Wednesday, November 6, 2013

फतवा-वालों की चाकरी , कजरारे-केजरी

मुस्लिम वोटों की नाव पर टिकी हुयी है फर्जी नेताओं कि राजनीति, वरना कब कि डूब चुकी होती इनकी नैय्या। फतवा जारी करने वाले मौलवियों कि शरण में हैं केजरीवाल। समर्थन मांगने के लिए ढंग के लोग नहीं मिलते  इन वोट के लालचियों को?

भड़काऊ भाषण द्वारा दंगे भड़काने के आरोप में जेल काट चुके तौकीर रज़ा खान ने लेखिका तस्नीमा नसरीन के खिलाफ फतवा जारी किया। आरोप लगने पर केजरीवाल ने कहा मैं इन्नोसेंट , हूँ मुझे ये सब पता नहीं था ! अरे कोई तो पढ़ाओ लिखो केजरीवाल को , नहीं तो लश्करे तैयबा वाले भी ज्वाइन कर लेंगे "आप" पार्टी को , क्योंकि केजरीवाल तो इन्नोसेंट हैं, आतंकवाद पर अपडेट नहीं रहते हैं ये।

फतवा-वालों की चाकरी , कजरारे-केजरी

8 comments:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

वोटों के पीछे सभी पगलाए बैठे हैं

सूबेदार said...

केजरीवाल जैसे लोगों का भारतीय राजनीती में कोई प्रभाव नहीं है ये जहाँ से खड़े किये गए हैं उनकी इक्षा के अनुसार ही इन्हे कम करना पड़ेगा ये विदेशी मिशनरियों के एजेंट है.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बृहस्पतिवार (07-11-2013) को "दिमाग का फ्यूज़" (चर्चा मंच 1422) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बृहस्पतिवार (07-11-2013) को  "दिमाग का फ्यूज़"  (चर्चा मंच 1422)      पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

प्रवीण पाण्डेय said...

क्या सोचा था, क्या निकले?

रविकर said...

बढ़िया प्रस्तुति-
आभार महोदया-

अरसीला अरविन्द *अर, अथ शीला सरकार |
दृष्टि-बुरी जब कमल पर, होगा बंटाधार |

होगा बंटाधार, खेल फिर झारखण्ड सा |
जन त्रिशंकु आदेश, खेल खेलेगा पैसा |

बाढ़े भ्रष्टाचार, प्रशासन फिर से ढीला |
कीचड़ में अरविन्द, कहाँ शीला-अर सीला |
अर = जिद
सीला =गीला / सीलन
अरसीला = आलसी

ZEAL said...

जिस मौलाना तौकीर रजा ने पुरे चालीस दिनों तक बरेली को दंगो की आग में झोक दिया था और इतनी गदर मचा दी थी कि इसकी ही घोर इस्लामिक पार्टी सपा को इसे जेल भेजना पड़ा था और आज भी अदालतों में इसके उपर दंगा भड़काने, भडकाऊ भाषण देने, आदि के चार मामले लम्बित है उसी तौकीर रजा को केजरीवाल जी नेक और इज्जतदार कह रहे है

Vaanbhatt said...

राजनीती काजल कि कोठरी के सामान है...