भारत में लोकतंत्र है अथवा तुष्टिकरण-तंत्र ?
भारत कुछ दिनों में आतंकवादियों का गढ़ बन जाएगा क्योकि यहाँ विदेशों से इम्पोर्ट होने वाले इस्लामिक आतंकवादियों की जांच नहीं होती। मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते मुसलामानों को नाजायज प्रोटेक्शन, सुविधायें और आरक्षण दिया जाता है। और कुर्सी पाने के लालची नेता मुल्ला-वोट के लिए इन हिंसक जंतुओं को पालते-पोसते हैं।
एक मुन्नाभाई को बचाने के लिए सात अन्य खूंखार आतंकवादियों को राहत दे दी गयी। अखिलेश यादव ने मुस्लिम चमचागिरी के चलते एक कुख्यात आतंकवादी के सभी गुनाह माफ़ करके उसको रिहा कर दिया।
Zeal
भारत कुछ दिनों में आतंकवादियों का गढ़ बन जाएगा क्योकि यहाँ विदेशों से इम्पोर्ट होने वाले इस्लामिक आतंकवादियों की जांच नहीं होती। मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते मुसलामानों को नाजायज प्रोटेक्शन, सुविधायें और आरक्षण दिया जाता है। और कुर्सी पाने के लालची नेता मुल्ला-वोट के लिए इन हिंसक जंतुओं को पालते-पोसते हैं।
एक मुन्नाभाई को बचाने के लिए सात अन्य खूंखार आतंकवादियों को राहत दे दी गयी। अखिलेश यादव ने मुस्लिम चमचागिरी के चलते एक कुख्यात आतंकवादी के सभी गुनाह माफ़ करके उसको रिहा कर दिया।
Zeal
17 comments:
वास्तव में तुष्टीकरण न्याय समानता एवं औचित्य आदि सभी लिक्तान्त्रिक तथ्यों का शत्रु है -प्रजातंत्र के लिये घातक ! |
विचारणीय आलेख.
तुस्टीकरण का यह खेल देश को खतरे कि और धकेल रहा है !!
तुष्टिकरण का कीड़ा ऐसा चिपका कि सही-गलत का भेद ही मिटा दिया इसने। संजय दत्त को माफ़ी किस बात की? उसे एक और मौका क्यों दिया जाए? क्या 1993 के मुंबई बम धमाकों में मरने वालों को एक और मौका दिया जा सकता है?
कुछ अपराध अक्षम्य होते हैं। और देश द्रोह उन अक्षम्य अपराधों में भी सबसे ऊपर है। जब इतना बड़ा अपराध किसी इ द्वारा किया जाए तो उसे माफ़ी का कोई सवाल ही नहीं। फिर चाहे वह किसी भी फिल्म इंडस्ट्री का कितना ही बड़ा सितारा क्यों न हो।
उसके चक्कर में इन इस्लामी आतंकियों को मौका मिल गया अपने आप को बचाने का। सरकार तो जैसे इसी इन्तार में बैठी थी। मुझे तो लगता है कि संजय दत्त को सा भी इसीलिए दी गयी थी। यह सोचकर कि जनता में बसे संजय दत्त को जब मौका मिलेगा तो जनता को तो कोई ऐतराज़ होने से रहा, उसकी आड़ में हम अपने अब्बाजानों को भी बचा लेंगे।
अब जनता को भी यह फैसला करना है कि उन्हें फिल्मों में मुन्ना भाई चाहिए या अपनेघर, परिवार, शहर, समाज व देश में सुरक्षा?
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (28-04-2013) के चर्चा मंच 1228 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
आज की ब्लॉग बुलेटिन १०१ नॉट आउट - जोहरा सहगल - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
हालात बहुत खराब हैं. कम से कम प्रधानमन्त्री और मुख्यमन्त्री का चुनाव सीधे होना चाहिये. अमेरिकी माडल बेहतर नहीं है!
यह आतंक ही है जो अपने पीछे हिंसा और नफ़रत
छोड़ जाता है....भुगतते तो मासूम ही हैं!
सही कहा .विचारणीय आलेख.
इस देश का दुर्भाग्य है कि यहाँ वोट की खातिर अपनों को ही
मटियामेट कर दिया जाता है,आतंकवादियों को प्रषय देना इनकी
मज़बूरी है------
सार्थक और बेवाक रपट
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
सटीक....विचारणीय
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
सहमत
वोट बैंक का चक्कर है , यहाँ अमेरिका जैसे चुनाव सिस्टम होना चाहिए!
वोट बैंक का चक्कर है , यहाँ अमेरिका जैसे चुनाव सिस्टम होना चाहिए
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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देश के नेताओं ने अपने स्वार्थ के लिए देश के
विकास को ठेंगा दिखा दिया ।
सार्थक लेख
चिंतनीय और सूक्ष्म
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