हर किसी को माँ चाहिए, पत्नी चाहिए, गर्ल फ्रेंड चाहिए लेकिन 'बेटी' किसी  को नहीं चाहिए।  शिक्षा का इतना प्रचार प्रसार होने के बावजूद भी   रूढ़िवादी सोच से मुक्त नहीं हो पाये हैं लोग। कुल का दीपक  'बेटा' ही है।  बेटियां अभी भी बोझ ही लगती हैं।  आज की तारीख में भी गर्भ में ही मार दिए  जाते हैं कन्या भ्रूण और देखने को मिलती हैं कचरे के ढेर पर उनकी अजन्मी  संरचनाएं। ये उस देश का हाल है जहाँ  गार्गी, विद्द्योत्मा ,  लक्ष्मी बाई  ,कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स , किरण बेदी जैसी बेटियों ने इतिहास रच  दिया है और जहाँ शास्त्रों में स्त्रियों को लक्ष्मी की संज्ञा दी गयी है।
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