Saturday, April 28, 2012

स्त्री अस्मिता से खेलते ब्लॉगिंग के दलाल.

इण्डिया टुडे वाले सनक गए हैं और पत्रिका बेचने के लिए अश्लील चित्र इस्तेमाल कर रहे हैं तो ब्लोगर भी क्यों सनक रहे हैं ? अपने ब्लॉग की मार्केटिंग बढाने के लिए सनकी मुद्दों और चित्रों को चुनकर स्त्री अस्मिता के साथ खिलवाड़ क्यों कर रहे हैं । आज के समय में यूँ ही फूहड़पन की बहार आई हुयी है, उसी में चार चाँद लगाते अश्लील चित्रों वाले आलेख। उस पर जी-हुजूरी करती अन्य बुद्धिजीवियों का बौद्धिक फूहड़पन अति खेदजनक है।

अपनी-अपनी सोच , अपना-अपना नजरिया कहकर पल्ला मत झाड़िए, विरोध कीजिये ऐसे फूहड़ आलेखों का। कला के नाम पर फूहड़पन और अश्लीलता को बढ़ावा मत दीजिये।

लेखक और पाठक तो बुद्धिजीवी वर्ग में आते हैं। कलम के उपासक अपनी जिम्मेदारी समझें। ये ब्लॉगिंग है, कोई VIP और AXE का विज्ञापन क्षेत्र नहीं , जहाँ भोडे चित्रों को दिखाकर , स्त्री की मर्यादाओं को भंग करते हुए और वर्जनाओं को तोड़ते हुए अपनी दूकान चलाई जाए।

Zeal

चोर-चोर मौसेरे भाई

कांग्रेस के मनीष तिवारी का कहना है कि - "भाजपा को अब समझ लेना चाहिए कि जिनके घर शीशे के होते हैं वे दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंका करते। "

मनीष तिवारी का ये गैरजिम्मेदाराना बयान बोंगारू लक्ष्मण के दोषी करार होने के बाद आया।

मनीष तिवारी चाहते हैं कि भाजपा वाले , अब कांग्रेसियों कि तरह चोर-चोर मौसेरे भाई बन जाएँ, और वे कांग्रेसियों कि गलीज हरकतों पर चुप्पी साध लें , ताकि बोफोर्स घोटाला, कॉमनवेल्थ, 2G और आदर्श घोटाले और काले धन में फंसे भ्रष्टाचारी चैन से रह सकें।

Friday, April 27, 2012

उदास मन को भी समाधान मिल गया ..


कुछ प्रश्न मन को यूँ ही परेशान कर रहे थे की अचानक ही समाधान मिल गया। इस समाधान को यहाँ पोस्ट कर रही हूँ ताकि औरों के भी काम आ सके....

लगता है कांग्रेस को भी इंसान पहचानना आ गया

कांग्रेस को अकल आ गयी है या फिर चुनावी राजनीति है ये , जो भी हो उनके हाथों एक तो ढंग का काम हुआ जो सचिन तेंदुलकर को राज्य सभा का सदस्य मनोनीत किया, वरना तो इन्हें अच्छे लोगों पर सिर्फ कीचड उछालने की ही आदत है।

कहीं सचिन का भी वही हश्र न हो जो अमिताभ, गोविंदा और राजेश खन्ना का हुआ।

घोर आश्चर्य होता है जब गैर राजनीतिक लोगों को इन पदों पर जबरदस्ती बैठा दिया जाता है।

क्रिकेट खेलना एक टैलेंट है , जो सचिन में है। लेकिन जब तक देश और समाज के लिए कुछ करने का जज्बा न हो , तब तक इस पदों से दूर ही रहना चाहिए।

Thursday, April 26, 2012

खुर्शीद का डबल स्टैण्डर्ड देखिये

बीजेपी के नेता को पोर्न देखते देख लिया तो , हाय तोबा मचा दिया। बोले--"असेम्बली में बैठकर किसी की कोई प्राइवेट लाइफ नहीं होती"

इसके विपरीत सिंघवी की अश्लील कहानी के लिए खुर्शीद का कहना है की - " ये उनका निजी मामला है"

धन्य है कांग्रेस। इतनी जल्दी तो गिरगिट भी रंग नहीं बदलता।

सरकार कर रही है सर्वोच्च न्यायलय की अवमानना

सरकार को चाहिए की वे विदेशी निवेश की अहमियत को समझे। विदेशी निवेशकों पर मनमाना कर लगाकर वे उन्हें नाराज़ कर रहे रहे हैं। ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय टेलीकॉम कंपनी पर ११ हज़ार करोड़ रुपयों का कर देने के लिए दबाव बनाया जा रहा है , जबकि सर्वोच्च न्यायलय ने सरकार के दावे को निरस्त करते हुए ये कहा था की क़ानून के मुताबिक़ यह कर देय नहीं है। लेकिन सरकार की बचकानी दलील है कि --" दुसरे देशों ने भी तो ऐसा ही किया है..."

प्रणब मुखर्जी अपने अहम् कि तुष्टि के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय कि अवमानना कर रहे हैं और कर-नियमों को तोड़-मरोड़ कर बदल देना चाहते हैं।

सरकार द्वारा इतना परेशान किये जाने पर , उस कंपनी ने अब अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में जाने का मन बना लिया है। इस प्रकार तो ये कांग्रेसी सरकार हमारे देश के साथ घात कर रही है। यदि इसी प्रकार से विदेशी निवेशकों को हैरस किया जाता रहेगा तो विदेशी निवेशकों को उच्चाटन हो जाएगा, फिर कौन करेगा निवेश यहाँ। अर्थ व्यवस्था चरमरा जायेगी।

सरकार के निरंतर गलत फैसलों और गन्दी राजनीति के कारण ही आज भारत कि साख इतनी गिर गयी है कि देशों कि क्रेडिट तय करने वाली संस्था S & P ने भारत का आउटलुक स्थिर से घटाकर नकारात्मक कर दिया है।

चेत जाओ प्रणब दा..

Zeal

Wednesday, April 25, 2012

अनवर धमाल ने फुरसतिया की याद दिला दी

यह आलेख सिर्फ रात भर के लिए है, ताकि पाठक गण अपना भरपूर मनोरंजन कर सकें। अनवर धमाल नामक मेरे एक शुभचिंतक ने हमेशा की तरह मेरे सम्मान में एक पोस्ट लगाई, जिसे पढ़कर हंसी के फव्वारे छूट गए। लतीफे सुनाना कोई हमारे अनवर बाबू से सीखे। इनसे कहा की ब्लॉग की खबरें गंभीरता से लिखा कीजिये, लेकिन अनवर भाई हैं की मसखरी करे बगैर मानेंगे ही नहीं , लेकिन उनके नटखट जोक्स हमें बहुत पसंद हैं । पर उनकी यही बात हमें पसंद नहीं आती की वे गाय- भैस की लाशें खाते हैं , जबकि आजकल कटहल, अरवी, पनीर , रायता , पुलाव खाना चाहिए। खैर जो भी हो वे हमारे ऊपर एक से बढ़कर एक जहीन आलेख लिखते हैं , इसलिए नैतिकता का दायित्व निभाते हुए हमने भी अपने धमाल बाबू पर एक मीठी पोस्ट लिख दी, ताकि उनकी नेकी का बदला नेकी से दे सकूं। अपने 'फुरसतिया का कहना है की अनवर जैसे लोग जिसके पीछे हाथ धोकर पड़ जाएँ, उसे वे शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचा देते हैं। अतः धमाल जैसे मुफ्त के प्रचारक को दिव्या का धन्यवाद।
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अयाज़ खान का कहना है की विदेश भागते डाक्टर, कर रहे हैं देश के साथ गद्दारी। लेकिन खान साहब , आप जैसे गद्दार तो देश में ही बैठे हैं। आप कब जायेंगे इसे छोड़कर ?
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अनवर धमाल और अयाज़ खान को सरकार ने महिला ब्लॉगर्स को हैरस करने के लिए और टिप्पणियां गिनते रहने के लिए अप्वाइंट किया है

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शिल्पा का कहना है लोग उनके परिवार को घसीट रहे हैं। मोहतरमा को दूसरों पर कीचड फेंकना तो अच्छा लगता है , लेकिन उन पर छींटें भी न आयें। वाह शिल्पा वाह ! By the way , दिवस की शेष टिप्पणियां कब प्रकाशित करेंगी आप ?

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कोयल का कहना है की , लिखने मात्र से कोई भगत सिंह और गांधी नहीं बन जाता । इनको मेरा सुझाव है की हर किसी में गांधी और सुभाष मत ढूंढो। लिखो और खूब लिखो....बेबाक लिखो----

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गालियाँ देने में महारथ हासिल है ब्लॉगर 'मिसिर' जी को। इसके लिए इन्होने अहिंसावादी ब्लॉगर शिल्पा का चुनाव किया । खैर बड़े-बड़े मठाधीशों के अंदाज़ भी बेमिसाल होते हैं।

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रचना जी ने लिखा की दिव्या ने कमेन्ट ऑप्शन बंद कर दिया है । ---क्या करें रचना जी , लोगों के विष-वमन पीने से तो बहतर है , टिप्पणियों से महरूम ही रहा जाए। टिप्पणियों में विवाद करने के लिए जितनी ऊर्जा चाहिए वो तो मिसाईल वूमन - शिल्पा जी के ही पास है। हम तो 'देश-द्रोह का तमगा लिए, अपना फर्ज निभाये जा रहे हैं।

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ब्लॉग की ताजातरीन ख़बरों में आज बस इतना ही। अनवर धमाल के आदेश पर टिप्पणियों का ऑप्शन बंद किया जा रहा है। कल मुलाक़ात होगी एक नयी पोस्ट के साथ। तब तक के लिए --

जय हिंद !
जय भारत !
वन्दे मातरम् !

भाई-बहन ( first cousins) के मध्य विवाह के दुष्परिणाम!

देश-विदेश, हर जगह और हर धर्म में भाई-बहन ( first or second cousins) में विवाह होने की बात कही है। जो चिकित्सा की दृष्टि से अति घातक है। विवाह में लड़का-लड़की जितने दूरस्थ होंगे , उतना ही बेहतर होगा उनकी आने वाली संतति के लिए।

अंतर-जातीय विवाह, हमेशा बेहतर विकल्प होते हैं। इससे अनेक अनुवांशिक रोगों के होने का ख़तरा समाप्त हो जाता है। तथा सामाजिक कलंक से भी बचा जा सकता है।

इस्लाम में ऐसे विवाह ज्यादा प्रचलन में हैं , जो अनेक प्रकार के गंभीर परिणाम दे रहे हैं । हिन्दू एवं अन्य धर्मों की कुछ जातियों में तथा दक्षिण भारत में इस प्रथा को प्रचलन में देखा है ।

भाई-बहन ( first cousins) के मध्य विवाह के दुष्परिणाम-

  • अनुवांशिक रोगों को बढ़ावा मिलता है। जो गुणसूत्र रेसेसिव हैं , वे भी रोगकारक हो जाते है इस प्रकार के विवाह में।
  • ह्रदय सम्बन्धी अनेक रोग हो जाते हैं।
  • संतानोत्पत्ति में अनेक बाधाएं आती हैं।
  • जन्म होते ही शिशु की मृत्यु
  • संतानहीनता।
  • गर्भ न ठहरना
  • बार-बार गर्भपात हो जाना
  • संतान का अनेक शारीरिक एवं मानसिक विकृतियों से ग्रस्त होना आदि।
चिकित्सा की दृष्टि से इस प्रकार के विवाह का निषेध होना चाहिए। बहुत से देशों में यह लीगल नहीं हैं। हिन्दू धर्म में भी समान गोत्र में विवाह निषिद्ध है। इसे sexual crime (incest) की श्रेणी में रखा गया है। ऐसा विवाह, सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करता है और अनेक अनुवांशिक रोगों को जन्म देता है।
संतानोत्पत्ति के लिए यह विवाह उतना ही घातक है , जितना की चालीस वर्ष से अधिक उम्र की स्त्रियों का माँ बनना। अतः ऐसा करने से पूर्व अनेक बार विचार कर लें।

Zeal 

Tuesday, April 24, 2012

डॉ कलाम ही सर्वश्रेष्ठ विकल्प.

राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। विज्ञान , शिक्षा और राजनीति में डॉ कलाम के अभूतपूर्व योगदान को देखते हुए , वे ही सर्वश्रेष्ठ विकल्प लग रहे रहे हैं , अगले राष्ट्रपति बनने के लिए। हमारा पूर्ण समर्थन इस मिसाईल मैन के साथ है और संभवतः देश का हर पढ़ा-लिखा नागरिक यही चाहता होगा।


जय हिंद !
जय भारत!
वन्दे मातरम !

Monday, April 23, 2012

शिल्पा मेहता रोइए मत - Objection sustained

ब्लॉगजगत का सबसे दुखद पहलू ये है की लोग टिप्पणियों की लालच में, अपनी दूकान चलाने के लिए, अच्छे ब्लॉगर्स के खिलाफ लेख लिखते हैं। वहां बहुत से भडासी जमा होकर प्रवचन बांटते हैं। कोई रामलीला छोड़कर आ जाता है, कोई कृष्ण-लीला , तो कोई "सीता-चर्चा" छोड़कर वहीँ अपनी चौपाल जमा लेता है। और फिर चलते हैं दौर प्रवचन के। सब एक से बढ़कर एक संस्कारी वहीँ जुट जाते हैं और संतों की तरह प्रवचन करके दूसरों को छोटा बनाने का अथक प्रयास करते हैं ।

अनवर जमाल और अयाज़ अहमद की श्रृंखला में अब एक नया नाम जुड़ गया है महिला ब्लॉगर "शिल्पा-मेहता" का जिनमें देश-भक्ति कूट-कूट कर भरी हुयी है। संकृति और सभ्यता की रखवाली करती हैं। इनके अनुसार दिव्या श्रीवास्तव एक देश-द्रोही है , इसीलिए ये हर तिमासे दिव्या ( Zeal) के खिलाफ "आई ऑब्जेक्ट" का झंडा लिए खड़ी रहती हैं।

काश कोई इन्हें समझाता की दिव्या के साथ-साथ कुछ अन्य देशद्रोही भी हैं , जिनपर इन्हें अपनी पवित्र पावन लेखनी चलानी चाहिए। कुछ नाम इस प्रकार से हैं--

  • अजमल कसाब
  • अरूंधती राय
  • गिलानी
  • शाही इमाम बुखारी
  • कपिल सिब्बल
  • दिग्विजय
  • सोनिया
  • मायावती
  • पकिस्तान और चाइना तो भारत पर गिद्ध दृष्टि रखे है।

यही शिल्पा मेहता , उपरोक्त लोगों पर भी कभी अपनी लेखनी चलायें , अदनी सी देश-द्रोही "दिव्या" भी कभी राहत की सांस ले सकेगी।

विदेशी महिला, UPA सरकार में बैठ देश-द्रोह कर रही है और देश का पैसा , स्विस बैंक में जमा कर काला धन एकत्र कर रही है । हमारे देश को लूट रही है, लेकिन शिल्पा मेहता को ये सब कहाँ दीखता है। उन्हें तो दिव्या से बड़ी देश-द्रोही कोई लगती ही नहीं। शर्म आनी चाहिए शिल्पा मेहता को।


इन्हें ये भी बुरा लगता है की दिव्या के भाई "दिवस" को अपनी बहन का अपमान बर्दाश्त नहीं और वो हर जगह दिव्या के लड़ता है। उसके लिए दिवस पर इमोशनल अत्या चार भी कर रही है । इनका कहना है --" दिवस, मेरे पास तो दिव्या के जैसा कोई भाई भी नहीं है जो मेरे लिए लड़े। "------इनका दूसरा वाक्य है -- "दिवस, मैं तुम्हारी माँ की उम्र की हूँ, अतः बहन से पहले माँ की इज्ज़त करो " । शर्म आनी चाहिए इन्हें इस तरह से किसी का Emotional blackmail करते हुए।


इनके आलेख पर इनके बहुत से भाइयों ने आकर, इनका समर्थन किया , इनकी प्रशंसा की और दिवस तथा दिव्या को अपमानित किया। मेरे विचार से शिल्पा मेहता की आत्मा को बहुत शान्ति मिल गयी होगी, हम दोनों को अपमानित करके और अपने शुभ-चिंतकों से अपमानित कराके।


शिल्पा मेहता और अनवर जमाल जैसे ब्लॉगर्स के , इस प्रकार के अपमानित करने वाले ब्लॉग , मन को बहुत क्लेश पहुंचाते हैं। उनसे उम्मीद करती हूँ , आगे से वे विषय पर लिखेंगे , किसी को अपमानित नहीं करेंगे।


अपनी अल्प बुद्धि से समाज में जागरूकता लाने के लिए लिखती हूँ, लेकिन शिल्पा और अनवर जैसे लोग टिप्पणियों की लालच में , अच्छे कार्यों में व्यवधान उपस्थित करते रहते हैं।


दिवस गौर जी से मेरा विनम्र निवेदन है की वे कृपया मेरे लिए अब कहीं भी कुछ लिखें , क्योंकि मेरे कारण उनका भी अनायास ही अपमान करते हैं लोगजैसे आप मेरा अपमान नहीं सहन कर सकते , वैसे ही कोई भी आपका अपमान करता है तो मुझे बेहद दुःख होता हैयदि आपको अपनी बहन पर विश्वास है तो यकीन जानिये , किसी में इतना दम नहीं कि वो मेरी निंदा करके मुझे मेरे मार्ग से विमुख कर सकेअतः आप निश्चिन्त रहे

अपने भाई दिवस के लिए एक कविता जो मैंने उनके जन्म-दिन पर उन्हें समर्पित की थी , उसे पुनः लिख रही हूँ आज यहाँ पर अपने भाई दिवस कि शान में जो Blog जगत का "कोहिनूर" हीरा है और भारत माता का अनमोल रतन।



इस काल्पनिक संवाद में भाई अपनी उदास बहन को हिम्मत दिला रहा है , कुछ इस प्रकार से..

इन चंचल नयनों में नीर भरे वो कौन है निष्ठुर पापी 'शय'
अवनत पलकों में छलक रहे , क्यूँ काँप रहे हैं आँसू द्वय
क्यूँ गला तुम्हारा रूंध रहा , स्वर कम्पन में है किसका भय
हर दुःख को तेरे हर लूँगा, हर क्षण पर तेरी होगी जय


बहन मेरी उदास हो , यश सदा तुम्हारा अमर रहे
हर मुश्किल में तुम बढ़ी चलो, चाहे कितनी भी समर रहे
मैं जान लड़ा दूंगा अपनी, यूँ अटल तुम्हारी आस रहे
हर बहना का अपने भैया में, मधुर बना विश्वास रहे


जिस भवन में तुम हम पले-बढे,हैं वहां बहुत से फूल खिले
उस उपवन के रंगीं फूलों को , उर में रखकर हैं द्वार सिले
है सदा तुम्हारा स्थान अलग, जिसमें किसी को जगह मिले
अधरों पे तेरे मुस्कान सजे, हर 'लोक' में तुझको मान मिले

मैं भाई तुम्हारा गर्वीला , तुम बहन हो मेरी लाखों में
उर में रहो मन में रहो, तुम सदा रहोगी आँखों में
भैया भैया कह-कह कर ही यूं , तुम मुझे सदा सताती रहना
बहना मेरी मैं पुलकित हूँ , तुम यूँ ही जाती, आती रहना

Zeal

Sunday, April 22, 2012

शठे, शाठये समाचरेत

कल एक मंच पर " राम-चरित्र" लघु नाटिका देखने का अवसर मिला। सीता स्वयंवर में धनुष टूटने पर क्रोधित हुए लक्ष्मण-परशुराम संवाद तो बस देखते ही बनता था ! बारह कलाओं से युक्त भगवान् श्री राम का विनयशील चरित्र अत्यंत प्रेरणादायी है , परन्तु जहाँ ज़रूरी हो वहां क्रोध करना ही पड़ता है । कहा भी गया है -- " भय बिनु होए न प्रीती..."


जय श्री राम !

Saturday, April 21, 2012

क्या वाकई स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है ?-- Let's think again.

मेरे विचार से तो स्त्री , कभी भी किसी स्त्री की दुश्मन नहीं होती, लेकिन एक स्त्री ब्लॉगर की लगातार नीचता ने मुझे भी सोचने को मजबूर कर दिया ! इन मोहतरमा को मेरी इस पोस्ट पर आपत्ति है! इन्होने एक गहन विषय पर विचार तो रखे नहीं केवल भाषा की दलाल बनकर लेखिका को अपमानित करने के उद्देश्य से " आई ऑब्जेक्ट" का झंडा लेकर खड़ी हो गयीं, मानों दुनिया भर की सारी अकल इन्हें ही नवाजी गयी हो! कभी ये नारी की आर्थिक स्वतंत्रता के विरोध में खड़ी हो जाती हैं तो कभी अपने पुरुष मित्र की तरफदारी करने के लिए महिला ब्लॉगर्स के खिलाफ पोस्ट लगाकर महिलाओं का अपमान करती है ! इनकी इस मानसिक अवस्था के लिए हो सकता है हो सकता है घरेलू हिंसा जिम्मेदार हो , अतः निवेदन है इस महिला के साथ सहानुभूति का रवैय्या रखा जाए !

अब आते है उस पोस्ट पर जिस पर मोहतरमा को आपत्ति है ! बेचारी का संशय भी तो दूर करना है, क्योंकी इनकी पोस्ट पर आये इनके चाटुकार मित्रों ने न ही तर्क रखे , न ही भ्रम दूर किये ! केवल जी हुजूरी करके चले गए ! ( क्या करें बेचारे , टिपण्णी पाने के लिए ये सब तो करना ही पड़ता है ) ! एक दुसरे की पीठ खुजाना ( ब्लॉगिंग की अनैतिक नीति)

भारत विभाजन के समय , नेहरू ने देश के साथ बहुत अन्याय किया ! जबरदस्ती प्रधानमंत्री बनकर बहुत से क्षेत्रों में मनमानी की , जिसकी सज़ा आज भी भुगत रही है भारत की मासूम जनता ! उन्ही नेहरू ने और गांधी ने मिलकर मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए अखंड भारत को खंडित करके हिन्दुस्तान और पाकिस्तान में विभक्त कर दिया! और भारतवासियों को सौगात में मिला कभी न थमने वाला आतंकवाद का सिलसिला ! इस आतंकवाद ने लाखों की संख्या में काश्मीरी ब्राम्हणों को विस्थापित किया उनका क़त्ल किया और उनकी बहन बेटियों के साथ बलात्कार किया !

नेहरू की मनमानी ने ही "अंबेडकर' के कंधे पर रखकर बन्दूक चलाई ! मात्र १५ दिन के अन्दर कॉपी-पेस्ट वाला मनमाना संविधान बनवाया ! अंबेडकर ने स्वयं उस संविधान में समय-समय पर बदलाव किये जाने के लिए लिखा है, जो की कभी नहीं किया गया ! उस समय जिस आरक्षण की बात कही गयी वह मात्र दस वर्षों के लिए थी, लेकिन उसे आज तक दुबारा कभी संशोधित नहीं किया गया और आरक्षण का कोढ़ हमारे देश को अभी भी लगा हुया है , जो भारत वर्ष को दशकों पीछे ले जा रहा है !

दलित भी हिन्दू है , और हम सभी एक हैं , लेकिन कहीं न कहीं इस संविधान में निहित कमियों के चलते दलित हमसे अलग हो गया है! उसके मन में कभी ना समाप्त होने वाली कुंठा और आक्रोश है! हिन्दू समाज को बाँट दिया गया ! जो मुखिया होता है , दोषी भी उसी को ठहराया जाता है ! जिसने संविधान बनाया उसके इरादे पाक साफ़ होते हुए भी , उसने नेहरू की दादागीरी से डरकर वही किया जो वे करवाना चाहते थे !

अंबेडकर को इस जबरदस्ती पर सख्त आपत्ति थी और उन्होंने ने स्वयं कहा था -- " मुझे दो संविधान। मैं बीच सड़क पर इसे जला दूंगा। ऐसा करने में मेरा राष्ट्रधर्म मुझे नहीं रोकेगा।"

काश यही राष्ट्र धर्म उन्हें संविधान बनाते समय समझ आ गया होता ! काश उन्होंने थोड़ी सी हिम्मत जुटा ली होती तब ! लेकिन नहीं , हम सबको बहुत कुछ भुगतना था , शायद इसीलिए ऐसा हुआ !
आने वाली कई शताब्दियों तक इन्हें इनकी अच्छाईयों के लिए जाना जाएगा तो इनकी भूलों को भी नज़रंदाज़ नहीं किया जाएगा, ताकि भविष्य में ऐसी गलतियों की पुनरावृत्ति ना हो !

उम्मीद है इन मोहतरमा को उत्तर मिल गया होगा और इनकी आत्मा को शांति मिली होगी! यदि न मिली हो तो इन्हें चाहिए कि अपने ब्लौग पर विष वमन करने के बजाये रामायण का पाठ जारी रखें !

इन मोहतरमा को भी विरोध में आई टिपण्णी मोडरेट करने की आदत है ! जो टिपण्णी इन्होने प्रकाशित नहीं की वह नीचे संलग्न है !



Diwas Gaur---ये तो कोई बात नहीं है। जो प्राणघातक है, उसका कैसा सम्मान? संविधान भारत नहीं और भारत कोई संविधान नहीं। हम भारत का सम्मान करते हैं, प्यार करते हैं, पूजा करते हैं, उस पर मर मिट सकते हैं किन्तु संविधान? वह क्या है? केवल एक तरीका कि भारत कैसे चलाया जाए। यदि तरीका ही गलत हो तो फिर कैसा सम्मान?


मुझे दो संविधान। मैं बीच सड़क पर इसे जला दूंगा। ऐसा करने में मेरा राष्ट्रधर्म मुझे नहीं रोकेगा"--स्वयं डॉ. अम्बेडकर ने भी संविधान के सम्बन्ध में यही कहा था। जिसे संविधान का निर्माता कहा जाता है उसे ही संविधान से प्यार नहीं।


और इस समूचे ब्लॉग जगत में टारगेट करने के लिए सबको दिव्या दीदी ही क्यों मिलती हैं? ब्लॉग जगत में फैली अनियमितताओं, मठाधीशों, इस्लामी टट्टुओं, जमाल जैसे कुत्तों पर आँखें क्यों मूँद ली जाती हैं?देखिये जमाल ने क्या किया? http://www.diwasgaur.com/2012/04/blog-post.html


  • नोट- मजे कि बात यह है कि मेरे पोस्ट लिखने के तुरंत बाद ही, आधे घंटे के अन्दर इन मोहतरमा ने घबराकर दिवस जी कि टिपण्णी प्रकाशित कर दी , जो पिछले २४ घंटों से इनके मॉडरेशन में दम तोड़ रही थी !  ( वैसे बहाने तो ऐसे लोगों के पास अनेक होते हैं अपनी इस अशिष्टता को छुपाने के)

यदि इस महिला के पास ज़रा भी बुद्धि है, तो इनसे निवेदन है  , मुझसे ईर्ष्या और द्वेष ना पालें ! अपनी ऊर्जा यदि सच्चे अर्थों में कहीं लगानी है , तो समाज के हित में लगायें और सत्ता में बैठे देश के गद्दारों के खिलाफ लिखें ! मेरे विरोध में लिखकर ये सिर्फ अपनी तुच्छ और बीमार मानसिकता का ही परिचय देती हैं !

जय हिंद !
वन्दे मातरम् !

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केंद्र की हैरत अंग्रेज शर्मनाक दलील

केंद्र ने कहा --" केरल पुलिस को इतालवी जहाज पकड़ने और मामले की जांच का कोई अधिकार नहीं है "

कब तक सरकार अपने जुल्म जारी रखेगी? भारतीय मछुवारों की जान की कोई कीमत नहीं ! विदेशियों की गुलामी देश को बर्बाद कर रही है ! हमारे स्वाभिमान के साथ जीने के हक को छीन रही है !

 इटली सरकार ने अपनी याचिका में कहा है की सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ केवल इटली में ही मुकदमा चलाया जा सकता है क्योंकि घटना उसी के जलयान पर हुयी है ! इनके अनुसार केरल राज्य को अधिकार नहीं है इस मामले में कार्यवाई करने का ! इटलीवासियों की गुंडागर्दी का कभी न थमने वाला सिलसिला जारी है ! केंद्र इटली का समर्थन करके मृतक मछ्वारों के साथ-साथ सम्पूर्ण भारत के साथ अन्याय कर रही है.

धिक्कार है !

Friday, April 20, 2012

भाषा के दलाल

भाषा के दलाल स्वयं तो कुछ करते नहीं लेकिन कर्मठ लोगों की मेहनत को नकारते हुए उनकी भाषा का ही विरोध करने में ही अपनी ऊर्जा नष्ट करते हैं।

ऐसे लोगों द्वारा की गयी निंदा से अविचलित रहते हुए अपने कर्तव्य में सतत लगे रहना है।

आरम्भ है प्रचंड बोल मस्तकों के झुण्ड,
आज जंग की घडी की तुम गुहार दो,
आन बान शान या की जान का हो दान
आज इक धनुष के बाण पे उतार दो
,मन करे सो प्राण दे,
जो मन करे सो प्राण ले,
वही तो एक सर्वशक्तिमान है ,
विश्व की पुकार है यह भागवत का सार है
की युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है
कौरवो की भीड़ हो या, पांडवो का नीड़ हो ,
जो लड़ सका है वोही तो महान है
जीत की हवस नहीं, किसी पे कोई वश नहीं,
क्या ज़िन्दगी है ठोकरों पे मार दो
मौत अंत है नहीं तो मौत से भी क्यूँ डरे,
जा के आसमान में दहाड़ दो ,
आज जंग की घडी की तुम गुहार दो ,
आन बान शान या की जान का हो दान
आज इक धनुष के बाण पे उतार दो,
वो दया का भाव या की शौर्य का चुनाव
या की हार का वो घांव तुम यह सोच लो,
या की पुरे भाल पर जला रहे विजय का लाल,
लाल यह गुलाल तुम सोच लो,
रंग केसरी हो या मृदंग
केसरी हो या की केसरी हो ताल तुम यह सोच
लो ,
जिस कवी की कल्पना में जिंदगी हो प्रेम गीत
उस कवी को आज तुम नकार दो ,
भिगती नसों में आज, फूलती रगों में आज जो आग
की लपट का तुम बखार दो,
आरम्भ है प्रचंड बोल मस्तकों के झुण्ड आज जंग
की घडी की तुम गुहार दो,
आन बान शान या की जान का हो दान आज इक
धनुष के बाण पे उतार दो , उतार दो,उतार दो,

Zeal

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