Tuesday, November 30, 2010

क्या आपके पास एक आदर्श मित्र है ? -- श्रीकृष्ण जैसा .

पिछली पोस्ट पर पाठकों के विचार पढ़ेकुछ ने लिखा , हमें अपने दुःख मित्रों के साथ कह लेने चाहिए , नहीं मन व्यथित रहेगा , बोझ कम नहीं होगाडिप्रेशन हो सकता है , आदि आदि

प्रश्न यह है , की क्या हमारे पास मित्र हैं भी ? जिन्हें हम मित्र कहते हैं अथवा समझते हैं क्या वो वास्तव में हमारे मित्र हैं। 'मित्र' शब्द का व्यवहार बहुत ही व्यापक अर्थों में उपयोग होने के कारण ये शब्द अपनी महिमा खो चुका हैहम अपने परिचितों [acquaintances] को आवश्यकतानुसार 'मित्र' कहकर ही संबोधित करते हैंलेकिन ये सिर्फ हमारे परिचित हैं , मित्र नहींसंस्कार और शिष्टाचारवश हमारे आपसी सम्बन्ध मधुर होते हैंऑपचारिक अवसरों और विषयों पर हमारे बीच संवाद , एक मित्रता का एहसास कराता हैलेकिन 'मित्रवत' होने और 'मित्र' होने में बहुत अंतर है

मित्रता की परख तो विषम परिस्थियों में ही होती हैलेकिन जिनके साथ हम रोज़ एक खुशगवार समय व्यतीत करते हैं, क्या वही हमारे साथ इन कठिन वक़्त में भी इतनी ही शिद्दत से हमारा दुःख महसूस करके हमारे साथ खड़े होते हैं ? शायद नहींमानव स्वभाव है खुद को प्रसन्न रखनाचार बार आप किसी से अपना दुखड़ा बतायेंगे, वो बोर हो जाएगादुसरे परिचित से यही कहता मिलेगा - " अरे फलाने तो जब-तब दुखी ही रहता है "।

वो इसलिए बोर हो जाता है , क्यूंकि वो आपका मित्र नहीं हैआपका दुःख महसूस नहीं पाताआपकी पीड़ा आपकी निजी है , वो आपसे पृथक है , इसलिए तो वो आपकी मनोदशा समझ रहा है , ही समझना चाहता है

जब हम इस ग़लतफहमी में रहते हैं की अमुक व्यक्ति हमारा अपना है तो हम भूल कर रहे होते हैंक्यूंकि ज्यादातर लोग आपस में एक स्वार्थ के रिश्ते में बंधे होते हैंथोडा समय साथ निभाकर कुछ मधुर , कुछ तिक्त स्मृतियों के साथ जुदा हो ही जाते हैंकोई पांच माह साथ देता है तो कोई पांचवर्षीय योजना कीतरह समयावधि समाप्त होने के बाद पलायन कर जाता हैइसलिए 'मित्र' संज्ञा का अधिकारी वही है जो सदा सर्वदा हमारे साथ रहता है

'मित्र कैसा होना चाहिए , इस सन्दर्भ में सोचने पर " श्रीकृष्ण" का ही नाम आया मस्तिष्क मेंएक ऐसा मित्र जिसने अमीरी गरीबी के ऊपर उठकर अपने बाल सखा सुदामा को अत्यंत स्नेह दियाजिसे देख उनका ह्रदय हर्ष से झूम उठा और उनके कष्ट देख , उनका आँखों से अश्रुधारा फूट पड़ीजिसके बिना कहे , उसके ह्रदय की हर पीड़ा को पढ़ लिया और बिना मांगे निस्वार्थ भाव से दोनों लोक उनको दे दिया

ऐसे बेहाल बेवाइन सौं पग , कंटक-जाल लगे पुनि जोए
हाय माहादुख पायो सखा तुम , आये इतै ना कितै दिन खोये
देखि सुदामा की दीन दसा , करुना करिकै , करूणानिधि रोये
पानी परात की हाथ छुयो नहीं, नैनन के जल से पग धोये

आजकल के मित्र क्या इतना प्रेम लुटा सकते हैं ? दो लोक तो क्या दो कौड़ी भी देने में सौ बार सोचेंगेआजकल के मित्र सिर्फ एक ही चीज़ देते है दरियादिली से , वो है - " बिन मांगी राय " । [ पर उपदेश कुशल बहुतेरे]

इसलिए मेरी समझ से एक सच्चा मित्र वही है जो निम्न गुणों से युक्त हो -
  • जो दूर रहने पर भी आपको याद करता हो
  • जो आपसे मिलकर अथवा आपकी आवाज़ सुनकर चहक उठे
  • जो आपकी व्यथा को बिना कहे समझ ले
  • जो आपके दुःख में आपसे भी ज्यादा दुखी हो उठे
  • जो सुख से ज्यादा , आपके दुखों में आपके साथ हो
  • जो आपकी ख़ुशी के लिए अपने हितों की तिलांजलि देने में भी न हिचकिचाए
  • जो निस्वार्थ प्रेम करता हो।
  • जो आपको अनावश्यक प्रवचन ना देकर , सिर्फ आपको समझे
  • जो आपके साथ कटु अथवा व्यंगात्मक अथवा ईर्ष्या से युक्त भाषा में न बात करता हो
  • जिसके साथ दो पल बात करके आप दुनिया के सारे गम भूल जायें।

क्या
आपके पास ऐसा मित्र है ? श्रीकृष्ण जैसा

" A single rose can be my garden, A single friend my world "

आभार
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Monday, November 29, 2010

अपने मन की व्यथा किसी से मत कहो..

बचपन से आज तक बहुत बार सत्यनारायण भगवान् की कथा सुनी । पंडितों ने लीलावती, कलावती से ज्यादा कुछ नहीं बताया। पाँचों अध्याय कंठस्थ हो चुके थे।

गत माह पुनः निमंत्रण मिला हरी कथा सुनने का। श्रद्दा से कथा पाठ प्रारम्भ हुआ। पंडित जी ने एक नयी बात कही , जो मुझे बहुत अच्छी लगी और जिसकों जीवन के विभिन्न पडावों पर सही भी पाया।

उन्होंने बताया की कभी भी अपने मन की पीड़ा किसी से कहनी नहीं चाहिए , सिवाय दो लोगों के।
  • माता पिता से
  • गुरु से

गुरु तो आजकल मिलते नहीं। और माता पिता सभी खुशनसीबों के पास होते हैं। इसलिए जब कभी मन उदास हो या पीड़ा असह्य हो जाए तो माता-पिता के सिवाय किसी के साथ साझा नहीं करना चाहिए , क्यूंकि अक्सर व्याकुल मन को जो चाहिए होता है , वो नहीं मिलता, बल्कि थोड़ी देर की सहानुभूति या फिर ढेरों समझाइशें या फिर आपमें ही ये कमी है , जिसके कारण ऐसा हुआ , सुनने को मिलता है।

किसी का दुःख साझा करने के लिए बहुत बड़ा दिल चाहिए , वो भी आपके लिए स्नेह से लबालब भरा होना चाहिए। तभी उसके साथ अपने मन की व्यथा कहनी चाहिए। अन्यथा अल्पकालिक आराम तो वो दे देगा आपको अपने सहानुभूतिपूर्ण वचनों से। लेकिन अक्सर उन जानकारियों का गलत इस्तेमाल ही करेगा , जब खुद नाराज़ हो जाएगा तब।

इसलिए जब मन व्यथित हो तो स्वयं के साथ थोडा समय गुजारना चाहिए। जब मन में स्फूर्ति वापस आ जाये , तभी मित्रों और सहयोगियों से कुछ कहें। थोडा वक़्त दुखों को जीतने में भी लगाना चाहिए। जब हम अपने दुखों के साथ लड़ना सीख जाते हैं तो दुःख में भी सुख की अनुभूति होने लगती है।

और हाँ एक विशेष बात - जब हम दुखी होते हैं तो हमें कोशिश करनी चाहिए की हम अपने मित्रों को परेशान ना करें। अपने दुःख उनसे कहकर हम उनपर भी दुःख का बोझ अनायास ही डाल देते हैं। वो कुछ कर भी नहीं सकेंगे और परेशान भी हो जायेंगे। हो सकता है वो आपके हित में कुछ कहें और आपको पसंद न आये तो दोनों का मन उदास होगा। इसलिए बेहतर यही है की मन की व्यथा को पिया जाए और नीलकंठ बना जाए।

आभार।

Friday, November 26, 2010

स्त्रियों एवं पुरुषों में स्तन कैंसर -- Malignant Neoplasm

कैंसर क्या है ?

हमारा शारीर कोशिकाओं से मिलकर बना है प्रत्येक कोशिका [सेल ] में नोर्मल वृद्धि के तहत नयी सेल्स बनती हैं तथा समय के साथ नष्ट होती रहती हैं लेकिन कभी कभी इन नोर्मल सेल्स में mutation [बदलाव] हो जाता है जिसके कारण , उस कोशिका का DNA damage हो जाता है था वह कोशिका बहुत तेजी के साथ वृद्धि करने लगती है तथा जीर्ण कोशिकाएं नष्ट भी नहीं होतीं , जिसके फलस्वरूप वहां ट्यूमर बन जाता है अतः बहुत तेजी से [uncontrolled ] तरीके से विकृत कोशिका के निरंम्तर विभाजन को ही कैंसर कहते हैं

यह दो प्रकार का होता है -
  • सौम्य [Benign]
  • घातक [ Malignant ]
स्तन कैंसर -

ये स्तन की कोशिकाओं में पैदा होता हैये दुग्ध्वाहिकाओं में हो सकता है अथवा लोब्युल्स जो दुग्ध्वाहिकाओं को दुग्ध पहुंचाते हैं , उनमें हो सकता हैइसी आधार पर इसके दो प्रकार हैं
  • ductal carcinoma -
  • lobular carcinoma -
कैंसर की अवस्थाएं [Stages of cancer ]-

शून्य अवस्था- यह benign अवस्था है , जिसमें कैंसर घातक नहीं होतालम्बे अरसे तक कोई गाँठ अथवा ट्यूमर शरीर में बना रह सकता है , जो तो बढ़ता है , ही फैलता है और रोगी को कोई नुकसान नहीं होता

प्रथम , द्वितीय तथा तृतीय अवस्था -
इसे
early stage कहते हैंइस अवस्था में रोग का निदान तथा चिकित्सा बेहतर हो सकती हैतथा रोगी को स्वास्थ्य लाभ होने की संभावना भी अधिक रहती है

रोग की चतुर्थ अवस्था -
इसे रोग की एडवांस अवस्था कहते हैंइस अवस्था में कैंसर काफी बढ़ चुका होता हैरोगी को चिकित्सा का ज्यादा लाभ नहीं मिल पाता तथा उसके बचने की उम्मीद कम रह जाती है

कैंसर के लक्षण -
  • स्तन में गांठों का होना
  • arm pits [कांख] में गांठों का होना भी कैंसर की पुष्टि करता है।
  • स्तनों के आकार या संरचना में परिवर्तन होना।
  • स्तन की त्वचा में गड्ढे पड़ना ।
  • nipples का अन्दर की तरफ धंसना।
  • nipples से अचानक किसी प्रकार के तरल पदार्थ का स्राव होने लगना।
  • Inflammatory स्तन कैंसर में दर्द , सुजन, लाली तथा स्पर्श में गरम लगता है
  • कभी कभी तेजी से गिरता हुआ वज़न तथा हड्डी में तीव्र वेदना भी एक लक्षण होता है
स्तन कैंसर कभी-कभी अपने स्थान से फैलकर , अपने पास वाले अंग को प्रभावित करता है और कभी-कभी रक्त वाहिनियों में प्रवेश कर दूर स्थित अंगों में कैंसर उत्पन्न करता हैइसे ' Metastasis ' कहते हैं

कैसर का खतरा बढाने वाले कारक -

- किसी स्त्री को यदि बच्चा हो तो स्तन कैंसर होने के ३० % संभावनाएं होती हैं
- स्तनपान ना कराने से
-होर्मोनेस का स्तर अधिक होने से
-इकोनोमिक स्टेटस
- भोजन में आयोडीन की कमी
-परिवार में यदि बहिन या माता , या रिश्तेदार को है तो भी संभावना बढ़ जाती है
- मोटापा
-मदिरापान , तम्बाकू सेवन
-यदि एक स्तन में है तो दुसरे स्तन में होने की संभावना बढ़ जाती है
१०-रेडियेशन के एक्सपोज़र से

स्तन कैंसर की जांच -
  • Breast self examination -
  • Mammographic screening - X- rays द्वारा स्तन की imaging , जिससे बहुत early stage में ही कैंसर का पता चल जाता है । जब गाठें बहुत छोटी होती हैं तथा छूने से महसूस नहीं हो पाती , उसका भी पता मैमोग्राफी से लग जाता है।
स्तन कैंसर की रोक-थाम -
  • physical exercise नियमित करने से।
  • शराब तथा धुम्रपान का त्याग
  • समय से गर्भ-धारण करना
  • शिशु को स्तनपान कराने से भी स्तन कैंसर का खतरा कम रहता है

स्तन कैंसर का इलाज -
  • hormone therapy
  • Surgery [शल्य चिकित्सा ]
  • Chemotherapy [दवाओं से]
  • Radiation [विकिरण ]
पुरुषों में स्तन कैंसर -

पुरुषों में स्तन कैंसर बहुत कम होता हैकरीब एक लाख पुरुषों में किसी एक को ही होता हैलेकिन अब पुरुषों में भी स्तन कैंसर की संख्या बढ़ रही हैस्त्री तथा पुरुषों के स्तन-कैंसर में थोडा बायोलोजिकल अंतर रहता हैपुरुषों में गांठें मिलने की संभावना अधिक रहती हैये estrogen तथा progestron positive होते हैंपुरुषों में डायग्नोसिस अक्सर एडवांस अवस्था में होती है , इसलिए देर हो जाने के कारण चिकित्सकीय लाभ कम मिल पाता है

बच्चों में स्तन कैंसर -

बच्चों में स्तन कैंसर नहीं होता । Ductal invasive carcinama , केवल adults में होता है । लेकिन adolocents में ०.१ % संभावना को नकारा नहीं जा सकता । puberty के समय कन्याओं में स्तन विकास की शुरुवात , इस तरह की गाँठ [बटन ] से ही होती है। यह नोर्मल ग्रोथ है । लेकिन यदि इसमें दर्द या फिर खुजली [itching] हो तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए

कुछ बातें -

  • स्तन कैंसर जितना घातक है , उतनी ही घातक इनकी चिकित्सा में प्रयुक्त होने वाली औषधियां हैंअतः जागरूक रहकर समय रहते इसका निदान और चिकित्सा करा लेनी चाहिए
  • Radiation द्वारा स्वस्थ्य कोशिकाएं भी नष्ट होती रहती हैं । इसलिए अब shaped beam का प्रयोग करते हैं।
  • स्त्रियों को कम उम्र में होने पर ख़तरा ज्यादा रहता है। स्तनपान कराने वाली माताओं में उस अवस्था में कुछ परिवर्तन समय रहते नोटिस नहीं हो पाते।
  • Menopause के बाद बढ़ते हुए वजन को कंट्रोल में रखकर स्तन कैंसर से बचा जा सकता है॥
    विषय में जागरूकता भी बहुत मदद करती है।
आभार