बाल दिवस किसके नाम पर मनाते हैं हम ? वो नेहरू
जिसने कई पीढ़ियों को दासता दे डाली ! वही नेहरू खानदान जिसके राज में गरीब
आत्महत्या करते हैं और बच्चे कुपोषण का शिकार होकर भूख से बिलबिलाते हुए
दम तोड़ते हैं। बहिष्कार करते हैं हम बाल-दिवस पर नेहरू के नाम का !
नेहरू बच्चों का सबसे बड़ा दुश्मन था। वो केवल विदेशियों का भक्त था !
जहाँ इतने कुपोषित और गरीब बच्चे हों , वहां नेहरू को चाचा नाम से याद करना सबसे बड़ी मूर्खता है ! हमारे बच्चे गलत इतिहास जो पढ़ते हैं , इसीलिए नए गुलाम तैयार हो जाते हैं ! अरे बाल-दिवस मनाना ही है तो डॉ राजेन्द्र प्रसाद, पटेल या फिर आज़ाद और बिस्मिल के नाम पर मानना चाहिए ! विदेशियों के हाथ बिके नेहरू खानदान के नाम पर नहीं !
जय हिन्द !
वन्दे मातरम् !
23 comments:
फिर बाल दिवस किसके नाम पर होना चाहिए!
behad jaruri ho gaya hai es mulk Me ab baccho ko bachana,,,"bachpana jo jal raha hai kokh me hi bhookh,kya bharosa ek di vidroh ki jwala bane.....(Aziz Jaunpuri)
शास्त्री जी , ऊपर पोस्ट में ही बता दिया गया है बाल-दिवस किसके नाम पर होना चाहिए , शायद आपने पढ़ा नहीं !
Problem ye hai ki media bechara gulam hai paise ka and jab tak media misguided hai tab tak sahi info to logo tak pahunchegi nhi. isi liye positive approach towards positive topics se 1 baar media chalne lga to fir koi usko rok nhi paayega. Mere pass bahut se raaste hai. I am working on those and believe me results are there. it can be repeated
ये सही है कि देश में कुपोषण एक गंभीर समस्या है। इस मामले में गंभीरता से पहल होनी ही चाहिए..
पर आपकी टिप्पणी कुछ नहीं बल्कि बहुत ज्यादा सख्त है.....
नेहरू की सरकार ने बच्चों के लिए जो काम करने थे वे नहीं किए. संविधान बनने के बाद 10 वर्ष के भीतर 14 साल के बच्चों को अनिवार्य और मुफ़्त शिक्षा का प्रबंध किया जाना था. वह नहीं किया.
अन्तर्राष्ट्रीय बाल दिवस 20 नवम्बर को मनाया जाता है लेकिन काँग्रेसी चमचों ने उसे नेहरू के जन्म दिन के साथ जोड दिया। अब 27 मई (नेहर का मरण दिवस) को ‘छुटकारा दिवस’ का नाम देना चाहिये।
हमें नेहरू परिवार का नाम पर सरकारी धन से बने सभी समार्कों और योजनाओं को बदलने की मांग करनी चाहिये। देश का धन व्यक्तिगत प्बलिसिटी के लिये नहीं है।
महेंद्र श्रीवास्तव जी , मैं लिखती ही सख्त हूँ और लोग इस ब्लौग पर कुछ सख्त पढने के उद्देश्य से ही आते हैं ! पुल्पुलापन मेरे व्यक्तित्व का हिस्स्सा नहीं है ! आपका आभार ! वन्दे मातरम !
Yah sahi hai ki kuchh log "sakht"kahne ka saahas karte hain, tabhi logon ka dhyaan jaa pata hai.
आक्रोशित जन गन दिखे, बाल दुर्दशा देख ।
यहाँ कुपोषण विभीषिका, छपे वहां आलेख ।
छपे वहां आलेख, बाल बंधुआ मजदूरी ।
आजादी तो मिली, किन्तु अब भी मजबूरी ।
उत्सव का उद्देश्य, इन्हें अब करिए पोषित ।
वो ही चाचा असल, हुवे जो हैं आक्रोशित ।।
आपकी पोस्ट आज चर्चा मंच पर है
चाचा नेहरू का किया, तिरस्कार अपमान।
आजादी की जंग में, कुछ था इनका दान।।
आपकी बातों का समर्थन करता हूँ । नेहरु कोई इतिहास पुरुष नहीं । गलत इतिहास बताया गया । कई सच्चे और छुपे हुए थथ्य हैं नेहरु-गाँधी परिवार के बारे में जो धीरे-धीरे सबके सामने आ रहे हैं ।
ஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ
ब्लॉग जगत में नया "दीप"
ஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ
कड़ुवा होता सच सदा,कुछ को उलटी होय
जील कड़ू बनके दवा,जड़ से उनको धोय
we live in a country where a 10 year old girl can prove thr an RTI that Gandhi ji was never given any official title of father of the nation
we just follow blindly
bhed chaal
कांग्रेसिओं के प्रिय अय्याश चचा जान नेहरु की गलतियों से आज भी जल रहा है कश्मीर |
अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर कश्मीर में अध्यापन कर रहे शेख अब्दुल्ला को ऐसा समय अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति करने का अच्छा अवसर
नजर आया। शेख अब्दुल्ला ने ‘मुस्लिम कांफ्रेंस’ नामक संस्था का गठन कर साम्प्रदायिकता की राजनीति करने लगे।
अब्दुल्ला ने कश्मीर में हिन्दी भाषा की शिक्षा और गौहत्या पर प्रतिबंध जैसे कई आन्दोलन चलाकर मुस्लिम युवकों में अपनी पैठ बढ़ाई। कुछ समय बाद कांग्रेसिओं से नजदीकी बढ़ने पर अब्दुल्ला ने अपनी पार्टी का नाम ‘मुस्लिम कांफ्रेंस’ से बदलकर ‘नेशनल कांफ्रेंस’ कर दिया। फिर 1946 में शेख अब्दुल्ला ने महाराजा के खिलाफ कश्मीर छोड़ो आन्दोलन चलाया।
गांधी जी ने इसका समर्थन नहीं किया, फिर भी जवाहर लाल नेहरू ने गांधी की बात न मानते हुए इस आंदोलन को समर्थन देने के लिए श्रीनगर जाने का कार्यक्रम बनाया। कश्मीर के महाराजा ने नेहरु की इस नीच हरकत से क्रोधित होकर चचा को कोहाला पुल पर बंदी बना लिया।
नेहरू ने इसे अपने अपमान के रूप में लिया और इस अपमान को आजीवन याद रखा। और इसी अपमान का बदला लेने के लिए नेहरू पृथ्वी के स्वर्ग कश्मीर को आंतकवाद की आग में झोंक दिया |
श्री सरदार पटेल कश्मीर के भारत में विलय के लिए लगातार प्रयत्न कर रहे थे। महाराजा भारत में विलय के लिए तैयार भी हो गए। उधर कबाइलियों के वेश में पाकिस्तानी सेना गिलगित, बाल्टिस्तान से बहुत अंदर पुंछ और उड़ी सेक्टर तक आ गईं।
यह जानते ही आगबबूला हुए जिन्ना ने मौके की नजाकत का फायदा उठाते हुए कश्मीर के गांवों में पाकिस्तानी सैनिकों से कबाइलियों के वेश में 20 अक्टूबर 1947 से हमले प्रारम्भ करा दिए । 25 अक्टूबर को भारत के रियासती मंत्रालय के सचिव वी.पी. मेनन श्रीनगर पहुंचे। 26 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के महाराजा ने अपने राज्य का भारतीय गणराज्य में विलय कर दिया। विलय की सारी प्रक्रिया वैसे ही पूरी की गई थी जैसे देश की अन्य 529 रियासतों की पूरी हुई थी।
महाराजा चाहते थे कि भारतीय सेना जल्द से जल्द श्रीनगर पहुंचे, लेकिन भारतीय सेना अगले दिन 27 अक्टूबर को पहुंचकर, पाकिस्तानियों को श्रीनगर में ईद मनाने से रोक दिया। श्रीनगर तो भारत के पास ही रहा, लेकिन कश्मीर का एक बड़ा भाग मीरपुर, मुजफ्फराबाद, बाल्टिस्तान आदि पर पाकिस्तान ने नेहरू की गलतियों के कारण कब्जा कर लिया |
इसी कांग्रेसी अयाशी में डूबे रहने वाले नेहरु की वजह से आजतक कश्मीर विकट आग में झुलस रहा है,
इसी चचा की वजह से घाटी में में लाखों घर बर्बाद हो गए, ना जाने कितने हजार बच्चे यतीम हो गए, और ना जाने कितने औरतें बेवा हो गई |
और ये आज भी बदस्तूर जारी है |
और यदि इसी तरह कांग्रेस देश पर राज करती रही, तो जल्दी ही देश कई टुकड़ों में कश्मीर की तरह सिसकियाँ ले रहा होगा |
जब शायद हमारी आने वाली नस्लें हमें बैठ कर कोस रही होंगी |
गौमांस खाने वाला ..... ,शराब पीने वाला ..... ,सिगरेट पीने वाला .... ,जिसके उस समय की कई ख़ूबसूरत महिलाओं के साथ अनैतिक सम्बन्ध थे ...एडविना , बैजन्तीमाला,,सन्यासिन श्रधा और पदमजा नायडू तो सर्व विदित है ही पर कहा जाता है की ये महाशय आज के दिग्विजय सिंह के बाप और कश्मीर के फारुक अब्दुल्ला के बाप के घर बहुतायत जाया करते थे ;हिन्दू धर्मं में ऐसे व्यभिचारी व्यक्ति को क्या कहा जाना चाहिए ?...हाँ ,फूटे करम के करम चाँद गाँधी के प्रिय एवम कांग्रेस्सियो के चाचा जवाहर लाल नेहरु को सनातनी मुर्ख हिन्दू 'पंडित जी ....पंडित जी ...कहते नहीं अघाते थे ... जिसका रामायण , गीता और वैदिक संस्कृति से दूर दूर तक रिश्ता ही नहीं था .... वर्षों तक हिन्दू धर्म की जड़ खोदने वाला गयासुद्दीन गाजी के वंशज जव्हार लाल को मुर्ख हिन्दु सत्ता में बिठा कर खुश भी होते रहे और लोगो के चाचा भी बनाते रहे ...आजादी के बाद भारत की गरीब जनता रोती, बिलखती रही बेचारी में बेबसी के आसू में और ये श्रीमान जी कथित कांग्रेस्सियो के चाचा जी अपने अचकन में गुलाब लगा कर गुल्चर्रे उड़ाते रहे ...मज़े लेते रहे !धन्य है हिन्दू और और उनकी अंध धितरास्ट्रा भक्ति !....अब तो जागो कुंभकर्णी हिन्दुओ ...कांग्रेस भगाओ देश बचाओ ...
आपसे असहमत होना नामुमकिन है .
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