मैं और मेरी फेसबुक , अकसर ये बातें करते हैं
तुम हो तो क्या बात है, तुम न होतीं तो कैसा होता ?
हज़ारों के दिल में रंज है और लाखों की रात स्याह है
तुम हो तो सब कह-सुन लिया, तुम ना होतीं तो कैसा होता?
भारत की नींव और लोकतंत्र का चारों स्तम्भ ,
तुम हो तो थमा हुआ है, तुम ना होतीं तो कैसा होता?
बढ़ते आतंकवाद और गुनाहों के इस शहर में,
तुम हो तो आईना दिखा भी लिया, तुम ना होतीं तो कैसा होता?
जनता का खौफ सरकार के दिल से जा रहा है,
तुम हो तो थोडा डरती भी है, तुम न होतीं तो क्या होता ?
कितनों के दिल का हाल हो तुम, कितनों के मन का मलाल हो तुम,
तुम हो सबने बरस लिया, तुम ना होतीं तो कैसा होता?
देशप्रेमियों के दिल में जो दर्द है, जो आवेश है, जो आग है ,
तुम हो तो थोड़ा गरज लिया , तुम ना होतीं तो कैसा होता?
मैं और मेरी फेसबुक , अकसर ये बातें करते हैं
तुम हो तो क्या बात है, तुम न होतीं तो कैसा होता ?
Zeal
बहुत खूब बातें, मेरा फेसबुक तो कुछ कहने ही नहीं देता है, बस बकर बकर..
ReplyDeleteसचमुच फेसबुक न होता तो क्या होता?
ReplyDeleteआपने सच कहा
सही कहा आपने ,बहुत सुंदर बधाई....
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteफेसबुक न होता तो सीधे लोगों के फेस पर कह डालते और क्या...
अनु
ना कुछ था तो खुदा था,
ReplyDeleteकुछ ना होता तो खुदा होता।
डुबाया मुझे इस फ़ेस बुक ने,
ना होती तो क्या होता।
वाह!
ReplyDeleteक्या बात है.
फ़ेस बुक!हाँ ठीक ही कह रही होंगी आप ,मुझे इसका कोई खास अनुभव नहीं .
ReplyDeleteदिव्या जी, आपको पिछले दिनों दो ईमेल भेजी थीं
लगता है मिली नहीं .
जाने कितनी बातें कह गई हैं फेसबुक के बहाने..चिंता की बात ये है कि जहां अरब देशों में सोशल साइट क्रांति ला रही हैं वहीं हमारे देश में अपने ही लोगो को बेगाने बनाने का कुचक्र चलाया जाता है। गलत समय पर गलत बयानबाजी करने वालों को पकड़ा जाता है तो सराकर को नींद नहीं आती....। बहुत ही गड़बड़झाला है बाबा इस फेसबुक में
ReplyDeletewah ji face book chalisa----jai jai
ReplyDeletesahi baat rochak tareeke se, sundar.
ReplyDeleteआपकी बातें १००%सही है जी,आभार.
ReplyDeleteफेसबुक नहीं होता तो, इन्टरनेट पर भारत की इतनी आबादी ना होती!!
ReplyDeleteकृपया इस जानकारी को भी पढ़े :- इंटरनेट सर्फ़िंग के कुछ टिप्स।
बहुत बढ़िया दिव्या जी ,
ReplyDeleteफेस बुक तो लगता है ,
जीवन नैय्या की पतवार
होगई............
हद खूबसूरत पंक्तियाँ।
ReplyDeleteआज देश में जो भी जागृति का ज्वार आ रहा है, वह फेसबुक की ही देन है।
आपकी कविता बहुत खूबसूरत है।
बाह, एक दम सही .
ReplyDeleteबहुत खूब..फेसबुक से की गई बातों सुंदर ढंग से कविता में पिरोया है।।।
ReplyDelete|
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फेस बुक नहीं होता तो आमने सामने तू तू मैं मैं होता
ReplyDeleteफेस बुक नहीं होता तो आमने सामने तू तू मैं मैं होता
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