्रंथों की मान्यता के अनुसार पुनर्जन्म होने की बात कही गयी है |

    वैसे आपके इस मुद्दे पर विशाल चर्चा हो ही रही है जिससे बहुत कुछ नयी

    जानकारियां मिल रही हैं |

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  104. .

    यदि विज्ञान की बात करें तो स्मृतियाँ मस्तिष्क में संचित होती हैं , जो मृत्यु के बाद नष्ट हो जाती हैं और उनका अगले जन्म में ट्रान्सफर नहीं हो सकता , लेकिन यदि आत्मा को मानें तो स्मृतियाँ आत्मा में संचित हो रही हैं , जो नष्ट नहीं होतीं और आत्मा के पुनः शरीर धारण करने पर उस व्यक्ति को संचित स्मृतियों द्वारा अपने पूर्व जन्म की घटनाओं की याद आती है।

    .

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  105. रोचक विषय।
    हम जगन राममूर्ति जैसा ज्ञानी तो नहीं हैं
    फ़िर भी आपके सवालों का जवाब देने की कोशिश कर रहा हूँ।
    ----------------------------
    क्या पुनर्जन्म होता है ?
    ----------------------------
    ===================================
    पता नहीं। और शायद कभी पता भी नहीं चलेगा।
    यह एक permanent mystery रहेगी
    ==============================
    --------------------------------------------
    यदि हाँ तो किन परिस्थियों में होता है ?
    ----------------------------------------------------------------------------
    ==============================
    हम तो यही कहेंगे कि यदि ईश्वर ने चाहा तो अवश्य पुनर्जन्म होगा।
    हमारी मर्जी से नहीं
    ==============================

    -----------------------------------------
    मोक्ष किन लोगों को प्राप्त होता है ?
    ---------------------------------------
    ==============================
    पुराणों में और गुरुजनों के कथनों में इसका उत्तर मिल सकता है
    अब आप पर निर्भर है इसे मानना या न मानना।
    ==========================================
    ------------------------------------------------------------------
    क्या इच्छाएं अधूरी रह जाने पर पुनर्जन्म होना तयशुदा है ?
    ------------------------------------------------------------------
    =======================
    नहीं। कितने लोग हैं जिनकी इच्छाएं पूरी होती है? और वैसे भी इंसान की इच्छाएं सीमित नहीं होती। अधिकांश लोगों की इच्छाएं पूरी नहीं होती।
    पुनर्जन्म के किस्से बहुत विरले ही होते हैं, तो जाहिर है कि अधूरी इच्छाएं और पुनर्जन्म के बीच कोई सम्बन्ध नहीं
    ===========================================
    continued

    ReplyDelete
  106. ----------------------------------------------------------------------------
    क्या आप past life regression ( प्रति-प्रसव) में विश्वास रखते हैं ?
    ----------------------------------------------------------------------------
    ==============================
    विश्वास भी नहीं, अविश्वास भी नहीं। I have an open mind on this issue.
    जानना चाहता हूँ पर मुझे नहीं लगता कि इस जन्म में मुझे पता चलेगा।
    ==============================

    ----------------------------------------------------------------------------
    क्या पुनर्जन्म होने पर लिंग परिवर्तन होता है ? जैसे स्त्री का पुरुष होना अथवा पुरुष का स्त्री बनकर जन्म लेना ।
    ----------------------------------------------------------------------------
    ===========================================
    क्यों नहीं? सुना है कि इन्सान जानवर का जन्म भी ले सकता है तो लिंग परिवर्तन क्यों नहीं हो सकता? आत्मा का कोई लिंग नहीं होता।
    ===========================================

    ----------------------------------------------------------------------------
    क्या इन विषयों पर शोध संभव है , जिसके अंतर्गत एक से ज्यादा जन्मों का समावेश है और शोधकर्ता के पास सिर्फ एक ही जीवन है शोध करने के लिए
    ----------------------------------------------------------------------------

    ===========================================
    मेरा खयाल है कि इसपर शोध हुआ है पर अब तक कोई निष्कर्ष पर नहीं पहुँचे
    शोधकर्ता के पास भले एक ही जीवन हो पर अगली पीढी के शोधकर्ता इस काम को जारी रख सकते हैं
    ===========================================

    शुभकामनाएं
    जी विश्वनथ

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  108. दिव्या जी आपका लेख अच्छा लगा पुनर्जन्म पर मेरा भी दिल यकीन करता है ,इस विषय पर गंभीर शोध की आवश्यकता है..
    agala janm aakhir kisne dekhaa hai isliye punar janm ho yaa na ho kyaa fark padtaa hai
    धन्यवाद.....

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  109. .

    विश्वनाथ जी ,

    जहाँ तक मैंने सुना है , चौरासी लाख योनियों के बाद , बहुत से पुन्य कर्मों के बाद मनुष्य देह प्राप्त होती है । कीड़े-मकोड़े और जानवर तो मनुष्य योनी प्राप्त कर सकते हैं , लेकिन संभवतः मनुष्य अपने पुनर्जन्म में किसी और योनी कों प्राप्त नहीं होता । उसे अपने कर्मों का फल भुगतने के लिए बार-बार मनुष्य रूप में ही पृथ्वी पर जन्म लेना होगा , और जब उसके कर्म के सभी बंधन कट जाते हैं तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है तथा वो जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त हो जाता है।

    .

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