हिन्दुओं के वोट विभाजित करने के लिए केजरीवाल
ने बनायीं तीसरी पार्टी (आम आदमी की पार्टी) ! पहले खुद तो आम बनकर जीना
सीख लेता , खुद को तो खासमखास बनाकर रखना चाहता है , ये आम आदमी को क्या
समझेगा जो अपनी टीम के ख़ास लोगों को ही नहीं समझ सका ! इससे लाख दर्जे
बेहतर तो "शिव सेना" है जिसने हिन्दू वोट बंटने ना पाए इसलिए सर्व सम्मति
से भाजपा को अपना समर्थन देकर हिन्दुओं की एकता को अखंड किया है !केजरीवाल ने अपनी महत्वाकांक्षा और स्वार्थ के चलते ये "आम आदमी की पार्टी" बनायी है !
नाम और स्वार्थ का भूखा है ! यदि वह निस्वार्थ देश की सेवा करना चाहता है
तो मोदी का साथ क्यों नहीं दिया ! मोदी के नेत्रित्व में क्यों नहीं ? एक
और एक मिलकर ग्यारह होते हैं , अकेले अकेले तो दोनों की ही कोई औकात नहीं
रह गयी ! सिर्फ शासक बनना चाहता है ! सत्ता में बैठकर राजसी भोग करना
चाहता है ! अन्ना के साथ जुड़कर अन्ना के मुद्दे जन लोकपाल की बधिया बैठा
दी , अब मुस्लिम तुष्टिकरण और हिन्दू वोट तोड़कर पता नहीं कौन सी देश सेवा
करेगा !--
मोदी केजरीवाल से सौ गुना बेहतर विकल्प है !
केजरीवाल
को कोई भी देशभक्त नहीं लगता ! सब नालायक और निकम्मे हैं ! अगर कोई
सद्बुद्धि वाला नेता है तो बस केजरीवाल ही है ! लेकिन शायद उन्हें ये नहीं
पता की एक बार 'नेता' बनने का रोग लग जाए तो वापस "आम आदमी" बनना मुश्किल
ही नहीं नामुमकिन है ! काश वो सच में आम आदमी का दुःख दर्द समझ सकता!
उसने तो राजनीति की सीढयाँ चढ़ने के लिए जालीदार टोपी पहन ली और आम आदमी को
टोपी पहना दी !
22 comments:
बहुत ख़ूब!
आपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 26-11-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
आम आदमी बनने का दम कहाँ है केजरीवाल में? कल देखा था उसे इंडिया टीवी पर "आपकी अदालत में"
रजत शर्मा द्वारा पूछे गए किसी सवाल का jawab था hi नहीं उसके पास। उसे यह नहीं पता कि देश की रक्षा नीति के लिए वह क्या करेगा, देश की अर्थ नीति के लिए वह क्या करेगा? पार्टी की अपनी क्या नीतियाँ होंगी, यहाँ तक कि वह ये भी नहीं बता सका कि वह खुद चुनाव लडेगा या नहीं।
हर चीज़ जनता पर दे मारी। हर बात जनता ही डिसाइड करेगी। यहाँ तक कि उसकी पार्टी का प्रचार भी जनता ही करेगी।
तो ऐसे निकम्मे इन्सान को हम अपना कीमती वोट क्यों दें जिसे कुछ पता ही नहीं?
देश में पन्द्रह सो पार्टियां पहले से है एक और सही कुछ दिन में हकीकत सामने आ जायेगी वैसे भी जनता इन पर भरोसा करेगी नहीं !!
केजरी को लगता है की वह सब कुछ जानता है -
और सब कुछ कर सकता है-
महत्त्वकांक्षी तो है ही-
दावा कंगरसिया करे, साथ आदमी आम ।
कैसे रखते केजरी, पार्टी का यह नाम ।
पार्टी का यह नाम, हमारा हित ही साधे।
करें परस्पर रार, राष्ट्रवादी भी आधे ।
सारे सेक्युलर साथ, मुलायम माया पावा ।
साथ आदमी आम, गलत केजरि का दावा ।।
sarthak aalekh......
राजनीति मे सब जायज है । वरना तो राजनीति के धुरंधर पैर जमने नहीं देंगे।
जय हो,,,AAP..की
recent post : प्यार न भूले,,,
इतनी जल्दी निराशा का भाव अच्छा नहीं है। किसी को मौका देना तो पड़ेगा ही..तब तक नये विकल्प तलाशते रहने होंगे जब तक श्रेष्ठ के समतुल्य कुछ नहीं मिल जाता।
नेता बन जाने के बाद आम आदमी कोई कैसे रह सकता है -फिर तो वह खास है!
:-)
सुन्दर विचार .
साम -दाम -भय भेद ,का कुनबा भ्रष्टाचार ,
आम आदमी इसी का होता रहा शिकार .
------डंडा लखनवी
क्या बात है 127 सालों से आम आदमी का खून चूसने वालों के मुंह पे दे मारा है डंडा ,जियो हजारो साल .
इन आम के हिमायतियों को औकात बताएगी आम आदमी पार्टी .
Virendra Kumar SharmaNovember 26, 2012 1:22 PM
साम -दाम -भय भेद ,का कुनबा भ्रष्टाचार ,
आम आदमी इसी का होता रहा शिकार .
------डंडा लखनवी
क्या बात है 127 सालों से आम आदमी का खून चूसने वालों के मुंह पे दे मारा है डंडा ,जियो हजारो साल .
इन आम के हिमायतियों को औकात बताएगी आम आदमी पार्टी .
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लिंक 5 (A)-
आम आदमी को टोपी पहना दी -दिव्या श्रीवास्तव ZEAL
हिन्दू बाड़े में बंद करने वाली अल्प संख्यक भेड़ें नहीं हैं दिव्या जी .मोदी जी के हम भी
प्रशंसक हैं .पोस्ट पोल गठ जोड़ का दौर है ये ,मैं क्या जी कदी हंस भी लिया करो जी
.दिव्याजी .
गाँधीटोपी ओढ़ना, सीख गये जब लोग।
अपने हित के वास्ते, करते हैं उपयोग।।
धन्यवाद मुखोटा उघाडने के लिये.
धन्यवाद मुखोटा उघाडने के लिये.
एक लौ इस तरह क्यूँ बुझी ... मेरे मौला - ब्लॉग बुलेटिन 26/11 के शहीदों को नमन करते हुये लगाई गई आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जब आम आदमी का नाम लेकर एक अँगरेज़ की भारतीयों का समर्थन प्राप्त करने के लिए बनाई गई पार्टी टोपी पहने रह सकती है 127 साल ,तो केजरीवाल क्या अपनी बाप सामान अन्ना जी की भी टोपी नहीं पहन सकते ?
आखिर केजरीवाल का इतना खौफ क्यों ?
नाई नाई बाल कित्ते ...........हो लेने दो आगामी चुनाव सामने आ जायेंगे .
केजरीवाल की पार्टी में कोई अँगरेज़ सर का खिताब नहीं बाँट रहा है .यह भारत धर्मी समाज की आवाज़ है जिसे अब कोई दबा नहीं सकेगा .चिंगारी ही आग बनती है एक चिंगारी तो उठने दो यारों .
उनकी टोपी में किस किस का सिर फंसता है ये देखना होगा २०१४ में....
केजरीवाल जी ने राजनीतिक पार्टी बनाकर ग़लत किया। सुन्दर रचना के लिए आभार ।
मेरी नयी पोस्ट "10 रुपये का नोट नहीं , अब 10 रुपये के सिक्के " को भी एक बार अवश्य पढ़े । धन्यवाद
मेरा ब्लॉग पता है :- harshprachar.blogspot.com
बिल्कुल सही कहा आपने । इस प्रकार की विकृत सोच वाले लोग हमेशा ही देश और समाज की हानि ही करते आए हैँ ।
केजरीवाल की असलियत जाहिर करती पोस्ट के लिए बधाई ।
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