01- आतंकित सा दिखता कण कण- हाहाकार मचाते ...........जनगण्
02- खोज रहे फिर से नव जीवन्- सौ करोङ टूटे उलझे .......मन
03- बनते जाते है दुखदायक- स्वार्थपरयण से ............अधिनायक
04- हे मां हमको ये बतला दे- किसकी अब हम बोलें .......जय हे
05- सुन कर होता है मन आहत- कर्ज़ में डूबा मेरा......... भारत ... ...
06- देश मेरे क्यूं ना बतलाता- कहां है तेरा........... भाग्यविधाता
07- रो रो कहते पांचों आब..कहां खो गया वो .................पंजाब .
08- मांग रहा है फिर से हिन्द- वापस ला दो मेरा ...........सिन्ध
09- क्यूं बिगङे मेरे हालात- कहता गांधी का .................गुजरात
10- भूल के अपनी गौरव गाथा- गढ आतंक का बना ........मराठा
11- सूख रही अज़ादी की जङ- ढूंढ रहा अस्तित्व को .......द्राविङ
12- खोते जाते सब रस रंग- खोते जाते .................उत्कल बंग
13- घोटालों से हो कर घायल- शर्म से झुकते ....विन्ध्य हिमांचल
14- कहीं पे झगङा कहीं पे दंगा- हुईं प्रदूषित ..........यमुना गंगा
15- दबा के अपनी हरेक उमंग रोती ..........उच्छल जलधि तरंग
16- जाने हम हैं कैसे अभागे- जो ना ...........तव शुभना मे जागे
17- अब तो मां तू हमें जगा दे- ये ही ......तव शुभ आशिष मांगे
18- मां के चरण शत्रु का माथा- फिर तू ......गा हे तव जय गाथा
19- राष्ट्र को दें जीवन का क्षण क्षण- ऐसे हों भारत के ...जन गण
20- स्वार्थहीन हों राष्ट्र के नायक- जन-जन को हों...... मंगलदायक
21- सत्यदर्शिनी तेरी जय हे- पथ प्रदर्शिनी तेरी .............जय हे
22- सदा रहे शुभ कर्मों मे रत- ऐसा कर दे मेरा .............भारत
23- राष्ट्र हेतु निज शीश का दाता- ऐसा दे दे.......... भाग्यविधाता
24- राष्ट्र के सेवक जय हे जय हे- सच्चे रक्षक....... जय हे जय हे
25- भारत माता तेरी जय हे- विश्व विधाता तेरी ..............जय हे
26- रहे सदा तू अजर अमर हे- मां तेरी...... जय जय जय जय हे
------------------------------ ------------------------------ --------------
(फेसबुकिया प्रदीप बहेती के सौजन्य से )
09- क्यूं बिगङे मेरे हालात- कहता गांधी का .................गुजरात
10- भूल के अपनी गौरव गाथा- गढ आतंक का बना ........मराठा
11- सूख रही अज़ादी की जङ- ढूंढ रहा अस्तित्व को .......द्राविङ
12- खोते जाते सब रस रंग- खोते जाते .................उत्कल बंग
13- घोटालों से हो कर घायल- शर्म से झुकते ....विन्ध्य हिमांचल
14- कहीं पे झगङा कहीं पे दंगा- हुईं प्रदूषित ..........यमुना गंगा
15- दबा के अपनी हरेक उमंग रोती ..........उच्छल जलधि तरंग
16- जाने हम हैं कैसे अभागे- जो ना ...........तव शुभना मे जागे
17- अब तो मां तू हमें जगा दे- ये ही ......तव शुभ आशिष मांगे
18- मां के चरण शत्रु का माथा- फिर तू ......गा हे तव जय गाथा
19- राष्ट्र को दें जीवन का क्षण क्षण- ऐसे हों भारत के ...जन गण
20- स्वार्थहीन हों राष्ट्र के नायक- जन-जन को हों...... मंगलदायक
21- सत्यदर्शिनी तेरी जय हे- पथ प्रदर्शिनी तेरी .............जय हे
22- सदा रहे शुभ कर्मों मे रत- ऐसा कर दे मेरा .............भारत
23- राष्ट्र हेतु निज शीश का दाता- ऐसा दे दे.......... भाग्यविधाता
24- राष्ट्र के सेवक जय हे जय हे- सच्चे रक्षक....... जय हे जय हे
25- भारत माता तेरी जय हे- विश्व विधाता तेरी ..............जय हे
26- रहे सदा तू अजर अमर हे- मां तेरी...... जय जय जय जय हे
------------------------------
(फेसबुकिया प्रदीप बहेती के सौजन्य से )
6 comments:
Nayab andaj mi ek nayab prastuti aur hakikat ka behatareen dastabej jai jai jai jai he...
प्रदीप जी को मेरी बधाई , बहुत अच्छा लिखा है !
Is disha me log sochen,iske liye dhyanakarshan ka achchha tareeka.
बहुत अच्छा लिखा प्रदीप जी ने बहुत बहुत बधाई,,,,
recent post...: अपने साये में जीने दो.
अद्भुत कवित्व..
समझ नहीं आता कि प्रदीप बहेती जी की इस कृति को शानदार बोलूँ या दुखदाई? बेशक उन्होंने राष्ट्रगान के इस स्वरुप को हमारे सामने रख भारत की असली तस्वीर दिखा दी, जिसके लिए वे प्रशंसा व सम्मान के पात्र हैं। किन्तु यह असली तस्वीर देखकर दुःख भी बहुत हुआ।
प्रदीप जी को सल्यूट और आपको भी जो आपने यह बहुत ज़रूरी रचना हम तक पहुंचाई।
सच ही है, क्या गर्व करें इस "इंडिया" पर।
Post a Comment